आज का पंचाग आपका राशि फल, चिता में एक दो तुलसी की लकड़ी लगाने मिलती है पशु योनियों से मुक्ति, हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप की यवन आक्रान्ताओं पर विजय और कुंभल गढ़ का इतिहास, आज के मुख्य समाचार

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻सोमवार, १० अप्रैल २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:१६

सूर्यास्त: 🌅 ०६:४४

चन्द्रोदय: 🌝 २३:०७

चन्द्रास्त: 🌜०८:२५

अयन 🌖 उत्तरायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🎋 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (पिंगल)

मास 👉 वैशाख 

पक्ष 👉 कृष्ण 

तिथि 👉 चतुर्थी (०८:३७ से पञ्चमी)

नक्षत्र 👉 अनुराधा (१३:३९ से ज्येष्ठा)

योग 👉 व्यतीपात (२०:१२ से वरीयान)

प्रथम करण 👉 बालव (०८:३७ तक)

द्वितीय करण 👉 कौलव (२०:०० तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मीन 

चंद्र 🌟 वृश्चिक 

मंगल 🌟 मिथुन (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 कुम्भ (उदित, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 मीन (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 वृष (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५३ से १२:४४

अमृत काल 👉 २८:२५ से ०५:५९ बजे

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०५:५६ से १३:३९

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:३९ से १९:०२

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४१ से १९:४८

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से २४:४०

राहुकाल 👉 ०७:३२ से ०९:०७

राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम

यमगण्ड 👉 १०:४३ से १२:१८

होमाहुति 👉 मंगल (१३:३९ से गुरु)

दिशाशूल 👉 पूर्व

नक्षत्र शूल 👉 पूर्व (१३:३९ से)

अग्निवास 👉 पाताल (०८:३७ से पृथ्वी)

चन्द्र वास 👉 उत्तर

शिववास 👉 कैलाश पर (०८:३७ से नन्दी पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – अमृत २ – काल

३ – शुभ ४ – रोग

५ – उद्वेग ६ – चर

७ – लाभ ८ – अमृत

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – चर २ – रोग

३ – काल ४ – लाभ

५ – उद्वेग ६ – शुभ

७ – अमृत ८ – चर

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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उत्तर-पश्चिम (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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सती अनुसूईया जन्मोत्सव आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १३:३९ तक जन्मे शिशुओ का नाम अनुराधा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (नू, ने) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (नो, या, यी) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २८:४८ से ०६:१२

मेष – ०६:१२ से ०७:४५

वृषभ – ०७:४५ से ०९:४०

मिथुन – ०९:४० से ११:५५

कर्क – ११:५५ से १४:१७

सिंह – १४:१७ से १६:३६

कन्या – १६:३६ से १८:५३

तुला – १८:५३ से २१:१४

वृश्चिक – २१:१४ से २३:३४

धनु – २३:३४ से २५:३७

मकर – २५:३७ से २७:१८

कुम्भ – २७:१८ से २८:४४

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०५:५६ से ०६:१२

शुभ मुहूर्त – ०६:१२ से ०७:४५

रज पञ्चक – ०७:४५ से ०८:३७

शुभ मुहूर्त – ०८:३७ से ०९:४०

चोर पञ्चक – ०९:४० से ११:५५

शुभ मुहूर्त – ११:५५ से १३:३९

रोग पञ्चक – १३:३९ से १४:१७

शुभ मुहूर्त – १४:१७ से १६:३६

मृत्यु पञ्चक – १६:३६ से १८:५३

अग्नि पञ्चक – १८:५३ से २१:१४

शुभ मुहूर्त – २१:१४ से २३:३४

रज पञ्चक – २३:३४ से २५:३७

शुभ मुहूर्त – २५:३७ से २७:१८

चोर पञ्चक – २७:१८ से २८:४४

शुभ मुहूर्त – २८:४४ से २९:५५

आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आशाओं के विपरीत रहने वाला है। सोची हुई योजनाए आरम्भ में सफल होती नजर आएंगी परन्तु मध्यान तक इनसे निराशा ही मिलेगी। आज आप जिससे भी सहायता मांगेंगे वो भ्रम की स्थिति में रखेगा। आज आप आत्मनिर्भर होकर अपने कार्यो को करें। भागीदारों से धन को लेकर अनबन हो सकती है। मीठा व्यवहार रखने पर भी लोग आपको केवल कार्य निकालने के लिए इस्तेमाल करेंगे। कार्य क्षेत्र की भड़ास घर पर निकालने से घर का माहौल भी बेवजह खराब होगा। पुराने कार्यो को पूर्ण करने की चिंता रहेगी। प्रेम प्रसंगों से निराश होंगे।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन भी आशानुकूल रहेगा। सेहत उत्तम रहने से कार्यो को मन लगाकर करेंगे लेकिन किसी के हस्तक्षेप करने से मन विक्षिप्त हो सकता है। किसी के ऊपर ध्यान ना दें एकाग्र होकर अपने कार्य मे लगे रहे धन एवं सम्मान दोनों मिलने के योग है। लेकिन उधार के व्यवहार बढ़ने से असुविधा भी होगी। व्यावसाय में वृद्धि के लिए निवेश करना शुभ रहेगा। भाई-बंधुओ का सहयोग आज अपेक्षाकृत कम ही रहेगा। महिलाओं को छोड़ घर के अन्य सदस्य आपसे ईर्ष्यालु व्यवहार रखेंगे। स्त्री से सुखदायक समाचार मिलेंगे।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन अनैतिक कार्यो से बच कर रहें मन भ्रमित रहने के कारण निषेधात्मक कार्यो में भटकेगा। लोग आपसे भावनात्मक संबंध बनाएंगे परन्तु आवश्यकता के समय कोई आगे नही आएगा। कार्य क्षेत्र पर भी सहकर्मियो का रूखा व्यवहार रहने से स्वयं के ऊपर ज्यादा निर्भर रहना पड़ेगा। लंबी यात्रा के प्रसंग बनेंगे संभव हो तो आज टालें। पेट अथवा स्वांस, छाती संबंधित व्याधि हो सकती है। अधिकांश समय मानसिक रूप से भी अशान्त रहेंगे। परिवार में अनावश्यक खर्च बढ़ेंगे किसी की गलती का विरोध करना भी बेवजह कलह का कारण बनेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आप बुद्धि विवेक से कार्य करेंगे परन्तु परिस्थिति हर तरह से कार्यो में बाधा डालेगी। कार्य व्यवसाय से मन ऊबने लगेगा धैर्य से कार्य करते रहें संध्या तक संतोषजक लाभ अवश्य मिलेगा पारिवारिक एवं सामाजिक क्षेत्र पर आपके विचारो की प्रशंसा होगी लेकिन केवल व्यवहार मात्र के लिए ही। आर्थिक विषयो को लेकर किसी से विवाद ना करें धन डूबने की आशंका है। गृहस्थ में प्रेम स्नेह तो मिलेगा परन्तु स्वार्थ सिद्धि की भावना भी अधिक रहेगी। महिलाये अधिक बोलने की समस्या से ग्रस्त रहेंगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन काफी उठा पटक वाला रहेगा। व्यावसायिक योजनाओं में अचानक बदलाव करना पड़ेगा। दिन के आरंभ में कार्यो की गति धीमी रहेगी समय पर वादा पूरा ना करने से व्यावसायिक संबंध खराब हो सकते है। कार्यो के प्रति नीरसत अधिक रहेगी। किसी भी कार्य को लेकर ठोस निर्णय नही ले पाएंगे परन्तु जिस भी कार्य में निवेश करेंगे उसमे विलंभ से ही सही सफल अवश्य होंगे धन लाभ भी आवश्यकता अनुसार हों जायेगा लेकिन संध्या पश्चात धन संबंधित कोई भी कार्य-व्यवहार ना करें। परिजन आपके टालमटोल वाले व्यवहार से दुखी रहेंगे।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से उन्नति वाला रहेगा। धन संबंधित समस्याएं काफी हद तक सुलझने पर दिन भर प्रसन्नता रहेगी। कार्य व्यवसाय से प्रारंभिक परिश्रम के बाद दोपहर के समय से धन की आमद शुरू हो जाएगी जो संध्या तक रुक रुक कर चलती रहेगी। मितव्ययी रहने के कारण खर्च भी हिसाब से करेंगे धन कोष में वृद्धि होगी। महिलाये किसी मनोकामना पूर्ति से उत्साहित होंगी। आज महिला वर्ग से कोई भी काम निकालना आसान रहेगा मना नही कर सकेंगी। दाम्पत्य सुख में भी वृद्धि होगी। पर्यटन की योजना बनेगी।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन आप किसी भी कार्य को लेकर ज्यादा भाग-दौड़ करने के पक्ष में नही रहेंगे। आसानी से जितना मिल जाये उसी में संतोष कर लेंगे। परन्तु महिलाये इसके विपरीत रहेंगी अल्प साधनो से कार्य करने पर भाग्य को दोष देंगी। व्यवसाय की गति पल पल में बदलेगी जिससे सुकून से बैठने का समय नही मिलेगा। किसी पुरानी घटना को याद करके दुखी रहेंगे। पारिवारिक खर्चो में अकस्मात वृद्धि होने से बजट गड़बड़ा सकता है। महिलाओं के मन मे आज उथल पुथल अधिक रहने के कारण बड़ी जिम्मेदारी का कार्य सौपना उचित नही रहेगा।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन मानसिक चंचलता के कारण बनते कार्यो को दुविधा के कारण आप स्वयं बिगाड़ लेंगे। सरकारी कार्य आज सावधानी से करें अन्यथा लंबित रखें हानि निश्चित रहेगी। संबंधो के प्रति भी आज ईमानदार नही रहेंगे। पारिवारिक वातावरण आपके गलत आचरण से कलुषित होगा। सामाजिक क्षेत्र पर लोग पीठ पीछे बुराई करेंगे। सेहत में मानसिक दबाव के चलते उतार चढ़ाव लगा रहेगा। घर के बुजुर्ग आपसे नाराज रहेंगे। धन लाभ अचानक होने से स्थिति संभाल नही सकेंगे रुपया आते ही हाथ से निकल भी जायेगा।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आपको आज के दिन प्रत्येक कार्यो में सावधान रहने की आवश्यकता है। धन के पीछे भागने की प्रवृति पर आज लगाम लगाकर रखे अन्यथा धन के साथ-साथ मान हानि भी होगी। दोपहर से पहले के भाग में पुराने कार्य पूर्ण होने से थोड़ा बहुत धन मिलने से दैनिक खर्च निकल जाएंगे। इसके बाद का समय प्रतिकूल बनता जाएगा। कार्य व्यवसाय में प्रतिस्पर्धी हर प्रकार से आपके कार्यो में व्यवधान डालने का प्रयास करेंगे। परिजनों से भी मामूली बात पर झगड़ा होगा। वाणी एवं व्यवहार से संयम बरतें।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन लाभ के अवसर आपकी तलाश में रहेंगे। दिन में जिस किसी के भी संपर्क में रहेंगे उससे कुछ ना कुछ लाभ अवश्य होगा। कार्य क्षेत्र पर भी एक से अधिक साधनो से आय होगी। व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओ को पदोन्नति के साथ प्रोत्साहन के रूप में आर्थिक सहायता भी मिल सकती है। सामाजिक कार्यो में रुचि ना होने पर भी सम्मिलित होना पड़ेगा मान-सम्मान बढेगा। परिजनों का मार्गदर्शन आज प्रत्येक क्षेत्र पर काम आएगा। महिलाओं का सुख सहयोग मिलेगा। प्रेम प्रसंगों में निकटता रहेगी।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन कार्य सफलता वाला रहेगा। प्रातः काल जल्दी कार्यो में जुटने का फल शीघ्र ही धन लाभ के रूप में मिलेगा। अधिकांश कार्य थोड़े से परिश्रम से पूर्ण हो जाएंगे। अधिकारी वर्ग मुश्किल कार्यो में सहयोग करेंगे। आज आप जोड़ तोड़ वाली नीति अपना कर कठिन परिस्थितियों में भी अपना काम निकाल लेंगे। सरकारी कार्य मे भी सफलता की उम्मद जागेगी प्रयास करते रहे। दाम्पत्य जीवन मे छोटी-मोटी बातों को दिल पर ना लें स्थिति सामान्य ही रहेगी। मित्रो से कोई दुखद समाचार मिलेगा। 

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आप सम्भल कर ही कार्य करेंगे फिर भी सफलता में संशय बना रहेगा। व्यवहारिकता की कमी के कारण जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नही मिल सकेगा। घर अथवा बाहर बेवजह कलह के प्रसंग बनेगे। व्यापार व्यवसाय में सहकर्मियो की।मनमानी के कारण असुविधा एवं अव्यवस्था बनेंगी लेकिन फिर भी स्वयं के पराक्रम से खर्च लायक धनार्जन कर ही लेंगे। आस-पड़ोसी एवं भाई बंधुओ से बात का बतंगड़ ना बने इसके लिए मौन रखने की जरूरत है फिर भी महिलाये स्वभावानुसार बनती बात बिगाड़ लेंगी। विपरीत लिंग के प्रति कामासक्त रहेंगे।

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🚩 *व्रत पर्व विवरण -*
🔥 *विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

*🔹मृतक की सद्गति के लिए इतना तो अवश्य करें🔹*

*”पड़ोस में किसी की मृत्यु हो तो और कुछ न कर सको तो केवल एक भला काम करना कि तुलसी की सूखी लकड़ियाँ उसके घर दे आओ । और घरवालों को हाथ जोड़ के बोल दो कि “मेरी सेवा स्वीकार करो । मृतक व्यक्ति के अग्नि-संस्कार के समय तुलसी की सूखी लकड़ियाँ उसके मुँह पर, आँखों पर, छाती पर रखना अथवा घास-फूस के साथ तुलसी की लकड़ियों से अग्नि- संस्कार करना ।*

*🔸इससे मृतक व्यक्ति को यदि नीच योनि मिलनेवाली होती है तो नहीं मिलती, वह नरक में नहीं जाता, उसकी सद्गति हो जाती है । ऐसा भगवान का विधान है ।”*

*🔸घर में किन्हींका शरीर शांत हो गया हो तो दोनों हाथ ऊपर करें और सूर्यनारायण के सामने दोनों बगल दिखा के मन-ही-मन प्रार्थना करें कि ‘हे सूर्यदेव ! यमराज आपके पुत्र हैं; हमारे पिताजी की, हमारे दादा-दादी की (जिनका भी शरीर शांत हुआ हो) सद्गति हो, उन्हें सुख देना ।’ इससे उनको बहुत फायदा होता है, बहुत ऊँची गति होती है ।*

*🔹इन आठ पुष्पों से भगवान तुरंत प्रसन्न होते हैं । वे आठ पुष्प इस प्रकार हैं :-*

🔸 *(१) इन्द्रियनिग्रह : व्यर्थ देखने, सूँघने, सोचने, इधर-उधर व्यर्थ जगह पर भटकने की आदत को रोकना इसको कहते हैं इन्द्रियनिग्रहरूपी पुष्प ।*

🔸 *(२) अहिंसा : मन-वचन-कर्म से किसीको दुःख न देना ।*

🔸 *(३) निर्दोष प्राणियों पर दया : मूक एवं निर्दोष प्राणियों को न सताना । दोषी को अगर दंड भी देना हो तो उसके हित की भावना से देना ।*

🔸 *(४) क्षमारूपी पुष्प ।*

🔸 *(५) मनोनिग्रह (शम) : मन को एक जगह पर लगाने का अभ्यास करना, एकाग्र करना ।*

🔸 *(६) ध्यान: भगवान का ध्यान करना ।*

🔸 *(७) सत्य का पालन ।*

🔸 *(८) श्रद्धा : भगवान और भगवान को पाये हुए महापुरुषों में दृढ़ श्रद्धा रखना ।*

 

*🔹इन सात गुणों से सम्पन्न विद्यार्थी छू लेगा बुलंदियाँ*

*🔸’उत्साही, अदीर्घसूत्री (कार्य को शीघ्र पूर्ण करनेवाला), क्रिया की विधि को जाननेवाला, व्यसनों से दूर रहनेवाला, शूर, कृतज्ञ तथा स्थिर मित्रता वाले मनुष्य को सफलताएँ, सिद्धियाँ स्वयं ढूँढ़ने लगती हैं ।’*

*🔹हे विद्यार्थी ! कल्याण करनेवाली ये सात बातें अच्छी तरह से अपने जीवन में लाना । मित्र करो । उत्साहरहित नहीं, उत्साही बनो। दीर्घसूत्री (कार्य को देर से करनेवाला) नहीं, अदीर्घसूत्री हो । आज पढ़ने का पाठ कल पढ़ेंगे, बाद में करेंगे, ऐसा नहीं । जिस समय का जो काम है वह उस समय कर ही लेना चाहिए, बाद के लिए नहीं रखना चाहिए । काम करने की विधि को ठीक तरह से जान लो फिर सुनियोजन करके काम शुरू करो ।*

*🔹फास्ट फूड, डबल रोटी, पीजा, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी, पान-मसाला – ये सत्यानाश करते, करते और करते ही हैं । इसलिए इनके सेवन से बचो ।*

*🔹डरपोक जैसे विचार नहीं, शूरवीर जैसे विचार करो । किसीका उपकार न भूलो । अस्थिर मित्र नहीं, सज्जन, अच्छे मित्र बनाओ। परम स्थिर मित्र तो परमात्मा है, उसका तुम ध्यान करो । बाहर भी अच्छे, चरित्रवान, सत्संगी स्थिर मित्र करो ।*

*🔹विद्यार्थी ये सात गुण जिस विद्यार्थी के जीवन में हैं, जिस मनुष्य के जीवन में हैं, आज नहीं तो कल सफलता उसके चरण चूमती है ।*
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🌷 *गर्मियों में स्वास्थ्य-सुरक्षा हेतु* 🌷
✅ *क्या करें ?*
👉🏻 *१] गर्मी के कारण जिनको सिरदर्द व कमजोरी होती है वे लोग सूखा धनियां पानी में भिगा दें और घिसके माथे पर लगायें | इससे सिरदर्द और कमजोरी दूर होगी |*
👉🏻 *२] नाक से खून गिरता हो तो हरे धनिये अथवा ताजी कोमल दूब (दूर्वा) का २ – २ बूँद रस नाक में डालें | इससे नकसीर फूटना बंद हो जायेगा |*
👉🏻 *३] सत्तू में शीतल जल, मिश्री और थोडा घी मिलाकर घोल बनाके पियें | यह बड़ा पुष्टिा दायी प्रयोग है | भोजन थोडा कम करें |*
👉🏻 *४] भोजन के बीच में २५ – ३५ मि. ली. आँवले का रस पियें | ऐसा २१ दिन करें तो ह्रदय व मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होगी | ( शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन वर्जित है | )*
👉🏻 *५] २० मि. ली. आँवला रस, १० ग्राम शहद, ५ ग्राम घी – सबका मिश्रण करके पियें तो बल, बुद्धि, ओज व आयु बढ़ाने में मदद मिलती है |*
👉🏻 *६] मुँह में छाले पड गये हों तो त्रिफला चूर्ण को पानी में डाल के कुल्ले करें तथा मिश्री चूसें | इससे छाले शांत हो जायेंगे |*
❌ *क्या न करें ?*
👉🏻 *१] अति परिश्रम, अति कसरत, अति रात्रि-जागरण, अति भोजन व भारी भोजन नहीं करें | भोजन में लाल मिर्च व गर्म मसालों का प्रयोग न करें |*
👉🏻 *२] गर्मियों में दही भूल के भी नहीं खाना चाहिए | इससे आगे चल के नस-नाड़ियों में अवरोध उत्पन्न होता है और कई बीमारियाँ होती हैं | दही खाना हो तो सीधा नहीं खायें, पहले उसे मथ के मक्खन निकाल लें और बचे हुए भाग को लस्सी या छाछ बना के मिश्री मिला के या छौंक लगा के सेवन करें | ध्यान रहे, दही खट्टा न हो |*
👉🏻 *३] बाजारू शीतल पेयों से बचें | फ्रिज का पानी न पियें | धूप में से आकर तुरंत पानी न पियें |*
👉🏻 *४ ] अति मैथुन से बुढापा जल्दी आयेगा, कमजोरी जल्दी आयेगी | अत: इससे दूर रहें | ग्रीष्म ऋतू में विशेषरूप से संयम रखें |*
🙏🏻
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *मोटापा हो तो* 🌷
🍋 *मोटापा हो तो गर्म पानी में १ पके बड़े नींबू का रस और शहद मिलाकर भोजन के तुरंत बाद पियें l*
🌿 *छाछ में तुलसी के पत्ते लेने से भी मोटापे में आराम होता है l*
🙏🏻
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *फोड़े-फुंसियाँ* 🌷
👉🏻 *फोड़ा-फुंसी है तो पालक+गाजर+ककड़ी तीनों को मिला कर उसका रस ले लें अथवा नारियल का पानी पियें तो फोड़ा फुंसी में आराम होता है ।*

क्या आपने कभी पढ़ा है कि हल्दीघाटी के बाद अगले १० साल में मेवाड़ में क्या हुआ..

इतिहास से जो पन्ने हटा दिए गए हैं उन्हें वापस संकलित करना ही होगा क्यूंकि वही हिन्दू रेजिस्टेंस और शौर्य के प्रतीक हैं.
इतिहास में तो ये भी नहीं पढ़ाया गया है कि हल्दीघाटी युद्ध में जब महाराणा प्रताप ने कुंवर मानसिंह के हाथी पर जब प्रहार किया तो शाही फ़ौज पांच छह कोस दूर तक भाग गई थी और अकबर के आने की अफवाह से पुनः युद्ध में सम्मिलित हुई है. ये वाकया अबुल फज़ल की पुस्तक अकबरनामा में दर्ज है.

क्या हल्दी घाटी अलग से एक युद्ध था..या एक बड़े युद्ध की छोटी सी घटनाओं में से बस एक शुरूआती घटना..
महाराणा प्रताप को इतिहासकारों ने हल्दीघाटी तक ही सिमित करके मेवाड़ के इतिहास के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है. वास्तविकता में हल्दीघाटी का युद्ध , महाराणा प्रताप और मुगलो के बीच हुए कई युद्धों की शुरुआत भर था. मुग़ल न तो प्रताप को पकड़ सके और न ही मेवाड़ पर अधिपत्य जमा सके. हल्दीघाटी के बाद क्या हुआ वो हम बताते हैं.

हल्दी घाटी के युद्ध के बाद महाराणा के पास सिर्फ 7000 सैनिक ही बचे थे..और कुछ ही समय में मुगलों का कुम्भलगढ़, गोगुंदा , उदयपुर और आसपास के ठिकानों पर अधिकार हो गया था. उस स्थिति में महाराणा ने “गुरिल्ला युद्ध” की योजना बनायीं और मुगलों को कभी भी मेवाड़ में सेटल नहीं होने दिया. महाराणा के शौर्य से विचलित अकबर ने उनको दबाने के लिए 1576 में हुए हल्दीघाटी के बाद भी हर साल 1577 से 1582 के बीच एक एक लाख के सैन्यबल भेजे जो कि महाराणा को झुकाने में नाकामयाब रहे.

हल्दीघाटी युद्ध के पश्चात् महाराणा प्रताप के खजांची भामाशाह और उनके भाई ताराचंद मालवा से दंड के पच्चीस लाख रुपये और दो हज़ार अशर्फिया लेकर हाज़िर हुए. इस घटना के बाद महाराणा प्रताप ने भामाशाह का बहुत सम्मान किया और दिवेर पर हमले की योजना बनाई। भामाशाह ने जितना धन महाराणा को राज्य की सेवा के लिए दिया उस से 25 हज़ार सैनिकों को 12 साल तक रसद दी जा सकती थी. बस फिर क्या था..महाराणा ने फिर से अपनी सेना संगठित करनी शुरू की और कुछ ही समय में 40000 लडाकों की एक शक्तिशाली सेना तैयार हो गयी.

उसके बाद शुरू हुआ हल्दीघाटी युद्ध का दूसरा भाग जिसको इतिहास से एक षड्यंत्र के तहत या तो हटा दिया गया है या एकदम दरकिनार कर दिया गया है. इसे बैटल ऑफ़ दिवेर कहा गया गया है.

बात सन १५८२ की है, विजयदशमी का दिन था और महराणा ने अपनी नयी संगठित सेना के साथ मेवाड़ को वापस स्वतंत्र कराने का प्रण लिया. उसके बाद सेना को दो हिस्सों में विभाजित करके युद्ध का बिगुल फूंक दिया..एक टुकड़ी की कमान स्वंय महाराणा के हाथ थी दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व उनके पुत्र अमर सिंह कर रहे थे.

कर्नल टॉड ने भी अपनी किताब में हल्दीघाटी को Thermopylae of Mewar और दिवेर के युद्ध को राजस्थान का मैराथन बताया है. ये वही घटनाक्रम हैं जिनके इर्द गिर्द आप फिल्म 300 देख चुके हैं. कर्नल टॉड ने भी महाराणा और उनकी सेना के शौर्य, तेज और देश के प्रति उनके अभिमान को स्पार्टन्स के तुल्य ही बताया है जो युद्ध भूमि में अपने से 4 गुना बड़ी सेना से यूँ ही टकरा जाते थे.

दिवेर का युद्ध बड़ा भीषण था, महाराणा प्रताप की सेना ने महाराजकुमार अमर सिंह के नेतृत्व में दिवेर थाने पर हमला किया , हज़ारो की संख्या में मुग़ल, राजपूती तलवारो बरछो भालो और कटारो से बींध दिए गए।
युद्ध में महाराजकुमार अमरसिंह ने सुलतान खान मुग़ल को बरछा मारा जो सुल्तान खान और उसके घोड़े को काटता हुआ निकल गया.उसी युद्ध में एक अन्य राजपूत की तलवार एक हाथी पर लगी और उसका पैर काट कर निकल गई।

महाराणा प्रताप ने बहलोलखान मुगल के सर पर वार किया और तलवार से उसे घोड़े समेत काट दिया। शौर्य की ये बानगी इतिहास में कहीं देखने को नहीं मिलती है. उसके बाद यह कहावत बनी की मेवाड़ में सवार को एक ही वार में घोड़े समेत काट दिया जाता है.ये घटनाये मुगलो को भयभीत करने के लिए बहुत थी। बचे खुचे ३६००० मुग़ल सैनिकों ने महाराणा के सामने आत्म समर्पण किया.
दिवेर के युद्ध ने मुगलो का मनोबल इस तरह तोड़ दिया की जिसके परिणाम स्वरुप मुगलों को मेवाड़ में बनायीं अपनी सारी 36 थानों, ठिकानों को छोड़ के भागना पड़ा, यहाँ तक की जब मुगल कुम्भलगढ़ का किला तक रातो रात खाली कर भाग गए.

दिवेर के युद्ध के बाद प्रताप ने गोगुन्दा , कुम्भलगढ़ , बस्सी, चावंड , जावर , मदारिया , मोही , माण्डलगढ़ जैसे महत्त्वपूर्ण ठिकानो पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद भी महाराणा और उनकी सेना ने अपना अभियान जारी रखते हुए सिर्फ चित्तौड़ कोछोड़ के मेवाड़ के सारे ठिकाने/दुर्ग वापस स्वतंत्र करा लिए.

अधिकांश मेवाड़ को पुनः कब्जाने के बाद महाराणा प्रताप ने आदेश निकाला की अगर कोई एक बिस्वा जमीन भी खेती करके मुसलमानो को हासिल (टैक्स) देगा , उसका सर काट दिया जायेगा। इसके बाद मेवाड़ और आस पास के बचे खुचे शाही ठिकानो पर रसद पूरी सुरक्षा के साथ अजमेर से मगाई जाती थी.

दिवेर का युद्ध न केवल महाराणा प्रताप बल्कि मुगलो के इतिहास में भी बहुत निर्णायक रहा। मुट्ठी भर राजपूतो ने पुरे भारतीय उपमहाद्वीप पर राज करने वाले मुगलो के ह्रदय में भय भर दिया। दिवेर के युद्ध ने मेवाड़ में अकबर की विजय के सिलसिले पर न सिर्फ विराम लगा दिया बल्कि मुगलो में ऐसे भय का संचार कर दिया की अकबर के समय में मेवाड़ पर बड़े आक्रमण लगभग बंद हो गए.

इस घटना से क्रोधित अकबर ने हर साल लाखों सैनिकों के सैन्य बल अलग अलग सेनापतियों के नेतृत्व में मेवाड़ भेजने जारी रखे लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली. अकबर खुद 6 महीने मेवाड़ पर चढ़ाई करने के मकसद से मेवाड़ के आस पास डेरा डाले रहा लेकिन ये महराणा द्वारा बहलोल खान को उसके घोड़े समेत आधा चीर देने के ही डर था कि वो सीधे तौर पे कभी मेवाड़ पे चढ़ाई करने नहीं आया.

ये इतिहास के वो पन्ने हैं जिनको दरबारी इतिहासकारों ने जानबूझ कर पाठ्यक्रम से गायब कर दिया है. जिन्हें अब वापस करने का प्रयास किया जा रहा है।
साभार…

*सीनियर सिटिजन होना गुनाह* *है?*

 भारत में 70 वर्ष की आयु के बाद वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है। उन्हें आर्थिक काम के लिए कोई नौकरी नहीं दी जाती है। इसलिए वे दूसरों पर निर्भर हैं। उन्होंने अपनी युवावस्था में सभी करों का भुगतान किया था। अब सीनियर सिटिजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने होंगे। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे पर 50% की छूट भी बंद कर दी गई। दुःख तो इस बात है कि राजनीति में जितने भी वरिष्ठ नागरिक हैं फिर चाहे MLA हो या MP या Ministers उन्हें सबकुछ मिलेगा और पेंशन भी लेकिन सिनीअर सिटिज़न पूरी जिंदगीभर सरकार को कई तरह के टैक्स देते हैं फिर भी बुढ़ापे में पेंशन नहीं, सोचिए अगर औलाद न संभाल पाए (किसी कारणवश ) तो बुढ़ापे में कहां जायेंगे,यह एक भयानक और पीड़ादायक बात है। अगर परिवार के वरिष्ठ सदस्य नाराज हो जाते हैं, तो इसका असर चुनाव पर पड़ेगा और सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल कौन करेगा? 

 वरिष्ठों में है सरकार बदलने की ताकत, उन्हें कमजोर समझकर न करें नजरअंदाज! वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। सरकार गैर-नवीकरणीय योजनाओं पर बहुत पैसा खर्चा करती है, लेकिन यह कभी नहीं महसूस करती है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक योजना आवश्यक है। इसके विपरीत बैंक की ब्याज दर घटाकर वरिष्ठ नागरिकों की आय कम कर रहा है। अगर मामूली पेंशन भी मिलती है जिसमें परिवार का गुजारा भी मुश्किल चलता है तो उस पर भी इन्कम टैक्स 😟 

एक भारतीय वरिष्ठ नागरिक होना एक अपराध लगता है…! यह सब सोशल मीडिया में साझा करें आप सभी सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं। आइए वरिष्ठ नागरिकों की आवाज को सरकार के कानों तक पहुंचाएं (इस जानकारी को सभी वरिष्ठ नागरिकों की जागरूकता के लिए साझा करें।) मैं अनसुनी आवाज को इतना जोर से सुनना चाहता हूं कि इसे एक जन आंदोलन के रूप में खड़े होने दें, हम सभी को वरिष्ठ नागरिकों ने अपने सभी मित्रों के साथ यह साझा करना चाहिए। आपसे आग्रह है कृपया 

*पढ़ने के बाद आप जरूर साझा करें* अपने सीनियर सिटिजन मित्र व शुभ-चिंतकों को…

. 🚩*जय श्री राम*🚩

*सोमवार, 10 अप्रैल 2023, आज के मुख्य समाचार*

 

🔸विदेश मंत्री जयशंकर आज से युगांडा और मोजाम्बिक की 6 दिवसीय यात्रा पर

 

🔸इंतजार खत्मः UP में फुंका निकाय चुनाव का बिगुल…4 और 11 मई को वोटिंग, 13 को आएंगे नतीजे

 

🔸राहुल गांधी की फिर बढ़ीं मुश्किलें, अब असम के मुख्यमंत्री करेंगे उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा

 

🔸असम में 8,500 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन करेंगे मोदी : हिमंत

 

🔸US प्रतिनिधि सभा समिति की चेतावनी-ताइवान को चीन से गंभीर खतरा

 

🔸देश में बाघों की संख्या बढ़कर हुई 3167, PM मोदी ने जारी किए आंकड़े

 

🔸Exclusive Interview: गुलाम नबी ने राहुल गांधी के बारे में किए विस्फोटक खुलासे, कहा- विदेश में कारोबारियों से छिपकर की मुलाकातें

 

🔸तमिलनाडु CM स्टालिन ने लिखा अमित शाह को पत्र, सीआरपीएफ परीक्षा में तमिल भाषा को भी करें शामिल

 

🔸जमशेदपुर में फायरिंग, पथराव व आगजनी, धारा 144 लागू, SSP घायल, 60 से अधिक अरेस्ट

 

🔸AAP का डिग्री दिखाओ अभियान: आम आदमी पार्टी के नेता हर दिन दिखाएंगे अपनी डिग्री, बीजेपी नेताओं को भी ऐसा करने का दिया चैलेंज

 

🔸’PM की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं’, शरद पवार ने अब AAP को दिया झटका

 

🔸CJI चंद्रचूड़ के बेटे ने किताब लिखकर बताया आरक्षण का इतिहास, कहां से आए दलित और अनुसूचित जाति जैसे शब्द

 

🔸राजस्थान: सचिन पायलट का अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ अनशन करने का एलान

 

🔸सचिन पायलट के एक दिन के अनशन की घोषणा के बाद पार्टी गहलोत के समर्थन में उतरी

 

🔸हंसते-खेलते युवाओं के हार्ट फेल; मौतें बढ़ीं, अब स्टडी होगी:पहली बार एक्सपर्ट टीम हार्ट अटैक के कारणों की जांच करेगी

 

🔸कश्मीरी पंडितों के लिए 7 जगह बन रहे सरकारी घर:वैकल्पिक व्यवस्था होटलों में; कर्मचारी काम पर लौटे, दफ्तर-स्कूल पूरी क्षमता से खुले

 

🔸IIT की डिग्री लेकर भी अशिक्षित, LG का केजरीवाल पर जोरदार पलटवार

 

🔹GT vs KKR : रिंकू सिंह ने जड़े लगातार 5 छक्के, आखिरी ओवर में हारा गुजरात

 

🔹SRH vs PBKS : राहुल त्रिपाठी की शानदार पारी, हैदराबाद ने दर्ज की पहली जीत

 

💐*आप का दिन शुभ और मंगलमय हो, सुप्रभात..!*💐

 

      🚩🇮🇳 वन्देमातरम् 🇮🇳🚩

उत्तराखंड के रण बांकुरे जनरल स्व. श्री विपिन रावत को अपने पितृ देवता के रूप में पूज रहे हैं, दूर दराज के पहाड़ के लोग……। 

किसी को ऐसी आस्था और प्रेम बड़े करम से मिलता है….. 🙏*मनोजवं मारुततुल्यवेगं*

   *जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।*

 

*वातात्मजं वानरयूथमुख्यं*

*श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।*

*अर्थ-*

मैं मनके समान शीघ्रगतियुक्त एवं वायु के समान प्रबलयोगभूषित, इन्द्रियविजयी, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वायुपुत्र, वानरसमूह के अग्रणी, श्रीरामदूत भगवान् हनुमान की शरण को प्राप्त होता हूँ…!!

 

             *🙏🍁 सुप्रभात 🍁🙏*

आइये करें शून्य की खोज :

 

शून्य की खोज के विषय में किसी ने ब्रह्मभट्ट का नाम लिया तो किसी ने आर्यभट्ट का नाम लिया। इनके अलावे भी बहुत से दावे किए गए लेकिन सहमति न बन पाई।

 

‘संख्यास्थाननिरूपणम्’ में आर्यभट्ट ने लिखा:

 

एकं च दश च शतं च सहस्रं तु अयुतनियुते तथा प्रयुतम्।

कोट्यर्बुदं च वृन्दं स्थानात्स्थानं दशगुणं स्यात् ॥

 

मान लाया गया कि शून्य का अविष्कार ५वीं सदी में आर्यभट्ट ने किया। हम भारतीय भी इतने पर ही खुश हो लेते हैं कि कम से कम विश्व इसे भारत की उपलब्धि तो मानता है।

 

लेकिन दबी जुबान में लोगों ने यह भी कहा कि अगर ५वीं सदी में शून्य का अविष्कार हुआ तो हजारों वर्ष पूर्व रावण के दस सिर कैसे हुए?

 

बड़े वर्ग ने यही सोच कर कि विश्व ने तो मान लिया है, इसको छोड़ दिया।

लेकिन यह तो एक कड़ी थी, अगर विश्व इसे और प्राचीन मानता तो मुख्य बात कि सनातन धर्म कितना प्राचीन है यह बात भी विश्व के सामने आने लगती।

 

यजुर्वेद १७/२ की ऋचा कहती है:

 

इमा मे अग्नऽ इष्टका धेनवः सन्त्वेका च दश च दश च शतं च शतं च सहस्रं च सहस्रं चायुतं चायुतं च नियुतं च नियुतं च प्रयुतं चार्बुदं च न्यर्बुदम् समुद्रश् च मध्यं चान्तश् च परार्धश् चैता मे अग्नऽ इष्टका धेनवः सन्त्व् अमुत्रामुष्मिंल् लोके।।

 

अब यहाँ बड़ा प्रश्न उठता है कि यजुर्वेद की ऋचा प्राचीन है कि ‘आर्यभट्ट’? 

 

आप कहेंगे कि इससे क्या फर्क पड़ता है? जब विश्व ने यह मान लिया है कि शून्य भारत कि खोज है।

 

लेकिन साहब! एक ‘शून्य’ की आपने क्या कीमत चुकाई? यह सोचिये।

 

पहले तो वो कहते हैं कि:

 

The Vedas are a collection of hymns and other ancient religious texts written in India between about 1500 and 1000 BCE. – Ancient History Encyclopedia

 

लेकिन जाहिर तौर पर अब इस पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया गया क्योंकि तब तो इसका श्रेय भी ईश्वर को देना पड़ता जिन्होंने श्रुतियों के माध्यम से ‘ब्रह्मा’ को वेदों का बोध कराया या कम से कम यजुर्वेद अध्याय १७ के ऋषि ‘विश्वकर्मा भौवन’ को तो देना पड़ता

 

जिन्होंने यह ऋचा ‘निचृत आर्षी त्रिष्टुप’ छंद में संकलित की।

 

इसके बाद प्रश्न उठाया गया कि यह शून्य ‘०’ ऐसा नहीं है। अरे, अब तो बात ही समाप्त हो गई। लोग भी इस विषय पर शांत हो गये।

 

लेकिन क्या इतने से सब समाप्त हो गया कि अथर्ववेद में शून्य नहीं है?

 

वास्तब में वेदों में ईश्वर, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज समेत सभी विषयों से संबंधित ज्ञान है। वेदों की ऋचाएं तो गणित के नियमों से ही बंधीं हैं।

 

अब शून्य कैसे है?

 

इसका उत्तर हैं – ‘कटपयादी प्रणाली’।

 

कटपयादी, यह प्राचीन काल से संख्या को कूटबध्द करने की पध्दति है। संस्कृत वर्णमाला में जो अक्षर हैं, उन्हे १ से ० संख्या के साथ जोड़ने से कटपयादी संख्या तैयार होती है। यह लंबे अंक सूत्र ज्ञात करने तथा छंद के द्वारा निष्कर्ष निकालने की योग्यता प्रदान करती है।

कटपयादि प्रणाली के माध्यम से ही पाई (π) का मान दशमव से १७ स्थान तक सटीकता से निकाला गया

 

सनातन धर्म का विज्ञान इतना विकसित रहा है कि आज तक भी आधुनिक विज्ञान केवल उनके किसी सूत्र को सुलझा ले, इतने तक का ही खोज कर पाया है। यह भी तय है कि विश्व के सभी धर्म, धर्म – गुरु और विज्ञान अगर विकास के मार्ग पर बढ़ेंगे तो वह मार्ग सनातन धर्म का मार्ग ही होगा, भले ही वह इसे माने या न माने।

✍🏻शिवानन्द मिश्रा

 

बीजगणित जिसे यूरोपियन और अरब देशों में अलजेब्रा के नाम से जाना जाता है । अलजेब्रा इसलिए क्योकि इसकी खोज का श्रेय ब्रिटिश इतिहासकारो ने इराक के बगदाद में रहने वाले अल ख्वा रिजमी को दिया , क्योंकि ब्रिटिश मिशनरी वर्ग ने पूर्वाग्रह और महापक्षपाती सोच से ग्रस्त होकर भारतीय दर्शन और ज्ञान – विज्ञान को सीमित और हेय रखने का प्रयास किया । जिससे भारत वासियों को कभी भी गर्व का अनुभव न हो । 

खैर चलिए आते अपने बात पर ,

                                             मुहम्मद मूसा अल ख़्वारीजमी का जन्म 780 ईसवी में हुआ था। जबकि आर्यभट्ट का जन्म 499 ईसवी और आचार्य ब्रह्मगुप्त का जन्म 518 ईसवी में हुआ । 

 

सन् 825 ई. में अरब के गणितज्ञ ‘ अल् ख्वारिज्मी’ ने एक गणित की पुस्तक की रचना की, जिसका नाम था ‘अल-जब्र-वल-मुकाबला’ । यूनानी गणित के स्वर्णिम युग में अलजब्रा का आधुनिक अर्थ में नामोनिशान तक नहीं था।

 

बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्णीत समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘ कुट्टक’ है। हिंदू गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने उक्त प्रकरण के नाम पर ही इस विज्ञान का नाम सन् 628 ई. में ‘कुट्टक गणित’ रखा। “ब्रह्मस्फुटसिद्धांत” के साढ़े चार अध्याय मूलभूत गणित को समर्पित हैं। १२वां अध्याय, गणित, अंकगणितीय शृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है। १८वें अध्याय, कुट्टक ( बीजगणित ) में

आर्यभट्ट के रैखिक अनिर्धार्य समीकरण (linear indeterminate equation, equations of the form

ax − by = c) के हल की विधि की चर्चा है। ( बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘ कुट्टक’ है। ब्रह्मगुप्त ने उक्त प्रकरण के नाम पर ही इस विज्ञान का नाम सन् ६२८ ई. में ‘कुट्टक गणित’ रखा।

 

ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय अनिर्धार्य समीकरणों (Nx 2 + 1 = y 2 ) के हल की विधि भी खोज निकाली। इनकी विधि का नाम चक्रवाल विधि है। गणित के सिद्धान्तों का ज्योतिष में प्रयोग करने वाला वह प्रथम व्यक्ति था।

 

ब्रह्मगुप्त ने किसी वृत्त के क्षेत्रफल को उसके समान क्षेत्रफल वाले वर्ग से स्थानान्तरित करने का भी यत्न किया।

ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी की परिधि ज्ञात की थी, जो आधुनिक मान के निकट है।

ब्रह्मगुप्त पाई ( pi ) (३.१४१५९२६५) का मान १० के

वर्गमूल (३.१६२२७७६६) के बराबर माना।

ब्रह्मगुप्त अनावर्त वितत भिन्नों के सिद्धांत से परिचित थे। इन्होंने एक घातीय अनिर्धार्य समीकरण का पूर्णाकों में व्यापक हल दिया, जो आधुनिक पुस्तकों में इसी रूप में पाया जाता है और अनिर्धार्य वर्ग समीकरण , K y 2 + 1 = x 2 , को भी हल करने का प्रयत्न किया।

 

ध्यान रहे मित्रो की इस समय बगदाद के कथित इतिहासकार का जन्म भी नही हुआ था । 

बीजगणित का सबसे प्राचीन नाम कुट्टुक गणित है। 

 

सन् 860 ई. में पृथूदक स्वामी ने इसका नाम ‘बीजगणित’ रखा। ‘बीज’ का अर्थ है ‘तत्त्व’। अतः ‘बीजगणित’ के नाम से तात्पर्य है ‘वह विज्ञान, जिसमें तत्त्वों द्वारा परिगणन किया जाता है’।

 

बीजगणित में समीकरण साधनों के नियमों का उल्लेख किया तथा अनिर्धार्य द्विघात समीकरण (Indeterminate quadratic equations) का समाधान भी बताया, जिसे आयलर (Euler) ने 1764 ई. में और लांग्रेज ने 1768 ई. में प्रतिपादित किया। 

 

मध्ययुग के अद्वितीय गणितज्ञ

भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि ( लीलावती,

बीजगणित , गोलाध्याय, ग्रहगणितम् ) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा

अंकगणित , बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।

वेदों में जो सिद्धांत सूत्र रूप में थे, उनकी पूर्ण अभिव्यक्ति भास्कराचार्य की रचना में हुई है। इनमें ब्रह्मगुप्त द्वारा बताई गई 20 प्रक्रियाओं और 8 व्यवहारों का अलग-अलग विवरण और उनमें प्रयोग में लाई जानेवाली विधियों का प्रतिपादन सुव्यवस्थित और सुसाध्य रूप से किया गया है। लीलावती में संख्या पद्धति का जो आधारभूत एवं सृजनात्मक प्रतिपादन किया गया है, वह आधुनिक अंकगणित तथा बीजगणित की रीढ़ है।

 

उन्होने अपने ग्रन्थ आर्यभट्टिया में गणित और खगोलविद का संग्रह किया है| इसमें उन्होनें अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति का उल्लेख किया है| इसमें उन्होनें वर्गमूल, घनमूल, सामानान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन भी किया है |

 

उन्होनें ही पहली बार by= ax+ c aur by= ax-c समीकरण सिद्धांतों को समझाया, 

जहाँ a,b और c चर राशियाँ हैं| बीजगणित में सबसे महत्वपूर्ण pi= 3.1416 की व्याख्या का श्रेया भी आर्यभट्ट को ही जाता है |

 

महान गणितज्ञ भास्कर द्वितीय ने कहा है –

पूर्व प्रोक्तं व्यक्तमव्यक्तं वीजं प्रायः प्रश्नानोविनऽव्यक्त युक्तया।

ज्ञातुं शक्या मन्धीमिर्नितान्तः यस्मान्तस्यद्विच्मि वीज क्रियां च।

 

अर्थात् कम बुद्धि के व्यक्ति गणित (अंकगणित) की सहायता से जो प्रश्न हल नहीं कर पाते हैं, वे प्रश्न अव्यक्त गणित (बीजगणित) की सहायता से हल कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, बीजगणित से अंकगणित की कठिन समस्याओं का हल सरल हो जाता है।

✍🏻हिमांशु शुक्ला