आज का पंचाग आपका राशि फल, वेदों में प्रकृति के साथ समन्वय कर मानव जीवन को अमर बनाने के गहन सूत्र (code) हैं, भारत का मेक इन इंडिया अभियान अमेरिकी वर्चस्व को दे रहा है कड़ी टक्कर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सूपरसोनिक ब्रह्मोस नियत

​ ​ 𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

                   *श्री हरिहरो* 

                 *विजयतेतराम*   

         *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

    🗓 *आज का पञ्चाङ्ग* 🗓

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*_रविवार, १९ मार्च २०२३_*

सूर्योदय: 🌄 ०६:२९

सूर्यास्त: 🌅 ०६:२६

चन्द्रोदय: 🌝 २९:३६

चन्द्रास्त: 🌜१५:५३

अयन 🌖 उत्तरायणे

 (दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🎋 बसंत

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)

मास 👉 चैत्र

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि 👉 द्वादशी (०८:०७ से 

त्रयोदशी)

नक्षत्र 👉 धनिष्ठा (२२:०४

से शतभिषा)

योग👉सिद्ध(२०:०७ से साध्य

प्रथम करण👉तैतिल(०८:०७तक

द्वितीय करण👉गर(१८:३१ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मीन

चंद्र 🌟 कुम्भ (११:१७ से)

मंगल 🌟 मिथुन

(उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध🌟मीन(अस्त,पूर्व,मार्गी)

गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)

शुक्र🌟मेष (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ

 (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०१ से १२:४९

अमृत काल 👉 १२:४३ से १४:०९

द्विपुष्कर योग 👉 ०६:२३ से ०८:०७

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१४

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२५ से १८:४९

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:२७ से १९:३९

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०० से २४:४८

राहुकाल 👉 १६:५७ से १८:२७

राहुवास 👉 उत्तर

यमगण्ड 👉 १२:२५ से १३:५५

होमाहुति 👉 केतु

दिशाशूल 👉 पश्चिम

अग्निवास 👉 आकाश (२८:५५ से पृथ्वी)

भद्रावास 👉 मृत्यु (२८:५५ से)

चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम ११:१७ से)

शिववास 👉 नन्दी पर (०८:०७ से भोजन में, २८:५५ से श्मशान में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – उद्वेग २ – चर

३ – लाभ ४ – अमृत

५ – काल ६ – शुभ

७ – रोग ८ – उद्वेग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – शुभ २ – अमृत

३ – चर ४ – रोग

५ – काल ६ – लाभ

७ – उद्वेग ८ – शुभ

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (पान का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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प्रदोष व्रत, पंचक आरम्भ ११:१७ से, रंग तेरस आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज २२:०४ तक जन्मे शिशुओ का नाम धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गी, गू, गे) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (गो, सा) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – ३०:१५ से ०७:३८

मेष – ०७:३८ से ०९:१२

वृषभ – ०९:१२ से ११:०७

मिथुन – ११:०७ से १३:२२

कर्क – १३:२२ से १५:४३

सिंह – १५:४३ से १८:०२

कन्या – १८:०२ से २०:२०

तुला – २०:२० से २२:४१

वृश्चिक – २२:४१ से २५:००

धनु – २५:०० से २७:०४

मकर – २७:०४ से २८:४५

कुम्भ – २८:४५ से ३०:११

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०६:२३ से ०७:३८

शुभ मुहूर्त – ०७:३८ से ०८:०७

रोग पञ्चक – ०८:०७ से ०९:१२

शुभ मुहूर्त – ०९:१२ से ११:०७

मृत्यु पञ्चक – ११:०७ से १३:२२

अग्नि पञ्चक – १३:२२ से १५:४३

शुभ मुहूर्त – १५:४३ से १८:०२

रज पञ्चक – १८:०२ से २०:२०

शुभ मुहूर्त – २०:२० से २२:०४

चोर पञ्चक – २२:०४ से २२:४१

शुभ मुहूर्त – २२:४१ से २५:००

रोग पञ्चक – २५:०० से २७:०४

शुभ मुहूर्त – २७:०४ से २८:४५

शुभ मुहूर्त – २८:४५ से २८:५५

मृत्यु पञ्चक – २८:५५ से ३०:११

अग्नि पञ्चक – ३०:११ से ३०:२१

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन सामान्य से उत्तम रहेगा लाभ के कई अवसर हाथ आएंगे लेकिन आज आपका मन काम के समय कही और भटकेगा धन के साथ विपरीत लिंगीय के प्रति अधिक आसक्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर धन संबंधित मामलों को मन मे चल रही उठापटक के कारण नजरअंदाज करेंगे इसके परिणामस्वरूप लाभ विलम्ब से और आशा से कम होगा। सहकर्मी और घर के सदस्य आपके लापरवाह व्यवहार से परेशान होंगे आपस मे नोकझोंक भी हो सकती है। पर्यटन मनोरंजन के अवसर मिलेंगे लेकिन उदासीन व्यवहार के कारण इनका आनंद नही ले सकेंगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज आप दिन के पूर्वार्ध में ही योजनाबद्ध होकर कार्य करेंगे मध्यान तक परिश्रम का फल नही मिलने से थोड़े निराश भी होंगे लेकिन आज की गई मेहनत शीघ्र ही धन के साथ नए लाभ के संबंध बनाने में सहायक होगी। नौकरी वाले लोग अपने क्षेत्र पर सहकर्मियों से प्रतिस्पर्धा के बाद अव्वल रहेंगे। धन को लेकर ज्यादा परेशान ना हों आज नही तो कल अवश्य ही सकारत्मक परिणाम मिलेंगे। सरकारी कार्य आज अवश्य ही जोड़-तोड़ कर पूर्ण करने का प्रयास करें इसके बाद सहयोग तो मिलेगा परन्तु कार्य सफलता में विलंब होगा। परिजनों की मांगें असहज करेंगी टालने पर कलह हो सकती है। स्वास्थ्य में छोटे मोटे विकार लगे रहेंगे फिर भी दिनचार्य खराब नही होगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपके स्वभाव में आलस्य और लापरवाहि दोनो रहने के कारण आस पास के लोगो को असुविधा होगी। आपके मुह पर लोग स्वार्थ वश मीठा व्यवहार करेंगे लेकिन पीछे से जो गलती आपने नही की उसका भी दोष लगाएंगे फिर भी आप इन सबसे बेपरवाह होकर अपने मे मस्त रहेंगे। कार्य व्यवसाय को लेकर मानसिक चिंता रहेगी परन्तु साधनों की कमी के चलते मन मारकर रहना पड़ेगा। नौकरी वाले जातक अधिकारियों के कोप भाजन बन सकते है। महिलाये बड़बोले पन के कारण स्वयं की कलह को निमंत्रण देंगे। सर दर्द को छोड़ स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन उदासीनता से भरा रहेगा। सेहत आज हल्की रहने से शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी रहेगी। किसी का स्नेह सहयोग भी बुरा लगेगा लेकिन बेमन से ही सही व्यवहारिकता में कमी ना आने दे अन्यथा सम्बंधो में खटास आने पर वापस जोड़ना मुश्किल होगा। कार्य व्यवसाय में आज सहकर्मी अथवा कर्मचारियों के भरोसे रहना पड़ेगा। कार्य स्थल पर चोरी अथवा अन्य किसी कारण से नुकसान हो सकता है। धन को लेकर मध्यान बाद परेशानी होगी कही से मिलने वाली रकम में व्यवधान आने से आगे के कार्य प्रभावित होंगे। परिजन हर प्रकार से सहयोग करेंगे।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आपको अवश्य की कुछ ना कुछ यादगार पल देगा। व्यवसाइयों को व्यापार से धन की आमद रुक रुक कर होती रहेगी लेकिन आर्थिक मामलों में आज किसी भी प्रकार की जोर-जबरदस्ती ना करें अन्यथा संबंध खराब होने से भविष्य में कठिनाई आएगी। आज आपकी सोची सभी योजनाए पूर्ण होने में संदेह रहेगा लेकिन जितने कार्य पूर्ण होंगे उनसे संतोषजनक लाभ अर्जित कर लेंगे अति आवश्यक कार्य को प्राथमिकता दें आज जैसी सुविधा कल नही मिलेगी। आज आप परिजन एवं मित्र रिश्तेदारों की भावनाओ को समझेंगे फिर भी किसी कार्य अथवा इच्छा पूर्ति में विलंब होने पर नाराजगी देखनी पड़ेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आपकी मानसिकता अधिक से अधिक सुखोपभोग की रहेगी इसके लिये धन अथवा समाज की परवाह नही करेंगे। कार्य व्यवसाय मध्यान बाद तक सुचारू रूप से चलेगा इसके बाद का समय थोड़ा विघ्न बाधाओं वाला रहेगा लोग जबरदस्ती आपसे उलझेंगे। किसी भी प्रकार के अनैतिक आचरण से बचे अन्यथा निकट भविष्य में विवाद बढ़ने की संभावना है। पारिवारिक वातावरण आवश्यकता पूर्ति के ऊपर निर्भर रहेगा समय पर मांग पूरी करने पर शांति रहेगी अन्यथा गरमा गर्मी हो सकती है। सेहत संध्या बाद नरम होगी।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आप अपने बुद्धि विवेक का प्रयोग कर लाभ कमाएंगे लेकिन सही समय की प्रतीक्षा अवश्य करें ऐसा ना हो असमय लिया निर्णय लाभ की जगह निराश करें। दिन के आरंभ से मध्यान तक कार्यो के प्रति लापरवाह रहेंगे लेकिन मध्यान बाद किसी वरिष्ठ की दखल के बाद स्वभाव में गंभीरता आएगी। परिश्रम भी आज अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक करना पड़ेगा लेकिन इसका लाभ निकट भविष्य में धन के रूप में मिलेगा आज धन संबंधित समस्या यथावत रहेगी। परिजन आपसे किसी ना किसी कारण से नाराज हो सकते है। सेहत का भी ख्याल रखें।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज आप पूर्व में की गई गलतियों से सीख लेंगे भविष्य में ऐसा न यही इसका विचार भी करंगे परन्तु फिर भी कोई प्रसंग अचानक बनने से फिर वही गलती दोहराएंगे लेकिन आज परिश्रम और मीठे व्यवहार के बल पर इस पर पर्दा भी डाल देंगे। कार्य व्यवसाय से मेहनत के बाद भी मन इच्छित सफलता नही मिलने का खेद रहेगा लेकिन हतोत्साहित ना हों संध्या बाद से स्थित आपके पक्ष में आने लगेगी शुभ समाचार मिलने से उत्साह बढ़ेगा। आर्थिक अथवा अन्य पारिवारिक मामलों को लेकर घर मे खींच-तान होगी व्यर्थ के विवादों से दूर रहें। स्वास्थ्य कुछ समय के लिये खराब होगा।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन लाभदायक तो है लेकिन विपरीत लिंगीय आकर्षण और स्वभाव की कामुकता किसी परेशानी में ना डाल दे इसका विशेष ध्यान रखें। दिन के आरम्भ में किसी नजदीकी से शुभ समाचार प्राप्त होगा। लेकिन पूर्व में की गई गलती के कारण मन मे भय भी बना रहेगा। कार्य व्यवसाय से धन की संतोषजनक आमद निश्चित होगी परन्तु उटपटांग खर्च भी अधिक रहने से बचत नही कर सकेंगे। व्यवसायी वर्ग प्रतिस्पर्धा के कारण कुछ समय के लिये निराश होंगे फिर भी प्रयास करते रहे आर्थिक लाभ थोड़ा थोड़ा होता रहेगा। सेहत असंयमित खान-पान के कारण बिगड़ सकती है। 

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन भी उतार-चढ़ाव वाला रहेगा आज आप जिस कार्य से लाभ की उम्मीद लगाए रहेंगे अंत समय मे उससे निराशा ही हाथ लगेगी लेकिन आज मेहनत करने में कसर ना रखें अन्यथा निकट समय मे होने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ेगा कार्य व्यवसाय में दुविधा की स्थिति हानि से बाहर नही निकलने देगी अनुभवी व्यक्ति की सलाह के बाद जोखिम लेने से ना डरे इसका आने वाले समय मे कुछ ना कुछ लाभ और अनुभव मिलेगा। सहकर्मी अथवा परिजनों से नुकसान हो सकता है धर्य से समय बिताये बेवजह की कलह से दूर रहने का प्रयास करें शांति बनी रहेगी। स्वास्थ्य मानसिक विकार को छोड़ लगभग सामान्य रहेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन परिस्थिति आपके अनुकूल बनी रहेगी लेकिन आलस्य और मौज शौक की प्रवृत्ति भी रहने के कारण समय का पूर्ण लाभ नही उठा पाएंगे। आज आप जिस भी कार्य को आरम्भ करेंगे उसमे सफलता निश्चित मिलेगी।धन प्राप्ति की कामना दिन के आरंभ से ही लगी रहेगी लेकिन इसके अनुसार कर्म एवं सहयोग ना मिलने के कारण कुछ ना कुछ कमी अनुभव करेंगे। नौकरी पेशा आज काम मे ढील देंगे इससे बाद में परेशानी होगी। पारिवारिक वातावरण शांत रहेगा घर के सभी सदस्य अपनी धुन में मस्त रहेंगे महिलाओ को छोड़ अन्य जल्दी कोई काम करने के लिए तैयार नही होंगे।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपकी सेहत तो ठीक रहेगी लेकिन नेत्र संबंधित शिकायत रह सकती है। कार्य क्षेत्र एवं घरेलू मामलों में आज विविध समस्या एकसाथ उभरने से कुछ समय के लिये दिमाग शून्य जैसा हो जाएगा लेकिन जीवनसाथी अथवा घर के बड़े सदस्य का सहयोग मिलने से परेशानियों का हल निकाल लेंगे फिर भी किसी ना किसी कारण से असंतोष अवश्य रहेगा। कार्य व्यवसाय क्षेत्र पर आज सही निर्णय और समय पर योजना बनाने के बाद भी कमी रहेगी। आर्थिक लाभ के लिये किसी अन्य के निर्णय का इंतजार करना पड़ेगा होगा भी तो आशा से बहुत कम। समाज मे बैठे समय बोल चाल सोच समझ कर ही करें। धार्मिक भावनाएं आज स्वार्थ सिद्धि के लिए अथवा काम बनाने तक ही सीमित रहेंगी दिखावे के दान पुण्य से ना करना ही बेहतर रहेगा। आज अनैतिक संबंधों अथवा गलत संगत से दूर रहे परेशानी में पड़ सकते है।

विद्या-महाविद्या-निसर्ग या प्रकृति से जो ज्ञान मिलता है वह विद्या है। ज्ञान प्राप्ति के ४ मार्ग होने के कारण ४ वेद हैं तथा विद् धातु के ४ अर्थ हैं। पहले तो किसी वस्तु की सत्ता होनी चाहिये। इसका अर्थ है आकार या मूर्त्ति जिसका वर्णन ऋग्वेद करता है। (विद् सत्तायाम्-पाणिनीय धातु पाठ ४/६०)। उसके बारे में कुछ जानकारी हमारे तक पहुंचनी चाहिये। यह गति है जिसका वर्णन यजुर्वेद करता है। उससे सूचना की प्राप्ति होती है-विद्लृ लाभे (६/४१)। सूचना मिलने पर उसका विश्लेषण पूर्व ज्ञान के आधार पर मस्तिष्क में होता है। यह ज्ञान वहीं तक हो सकता है जहां तक उस वस्तु की महिमा या प्रभाव है। महिमा रूप सामवेद है। विद् ज्ञाने (२/५७)। इन सभी के लिये एक स्थिर आधार (अथर्व = जो थरथराये नहीं) की जरूरत है जो मूल अथर्व वेद है। वस्तु का आकार तभी दीखता है जब उसका रूप परिवेश से भिन्न हो। उसकी गति भी स्थिर आधार की तुलना में होती है। विचार और ज्ञान भी पूर्व सञ्चित ज्ञान (मस्तिष्क या पुस्तक में) तथा समन्वय से विचार करने से होता है। इस रूप में विद् के २ अर्थ हैं-विद् विचारणे (७/१३), विद् चेतनाख्यान निवासेषु (१०/१७७)
४ वेदों के वर्गीकरण का आधार है-
ऋग्भ्यो जातां सर्वशो मूर्त्तिमाहुः, सर्वा गतिर्याजुषी हैव शश्वत्।
सर्वं तेजं सामरूप्यं ह शश्वत्, सर्वं हेदं ब्रह्मणा हैव सृष्टम्॥ (तैत्तिरीय ब्राह्मण ३/१२/८/१)
कोई वस्तु तभी दीखती है जब वह मूर्ति रूप में हो। अव्यक्त निर्विशेष का वर्णन नहीं हो सकता क्योंकि उसमें कोई भेद नहीं है। पुरुष (व्यक्ति या विश्व) के ४ रूप हैं-केवल स्थूल रूप क्षर दीखता है। अदृश्य अक्षर क्रिया रूप परिचय है-उसे कूटस्थ कहा गया है। इसी का उत्तम रूप अव्यय है-पूरे विश्व के साथ मिला कर देखने पर कहीं कुछ कम या अधिक नहीं हो रहा है। अरात्पर में कोई भेद नहीं है अतः वर्णन नहीं है। वर्णन के लिये भाषा की जरूरत है-उसमें प्रत्येक वस्तु के कर्म के अनुसार नाम हैं या ध्वनि के आधार पर शब्दों को वर्ण (या उनका मिलन अक्षर) में बांटा (व्याकृत) किया है। कुल मिलाकर ६ दर्शन और ६ दर्शवाक् (लिपि) हैं। हनुमान ९ व्याकरण जानते थे-कम से कम उतने प्रकार की भाषा थी। वर्ण-अक्षरों के रूप सदा बदलते रहते हैं, ये भी मूर्ति हैं जिनके बिना कोई मन्त्र नहीं दीखता है। (गीता अध्याय ८, ऋग्वेद १/१६४/४१ में लिपि का वर्गीकरण)
मूल वेद को अथर्व कहते थे-इसे सर्वप्रथम ब्रह्मा ने ज्येष्ठ पुत्र अथर्वा को पढ़ाया था। इसकी २ शाखा हुयी-परा विद्या या विद्या जो एकीकरण है। अपरा विद्या या अविद्या वर्गीकरण है। अपरा विद्या से ४ वेद और ६ अङ्ग हुये (मुण्डकोपनिषद् १/१/१-५)। मूल अथर्व के ३ अङ्ग ऋक्-साम-यजु होने पर मूल अथर्व भी बचा रहा। अतः त्रयी का अर्थ ४ वेद हैं-१ मूल + ३ शाखा। इसका प्रतीक पलाश-दण्ड है, जिससे ३ पत्ते निकलते हैं, अतः पलास ब्रह्मा का प्रतीक है और इसका दण्ड वेदारम्भ संस्कार में प्रयुक्त होता है।
अश्वत्थरूपो भगवान् विष्णुरेव न संशयः। रुद्ररूपो वटस्तद्वत् पलाशो ब्रह्मरूपधृक्॥ (पद्मपुराण, उत्तर खण्ड ११५/२२) अलाबूनि पृषत्कान्यश्वत्थ पलाशम्। पिपीलिका वटश्वसो विद्युत् स्वापर्णशफो। गोशफो जरिततरोऽथामो दैव॥(अथर्व २०/१३५/३)
प्राप्त ज्ञान का प्रयोग महाविद्या है क्योंकि अपनी क्रिया से मनुष्य महः (परिवेश को पभावित करता है। यह गुरु परम्परा से ही प्राप्त होता है अतः इसे आगम कहते हैं। स्रोत को शिव, मन को वासुदेव (वास = चिन्तन का स्थान) तथा ग्रहण करने वाले योषा (युक्त होने वाली) को पार्वती कहा है-
आगतं पज्चवक्त्रात्तु, गतं च गिरिजानने। मनं च वासुदेवस्य, तस्मादागम उच्यते॥ (रुद्र यामल)

सृष्टि और वेद का आरम्भ- पहले मूल वेद एक ही था। इसे ब्रह्मा ने अपने ज्येष्ठ पुत्र अथर्वा को पढ़ाया था अतः उसे अथर्ववेद कहते थे। बाद में उसका परा और अपरा विद्या मे अङ्गिरा ने विभाजन किया। उनके शिष्य सत्यवह भरद्वाज ने अपरा विद्या का विभाजन 4 वेद और 6 अङ्गों में किया। यह मुण्डक उपनिषद् के प्रथम 5 श्लोकों में है। अतः भरद्वाज गोत्र वालों को आङ्गिरस भरद्वाज कहते हैं। मूल वेद अथर्ववेद होने के कारण इसके बारे में सभी वेदों में लिखा है ऋग्वेद के प्रथम मण्डल में ही 30 बार सामवेद तथा प्रायः 40 बार अथर्ववेद का उल्लेख है। पर इस ऐतिहासिक क्रम को नष्ट करने के लिए अंग्रेजों ने प्रचार किया कि ऋग्वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ है। वैदिक क्रम को नष्ट करने के लिए यूनेस्को आदि भी ऐसी घोषणा करते रहते हैं। भारतीय लोग विदेशियों की नकल के अतिरिक्त कुछ नहीं करते। मूल अथर्व से 3 शाखाएं ऋक्, यजु, साम निकली, पर मूल भी बना रहा। अतः त्रयी का अर्थ 4 वेद होता है-एक मूल और 3 शाखा। इसका प्रतीक पलास दण्ड है जिससे 3 पत्ते निकलने पर मूल भी बना रहता है। यज्ञोपवीत के समय वेदारम्भ संस्कार के लिये वेद का प्रतीक पलास दण्ड का प्रयोग होता है। यह वेद निर्माता ब्रह्मा का भी प्रतीक है।
मूल अथर्ववेद का प्रथम श्लोक है-
ये त्रिषप्ताः परियन्ति विश्वाः = जो 3 प्रकार के 7 हैं उनसे सभी विश्व व्याप्त हैं।
इसके 15 प्रकार के अर्थ हैं। एक अर्थ है कि 7-7 लोक आकाश में, पृथ्वी पर तथा शरीर के भीतर हैं।
सांख्य दर्शन के अनुसार यह सृष्टि का क्रम है। चूँकि सृष्टि का आरम्भ 3 सप्तक से हुआ, अतः वेद का आरम्भ भी उसी से हुआ तथा मनुष्य भी अपना काम वैसे ही शुरू करता है। आकाश में पहले 7 लोक हुये, तब 8 दिव्य सृष्टि और 6 पार्थिव सृष्टि हुई। 7 लोक हैं-भू, भुवः (ग्रह कक्षा), स्वः (सौर मण्डल), महः (आकाश गंगा की सर्पाकार भुजा में सूर्य के चारों तरफ उसकी मोटाई के बराबर का गोला। इसके 1000 तारा शेषनाग के 1000 सिर हैं), जनः (आकाश गंगा), तपः (दृश्य जगत् जहां तक का प्रकाश यहां तक आ सकता है), सत्य (अनन्त आकाश)।
हर लोक की चेतना या प्राण का एक स्तर है जो उस लोक की दिव्य सृष्टि है। अव्यक्त स्रष्टा या ब्रह्म सर्वव्यापी है-कुल 8 दिव्य सृष्टि हुई। पृथ्वी पर 6 प्रकार की सृष्टि है-मनुष्य ब्रह्म या विश्व की प्रतिमा है। मनुष्य मस्तिष्क में उतने ही कण (न्यूरॉन) हैं जितना दृश्य जगत् मे आकाश गंगा, या हमारी आकाश गंगा में उतने तारा हैं।एक निर्जीव या मृत (मिट्टी) है। एक अर्ध चेतन वृक्ष है। बाकी 3 जल, स्थल तथा वायु के जीव हैं।

सामवेद की शाखा-साम का अर्थ महिमा या प्रभाव है। किसी वस्तु का जहां तक प्रभाव होता है, वहीं तक दीख सकता है या अनुभव हो सकता है। हमारे तक सूर्य का प्रकाश पहुंचता है, अतः उसे देख सकते हैं। साम द्वारा ज्ञान होने के कारण भगवान् वेदों में सामवेद हैं (गीता १०/२२)।
सामान्यतः किसी का प्रभाव १००० व्यक्तियों तक होता है। १००० व्यक्ति एक साथ रह सकते हैं, सेना में इतने लोगों का खाने, रहने की व्यवस्था हो सकती है (हजारे, हजारिका उनके नेता हैं)। हम १००० लोगों को जान सकते हैं। एक साथ रहना = सह + स्र = १०००। सहस्र का फारसी में हस्र = प्रभाव हुआ है।
आकाश में सूर्य का मुख्य प्रभाव उसके १००० व्यास तक है, जिसे सहस्राक्ष कहा है (सूर्य = चक्षु, अक्ष)। इस सीमा के भीतर सनि तक के ग्रहों का ही हम पर प्रभाव होता है, अतः सूर्य को सहस्रांशु कहते हैं। पृथ्वी का गुरुत्व प्रभाव भी उसके व्यास के १००० गुणा तक है जिसे पुराणों में १ लाख योजन व्यास का जम्बू द्वीप कहा गया है, जहां पृथ्वी व्यास के १००० भाग को १ योजन कहा गया है।
अतः सामवेद को सहस्र वर्त्मा कहा है। पृथ्वी के भीतर ३ धाम हैं तथा बाहर के धाम क्रमशः २ गुणा बड़े हैं। १० बार २ गुणा करने पर (२ का १० घात) १००० गुणा होता है। अतः १००० गुणा आकार तक १३ धाम होंगे, इसलिये चरण-व्यूह में सामवेद के १३ भेद ही कहे हैं। सामतर्पण विधि में १३ शाखाओं की सूची है-राणायन, शाटमुन्य, व्यास, भागुरि, औलुण्डि, गौल्गुलवी, भानुमान औपमन्यव, काराटि, मशक गार्ग्य, वार्षगण्य, कुथुम, शालिहोत्र, जैमिनीय।
३ साम मुख्य हैं अतः विष्णु सहस्रनाम में त्रिसामा नाम है। सृष्टि निर्माण में ३ साम हैं-अप् (जल जैसा फैला पदार्थ), वराह (मिश्रण की निर्माण अवस्था), भूमि (सीमा बद्ध पिण्ड)। आकाश में सूर्य के ३ प्रभाव क्षेत्र विष्णु के ३ पद हैं-ताप, तेज, प्रकाश (१००, १०००, लाख व्यास तक)। अन्य प्रकार से इनको अग्नि, वायु, रवि (आदित्य) कहा है जो ११, २२, ३३ अहर्गण (धाम) तक हैं।
किसी पिण्ड के ३ प्रकार के प्रभाव हैं-बाहर की तरफ (कुथुमि), भीतर की तरफ (जैमिनि), रमणीय क्षेत्र (राणायनीय-अघमर्षण सूक्त में महे रणाय चक्षसे)। अतः ३ प्रमुख शाखा उपलब्ध हैं-कुथुमि, जैमिनीय, राणायनीय।
कुथ-कुत्स अवक्षेपणे (धातु पाठ १०/१६५, हिन्दी में थूक, ओड़िया में छेप), कुथ पूतीभावे (धातु ४/१२-दुर्गन्ध आना, धनिया भी गन्ध युक्त है), कुथ संश्लेषणे (समाज में एकता का दायित्व ब्राह्मणों का है जो इसके लिये शिक्षा देते हैं)।
जमु अदने (धातुपाठ १/३१७)-जैमिनीय भीतर ग्रहण करने का साम है, जिमाना = भोजन कराना।
रण शब्दार्थः गत्यर्थः (धातुपाठ १/३०३, ५३९)-जहां तक गति या शब्द द्वारा प्रभाव हो-राणायनीय शाखा।
✍🏻अरुण उपाध्याय जी की पोस्टों से संग्रहित

भारत का मेक इन इंडिया अभियान अमेरिकी वर्चस्व को दे रहा है कड़ी टक्कर

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अमेरिका 🇺🇸 पिछले 100 सालो से सुपरपावर है
उसे चुनौती देने वाले हर देश को उसने तोड़ दिया-बरबाद कर दिया। जापान ने चुनौती दी तो खतम कर दिया, USSR ने चुनौती दी तो 17 टुकड़े कर दिए,,इराक ने सर उठाया तो बरबाद कर दिया आजकल चाईना 🇨🇳 की बारी है ।
पिछले 100 वर्षों से दुनियां के टोप टेन उद्योगपतियो में अमेरिका के उद्योगपतियों का दबदबा रहा है…
टोप 10 मे से 8,,9 सिर्फ अमेरिकी उद्योगपति ही होते हैं दूर-दूर तक कोई नहीं…
चीन के “जेक मा” ने तीसरे स्थान आया तो उनके विरुद्ध “”लोबिंग” शुरु हुई और उनको भागना पड़ा …

अमेरिका की ताकत उनका उद्योग है वो टेक्नोलॉजी ओर बिजनेस के दम पर पुरी दुनियां 🌎 को अपने काबु मे रखता है…
अगर कोई भी देश अथवा उद्योगपति उनको टक्कर या चुनोती देगा तो वो अरबो रुपये खर्च कर के उनको बर्बाद कर देगा यह उसकी नीति है l

पिछले पांच सालो मे हमारे भारतीय उद्योगपति “अडानी ” उंची उडान भर रहाँ था।
पिछले साल वो दुनिया का दूसरा सबसे बडा उद्योगपति बन चुका था l अगर यही रफ्तार रहती तो 2024 मे दुनिया का सबसे बडा उद्योगपति बन जाता,, दुनिया भारत की तरफ देखती.
भारत “मेक इन ईन्डिया ” का अभियान चला रहा है…
चूंकि हमारा भारत 🇮🇳 बहुत बड़ा बाजार है अगर भारत आनेवाले 20 वर्षों में आत्मनिर्भर बन जाता है तो अमेरिका-यूरोप चीन व अरब वर्ल्ड को भारी क्षति उठानी होगी l

डालर $ से अधिक भारतीय रुपया मजबूत होता जाएगा
भारत मे भी ‘लोबिंग’ आरंभ हो चुकी है l
हर देश में बिकाऊ और “चीन अमरीका के लिए” कार्य करने वाले जयचंदों की कमी नहीं होती। मीडिया को भी मैनेज जा सकता है।
Youtube,, Facebook ,,Google
Twitter ये सारे प्लेटफार्म विदेशी और छद्म रूप से अमेरिका के हैं वो जब चाहे किसी के भी खिलाफ अभियान चला सकता है…

वैसे भी भारत में देशद्रोही -जयचन्दों की कमी कभी नहीं रही है…
चीन में ये सब आसान नहीं है,, वहाँ लोकतंत्र नहीं है.
वहाँ प्रोपगेडा,,झूठ फैलाना आसान नहीं है.
चीन खुद भारत को आगे बढने से रोक रहा है l
आनेवाले समय मे “भारत” के लिए चुनौतियाँ नमस्ते अधिक हैं ..
अफगानिस्तान मे रसिया के विरूद्ध “तालिबान” जैसे संगठनों को खड़ा करने मे अमेरिका ने अरबो,,खरबों डोलर खर्च किया था…
भारत को अस्थिर करना तो ओर भी आसान है.
यहां देशद्रोही-गद्दारों की कमी नहीं है….
यहां के कुछ नेताओं के बयान देखो वो खुलंखुल्ला विदेशी एजंटो की तरह काम कर रहे हैं…
कतिपय माननीय, जिज, बामपंथी और सैक्युलर मीडिया सत्ता की मलाई चाट रहे हजारों नौकरशाह प्रकारांतर से ऐसी भूमिका में रहते हैं
जब तक भारत की जनता “”समझदार”” चालाक नहीं बनती तब तक भारत “सुपरपावर”” नहीं बन सकता,,
भारत बहुत बडा बाजार है कोई भी देश नहीं चाहेगा…
भारत “आत्मनिर्भर” बने इसलिए ऐसी बाते करने वाली सरकारों को गिराना होगा…
विदेशी ताकते चाहती हैं भारत में “कमजोर” ( खिचडी) सरकार बने जिनको हर समय सरकार गिरने का डर हो…
करप्शन वाली सरकार रहेगी तो अपने हिसाब से निती-नियम ओर कानून बना सकते हैं…
भारत में बिजनेस,,जरुरी शर्तो पर व्यपार करना आसान होगा,,
पीछले नौ सालो से भारत में स्थिर एवं सुदृढ़ सरकार है…तो इनको परेशानी हो रही है ,,

भारत सरकार अपने देश के उद्योगपतियों के पक्ष में खड़े रही है,,, कोई भी देश की शक्ति होती है उनके “”उद्योगपति” जो अपने देश के हुनर ओर चीजो की विदेशों मे मार्केटिंग करता है,, सरकार का काम है उनके हितों की रक्षा करना…

अगर आज “”अडानी,,अंबानी,,टाटा,,महिन्द्रा,,पतंजलि दुनिया को चुनौती दे रहे हैं तो उनकी बरबादी जश्न मनाने वाले अपने देश के ये गद्दार क्या प्रकारांतर से विदेशी एजेंट नहीं हैं,,?
इनको पहचानो ये वही जयचन्द हैं। लेकिन
मीडिया की कौन सी मजबूरी है जो इन विदेशी कंपनियों के पक्ष में खड़े नेताओं से सवाल नहीं पूछती!! ,, जिनके लिए
विदेशी अखबारों मे झूठी खबरें छपवाना कोई बडी बात नहीं,, ये होता आया है,, सोशियल मिडिया मे प्रोपगेडा फैलाने के लिए कई लाख एकाउंट बने हुए हैं ,,
अपनी बुद्धि लगाओ,,
खबरें प्लान्ट करने वाले कितने विश्वसनीय हैं वो देखो,, भारत मे 2024 मे चुनाव हैं,, विश्व के उद्योगपतियों ओर सरकार की नजरें है ,, भारत बहुत बडा बाजार है,, वो चाहेगे भारत मे भ्रष्टाचारी लोग सत्ता में आएं,,
भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता गया तो अरबों,,खरबो $ डोलर का नुकसान है ,, दुनियां में बाजार में भारत चुनौती दे सकता है,,
भारतीय मीडिया मजबूर है,,
वो इन नेताओं से प्रुफ नहीं मांगेगी,,
सच्चाई सामने नहीं लाएगी,,
लेकिन हम मजबूर नहीं है,,
देश प्रेमियों को जागरूक करने के लिए ये मेसेज अवश्य शेयर और कापी पेस्ट करें…
🇮🇳 जय हिंद 🇮🇳✍️हरीश मैखुरी
breakinguttarakhand.com

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 5000 कमी तक सटीक मारक क्षमता वाली सूपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाईल नियत, चीन पाकिस्तान अफगानिस्तान भी होंगे इसकी जद में मोदी है तो मुमकिन है।