आज का पंचाग आपका राशि फल, हनुमान चालीसा अतीव प्रभावशाली और वांछित फलदायी है, महाभारत का चक्रव्यूह अब तक का सबसे बड़ा युद्ध, बाजीराव पेशवा इतिहास के गिने चुने योद्धा, जब आरएसएस को आरडी परेड में सम्मलित किया गया

𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

                  *श्री हरिहरो* 

                *विजयतेतराम*

        *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

        आज का पञ्चाङ्ग 

*मंगलवार, १० जनवरी २०२३*

सूर्योदय: 🌄 ०७:१५

सूर्यास्त: 🌅 ०५:३८

चन्द्रोदय: 🌝 २०:३४

चन्द्रास्त: 🌜०९:३६

अयन 🌖 दक्षिणायने

(दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🎄 शिशिर

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)

मास 👉 माघ

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि👉तृतीया(१२:०९से चतुर्थी

नक्षत्र 👉 आश्लेशा (०९:०१ 

से मघा)

योग 👉 प्रीति (११:२० से 

आयुष्मान)

प्रथम करण👉विष्टि(१२:०९ तक)

द्वितीय करण👉बव(२५:२१ तक)

॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 धनु

चंद्र 🌟 सिंह (०९:०१)

मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,वक्री)

बुध🌟धनु(अस्त,पश्चिम,वक्री)

गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)

शुक्र🌟मकर(उदित,पश्चिम)

शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,मार्गी)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०४ से १२:४५

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०७:१४ से ०९:०१

विजय मुहूर्त 👉 १४:०८ से १४:४९

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:३२ से १७:५९

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:३५ से १८:५६

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५७ से २४:५२

राहुकाल 👉 १४:५९ से १६:१७

राहुवास 👉 पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०९:४९ से ११:०७

होमाहुति 👉 मंगल

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 पाताल (१२:०९ से पृथ्वी)

भद्रावास 👉 मृत्यु (१२:०९ तक)

चन्द्रवास 👉 उत्तर (पूर्व ०९:०१ से) 

शिववास 👉 क्रीड़ा में (१२:०९ से कैलाश पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – रोग २ – उद्वेग

३ – चर ४ – लाभ

५ – अमृत ६ – काल

७ – शुभ ८ – रोग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – काल २ – लाभ

३ – उद्वेग ४ – शुभ

५ – अमृत ६ – चर

७ – रोग ८ – काल

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पूर्व-उत्तर (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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संकष्ट माघी तिल चतुर्थी आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०९:०१ तक जन्मे शिशुओ का नाम आश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (डो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम मघा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मा, मी, मू, मे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

धनु – २९:३१ से ०७:३५

मकर – ०७:३५ से ०९:१६

कुम्भ – ०९:१६ से १०:४२

मीन – १०:४२ से १२:०५

मेष – १२:०५ से १३:३९

वृषभ – १३:३९ से १५:३४

मिथुन – १५:३४ से १७:४९

कर्क – १७:४९ से २०:११

सिंह – २०:११ से २२:२९

कन्या – २२:२९ से २४:४७

तुला – २४:४७ से २७:०८

वृश्चिक – २७:०८ से २९:२८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०७:१४ से ०७:३५

रज पञ्चक – ०७:३५ से ०९:०१

शुभ मुहूर्त – ०९:०१ से ०९:१६

चोर पञ्चक – ०९:१६ से १०:४२

शुभ मुहूर्त – १०:४२ से १२:०५

शुभ मुहूर्त – १२:०५ से १२:०९

चोर पञ्चक – १२:०९ से १३:३९

शुभ मुहूर्त – १३:३९ से १५:३४

रोग पञ्चक – १५:३४ से १७:४९

शुभ मुहूर्त – १७:४९ से २०:११

मृत्यु पञ्चक – २०:११ से २२:२९

अग्नि पञ्चक – २२:२९ से २४:४७

शुभ मुहूर्त – २४:४७ से २७:०८

रज पञ्चक – २७:०८ से २९:२८

शुभ मुहूर्त – २९:२८ से ३१:१४

आज का राशिफल

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप अपनी विद्या बुद्धि से असम्भव को संभव करने में सफल रहेंगे आज जिस कार्य को करने के लिये सभी मना करेंगे आपको वही करने में आनंद आएगा। कार्य व्यवसाय में अनुकूल वातावरण मिलेगा सहकर्मियो का अड़ियल रवैया कुछ समय के लिये परेशानी में डालेगा फिर भी अपने दम पर कार्यो को रुकने नही देंगे हाथ आये सौदों से हर हाल में लाभ उठाकर ही मानेंगे। भाग्य का साथ भी रहने से किसी भी कार्य को बनाने में ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ेगी। धन की आमद आशा से कम ही रहेगी। आज किसी घर अथवा व्यावसाय के कारण जमा पूंजी से खर्च करना पड़ेगा। संध्या के समय मन मे बेचैनी रहेगी फिर भी दिन भर की गतिविधियों से संतोष होगा। संतान की सेहत अथवा अन्य कारणों से परेशानी होगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन मिलाजुला फल देगा आज भी दिन के आरंभ में घर मे पुराने विवाद के कारण परिजनों से मतभेद उभरेंगे लेकिन बीते कल की तुलना में आज धर्य रहने से इससे बचने का प्रयास करेंगे किसी की बातों का प्रतिशोध नही लेंगे लेकिन मन ही मन दुखी रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी जिससे सोची हुई योजना को फलीभूत करना आज सम्भव नही होगा फिर भी व्यवहार बनाये रखे अन्यथा कोई अन्य लाभ उठा लेगा। जमीन संबंधित कोई भी कार्य आज ना करें हासिल कुछ नही होगा ऊपर से व्यर्थ दुश्मनी बढ़ेगी। संध्या के समय भाग्य का साथ मिलने से आकस्मिक धन लाभ होगा। आर्थिक परेशानी से बचने के लिये दैनिक खर्च में मितव्ययता बरते। महिला वर्ग आज अंदर से जली भुनी रहेंगी इनसे व्यर्थ बोलने से बचे। पति-पत्नी दोनों एक ही समस्या से ग्रस्त रहेंगे।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आप अपने पराक्रम से लाभ कमाएंगे। आज जहां से कोई उम्मीद नही रहेगी वहां से भी कुछ ना कुछ प्राप्त कर लेंगे। कार्य क्षेत्र का वातावरण अस्त व्यस्त रहेगा सांझेदारो से अनबन होने की संभावना है परन्तु आज एकल व्यवसाय अथवा पैतृक कार्य से अधिक लाभ होगा। संचित धन में वृद्धि होगी भविष्य के लिए भी नई योजना बनाएंगे। घर मे संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है अपना पक्ष रखने से पहले अन्य लोगो की राय जाने इसके बाद ही कोई निर्णय ले। पिता से काम निकालना आसान नही रहेगा इसलिये माता से मधुर संबंध रखे किसी न किसी रूप में अवश्य लाभ होगा। सेहत में आज कुछ न कुछ गड़बड़ लगी रहेगी खाने पीने में विशेष सावधानी रखें पेट की समस्या अन्य बीमारियों को जन्म देगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन बीते कल की तुलना में उदासीन रहेगा दिन के आरम्भ से ही कार्यो में लापरवाही बरतेंगे दिनचर्या भी आज धीमी गति से चलेगी। धन संबंधित मामले दिमाग मे बैठे रहने पर भी आज परिस्थिति ज्यादा लाभदायक नही रहने के कारण मन को संतोष देना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय सामान्य रहेगा फिर भी धन की आवक में कमी आएगी। उधारी के व्यवहारों को लेकर मन मे चिंता रहेगी सामर्थ्य होने पर भी चुकाने में आनाकानी करेंगे जिससे छवि खराब हो सकती है। घर का वातावरण खुशनुमा रहेगा परिजन भविष्य की योजनाओ पर विचार करेंगे लेकिन एकराय ना होने से योजना बनते बनते ढीली पड़ेंगी। पिता से भी आंतरिक मतभेद होंगे पर प्रदर्शन नही करेंगे। आलस्य को छोड़ सेहत ठीक रहेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन शुभफलदायक रहेगा घर मे माता अथवा अन्य स्त्री से संबंधों में कटुता आएगी परिजनों से आज किसी न किसी बात पर मतभेद ही रहेंगे फिर भी अन्य क्षेत्र पर आपकी छवि भद्र इंसान के रूप में बनेगी स्वभाव में भी व्यवहारिकता रहने से किसी को निराश नही करेंगे अपने कार्य छोड़ अन्य लोगो की समस्या सुलझाने में तत्पर रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आर्थिक उलझने बनेगी धन की कमी के कारण बनी बनाई योजना अधर में रह सकती है। उधारी वाले व्यवहार चुकाने में संचित कोष में कमी आएगी। मध्यान तक ज्यादा परिश्रम करने से बचेंगे पर एक बार धन लाभ होने पर लालच बढेगा। संध्या के आस पास काम चलाऊ धन की आमद हो जाएगी। संध्या बाद परिजनों की समस्या परेशान करेंगी सुलझाने की जगह टालने के प्रयास करेंगे। थकान को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन विपरीत फलदायक बना है लेकिन आज कल की तुलना में कुछ राहत भी मिलेगी। दिन के पूर्वार्ध से ही किसी विशेष कार्य को लेकर चिंतित रहेंगे मध्यान तक मन दुविधा में रहेगा हानि के डर से कार्य करने का मन नही करेगा निवेश करनी भी घबराएंगे। संध्या से स्थिति में सुधार आने लगेगा छूट पुट अशुभ समाचार भी मिलेंगे लेकिन घबराए ना आगे से समय आपके पक्ष में बनने लगेगा खराब समय मे मिला अनुभव आगे के लिए सुधार लाएगा। धन लाभ की आशा आज ना रखें खर्च चलाने के लिये भी किसी से मांगने अथवा संचित कोष से निकालने पड़ेंगे। कार्य स्थल पर किसी से अथवा परिजनो के हाथ टूट फुट या किसी अन्य रूप में नुकसान होगा बौखलाहट से बचे संबंध खराब होने पर वापस सामान्य होने में काफी समय लग सकता है।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन आपका ध्यान एक साथ दो कार्यो से लाभ उठाने पर रहेगा धन की आमद तो आज अवश्य ही होगी लेकिन एक समय मे एक ही कार्य हाथ लेने से दुविधा में पड़ने से बचेंगे। दिन के आरंभ में विविध उलझने मानसिक रूप से परेशान करेंगी लेकिन मध्यान के समय कही से लाभदायक समाचार मिलने से राहत मिलेगी कार्यो के प्रति उत्साह भी बढ़ेगा। आज नीति को छोड़ अनैतिक मार्ग से लाभ की संभावनाए अधिक रहेंगी प्रलोभन के कारण इनका विचार नही करेंगे। व्यवहारिकता आज कम ही रहेगी वाणी में रूखापन रहेगा जिससे नए बने संबंधों में खटास आएगी। कामुकता अधिक रहने कनकार्न परिजनों के आगे शर्मिंदा हो सकते है। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपके भविष्य का निर्धारण करेगा दिन के आरंभ में आलस्य के कारण किसी आवश्यक कार्य मे विलंब होगा निरस्त भी हो सकता है इसके बाद ही स्वभाव में गंभीरता आएगी। ध्यान रखें आज की मेहनत तुरंत लाभ नही देगी लेकिन आने वाले कल धन लाभ आशा से अधिक हो सकता है। आज आपके अधिकांश कार्य अंतिम चरण पर पहुचकर किसी कमी के कारण आगे के लिये टलेंगे। धन की आमद के लिये किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन पूर्व में किये गलत व्यवहार के कारण सहयोग मिलने में परेशानी आएगी। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य संध्या से पहले करले कल धन को छोड़ अन्य कोई कार्य सफल नही होगा। आज मानसिकता खर्च करने वाली रहेगी इससे परिजन और स्वयं प्रसन्न ही रहेंगे।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन भी आपको अनुकूल वातावरण मिलने से मन के अनुसार कार्य कर सकेंगे दिन के आरम्भ में किसी कार्य को करने की जल्दी में गलती कर पछतायेंगे पर मध्यान बाद का समय आपकी आशाओं पर खरा उतरेगा। काम धंदे में अन्य प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ लाभ के नए मार्ग बनाएंगे पूर्व में की मेहनत के कारण इसके हकदार भी आपही रहेंगे। धन की आमद आज थोड़ी मात्रा में लेकिन कई साधनों से होगी। आर्थिक स्थिति भी बेहतर बनने से सुखोपभोग की मानसिकता बढ़ेगी घर के बुजुर्गों से घर के बजट को लेकर विचारों में भिन्नता रहेगी। केवल पिता को छोड़ अन्य सभी परिजनों को लुभाने में सफल रहेंगे लेकिन अंत मे आवश्यकता पिता की ही पड़ेगी। ठंड से बचे सेहत खराब हो सकती है।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन किसी ना किसी करण से सेहत संबंधित समस्या लगी रहेगी स्वभाव में चिड़चिड़ाहट और जिद रहने से जो भी संपर्क में आएगा उसे परेशानी होगी। आप किसी को कुछ भी कहे लेकिन किसी की सुनेंगे बिल्कुल नही। मध्यान बाद स्वभाव में कुछ स्थिरता आएगी काम धंधे को लेकर गंभीर होंगे आय के अवसर भी मिलेंगे परन्तु आज जितनी भी आय होगी आने से पहले जाने का रास्ता बना लेगी। संध्या के समय थकान रहने पर भी मन मौज शौक एवं अन्य अनर्गल कार्यो में भटकेगा धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी हो सकती है लेकिन पर्यटन मात्र ही। पैतृक संपर्क से जहां लाभ खोज रहे है वहां माता के सहयोग से ही लाभ हो सकता है व्यवहारिक रहें वरना कामना पूर्ति नही हो पाएगी। विपरीत लिंगीय वर्ग से अच्छी पटेगी।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन विजय दिलाने वाला है योजनाबद्ध होकर कार्य करे तो आज विचारे कार्यो में अवश्य सफलता मिल सकती है। दिन के आरंभ और अंत के समय अनैतिक कार्यो में मन भटकेगा इससे बचने का प्रयास करें अन्यथा इसी में फंस कर रह जाओगे। नौकरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र पर आज सहकर्मियो से ही प्रतिस्पर्धा रहने के कारण बड़ी असमंजस की स्थिति से गुजरना पड़ेगा फिर भी अन्य लोगो की तुलना में आपका कार्य बेहतर रहने से प्रसंशा के हकदार बनेंगे। व्यवसायी वर्ग को भी उतार चढ़ाव देखने के बाद ही प्रयासों में सफलता मिलेगीधन की आमद अवश्य होगी लेकिन कही न कही खर्च भी हो जाएगी। आँख में जलन अथवा शारीरिक शिथिलता 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपको अनुकूल फल मिलेंगे आपका ध्यान भविष्य को सुरक्षित बनाने पर रहेगा। आर्थिक कार्यो में रुचि अधिक रहेगी मन मे धन संबंधित तिकडम लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय में दोपहर तक भागदौड़ के बाद धन की आवक होने लगेगी जो कि संध्या बाद तक रुक रुक कर होती रहने से आर्थिक पक्ष मजबूत बनेगा। अपने कार्य आज स्वयं करने का प्रयास करें अन्य के ऊपर थोपने से क्लेश हो सकता है। घर का वातावरण अशांत रहेगा भाई बंधुओ से अहम को लेकर तकरार अथवा बोलचाल में कमी आएगी। पति-पत्नी में भी कुछ न कुछ नोकझोंक लगी रहेगी फिर भी स्थिति गंभीर नही हो पाएगी। स्वयं अथवा परिजनों की सेहत को लेकर खर्च होगा।

हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का चमत्कार

आज हर व्यक्ति अपने जीवन मे सभी भौतिक सुख साधनो की प्राप्ति के लिये भौतिकता की दौड मे भागते हुए किसी न किसी समस्या से ग्रस्त है। एवं व्यक्ति उस समस्या से ग्रस्त होकर जीवन में हताशा और निराशा में बंध जाता है। 

व्यक्ति उस समस्या से अति सरलता एवं सहजता से मुक्ति तो चाहता है पर यह सब केसे होगा? उस की उचित जानकारी के अभाव में मुक्त हो नहीं पाते। और उसे अपने जीवन में आगे गतिशील होने के लिए मार्ग प्राप्त नहीं होता। एसे मे सभी प्रकार के दुख एवं कष्टों को दूर करने के लिये अचुक और उत्तम उपाय है हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ 

 

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण ही क्यों ?

 

क्योकि वर्तमान युग में श्री हनुमानजी शिवजी के एक एसे अवतार है जो अति शीघ्र प्रसन्न होते है जो अपने भक्तो के समस्त दुखो को हरने मे समर्थ है। श्री हनुमानजी का नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तो के सारे संकट दूर हो जाते हैं। क्योकि इनकी पूजा-अर्चना अति सरल है, इसी कारण श्री हनुमानजी जन साधारण मे अत्यंत लोकप्रिय है। इनके मंदिर देश-विदेश सवत्र स्थित हैं। अतः भक्तों को पहुंचने में अत्याधिक कठिनाई भी नहीं आती है। हनुमानजी को प्रसन्न करना अति सरल है

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ के माध्यम से साधारण व्यक्ति भी बिना किसी विशेष पूजा अर्चना से अपनी दैनिक दिनचर्या से थोडा सा समय निकाल ले तो उसकी समस्त परेशानी से मुक्ति मिल जाती है।

“यह न तो सुनी सुनाई बात है ना किसी पुस्तक मे लिखी बात है, यह स्वयं हमारा निजी एवं हमारे साथ जुडे लोगो के अनुभत है।”

उपयोगी जानकारी ,,,,हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के नियमित पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए प्रस्तुत हैं कुछ उपयोगी जानकारी – 

• नियमित रोज सुबह स्नान आदिसे निवृत होकर स्वच्छ कपडे पहन कर ही पाठ का प्रारम्भ करे।

 

• नियमित पाठ में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है। 

 

• हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ करते समय धूप-दीप अवश्य लगाये इस्से चमत्कारी एवं शीघ्र प्रभाव प्राप्त होता है।

 

• दीप संभव न होतो केवल ३ अगरबत्ती जलाकर ही पाठ करे।

 

• कुछ विद्वानो के मत से बिना धूप से हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ प्रभाव हीन होता है।

 

• यदि संभव हो तो प्रसाद केवल शुद्ध घी का चढाए अन्य था न चढाए।

 

• जहा तक संभव हो हनुमान जी का सिर्फ़ चित्र (फोटो) रखे ।

 

• यदि घर मे अलग से पूजा घर की व्यवस्था हो तो वास्तुशास्त्र के हिसाब से मूर्ति रखना शुभ होगा। नही तो हनुमान जी का सिर्फ़ चित्र (फोटो) रखे। rpd

 

• यदि मूर्ति हो तो ज्यादा बडी न हो एवं मिट्टी कि बनी नही रखे। 

 

• मूर्ति रखना चाहे तो बेहतर है सिर्फ़ किसी धातु या पत्थर की बनी मूर्ति रखे।

 

• हनुमान जी का फोटो/ मूर्ति पर सुखा सिंदूर लगाना चाहिए। 

 

• नियमित पाठ पूर्ण आस्था, श्रद्धा और सेवा भाव से की जानी चाहिए। उसमे किसी भी तरह की संका या संदेह न रखे।

 

• सिर्फ़ देव शक्ति की आजमाइस के लिये यह पाठ न करे। 

• या किसी को हानि, नुक्सान या कष्ट देने के उद्देश्य से कोइ पूजा पाठ नकरे।

 

• एसा करने पर देव शक्ति या इश्वरीय शक्ति बुरा प्रभाव डालती है या अपना कोइ प्रभाग नहि दिखाती! एसा हमने प्रत्यक्ष देखा है। 

 

• ऐसा प्रयोग करने वालो से हमार विनम्र अनुरोध है कृप्या यह पाठ नकरे। 

 

• समस्त देव शक्ति या इश्वरीय शक्ति का प्रयोग केवल शुभ कार्य उद्देश्य की पूर्ति के लिये या जन कल्याण हेतु करे।

 

• ज्यादातर देखा गया है की १ से अधिक बार पाठ करने के उद्देश्य से समय के अभाव मे जल्द से जल्द पाठ कने मे लोग गलत उच्चारण करते है। जो अनुचित है। 

 

• समय के अभाव हो तो ज्यादा पाठ करने कि अपेक्षा एक ही पठ करे पर पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा से करे।

 

• पाठ से ग्रहों का अशुभत्व पूर्ण रूप से शांत हो जाता है।

 

• यदि जीवन मे परेशानीयां और शत्रु घेरे हुए है एवं आगे कोइ रास्ता या उपाय नहीं सुझ रहा तो डरे नही नियमित पाठ करे आपके सारे दुख-परेशानीयां दूर हो जायेगी आस्था एवं विश्वास रखें।

विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध। इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था। ‘चक्र’ यानी ‘पहिया’ और ‘व्यूह’ यानी ‘गठन’। पहिए के जैसे घूमता हुआ व्यूह है चक्रव्यूह। कुरुक्षेत्र युद्ध का सबसे खतरनाक रण तंत्र था चक्रव्यूह। यधपि आज का आधुनिक जगत भी चक्रव्यूह जैसे रण तंत्र से अनभिज्ञ हैं, चक्रव्यूह या पद्मव्यूह को भेदना असंभव था।

कौन कौन जनता था चक्रव्यूह :
द्वापरयुग में केवल सात लोग ही इसे भेदना जानते थे। भगवान कृष्ण के अलावा अर्जुन, भीष्म, द्रॊणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थाम और प्रद्युम्न ही व्यूह को भेद सकते थे जानते हैं, अभिमन्यु केवल चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करना जानता था।

चक्रव्यूह की रचना :
चक्रव्यूह में कुल सात परत होती थी। सबसे अंदरूनी परत में सबसे शौर्यवान सैनिक तैनात होते थे। यह परत इस प्रकार बनाये जाते थे कि बाहरी परत के सैनिकों से अंदर की परत के सैनिक शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा बलशाली होते थे। सबसे बाहरी परत में पैदल सैन्य के सैनिक तैनात हुआ करते थे। अंदरूनी परत में अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित हाथियों की सेना हुआ करती थी। चक्रव्यूह की रचना एक भूल भुलैय्या के जैसे हॊती थी जिसमें एक बार शत्रू फंस गया तो घनचक्कर बनकर रह जाता था। चक्रव्यूह में हर परत की सेना घड़ी के कांटे के जैसे ही हर पल घूमता रहता था। इससे व्यूह के अंदर प्रवेश करने वाला व्यक्ति अंदर ही खॊ जाता और बाहर जाने का रास्ता भूल जाता था। महाभारत में व्यूह की रचना गुरु द्रॊणाचार्य ही करते थे। चक्रव्यूह को युग का सबसे सर्वेष्ठ सैन्य दल माना जाता था। इस व्यूह का गठन युधिष्टिर को बंदी बनाने के लिए ही किया गया था। माना जाता है कि 48X128 किलॊमीटर के क्षेत्र फल में कुरुक्षेत्र नामक जगह पर युद्ध हुआ था जिसमें भाग लेने वाले सैनिकों की संख्या 1.8 मिलियन था! चक्रव्यूह को घुमता हुआ मौत का पहिया भी कहा जाता था। क्यों कि एक बार जो इस चक्रव्यूह के अंदर गया वह कभी बाहर नहीं आ सकता था। यह पृथ्वी की ही तरह अपने अक्स में घूमता था साथ ही साथ हर परत भी परिक्रमा करती हुई घूमती थी। इसी कारण से बाहर जाने का द्वार हर वक्त अलग दिशा में बदल जाता था जो शत्रु को भ्रमित करता था,अद्धभुत और अकल्पनीय युद्ध तंत्र था चक्रव्यूह। आज का आधुनिक जगत भी इतने उलझे हुए और असामान्य रण तंत्र को युद्ध में नहीं अपना सकता है। ज़रा सॊचिये कि सहस्त्र सहस्त्र वर्ष पूर्व चक्रव्यूह जैसे घातक युद्ध तकनीक को अपनाने वाले कितने बुद्धिवान रहें होंगे। चक्रव्यूह ठीक उस आंधी की तरह था जो अपने मार्ग में आनेवाले हर उस चीज को तिनके की तरह उड़ाकर नष्ट कर देता था। इस व्यूह को भेदने की जानकारी केवल सात लोगों के ही पास थी। अभिमन्यू व्यूह के भीतर प्रवेश करना जानता था लेकिन बाहर निकलना नहीं जानता था। इसी कारण वश कौरवों ने छल से अभिमन्यू की हत्या कर दी थी। माना जाता है कि चक्रव्यूह का गठन शत्रु सैन्य को मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना जर्जर बनाता था कि एक ही पल में हज़ारों शत्रु सैनिक प्राण त्याग देते थे। कृष्ण, अर्जुन, भीष्म, द्रॊणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थाम और प्रद्युम्न के अलावा चक्रव्यूह से बाहर निकलने की रणनीति किसी के भी पास नहीं थी। अपको जानकर आश्चर्य होगा कि संगीत या शंख के नाद के अनुसार ही चक्रव्यूह के सैनिक अपने स्थिती को बदल सकते थे। कॊई भी सेनापती या सैनिक अपनी मन मर्ज़ी से अपनी स्थिती को बदल नहीं सकता था। अद्भूत अकल्पनीय सदियों पूर्व ही इतने वैज्ञानिक रीति से अनुशासित रणनीति का गठन करना सामान्य विषय नहीं है।

महाभारत युद्ध में कितनी बार बना था ?
चक्रव्यूह महाभारत के युद्ध में कुल तीन बार चक्रव्यूह का गठन किया था, जिनमें से एक में अभिमन्यू की मृत्यु हुई थी, केवल अर्जुन ने कृष्ण की कृपा से चक्रव्यूह को भेद कर जयद्रथ का वध किया था। हमें गर्व होना चाहिए कि हम उस देश के वासी है जिस देश में सदियों पूर्व के विज्ञान और तकनीक का अद्भुत निर्देशन देखने को मिलता है। निःसन्देह चक्रव्यूह न भूतो न भविष्यती युद्ध तकनीक था। न भूत काल में किसी ने देखा और ना भविष्य में कॊई इसे देख पायेगा। मध्य प्रदेश के 1 स्थान और कर्नाटक के शिवमंदिर में आज भी चक्रव्यूह बना हुआ है।

 

बाजीराव पेशवा जैसा अद्वितीय योद्धा इतिहास में गिनती के ही हैं। 

जिस व्यक्ति ने अपनी आयु के 20 वे वर्ष में पेशवाई के सूत्र संभाले हो… 40 वर्ष तक के कार्यकाल में 42 युद्ध लड़े हो और सभी जीते हो यानि जो सदा “अपराजेय” रहा हो… जिसके एक युद्ध को अमेरिका जैसा राष्ट्र अपने सैनिकों को पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ा रहा हो… ऐसे ‘परमवीर’ को आप क्या कहेंगे…?
आप उसे नाम नहीं दे पाएंगे… क्योंकि आपका उससे परिचय ही नहीं… सन 18 अगस्त सन् 1700 में जन्मे उस महान पराक्रमी पेशवा का नाम है “बाजीराव पेशवा”। जिनका इतिहास में कोई विस्तृत उल्लेख हमने नहीं पढ़ा… हम बस इतना जानते हैं कि संजय ‘लीला’ भंसाली की फिल्म है “बाजीराव-मस्तानी”।
“अगर मुझे पहुँचने में देर हो गई तो इतिहास लिखेगा कि एक राजपूत ने मदद मांगी और ब्राह्मण भोजन करता रहा।”
ऐसा कहते हुए भोजन की थाली छोड़कर बाजीराव अपनी सेना के साथ राजा छत्रसाल की मदद को बिजली की गति से दौड़ पड़े।
धरती के महानतम योद्धाओं में से एक, अद्वितीय, अपराजेय और अनुपम योद्धा थे बाजीराव बल्लाल।
छत्रपति शिवाजी महाराज का हिन्दवी स्वराज का सपना जिसे पूरा कर दिखाया तो सिर्फ बाजीराव बल्लाल भट्ट जी ने।
दरअसल जब औरंगजेब के दरबार में अपमानित हुए वीर शिवाजी आगरा में उसकी कैद से बचकर भागे थे तो उन्होंने एक ही सपना देखा था, पूरे मुगल साम्राज्य को कदमों पर झुकाने का। मराठा ताकत का अहसास पूरे हिंदुस्तान को करवाने का।
अटक से कटक तक, कन्याकुमारी से सागरमाथा तक केसरिया लहराने का और हिंदू स्वराज लाने के सपने को पूरा किया ब्राह्मण पेशवाओं ने, खासकर पेशवा ‘बाजीराव प्रथम’ ने।
इतिहास में शुमार अहम घटनाओं में एक यह भी है कि दस दिन की दूरी बाजीराव ने केवल पांच सौ घोड़ों के साथ 48 घंटे में पूरी की, बिना रुके, बिना थके!!
देश के इतिहास में ये अब तक दो आक्रमण ही सबसे तेज माने गए हैं। एक अकबर का फतेहपुर से गुजरात के विद्रोह को दबाने के लिए नौ दिन के अंदर वापस गुजरात जाकर हमला करना और दूसरा बाजीराव का दिल्ली पर हमला।
देश के इतिहास में ये सबसे तेज हमला बाजीराव के द्वारा दिल्ली पर हुआ था।
बाजीराव दिल्ली तक चढ़ आए थे। आज जहां तालकटोरा स्टेडियम है। वहां बाजीराव ने डेरा डाल दिया। उन्नीस-बीस साल के उस युवा ने मुगल ताकत को दिल्ली और उसके आसपास तक समेट दिया था।
तीन दिन तक दिल्ली को बंधक बनाकर रखा। मुगल बादशाह की लाल किले से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं हुई। यहां तक कि 12वां मुगल बादशाह और औरंगजेब का नाती दिल्ली से बाहर भागने ही वाला था कि उसके लोगों ने बताया कि जान से मार दिए गए तो सल्तनत खत्म हो जाएगी। वह लाल किले के अंदर ही किसी अति गुप्त तहखाने में छिप गया।
बाजीराव मुगलों को अपनी ताकत दिखाकर वापस लौट गए।
हिंदुस्तान के इतिहास के बाजीराव बल्लाल अकेले ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपनी मात्र 40 वर्ष की आयु में 42 बड़े युद्ध लड़े और एक भी नहीं हारे। अपराजेय, अद्वितीय।
बाजीराव पहले ऐसा योद्धा थे जिसके समय में 70 से 80% भारत पर उनका सिक्का चलता था। यानि उनका भारत के 70 से 80% भू भाग पर राज था।
बाजीराव बिजली की गति से तेज आक्रमण शैली की कला में निपुण थे जिसे देखकर दुश्मनों के हौसले पस्त हो जाते थे।
बाजीराव हर हिंदू राजा के लिए आधी रात मदद करने को भी सदैव तैयार रहते थे। पूरे देश का बादशाह एक हिंदू हो, ये उनके जीवन का लक्ष्य था। और जनता किसी भी धर्म को मानती हो, बाजीराव उनके साथ न्याय करते थे।
आप लोग कभी वाराणसी जाएंगे तो उनके नाम का एक घाट पाएंगे, जो खुद बाजीराव ने सन 1735 में बनवाया था। दिल्ली के बिरला मंदिर में जाएंगे तो उनकी एक मूर्ति पाएंगे। कच्छ में जाएंगे तो उनका बनाया ‘आइना महल’ पाएंगे, पूना में ‘मस्तानी महल’ और ‘शनिवार बाड़ा’ पाएंगे।
अगर बाजीराव बल्लाल, लू लगने के कारण कम उम्र में ना चल बसते, तो, ना तो अहमद शाह अब्दाली या नादिर शाह हावी हो पाते और ना ही अंग्रेज और पुर्तगालियों जैसी पश्चिमी ताकतें भारत पर राज कर पाती…!!
28 अप्रैल सन् 1740 को उस पराक्रमी “अपराजेय” योद्धा ने मध्यप्रदेश में सनावद के पास रावेरखेड़ी में प्राणोत्सर्ग किया। 
उन्हें शत शत नमन, वंदन 🚩
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) को कांग्रेस प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने 
26 जनवरी की परेड में क्यूं सम्मलित किया था ? 
कारण हम बताते हैं – 
स्थान -श्रीनगर (कशमीर)
समय – 1965 का युद्ध 
शत्रू तेज गति से आगे बढ रहे थे कशमीर को शीघ्र सैन्य मदद चाहिए थी।
   दिल्ली के सेना कार्यालय से श्रीनगर को संदेश प्राप्त हुआ कि किसी भी परिस्थिति में श्रीनगर के हवाई अड्डे पर शत्रु का कब्जा नहीं होना चाहिए।शत्रु नगर को जीत ले ,तो भी चलेगा,किन्तु हवाई अड्डा बचना चाहिए। हम हवाई जहाज से सेना के दस्ते भेज रहे है।
       ”हवाई अड्डे पर सर्वत्र हिम के ढेर लगे हैं।हवाई जहाज उतारना अत्यंत कठिन है।” श्रीनगर सें यह प्रतिउतर आया।
“मजदुर लगाकर तुरन्त हटाइए।चाहे कितनी भी मजदूरी देनी पड़े और इस काम के लिए कितने भी मजदूर लगाने पड़े,व्यवस्था कीजिए।”
‘मजदूर नही मिल रहे हैं।मुसलमान मजदूरो पर इस समय भरोसा नही किया जा सकता।’
और ऐसे समय में सेना के प्रमुखों को संघ याद आया ।
रात्रि के ग्यारह बजे थे। एक सैन्य जीप संघ- कार्यालय के आगे आकर रूकी ।उसमें से एक अधिकारी उतरे।
कार्यालय में प्रमुख स्वंय सेवकों की बैठक चल रही थी।प्रेमनाथ डोगरा व अर्जुन जीं वही बैठे थें।
   सेनाधिकारी ने गंभीर स्थिति का संदेश दिया।फिर उसने पूछा- “आप हवाई अड्डे पर लगे हिम के ढेर हटानें का कार्य कर सकेंगे क्या?”
अर्जुन जी ने कहा- “अवश्य!कितने व्यक्ति सहायता के लिए चाहिए।”
‘कम से कम डेढ़ सौ,जिससे तीन-चार घंटों में सारी बरफ हट जाये।”
अर्जुन जी ने कहा – “हम छः सौ स्वयंसेवक देते है।”
“इतनी रात्रि में आप इतने…..?” सैन्य अधिकारी ने आश्चर्य से कहा
“आप हमें ले जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था कीजिए।४५ मिनट में हम तैयार है ।”
     संघ कि पद्धति का कमाल था कि तय समय पर सभी 600 स्वयंसेवक कार्यालय पर एकत्र होकर साथ साथ चले गये।
दिल्ली को संदेश भेजा गया-“बरफ हटाने का काम प्रारंम्भ हो गया है।हवाई जहाज कभी भी आने दें।”
“इतनी जल्दी मजदूर मिल गये क्या”
‘हाँ, पर वे मजदूर नही ,सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य हैं।’
रात्रि के डे़ढ बजे वे काम पर लग गये।२७अक्टुम्बर को प्रातः के समय प्रथम सिख रेजीमेन्ट के ३२९ सैनिक हवाई जहाज से श्रीनगर उतरे और उन्होने बड़े प्रेम से स्वंय सेवको को गले लगाया । फिर क्या था एक के बाद एक ऐसे आठ हवाई जहाज उतरे।
  उन सभी में प्रयाप्त मात्रा में शस्त्रास्त्र थे। सभी स्वंयसेवको ने वे सारे शस्त्रास्त्र भी उतार कर ठिकाने पर रख दिये ।
   हवाई अड्डा शत्रु के कब्जे में जाने से बच गया। जिसका सामरिक लाभ हमें प्राप्त हुआ।
हवाई पट्टी चौड़ी करने का कार्य भी तुरन्त करना था, इसलिए विश्राम किये बिना ही स्वंयसेवक काम में जुट गये।
संदर्भ पुस्तक :-  
न फूल चढे न दीप जले।
।। *नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे*।।
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