आज का पंचाग आपका राशि फल, शबरी का राम दर्शन हेतु सौभाग्य लिखने वाले मतंग ऋषि, बिना धर्म वाला देश कौन सा है!, इस माह के ब्रत और त्योहार, लड़कियों के पैर में काला तागा बांधने का नया षड्यंत्र

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻मंगलवार, ४ अप्रैल २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:२२

सूर्यास्त: 🌅 ०६:४०

चन्द्रोदय: 🌝 १७:००

चन्द्रास्त: 🌜२९:३९

अयन 🌖 उत्तरायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🎋 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 चैत्र 

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 त्रयोदशी (०८:०५ से चतुर्दशी)

नक्षत्र 👉 पूर्वाफाल्गुनी (०९:३६ से उत्तराफाल्गुनी)

योग 👉 वृद्धि (२७:४० से ध्रुव)

प्रथम करण 👉 तैतिल (०८:०५ तक)

द्वितीय करण 👉 गर (२०:४५ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

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सूर्य 🌟 मीन 

चंद्र 🌟 कन्या (१६:०५ से)

मंगल 🌟 मिथुन (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 मीन (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 मेष (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५५ से १२:४५

अमृत काल 👉 २७:३९ से २९:२२

रवियोग 👉 ०९:३६ से ३०:०२

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१६

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:३६ से १८:५९

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:३७ से १९:४५

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५७ से २४:४२

राहुकाल 👉 १५:२९ से १७:०३

राहुवास 👉 पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०९:१२ से १०:४६

होमाहुति 👉 शनि (०९:३६ से चन्द्र)

दिशाशूल 👉 उत्तर

नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (०९:३६ से)

अग्निवास 👉 आकाश 

चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण १६:०६ से)

शिववास 👉 नन्दी पर (०८:०५ से भोजन में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – रोग २ – उद्वेग

३ – चर ४ – लाभ

५ – अमृत ६ – काल

७ – शुभ ८ – रोग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – काल २ – लाभ

३ – उद्वेग ४ – शुभ

५ – अमृत ६ – चर

७ – रोग ८ – काल

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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शिव दमनक चतुर्दशी, नृसिंह दोलोत्सव, श्रीमहावीर जन्मोत्सव (जैन) आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०९:३६ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (टू) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (टे, टो, प, पी) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २९:१२ से ०६:३५

मेष – ०६:३५ से ०८:०९

वृषभ – ०८:०९ से १०:०४

मिथुन – १०:०४ से १२:१९

कर्क – १२:१९ से १४:४०

सिंह – १४:४० से १६:५९

कन्या – १६:५९ से १९:१७

तुला – १९:१७ से २१:३८

वृश्चिक – २१:३८ से २३:५७

धनु – २३:५७ से २६:०१

मकर – २६:०१ से २७:४२

कुम्भ – २७:४२ से २९:०८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०६:०३ से ०६:३५

मृत्यु पञ्चक – ०६:३५ से ०८:०५

अग्नि पञ्चक – ०८:०५ से ०८:०९

शुभ मुहूर्त – ०८:०९ से ०९:३६

रज पञ्चक – ०९:३६ से १०:०४

शुभ मुहूर्त – १०:०४ से १२:१९

चोर पञ्चक – १२:१९ से १४:४०

शुभ मुहूर्त – १४:४० से १६:५९

रोग पञ्चक – १६:५९ से १९:१७

शुभ मुहूर्त – १९:१७ से २१:३८

मृत्यु पञ्चक – २१:३८ से २३:५७

अग्नि पञ्चक – २३:५७ से २६:०१

शुभ मुहूर्त – २६:०१ से २७:४२

रज पञ्चक – २७:४२ से २९:०८

शुभ मुहूर्त – २९:०८ से ३०:०२

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप अपनी बुद्धि एवं पराक्रम का परिचय देंगे। दिन के पहले भाग में किसी से वैचारिक मतभेद बढ़ सकते है आपको अपने कार्य मे किसी का हस्तक्षेप करना अखरेगा विवेकी व्यवहार से बात बढ़ने नही देंगे फिर भी मन मे खटास अवश्य रह जायेगी। कार्य व्यवसाय में आज आप असम्भव कार्य को भी संभव बना लोगो की वाहवाही लूटेंगे धन की आमद किसी न किसी रूप में अवश्य होगी इसके लिये ज्यादा झंझट में ना पड़े वरना सामाजिक क्षेत्र पर किसी से बिना बात की दुश्मनी हो सकती है आज आप जिसे अपना हितैषी समझेंगे वही पीछे से हानि पहुचायेगा। जमीन जायदाद संबंधित मामले उलझेंगे इनको टालना ही बेहतर है। भाई बंधु एवं पति पत्नी के बीच स्वार्थी संबंध रहेंगे। सेहत मामूली बातो को छोड़ ठीक रहेगी वाहन से सावधानी बरतें।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आपके लिये आज दिन का पहला भाग प्रतिकूल है आज ना चाहते हुए भी किसी विवाद में उतारना पड़ेगा जिससे सम्मान को ठेस पहुच सकती है। वाणी एवं व्यवहार को नियंत्रण में रखें खास कर महिलाए पराये कामो में टांग ना फसाये तो बेहतर रहेगा अन्यथा बैठे बिठाये बदनामी हो सकती है। काम के सिलसिले से यात्रा करनी पड़ेगी इससे पहले खर्च करने पर धन लाभ तो होगा लेकिन आशा से कम ही दलाली के कार्य में अन्य कार्यो की तुलना में ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। घर मे पैतृक संपत्ति अथवा अन्य कारणों से पक्षपात का आरोप लग सकता है घरेलू निर्णय बड़ो के ऊपर छोड़ दे इससे सम्मान बना रहेगा। सन्तानो को लेकर आज मन दुखी रहेगा। घर मे छोटी मोटी बातो को अनदेखा करें आवश्यकता पड़ने पर ही बोले। कमर अथवा पैर संबंधित संमस्या हो सकती है।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज भी आपका व्यवहार सामने वाले को अहंकारी जैसा लगेगा लेकिन बाहर से रूखापन दिखने पर भी अंदर से नरमी रहेगी। आज कोई भी आवश्यकता पड़ने पर आपके पास से खाली हाथ नही जाएंगा। कार्य व्यवसाय से आज आशा से अधिक लाभ कमा सकते है परन्तु इसके लिये व्यर्थ के सामाजिक व्यवहारों में आज कमी लाने आवश्यक है। धन की आमद के लिये किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी जो आपके कुशल व्यवहार से तुरंत मिल जाएगी। व्यवसाय में आज गति रहने पर भी कुछ कमी अनुभव करेंगे जिसकी पूर्ति आज सम्भव नही इसपर ध्यान भी ना दें। सरकारी कार्य आज दिन रहते कर ले बाद में सहयोग की कमी के चलते अधूरे रह सकते है। घरेलू व सन्तानो का खर्च बढ़ चढ़ कर रहेगा। दाहिने नेत्र अथवा शरीर के दाहिने भाग में कोई समस्या बन सकती है।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन मिला जुला रहेगा। आज आपको पूर्व में किये किसी निवेश से काफी उम्मीद रहेगी लेकिन अंत समय मे निराशा ही हाथ लगेगी लाभ की जगह निवेश किया धन व्यर्थ होने की संभावना है। धन को लेकर आज कोई नई संमस्या खड़ी होगी व्यवसाय अथवा अन्य आवश्यक कार्यो के लिये माता अथवा अन्य किसी नापसंद व्यक्ति की आर्थिक सहायता लेनी पड़ेगी जिसमे पहले मामूली कलह का सामना भी करना पड़ेगा। आज भी मध्यान तक कोई बड़ा निर्णय ना ले इसके बाद स्वतंत्र होकर कर कर सकते है आवश्यकता पूर्ति अनुसार धन कहि न कही से उपलब्ध हो जाएगा। पैतृक कारणों से भाई बंधुओ के बीच स्नेह संबंध बिगड़ सकते है जहां तक संभव हो आज किसी के आगे हाथ ना फैलाये। मानसिक चंचलता और तनाव को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आपके मन मे दिन भर कुछ ना कुछ उठापटक लगी रहेगी। आज आपको सामाजिक रीतियों के विपरीत कार्य करने में आनद आएगा। अपने कुतर्कों से आस पास के लोगो को दुविधा में डालेंगे इससे आपके ही व्यक्तित्त्व में कमी आएगी। कार्य व्यवसाय से आज जितनी उम्मीद लगाएंगे उसका आधा लाभ भी नही मिल पायेगा। व्यवहारिकता की कमी हर क्षेत्र पर नुकसान ही कराएगी। सहकर्मी अथवा कार्य क्षेत्र पर अन्य किसी से अहम को लेकर टकराव हो सकता है स्वभाव में परिवर्तन लाये किसी के भी ऊपर अनैतिक दबाव डालने पर सम्मान हानि तुरंत होगी। महिला वर्ग घरेलू एवं व्यक्तिगत आवश्यकताओं की लंबी लिस्ट बनाकर पुरुषों को परेशानी में डालेंगी। संध्या के समय टालने पर भी व्यर्थ के खर्च होंगे। मानसिक एवं शारीरिक क्षमता कम रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन पहला भाग आपको कुछ ना कुछ हानि अवश्य कराएगा प्रत्येक कार्य देखभाल कर ही करें विशेषकर आज धन संबंधित कार्यो अधिक स्पष्टता बरते किसी से धोखा अथवा अपमानित होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र पर भी आज निवेश करने से पहले अनुभवी की सलाह जरूर लें घाटा हो सकता है। व्यवसाय को आज मेहनत के बाद भी नियंत्रित नही कर पाएंगे धन लाभ के लिये विविध प्रयास विफल ही होंगे ऊपर से आकस्मिक खर्च आने से संचित कोष से खर्च करना पड़ेगा। आज आपकी मानसिकता धन लोलुप जैसी रहेगी प्रलोभन में शीघ्र आ जाएंगे जिसका बाद में दुख होगा। घर मे किसी न किसी बात से कोहराम लगा रहेगा दाम्पत्य जीवन मे तालमेल नही बैठा पाएंगे कुछ दिन धैर्य धारण करे सेहत में भी आज नया विकार बन सकता है।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन बीते दिन की तुलना में काफी राहत प्रदान करेगा आज आप अपनी बुद्धि एवं व्यवहार के बल पर सम्मान के हकदार बनेंगे। दिन के पहले भाग में किसी घरेलू समस्या को लेकर मानसिक उलझन रहेगी लेकिन पुरानी घटना से अनुभव लेकर इससे पार पा लेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी छवि अनुभवी एवं भद्र इंसान जैसी रहेगी मध्यान के समय कोई न कोई अपनी समस्या को लेकर आपसे परामर्श लेगा। काम धंधा आज संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा फिर भी पुराने सौदे आज धन देकर जाएंगे। संध्या बाद घरेलू मामलों में लापरवाही करने पर परिजन से मतभेद हो सकते है आज समय पर आवश्यकताओं की पूर्ति करे अन्यथा कलह के लिये तैयार रहे। घर के किसी सदस्य की सेहत चिंता बढ़ाएगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपके लिये शुभ फल प्रदान करेगा। दिन के आरम्भ में जो भी योजना बनाएंगे उसमें कई उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे फिर भी ले देंकर सफलता अवश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर आज जिस भी काम को हाथ मे लेंगे उसमे कोई न कोई झंझट अवश्य रहेगा। शत्रु अथवा प्रतिस्पर्धी पक्ष आपको हानि पहुचाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे इनको अनदेखा करना ही बेहतर रहेगा अन्यथा व्यर्थ की दुविधा में फंस कर अपने उद्देश्य से भटक सकते है। धन लाभ आकस्मिक होगा कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी काम के समय मनमानी करेंगे पहले से ही आत्म निर्भर रहे तो परेशानी नही आएगी। लेखन से जुड़े लोग चाह कर भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित नही कर पाएंगे। दाम्पत्य एव संतान सुख आज न्यून रहेगा। संध्या बाद का समय राहत दिलाएगा लेकिन घर मे कम ही बोलें।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन मिला जुला फल देगा। प्रातः काल में किसी जरूरी कार्य को लेकर किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन लोग स्पष्ट बात ना कर आपको टालने के प्रयास करेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज व्यस्तता बढ़ेगी इसका लाभ भी अवश्य मिलेगा मध्यान के समय आपकी वाणी से किसी का दिल ना दुखे इसका ध्यान रखे। व्यवसायी वर्ग को धन की आमद आवश्यकता अनुसार आसानी से हो जाएगी। लेकिन नौकरी पेशाओ को आज परिश्रम का फल मिलना परेशानी भरा रहेगा लेट लतीफी एवं लापरवाही के कारण अधिकारी वर्ग के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। घर का वातावरण सामान्य रहेगा सन्तानो के ऊपर खर्च बढ़ेगा बाहर घूमने की योजना बनेगी। सेहत को लेकर आशंकित रहेंगे लेकिन लापरवाही भी करेंगे। धर्म कर्म में आस्था बढ़ेगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। प्रातः काल से ही सेहत में कुछ ना कुछ कमी आएगी जिससे मध्यान तक कि दिनचार्य अस्त व्यस्त रहेगी पेट संबंधित संमस्या में लापरवाही ना करें अन्यथा बाद मे परिणाम गंभीर भी हो सकते है। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी छवि रंगीन मिजाज जैसी बनेगी बोलते समय स्वयं पर नियंत्रण नही रहेगा इसका विपरीत प्रभाव आपकी सख्शियत पर पड़ेगा। कार्य व्यवसाय से आज लाभ अवश्य होगा लेकिन धन आते ही जाने के रास्ते बना लेगा। महिलाओ का स्वभाव आज सब सुख सुविधा मिलने के बाद भी असंतुष्ट ही रहेगा अन्य लोगो से अपनी तुलना करने पर मन हीन भावना से ग्रस्त होगा। आज पैतृक कार्यो को लेकर घर मे खींच तान हो सकती है। पिता से संबंधों में खटास आ सकती है। टोने टोटको पर खर्च करेंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपके लिये कार्य सफलता वाला रहेगा। बीते दिनों में समाज से मिले अनादर के कारण हीन भावना से ग्रस्त रहेंगे स्वभाव में ईर्ष्या का भाव आपको लाभ से दूर रखेगा इससे बचने का प्रयास करें तो दिन हर प्रकार से आनंददायक बन सकता है। आज काम-धंधा कुछ न कुछ लाभ अवश्य देगा कार्य क्षेत्र पर आज लोगो को आपके सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी इसका लाभ उठाएं मन से अहम की भावना को त्याग समाज सेवा करें इससे धन के साथ सम्मान की भी प्राप्ति होगी।आपके वादा करके टालमटोल करने पर घरेलू वातावरण कुछ समय के लिये अशांत बनेगा महिलाओ का आज वाणी पर नियंत्रण नही रहेगा फिर भी घर मे चलन पहल बनाये रखेंगी। यात्रा के योग बन रहे है इससे लाभ कम शरीर को थोड़ा कष्ट थकान अधिक बनेगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आप बैठे बिठाये फालतू के झगड़े मोल लेंगे। किसी काम मे विशेष योग्यता होने का पूरा फायदा उठाएंगे जिससे अन्य लोगो मे आपके प्रति कटु भावनाएं जन्म लेंगी लेकिन आज अपना हित साधने के लिये किसी भी बात या व्यवहारिकता की परवाह नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर मनमानी दिखाएंगे सहकर्मी अथवा जरूरतमंद आपसे मजबूरी में ही व्यवहार करेंगे। धन की आमद संतोषजनक रहेगी थोड़ा धन मिलने पर इसका प्रलोभन बढ़ता ही जायेगा जिससे मन शांत नाहाई बैठेगा। आज माता, मशीनरी, संपत्ति अथवा पशु संबंधित कार्यो पर विशेष खर्च करना पड़ेगा इसके कारण अन्य खर्चो में कटौती करने पर घर के सदस्य नाराज हो सकते है। धर्म से ज्यादा कर्म को महत्त्व देंगे फिर भी गुप्त प्रयोग टोन टोटको के लिये भी थोड़ा समय निकाल लेंगे। लोहे की वस्तु अथवा वाहन से चोट का भय है।

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*एक बिना धर्म वाला देश भी है?*

विश्व के सबसे बड़े पांच धर्म हैं हिंदूत्व, ईसाइयत, इस्लाम, बुद्धिज़्म और जुडिस्म (यहूदी धर्म)। इन सभी धर्मो को अधिकारिक रूप से मानने वाला कोई ना कोई देश अवश्य है। अर्थार्त इन देशों ने अपने संविधान में अपना एक राष्ट्रीयधर्म (state religion) माना है। जैसे कि:-

*ईसाइयत:*

इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, आइसलैंड, नॉर्वे, फ़िनलैंड, सायप्रस, ग्रीस, अर्जेंटीना, बोलीविया, कोस्टा रिका, अल साल्वाडोर, माल्टा, मोनाको, स्लोवाकिया, स्विट्ज़रलैंड और वैटिकन सिटी ने ईसाइयत को अपने राष्ट्रियधर्म के रूप में संविधान में जगह दी है।

*इस्लाम:*

अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बहरीन, बांग्लादेश, ब्रूनेई, कोमोरोस, मिस्र, ईरान, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लीबिया, मलेशिया, मालदीव्स, मोरक्को, ओमान, पाकिस्तान, क़तर, सऊदी अरबिया, सोमालिया, तुनिशिया, UAE और यमन आदि देशों ने राष्ट्रियधर्म के रूप में इस्लाम को अपनाया।

*बौद्ध_धर्म:*

भूटान, कंबोडिया, श्रीलंका, थाईलैंड आदि देशों ने खुल कर बोद्ध धर्म को अपने संविधान में अपना पथप्रदर्शक माना।

*जुडिस्म (यहूदी धर्म)*

इसराइल देश विश्वभर से विस्थापित हो रहे अंसख्य यहूदियों के लिए एकमात्र शरणस्थली बना और फिर इसराइल ने अपने संविधान में भी अपने धर्म को जगह दी।

*हिन्दू*

*निल बटे सन्नाटा।*

पुरे विश्व में एक भी हिन्दु देश नहीं है (अधिकारिक रूप से)। हिन्दू एक देशरहित धर्म है (Hinduism is a stateless religion)। आखिरी हिन्दू देश नेपाल था जो की अंततः 2006 में माओ के बलि चढ़ा दिया गया।

यदि पुरे विश्व में कहीं कोई इसाई प्रताड़ित होता है तो इंग्लैंड उसकी मदद को आता है। यदि कोई मुस्लमान प्रताड़ित होता है तो UAE आवाज उठाता है। और यदि कहीं किसी यहूदी पर अत्याचार होता है तो इसराइल बीच में आता है। लेकिन आप कहीं भी अपनी सुविधा अनुसार किसी भी हिन्दू को प्रताड़ित कर सकते हैं। कोई कुछ नहीं कहेगा।

 

*।।जय श्री राम।।*🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।

2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।

3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।

4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।

5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।

6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।

7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

 

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।

9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।

10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।

11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।

12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।

13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।

14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

 

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।

16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

 

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।

18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।

19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

 

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?

नहीं तो जानिये-

1 – ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,

2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,

3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,

4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,

5 – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |

6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,

7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,

8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,

9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,

10- अनरण्य से पृथु हुए,

11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,

12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,

13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,

14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,

15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,

16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,

17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,

18- भरत के पुत्र असित हुए,

19- असित के पुत्र सगर हुए,

20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,

21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,

22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,

23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |

24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |

25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,

26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,

27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,

28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,

29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,

30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,

31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,

32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,

33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,

34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,

35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,

36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,

37- अज के पुत्र दशरथ हुए,

38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |

इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।

 

यह जानकारी महीनों के परिश्रम के बाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । 

तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये ।।

 #राम_चरित_मानस

🔯 जय श्री राम🌹

❥❥❥══════❥❥❥I══════❥शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे, तब शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।

शबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी।

महर्षि शबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे। शबरी को समझाया “पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे, तुम यहीं प्रतीक्षा करो।”

अबोध शबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का वाक्य सत्य होकर रहेगा, उसने फिर पूछा- कब आएंगे..?

महर्षि मतंग त्रिकालदर्शी थे। वे भूत भविष्य सब जानते थे, वे ब्रह्मर्षि थे। महर्षि शबरी के आगे घुटनों के बल बैठ गए और शबरी को नमन किया।

आसपास उपस्थित सभी ऋषिगण असमंजस में डूब गए।ये उलट कैसे हुआ। गुरु यहां शिष्य को नमन करे, ये कैसे हुआ???

महर्षि के तेज के आगे कोई बोल न सका।

महर्षि मतंग बोले-

पुत्री अभी उनका जन्म नहीं हुआ।

अभी दशरथ जी का लग्न भी नहीं हुआ।

उनका कौशल्या से विवाह होगा।फिर भगवान की लम्बी प्रतीक्षा होगी।

फिर दशरथ जी का विवाह सुमित्रा से होगा।फिर प्रतीक्षा..

फिर उनका विवाह कैकई से होगा।फिर प्रतीक्षा..

फिर वो जन्म लेंगे, फिर उनका विवाह माता जानकी से होगा।फिर उन्हें 14 वर्ष वनवास होगा और फिर वनवास के आखिरी वर्ष माता जानकी का हरण होगा। तब उनकी खोज में वे यहां आएंगे।तुम उन्हें कहना आप सुग्रीव से मित्रता कीजिये। उसे आतताई बाली के संताप से मुक्त कीजिये, आपका अभीष्ट सिद्ध होगा। और आप रावण पर अवश्य विजय प्राप्त करेंगे।

शबरी एक क्षण किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। अबोध शबरी इतनी लंबी प्रतीक्षा के समय को माप भी नहीं पाई।

वह फिर अधीर होकर पूछने लगी- “इतनी लम्बी प्रतीक्षा कैसे पूरी होगी गुरुदेव???”

महर्षि मतंग बोले- “वे ईश्वर है, अवश्य ही आएंगे।यह भावी निश्चित है। लेकिन यदि उनकी इच्छा हुई तो काल दर्शन के इस विज्ञान को परे रखकर वे कभी भी आ सकते है। लेकिन आएंगे “अवश्य”…!

जन्म मरण से परे उन्हें जब जरूरत हुई तो प्रह्लाद के लिए खम्बे से भी निकल आये थे। इसलिए प्रतीक्षा करना।वे कभी भी आ सकते है। तीनों काल तुम्हारे गुरु के रूप में मुझे याद रखेंगे। शायद यही मेरे तप का फल है।”

शबरी गुरु के आदेश को मान वहीं आश्रम में रुक गई। उसे हर दिन प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा रहती थी।वह जानती थी समय का चक्र उनकी उंगली पर नाचता है, वे कभी भी आ सकतें है।

हर रोज रास्ते में फूल बिछाती है और हर क्षण प्रतीक्षा करती।

कभी भी आ सकतें हैं।

हर तरफ फूल बिछाकर हर क्षण प्रतीक्षा। शबरी बूढ़ी हो गई।लेकिन प्रतीक्षा उसी अबोध चित्त से करती रही।

और एक दिन उसके बिछाए फूलों पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़े। शबरी का कंठ अवरुद्ध हो गया। आंखों से अश्रुओं की धारा फूट पड़ी।

गुरु का कथन सत्य हुआ।भगवान उसके घर आ गए। शबरी की प्रतीक्षा का फल ये रहा कि जिन राम को कभी तीनों माताओं ने जूठा नहीं खिलाया, उन्हीं राम ने शबरी का जूठा खाया।

ऐसे पतित पावन मर्यादा, पुरुषोत्तम, दीन हितकारी श्री राम जी की जय हो। जय हो। जय हो। एकटक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद वृद्धा भीलनी के मुंह से स्वर/बोल फूटे-

“कहो राम ! शबरी की कुटिया को ढूंढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ..?”

राम मुस्कुराए- “यहां तो आना ही था मां, कष्ट का क्या मोल/मूल्य..?”

“जानते हो राम! तुम्हारी प्रतीक्षा तब से कर रही हूँ, जब तुम जन्मे भी नहीं थे, यह भी नहीं जानती थी कि तुम कौन हो ? कैसे दिखते हो ? क्यों आओगे मेरे पास ? बस इतना ज्ञात था कि कोई पुरुषोत्तम आएगा, जो मेरी प्रतीक्षा का अंत करेगा।

राम ने कहा- “तभी तो मेरे जन्म के पूर्व ही तय हो चुका था कि राम को शबरी के आश्रम में जाना है।”

“एक बात बताऊँ प्रभु ! भक्ति में दो प्रकार की शरणागति होती है। पहली ‘वानरी भावऔर दूसरी ‘मार्जारी भाव’।

”बन्दर का बच्चा अपनी पूरी शक्ति लगाकर अपनी माँ का पेट पकड़े रहता है, ताकि गिरे न… उसे सबसे अधिक भरोसा माँ पर ही होता है और वह उसे पूरी शक्ति से पकड़े रहता है। यही भक्ति का भी एक भाव है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर को पूरी शक्ति से पकड़े रहता है। दिन रात उसकी आराधना करता है…!” (वानरी भाव)

पर मैंने यह भाव नहीं अपनाया। ”मैं तो उस बिल्ली के बच्चे की भाँति थी, जो अपनी माँ को पकड़ता ही नहीं, बल्कि निश्चिन्त बैठा रहता है कि माँ है न, वह स्वयं ही मेरी रक्षा करेगी, और माँ सचमुच उसे अपने मुँह में टांग कर घूमती है। मैं भी निश्चिन्त थी कि तुम आओगे ही, तुम्हें क्या पकड़ना…।” (मार्जारी भाव)

राम मुस्कुराकर रह गए!!

भीलनी ने पुनः कहा- “सोच रही हूँ बुराई में भी तनिक अच्छाई छिपी होती है न… “कहाँ सुदूर उत्तर के तुम, कहाँ घोर दक्षिण में मैं!” तुम प्रतिष्ठित रघुकुल के भविष्य, मैं वन की भीलनी। यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो तुम कहाँ से आते..?”

राम गम्भीर हुए और कहा-

भ्रम में न पड़ो मां! “राम क्या रावण का वध करने आया है..?”

रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चलाकर भी कर सकता है।

राम हजारों कोस चलकर इस गहन वन में आया है, तो केवल तुमसे मिलने आया है मां, ताकि “सहस्त्रों वर्षों के बाद भी, जब कोई भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे, कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिलकर गढ़ा था।”

“जब कोई भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो काल उसका गला पकड़कर कहे कि नहीं! यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ, एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है।”

राम वन में बस इसलिए आया है, ताकि “जब युगों का इतिहास लिखा जाए, तो उसमें अंकित हो कि “शासन/प्रशासन और सत्ता” जब पैदल चलकर वन में रहने वाले समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, तभी वह रामराज्य है।”

(अंत्योदय)

राम वन में इसलिए आया है, ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतीक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं। राम रावण को मारने भर के लिए नहीं आया है माँ!

माता शबरी एकटक राम को निहारती रहीं।

राम ने फिर कहा-

राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता! “राम की यात्रा प्रारंभ हुई है, भविष्य के आदर्श की स्थापना के लिए।”

“राम राजमहल से निकला है, ताकि “विश्व को संदेश दे सके कि एक माँ की अवांछनीय इच्छओं को भी पूरा करना ही ‘राम’ होना है।”

“राम निकला है, ताकि “भारत विश्व को सीख दे सके कि किसी सीता के अपमान का दण्ड असभ्य रावण के पूरे साम्राज्य के विध्वंस से पूरा होता है।”

“राम आया है, ताकि “भारत विश्व को बता सके कि अन्याय और आतंक का अंत करना ही धर्म है।”

“राम आया है, ताकि “भारत विश्व को सदैव के लिए सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाए और खर-दूषणों का घमंड तोड़ा जाए।”

और

“राम आया है, ताकि “युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी शबरी के आशीर्वाद से जीते जाते है।”

शबरी की आँखों में जल भर आया था।

उसने बात बदलकर कहा- “बेर खाओगे राम..?”

राम मुस्कुराए, “बिना खाये जाऊंगा भी नहीं मां!”

शबरी अपनी कुटिया से झपोली में बेर लेकर आई और राम के समक्ष रख दिये।

राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा-

“बेर मीठे हैं न प्रभु..?”

“यहाँ आकर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ मां! बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है।”

सबरी मुस्कुराईं, बोली- “सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो, राम!”

मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को बारंबार सादर वन्दन

🙏🏻💐जय श्री सीताराम💐🙏

अप्रैल माह के तीज-त्योहार, व्रत-उपवास और विशेष दिवस

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अप्रैल 2023 के व्रत-त्योहार और दिवस की सूची यहाँ मिलेगी आपको. माह की शुरुआत कामदा एकादशी से होगी और महावीर जयंती, हनुमान जन्मोत्सव, मेष संक्रांति, बैसाखी, ईद-उल फितर और अक्षय तृतीया सहित कई छोटे बड़े तीज त्योहार आ रहे हैं…

01 अप्रैल 2023, शनिवार👉 कामदा एकादशी

03 अप्रैल 2023, सोमवार👉 चैत्र शुक्ल प्रदोष व्रत

04 अप्रैल 2023, मंगलवार👉 महावीर जयंती

05 अप्रैल 2023, बुधवार👉 चैत्र पूर्णिमा व्रत

06 अप्रैल 2023, गुरुवार👉 हनुमान जयंती

07 अप्रैल 2023, शुक्रवार👉 वैशाख मास प्रारंभ

09 अप्रैल 2023, रविवार👉 संकष्टी चतुर्थी व्रत

13 अप्रैल 2023, गुरुवार👉 कालाष्टमी

14 अप्रैल 2023, शुक्रवार👉 बैसाखी, मेष संक्रांति, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

16 अप्रैल 2023, रविवार👉 बरूथिनी एकादशी व्रत

17 अप्रैल 2023, सोमवार👉 मासिक प्रदोष व्रत

18 अप्रैल 2023, मंगलवार👉 मासिक शिवरात्रि

20 अप्रैल 2023, गुरुवार👉 सूर्य ग्रहण ‘संकरित’

21 अप्रैल 2023, शुक्रवार👉 ईद-उल फितर

22 अप्रैल 2023, शनिवार👉 अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती

23 अप्रैल 2023, रविवार👉 विनायक चतुर्थी व्रत, शंकराचार्य जयंती

27 अप्रैल 2023, गुरुवार👉 गंगा सप्तमी

28 अप्रैल 2023, शुक्रवार👉 माता बगलामुखी जयंती

29 अप्रैल 2023, शनिवार👉 सीता नवमी

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है बाकी तो मौत का आनन्द ही लेता है इंसान
अंत तक पूरा पढ़ना
✍️ मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है
मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है
बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
पाए का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ ।
न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के। 
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा
स्वाद से व्यवसाय बन गई मौत ।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स । नाम #पालन और उद्देश्य #हत्या !
“स्लाटर हाउस” तक खोल दिए, वह भी आधिकारिक ! गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का व्यवसाय नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका व्यवसाय इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है
जो हमारी तरह बोल नही सकते, अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं, उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ? कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ? या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?
भोजन की मेज पर हड्डियां नोचता पिता बच्चों को सीख देत है, बेटा कभी किसी का दिल नहीं दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आँख में तुम्हारे कारण से आँसू नहीं आना चाहिए !
बच्चों में झुठे संस्कार डालते पिता को, अपने हाँथ में वह हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक माँ थी …?? जिसे काटा गया होगा ? जो कराहा होगा ? जो तड़पा होगा ? जिसकी आहें निकली होंगी ? जिसने श्राप भी दिया होगा ?
कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ??
क्या मूक पशु उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं ? क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ?
कोरोना वायरस उन जानवरों के लिए, ईश्वर के अवतार से कम नहीं था
जब इस वायरस का कहर बरपा था, पशु स्वच्छंद घूम रहे थे । पक्षी चहचहा रहे थे ।
उन्हें पहली बार इस धरती पर अपना भी कुछ अधिकार सा नज़र आया था । पेड़ पौधे ऐसे लहलहा रहे थे, जैसे उन्हें नई जिंदगी मिली हो । धरती को भी जैसे सांस लेना आसान हो गया हो
सृष्टि के निर्माता द्वारा रचित करोङो करोड़ योनियों में से एक कोरोना ने हमें हमारी औकात बता दी । घर में घुस के मारा है और उसका हम सब, कुछ नही बिगाड़ सके । प्रार्थना प्रेयर कर रहे थे और भीख माँग रहे थे उससे, कि वो हमें बचा ले
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो
कभी सोचा …!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
या स्वयं को ?
मंगलवार को नानवेज नही खाता …!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं …!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ….!!!
झूठ पर झूठ….
…झूठ पर झूठ
..झूठ पर झूठ .. ?
ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी ताकि नाना योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का मार्ग ढूँढ सको परन्तु तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया
तुम्हीं कहते थे, कि हम जो प्रकति को देंगे, वही प्रकृति हमें लौटायेगी मौतें दीं हैं हमने प्रकृति को, तो मौतें ही लौट रही हैं
बढो …!!!
आलिंगन करो मौत का
यह संकेत है ईश्वर का प्रकृति के साथ रहो प्रकृति के होकर रहो अन्यथा ईश्वर अपनी ही बनाई कई योनियों को धरती से हमेशा के लिए विलुप्त कर चुके हैं और आगे भी ऐसा करने में उन्हें एक क्षण भी नही लगेगा
“हर हर महादेव”
☀️🙏☀️🙏☀️🙏

हिंदू लङकियाँ सतर्क रहें और सावधान रहें, वरना नई मुसीबत के लिए तैयार रहिएगा…🤔

बहुतों को शायद ये पता न हो कि दरगाहों मे एक बेड़ी बाँधने और काटने की रस्म होती है। दरगाह मे जाकर मन्नत माँगने वाली लड़की के पैर मे काले रंग के धागे से बेड़ी बाँध दी जाती है।

ये बेड़ी कथित मन्नत के पूरा होने पर दरगाह मे जाकर खादिम से कटवाई जाती है, तब जाकर वो लड़की बेड़ी कटवाकर मुक्त होती है।

ये मजारों के खादिमों का नया टंटा है, जिसमे अधिकतर हिन्दू लड़कियां दरगाहों पर बेड़ी बँधवा रही हैं। इसकी शुरुआत कलियर शरीफ से हुई थी… यह भोली भाली हिन्दू लड़कियों को फ़साने का टोटका है जो बहुत हद तक कामयाब हो रहा है।

आजकल हर छोटी बडी दरगाह मे यही बाँधने काटने का धंधा चाल रहा है। पैर के पास जहां पायल या धागा पहनते है उस जगह पर मंगल ग्रह का निवास माना जाता है और मंगल ग्रह को काली चीज पसंद नही इसलिए काला धागा पैरों में नही पहनना चाहिए। इससे अशुभ हो सकता है। 

कई लडकियों और लेडीज के पैर में ऐसा धागा देखा है पर तब पता नही था कि ये धागा किसलिए है। सोचा कि फैशन होगा। यदि आप ऐसा धागा पहने किसी लडकी को देखें तो उसे समझाएं। वर्ना वो भी अगली “श्रद्धा” बनने की राह पर है और फिर सूटकेस में पैक होगी।

परंतु फिर भी कुछ लोग पैरों में काला धागा बांधने के पीछे अपने अज्ञानता पूर्ण तर्क देते हैं।

बेटी की विदाई डोली में ही उत्तम लगती है। क्योंकि वह लक्ष्मजि स्वरूप है। दुर्भाग्य से जिन परिवारों की लडकी भगा ली जाती है उनका दर्द ब्लात्कार या हत्या से भी बडा होता है।

माना किसी परिवार की एक बिटिया है नाजों पली गुडिया सी। पढाया-लिखाया, बीएड करवाया। सबने बोला शादी कर दो, साल बाद आप रिटायर होने वाले हो। हाँ-हाँ-हूँ-हूँ में दिन गुजर गए । कौचिंग के लिए बेटी को शहर भेजा तो वहां किसी शिकारी के हत्थे चढ गई, और इसके बाद उस शिकारी लडके के मामा ने फोन पर रिश्ता जोडने के लिए पूछा तो लडकी के बाप ने मना कर दिया। बात आई-गई हो गई। एक दिन लडकी फूर्र हो गई, पता चला कोर्ट मैरिज कर लिया ।

बात तो सामान्य है। लेकिन सभी के परिवारों में जाकर देखो, एक न भूलने वाला दर्द समा जाता है बेबसी इतनी कि बलात्कार के खिलाफ तो माँ बाप कोर्ट में भी जा सकते है लेकिन इस मामले में माँ बाप क्या करें जब कोर्ट ने ही शादी करवाई हो ? बिना माता-पिता की सहमति से कोर्ट में शादी, शायद इसका सामाजिक अध्ययन किसी ने भी नहीं किया कि यह भी बलात्कार जितना बडा ही अपराध है या उससे भी बडा ?

खैर इसके बाद वो दोस्त इसकी रिपोर्ट लिखाने थाने गए, थानेदार ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा- लडकी १८ साल हो गई तो समझ लो ये बेटी नहीं बंम है। यह कभी भी फट सकता है और आपके परिवार का विनाश कर सकता है । कानून ही ऐसा बना दिया गया है कि पुलिस तो क्या जज भी कुछ नहीं कर सकता। पहले तो कोर्ट मैरिज से महीने भर पहले नोटिस देना पडता था जिससे व्यक्ति महीने भर के अन्दर मामला संभाल सकता था लेकिन अब तो साथ रहने के लिए शादी करवाने की भी जरुरत नहीं है, बस इतना सा लिख कर देने की जरुरत है कि मैं अमुक के साथ रहना चाहती हूँ कोई मुझे तंग न करे ( लिव इन रिलेशनशिप )। अब ऐसे कांड होने लगे (और कोर्ट भी मददगार होने लगा ) तो सोचो कौन बेटी बचाएगा और कौन बेटी पढाएगा ?

अपनी मर्जी क्या होती है ?

अपनी पसंद का लडका चुनना या फिर अपनी पसंद का की जाति बरादरी का लडका चुनना या अपनी पसंद की शक्ल सूरत का लडका चुनना। हाँ ठीक है, इस पर किसी को ऐतराज नहीं हो सकता और संकीर्णताएं टूटनी भी चाहिए । लेकिन क्या अपनी पसंद का बेरोजगार चुनने, अपने पसंद के नशेडी को चुनने की आजादी भी दी जा सकती है ?

जिस मा-बाप ने लडकी को इतने सालों तक पाला-पोसा, क्या उन्हें इतना भी हक नहीं कि कोर्ट में शादी से पहले उन्हें बुलाया जाए और उनकी बात भी सुनी जाए ? हो सकता है मा-बाप भी गलत हो लेकिन उन्हें बुलाना तो चाहिए। यदि माता-पिता की आपत्ति गैर जरुरी है तो खारिज कर शादी की अनुमति दे दो, इसमें हर्ज ही क्या है ?

तलाक़ के वक्त कोर्ट सो नुक्ताचीनी करता है और दोनों की सहमति होने के बावजूद छः माह सोचने का वक्त दिया जाता है लेकिन शादी में ? शादी के समय तो यह भी नहीं पूछा जाता कि कि वो रोटी कहां से खिलाएगा ? और यदि कल को तलाक़ के लिए आते है तो यह लडकी कहां जाएगी ? फिर से बाप के पास जिसे ठुकराकर उसने शादी की थी ? आप माता-पिता को बुलाइए, उनसे पूछिए कि आपको शादी से आपत्ति क्यों है ? आम तौर पर होता है है कि लडका चपरासी भी नहीं लगा होता लेकिन खुद को इंजिनियर बताकर लडकी को झांसा देकर फांस लेता है । बहुत बार तो ऐसा भी होता है कि लडके किसी अपराधिक गिरोह के सदस्य होते है।