मैं गैरसैंण हूँ i am gairsain

✍️राज तिवारी

मैं गैरसैंण हूँ….राज्य निर्माण के संघर्ष के समय राज्य की सीमाओं को देखते हुए हृदय स्थल में होने के चलते राज्य की राजधानी बनाने की परिकल्पना की गई थी। और सबको ये प्रस्ताव उचित भी लगा सबके मनों में यह स्थान अंकित भी हुआ राजधानी के रूप में पहाड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सृजित होते राज्य के विकास के रास्ते के लिये उपयुक्त भी था। लेकिन राज्य निर्माण के बाद राजधानी निर्माण को लेकर गम्भीर प्रयास नहीं हो सके, सरकारों ने कभी टेंट में विधानसभा सत्र आयोजित किये, कभी विधानसभा भवन बनवाया, फिर सचिवालय भवन के शिलान्यास का भी दौर आया लेकिन सचिवालय नहीं बना। 25 हजार करोड़ की लागत से मूलभूत सुविधाओं के विकास और ग्रीष्मकालीन राजधानी के सपने भी सरकारों ने दिखाए। लेकिन धरातल पर सब धराशायी हो गयी।

कोई विधानसभा भवन के निर्माण को अपनी उपलब्धि बताकर खुद को राजधानी का हितैसी सिद्ध करने की कोशिश कर रहा। कोई ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने को उपलब्धि बता रहा है। लेकिन इन सब के राजधानी के हिस्से चार-पांच दिनों की सरकारी चहलकदमी से ज्यादा कुछ नहीं आया। सच ये है न मेरी जरूरत का पहला कदम न राजधानी परिक्षेत्र का निर्धारण हो सका न जिले की कोई रूपरेखा तैयार हो सकी। बल्कि मेरी चिंता को यूं तिरोहित धकेला गया कि 4 दिनों तक 21 घटे 36 मिनट चले विधानसभा सत्र में मेरे बारे कोई बात सदन के पटल पर नहीं आई, बल्कि पूर्व में किये गए वादे के 25 हजार करोड़ की विकास योजनाओं पर भी बात तक नहीं हुई। राज्य के बाकी क्षेत्रों से मुझे जोड़ने वाली सड़क की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है।
तस्वीर में दिख रहे भव्य राज्य के विधानसभा भवन को देख यदा-कदा एकांत में चिंतन-मनन कर यह बात भी उभरती है राज्य निर्माण के पुरोधाओं ने ये किस उदेश्य से बनाया था? या उन्होंने गैरसैंण के रास्ते पहाड़ों के दर्द को करीब से समझकर उनको दूर करने की नीति पहाड़ों की गोद में बैठकर बनाने की सोची थी?

प्रश्न बहुत कौंधते है मन में, क्योंकि हमने राज्य निर्माण के दौर में राज्य के विकास की चर्चा मेरे आंगन से होने के खाब पाले थे। पर अब सपने धूमिल होते नजर आ रहे हैं। मेरे अपने भी भराड़ीसैंण से दूरी बनाए रखने में भलाई समझ रहे, उन्हें जिला निर्माण की बात करने में अपने राजनैतिक नुकसान का डर सता रहा है।
तो अब मेरे पास अकेले इस भव्य भवन को अपनी आगोश में लिया सुबकने सिवा कोई विकल्प नहीं…..जय भारत! जय उत्तराखण्ड!!(साभार)