आज का पंचाग आपका राशि फल, च्योंचो यानी फाफर के आटे से बनता है फैला पंचनाग और पित्रों का भोग, वार मेमोरियल के शिल्पी पं महेशा नन्द नौटियाल

च्योंचो(फाफर के आटे का भोग )

             हमारी संस्कृति हमारी धरोहर।

              🙏जय फैला पंचनाग 🙏

भोटिया जनजाति के लोगों द्वारा अपने पितृ देवता या ईष्ट देवता को सर्वप्रथम यही भोग लगाते है। भोटिया जनजाति के लोग गांव में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं या शादी ब्याह हर शुभ कार्य में अपने ईष्ट देव, पित्रृ देवता का पूजा करते हैं जिसमें कि सर्वप्रथम चढ़ने वाला भोग च्योंचो या (फाफर के आटे) होता है। जिसे सिलचुम भी कहा जाता हैं।।✍️कुलदीप पाल

पं० महेशानन्द नौटियाल
(जन्म – मार्च 1887 मृत्यु 10 फरवरी 1918)
वार मेमोरियल के शिल्पी पं महेशा नन्द नौटियाल जी की 103वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।
तेली चांदपुर पट्टी के राजगुरु नौटियालों के मूल गाँव नौटी के पं० देवानन्द नौटियाल पौड़ी में मुहाफ़िज़ थे ,वहीं पर सितम्बर 1870 में उनके सुपुत्र पं० महेशानन्द नौटियाल का जन्म हुआ. चोपड़ा के मिशन हाईस्कूल में पढने के दौरान मार्च 1887 में अचानक पं० महेशानन्द नौटियाल घर से निकल पड़े और पंजाब की ओर चल दिए. आखिर डेढ़ वर्ष तक यत्र तत्र भ्रमण करने के बाद वापस आ गए. वहां पहुँचने पर पिता के जोर देने के कारण इन्होंने पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट ( पी० डब्लू० डी० ) में नौकरी कर ली. लेकिन सन 1900 में नौकरी से त्यागपत्र देकर 30 वर्ष कि आयु में इन्होंने स्वतंत्र व्यापार प्रारंभ किया. इससे पूर्व इनका विवाह नंदप्रयाग के प्रतिष्ठित सेठ बहुगुणा परिवार में हो गया था.
नंदप्रयाग में ही आवास बनाकर इन्होंने देखा कि बद्रीनाथ व केदारनाथ धाम की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए हिमालय की शिलाजीत की प्रमुख उपहार के रूप में बिक्री की व्यापक सम्भावना है. उन्होंने शिलाजीत एकत्रित कर , उसे साफ कर , सुन्दर व आकर्षक पैकिंग में बेचना प्रारंभ किया . जिसकी रिकॉर्ड तोड़ बिक्री होने लगी. शिलाजीत के साथ साथ बद्रीनाथ जी चित्र , लॉकेट , माला व सुगन्धित पदार्थों का भी व्यवसाय प्रारंभ किया. व्यवसाय की लोकप्रियता को देखते हुए यात्रा सीजन में 6 माह बद्रीनाथ में भी दुकान प्रारंभ हुई, इस कारण इनकी बिक्री और अधिक बढ़ गयी.
इस व्यापार से भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य बद्रीनाथ व उत्तराखण्ड यात्रा सम्बन्धी धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन है. इस उद्देश्य से इन्होने “बद्रीनारायण भक्ति रसामृत कार्यालय” की स्थापना की. शीघ्र ही ये गढ़वाल भर के एक बड़े प्रसिद्ध पुस्तक प्रकाशक बन गए. इनका सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ केदार खण्ड है, इस 1200 पृष्ठों के मोटे ग्रन्थ का इन्होने मूल संस्कृत से सरल हिंदी में अनुवाद कराया और उसे सुन्दरता के साथ प्रकाशित किया. इस ग्रन्थ में केदारखण्ड प्रांत के सब धार्मिक स्थानों देवी देवताओं, नदी नालों, पर्वतों, घाटियों आदि का विवरण और उनका धार्मिक महत्त्व दिया गया है. इस ग्रन्थ से इस प्रदेश के धार्मिक इतिहास पर बहुत प्रकाश पड़ता है .
अपर गढ़वाल (ब्रिटिश गढ़वाल का जनपद चमोली व रुद्रप्रयाग का भू भाग) में नौवीं शताब्दी पूर्व सन 1896 में नागनाथ में प्रथम हिंदी मिडिल स्कूल की स्थापना ने विकास के द्वार खोले. नंदप्रयाग में सन 1903 में पं० महेशानन्द नौटियाल ने अपने ही संसाधनों से अंग्रेजी मिडिल स्कूल की स्थापना की .
केदारखण्ड ग्रन्थ के कारण पं० महेशानन्द नौटियाल को एक धनी महाशय मिल गए, वे किला पदुमा हजारीबाग (बिहार) के महाराज श्री रामनारायण सिंह जूदेव थे. सन 1905 में वे बद्रीनाथ यात्रा के लिए आए. इनकी विद्वता व योग्यता देखकर मुग्ध हो गए, उन्होंने इनके पास लगभग 400 हस्तलिखित पुस्तकों का एक संग्रह भेज दिया और प्रकाशन कार्य में उनकी पूरी आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया. इसी कारण इन्होंने कुछ पुस्तकों का प्रकाशन भी कराया. 1 मई सन 1908 के अभ्युदय में इन पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण भी छपा था . पुस्तकों के अनुवाद के लिए अनेक विद्वान भी नियुक्त हुए. उनमें से राज रहस्य व वृन्द वैद्यक पुस्तकों का हिंदी जगत ने बहुत आदर किया .
सन 1905 में हिमालय चित्र दर्शन नामक पुस्तक भी प्रकाशित की. उसमें श्री कैलाश, श्री बद्रीनाथ आदि मंदिरों, महंतों व रावलों आदि के चित्र व परिचय दिये गए, साथ ही इन्होंने श्री केदारनाथ कल्प , श्री बद्रीनाथ धाम, पथ प्रदर्शिका हिमप्रभा (तीन साइजों में), बद्रीश भजन मुक्तावली पुस्तिकाएँ भी प्रकाशित की. ये सब पुस्तकें इन्होंने श्री वेंकटेश्वर प्रेस बम्बई से छपवाई. इससे प्रेस के स्वामी सेठ खेमराज से इनकी घनिष्ठ मित्रता हो गयी थी और शीतकाल में ये कई महीनों तक उनके पास बम्बई में रहा करते थे. व्यवसाय में बद्रीनाथ व बम्बई की व्यस्तता से अंग्रेजी मिडिल स्कूल की देखरेख में कमी, केन्द्रीय स्थान न होने से विद्यार्थियों की कमी व योग्य शिक्षकों के अभाव के कारण स्कूल लड़खड़ाने लग गयी.
सन 1917 में कांसुवा गाँव के गढ़वाल के राजवंशी थोकदार व तहसीलदार स्व० शिवसिंह कुंवर अचानक नंदप्रयाग पहुंचे, तभी 1916 में इलाहबाद से गढ़केशरी स्व० अनुसूयाप्रसाद बहुगुणा भी वकालत की पढाई कर नन्दप्रयाग पहुँच गये थे. स्व० कुंवर जी स्व० गढ़केशरी जी को साथ लेकर स्व० महेशानन्द नौटियाल के पास गए, उन्होंने मिडिल स्कूल को कर्णप्रयाग शिफ्ट करने का प्रस्ताव किया. जिसे स्वीकार कर तीनों महानुभाव पौड़ी गए, जहाँ नागकोट गाँव के स्व० घनश्याम डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में क्लर्क पद पर कार्यरत थे को मिले और उन्हें नौकरी छोड़कर कर्णप्रयाग स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य करने के लिए तैयार किया. इस कार्य में डी० सी० जोसेफ क्ले ने भी मदद की. 15 जुलाई 1917 को नंदप्रयाग का अंग्रेजी मिडिल स्कूल कर्णप्रयाग में प्राइवेट के रूप में स्थापित हुआ. स्कूल प्रबंध समिति के अध्यक्ष स्व० शिवसिंह कुंवर और मंत्री स्व० महेशानन्द नौटियाल बने.
प्राइवेट स्कूल कि मान्यता के लिए कर्णप्रयाग में भूमि व भवन की भारी शर्त प्रबंध समिति के सामने खड़ी थी. गढ़वाल के राजवंशी राजकुंवर स्व० शिवसिंह कुंवर और राजगुरु स्व० पं० महेशानन्द नौटियाल ने इस शर्त को पूरा करने के लिए पहले भूमि की व्यवस्था की और फिर राजा व राजगुरु की यह जोड़ी भवन निर्माण के लिए चंदा इकठ्ठा करने निकल पड़ी.पौड़ी से लेकर बद्रीनाथ तक गाँव , चट्टी, चोटी, घाटी, पैदल, डंडी और घोड़े में चल पड़े. इस कार्य में मान , अपमान और भूखे प्यासे रहकर रात दिन उन्हें काम करना पड़ा. आखिरकार बीमार होकर 10 फरवरी 1918 को स्व० महेशानन्द नौटियाल ने दम तोड़ दिया. बीमारी की हालत उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा, मृत्यु के लिए अपने पितृ भूमि नौटी जाने की बताई . उन्हें डंडी में नौटी ले जाया गया. उनकी मृत्यु के बाद चंदे से सन 1918 में स्कूल भवन का निर्माण तो हुआ लेकिन इस दौड़ धूप में स्व० शिवसिंह कुंवर भी बीमार रहने लगे और उनकी भी आकस्मिक मृत्यु सन 1920 में हो गयी. इस प्रकार विद्यालय में सुविधाओं के सृजन में दोनों विभूतियों ने अपना बलिदान दे दिया. उनके इस बलिदान को सदैव याद किया जाता रहेगा .
स्व० महेशानन्द नौटियाल के 3 पुत्र थे . स्व० गोविन्द प्रसाद नौटियाल, स्व० कन्हैयालाल नौटियाल तथा स्व० रमेश चन्द्र नौटियाल. स्व० गोविन्द प्रसाद नौटियाल अपने पिता की मृत्यु के बाद 16 वर्ष की आयु में देहरादून स्कूल छोड़कर उनके आदर्शों पर आगे चले. उन्होंने प्रकाशक, व्यवसायी, समाजसेवी , लेखक, पत्रकार व उत्तर भारत के प्रख्यात अंग्रेजी अखबारों के संवाददाता एवं गौचर मेले के संस्थापक के रूप में ख्याति अर्जित की. स्व० शिवसिंह कुंवर व गढ़केशरी स्व० अन्सुयाप्रसाद बहुगुणा के साथ कर्णप्रयाग स्कूल की प्रबंध समिति में शामिल होकर हाईस्कूल व इंटर स्थापना के आन्दोलन तक सक्रियता के साथ दोनों विभूतियों के जीवन काल के बाद भी सक्रिय रहे.
19वीं सदी के प्रारंभ में संयुक्त प्रान्त में शिक्षा के लिए जागरण व संघर्ष का इतिहास कमोबेश काशी व कर्णप्रयाग क्षेत्र में लगभग साथ साथ चला. यह भी संयोग है कि, 1896 जहाँ नागनाथ में तथा 1925 में थराली में हिंदी मिडिल प्रारंभ हुई, वहीँ 1903 में नंदप्रयाग में अंग्रेजी मिडिल का शुभारम्भ हुआ. 1904 में पं० मदन मोहन मालवीय ने पहली बार बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय के लिए अलख जगाई. सन 1916 में सेंट्रल हिन्दू कॉलेज ने बनारस वि०वि० का स्वरुप ग्रहण किया. सन 1918 में पहला बैच भी निकला. वहीँ कर्णप्रयाग में 1917 में अंग्रेजी मिडिल स्कूल खुला. 1918 में इसे वार मेमोरियल एंग्लो वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल का स्वरुप प्रदान किया गया . प्रथम विश्व युद्ध में प्रथम भारतीय विक्टोरिया क्रॉस विजेता नायक दरबान सिंह नेगी ने इस विद्यालय को किंग जॉर्ज पंचम से सरकारी बनवाया. किंग जॉर्ज पंचम के निर्देश पर ऐतिहासिकता प्रदान करने डिप्टी कमिश्नर क्ले स्वयं कर्णप्रयाग पहुंचे.
काशी और कर्णप्रयाग में मदन मोहन मालवीय जी और शिवसिंह कुंवर जी ने मान, अपमान को सहते हुए चंदा इकठ्ठा कर शिक्षा के मंदिर बनवाये. आज काशी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जहाँ प्रथम विश्व युद्ध के शताब्दी समारोह में फ्रांस में जाकर विक्टोरिया क्रॉस दरबान सिंह नेगी को उनकी कर्मभूमि व स्मारक पर श्रद्धासुमन सन 2015 में चढ़ाते हैं. वहीँ दुनिया के संभवतया प्रथम वार मेमोरियल (रा० इं० का० कर्णप्रयाग) के शताब्दी समारोह 26 से 29 अक्टूबर 2018 में भारत के प्रधानमंत्री से वी० सी० साहब की जन्मभूमि कर्णप्रयाग पहुंचकर श्रद्धांजलि देने का प्रस्ताव शताब्दी समारोह समिति द्वारा किया गया है. साथ ही यह भी निवेदन किया गया है कि इस अंतर राष्ट्रीय समारोह की ऐतिहासिकता को देखते हुए भारत सरकार इंग्लैंड और फ्रांस की सरकारों को भी आमंत्रित करने पर विचार करे. राज्य व केंद्र की सरकार भव्य रूप से समारोह आयोजित कराएगी . ऐसा विश्वास शताब्दी समारोह समिति को है.
विश्वास भी क्यों न हो, जब कर्णप्रयाग के सांसद मेजर जनरल से० नि० भुवन चन्द्र खंडूरी स्वयं फौजी हैं और रक्षा सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं. इसी क्षेत्र से थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोभाल भी हैं, ऐसे में कोई कारण नहीं कि वार मेमोरियल के इस ऐतिहासिक शताब्दी समारोह में वी० सी० साहब की स्मृति में ऐसा संस्थान खुलेगा जो आगामी शताब्दी तक याद किया जाता रहेगा।

ॐ नमो नारायण।

सनातन धर्म की महिमा

सनातन धर्म की स्थापना किसी साधु-संत, जती-जोगी या तपस्वी ने की, ऐसी बात नहीं है। यहाँ तक कि भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण या अन्य अवतारों ने भी सनातन धर्म की स्थापना नहीं की बल्कि श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसी विभूतियाँ सनातन धर्म में प्रकट हुईं। सनातन धर्म तो उनके पूर्व भी था।

 

वशिष्ठजी महाराज ने बताया कि इस तरह का यज्ञ करो और उसमें श्रृंगी ऋषि को आमंत्रित करो क्योंकि वे बड़े संयमी हैं। यज्ञ में आहुति देने वाले जितने अधिक संयमी-सदाचारी होते हैं, यज्ञ उतना ही प्रभावशाली होता है। श्रृंगी ऋषि को लाना बड़ा कठिन कार्य था। बड़े यत्न से उन्हें लाया गया। उनके द्वारा यज्ञ सम्पन्न हुआ, यज्ञपुरुष खीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए। वह दैवी प्रसाद माँ कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा ने लिया। उसी से भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ। सनातन धर्म श्रीराम के पहले था तभी तो यह व्यवस्था हुई।

 

432000 वर्ष बीतते हैं तब कलियुग, 864000 वर्ष बीतते हैं तब द्वापरयुग, 1296000 वर्ष तब त्रेतायुग और 1728000 वर्ष बीतते हैं तब सतयुग पूरा होता है। इस प्रकार कुल मिलाकर 4320000 वर्ष बीतते हैं तब एक चतुर्युगी मानी जाती है। ऐसी 71 चतुर्युगियाँ बीतती हैं तब एक मन्वंतर और ऐसे 14 मन्वंतर बीतते हैं तब एक कल्प होता है। अर्थात् 194 चतुर्युगियाँ बीतती हैं तब एक कल्प यानी ब्रह्माजी का एक दिन होता है। ऐसे ब्रह्मा जी अभी 50 वर्ष पूरे करके 51वें वर्ष के प्रथम दिन के दूसरे प्रहर में हैं। अर्थात् सातवाँ मन्वंतर, अट्ठाईसवीं चतुर्युगी, कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है। कलियुग के भी 5228 वर्ष बीत चुके हैं।

 

जैसे दिव्य इतिहास हमने सनातन धर्म में देखा, वैसा और किसी संस्कृति अथवा धर्म में आज तक नहीं देखा-सुना।

 

सनातन धर्म और वेद अपौरुषेय है अर्थात् उनका प्राकट्य किसी पुरुष के द्वारा नहीं हुआ है।

 

अनेक पाश्चात्य विद्वानों ने भी भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की महिमा का खुले दिल से गान किया है।

 

पादरी लैंडविटर (थियोसोफिकल सोसायटी के मान्य संत) ने कहा है- “भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने से पूर्व आंतरिक संतोष नहीं मिला था। ईसाई और इस्लाम मत में श्रद्धा तो दिखी, पर विवेक की तुष्टि नहीं हुई। पाश्चात्य दर्शन में विवेक मिला, पर संवेदनाओं की प्यास न बुझी। भारतीय दर्शन में दोनों का योग है, यह वास्तव में योगी है।

 

जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक शोपेनहावर ने कहा है- “विश्व के संपूर्ण साहित्यिक भण्डार में से किसी ग्रंथ का अध्ययन मानव-विकास के लिए इतना उपयोगी और ऊँचा उठाने वाला नहीं है जितना कि उपनिषदों की विचारधारा का अवगाहन। इस सागर में डुबकी लगाने से मुझे शांति मिली है तथा मृत्यु के समय भी शांति मिलेगी।”

दाराशिकोह (औरंगजेब के बड़े भाई) उपनिषदों का अध्ययन करते थे। एक दिन वे मस्ती में झूम रहे थे। उनकी भतीजी ने पूछाः “चचा जान ! आप नशा तो करते नहीं हैं, फिर ऐसे मस्त कैसे हो रहे हैं ?”

 

दाराशिकोहः “बेटी ! यह मस्ती नशे की नहीं, दिव्य ज्ञान की है। उपनिषदों को पढ़ने के बाद मुझे अनुभव हो रहा है कि आत्मज्ञान की मस्ती कितनी गहरी होती है !”

फ्रांस के इतिहास-लेखक विक्टर कजीन ने कहा है- “परमेश्वर का वास्तविक ज्ञान प्राचीन हिन्दू रखते थे, इस बात से कभी इन्कार नहीं हो सकता है। उनका दर्शनशास्त्र (तत्त्वज्ञान), उनके विचार इतने उत्कृष्ट, इतने उच्च, इतने यथार्थ और सच्चे हैं कि यूरोपीये लेखों से उनकी तुलना करना ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे ठीक मध्याह्नकालीन सूर्य के पूर्ण प्रकाश में स्वर्ग से चुरायी हुई प्रोमीथीयन आग (Promethean fire) का झुटपुटा उजाला !

 

जब हम ध्यानपूर्वक पूर्वीय, विशेष करके भारतवर्षीय काव्य और दर्शनशास्त्र की पुस्तकें पढ़ते हैं, जिनका विस्तार और प्रचार अभी-अभी यूरोप में होने लगा है, तब हमें उनसे बहुत सी सच्चाइयाँ मिलती हैं और वे सच्चाइयाँ ऐसी हैं कि यूरोपीय दर्शन के निष्कर्ष उनकी तुलना में बिल्कुल हेच (तुच्छ) ठहरते हैं। यूरोपीय बुद्धि की अपंगता और भारतीय दर्शन की गंभीरता ऐसी महान है कि हमें पूर्व (भारत) के दर्शनशास्त्र के सामने मजबूरन घुटने टेकने पड़ते हैं।”

 

पाश्चात्य दार्शनिक श्लेगल ने लिखा है- “हिन्दू विचार के मुकाबले में यूरोपीय दर्शनशास्त्र की सर्वोच्च डींगें ऐसी प्रतीत होती हैं जैसे विराट पुरुष के सामने एक बावन अंगुल का बौना !”

 

वेदान्त दर्शन के विषय में श्लेगल का कहना है- “मनुष्य का दिव्य स्वरूप उसे निरंतर इसलिए समझाया और चित्त में धारण कराया जाता है कि इससे मनुष्य अपने स्वरूप की ओर लौटने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करे, इस जीवन-प्रयास में अपने को सजीव प्रोत्साहित करे तथा अपने को इस विचार में प्रवृत्त करे कि प्रत्येक व्यापार, उद्यम का एकमात्र मुख्य उद्देश्य अपने निजस्वरूप (आत्मा) से पुनः मिलाप और योग प्राप्त करना है।”✍️ जनकगिरी गोस्वामी 

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻गुरूवार, १० फरवरी २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०७:०४

सूर्यास्त: 🌅 ०६:०४

चन्द्रोदय: 🌝 १२:३२

चन्द्रास्त: 🌜२६:५८

अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय

ऋतु: 🌫️ शिशिर

शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)

मास 👉 माघ

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 नवमी (११:०८ तक)

नक्षत्र 👉 रोहिणी (२७:३२ तक)

योग 👉 इन्द्र (१८:५० तक)

प्रथम करण 👉 कौलव (११:०८ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२४:३० तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

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सूर्य 🌟 मकर

चंद्र 🌟 वृष

मंगल 🌟 धनु (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 धनु (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०९ से १२:५३

अमृतकाल 👉 २३:५५ से २५:४३

रवियोग 👉 पूरे दिन

विजय मुहूर्त 👉 १४:२१ से १५:०५

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५० से १८:१४

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०५ से २४:५७

राहुकाल 👉 १३:५४ से १५:१६

राहुवास 👉 दक्षिण

यमगण्ड 👉 ०७:०१ से ०८:२४

होमाहुति 👉 शुक्र (२७:३२ तक)

दिशाशूल 👉 दक्षिण

नक्षत्र शूल 👉 पश्चिम (२७:३२ तक)

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्रवास 👉 दक्षिण

शिववास 👉 गौरी के साथ (११:०८ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥

१ – शुभ २ – रोग

३ – उद्वेग ४ – चर

५ – लाभ ६ – अमृत

७ – काल ८ – शुभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥

१ – अमृत २ – चर

३ – रोग ४ – काल

५ – लाभ ६ – उद्वेग

७ – शुभ ८ – अमृत

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (दही का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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गुप्त नवरात्री समाप्त, विवाहादी मुहूर्त मेष ल. प्रातः १०:१८ से दोप. ११:५५, गोधुलि सायं ०६:१७ से ०६:४७ तक, नींव खुदाई एवं गृहारम्भ+गृहप्रवेश+व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ११:१८ से दोपहर ०३:२८ तक, विद्या एवं अक्षर आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०७:११ से ०८:३२ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज २७:३२ तक जन्मे शिशुओ का नाम

रोहिणी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ओ, वा, वी, वो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश: (वे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मकर – २९:३२ से ०७:१३

कुम्भ – ०७:१३ से ०८:३९

मीन – ०८:३९ से १०:०३

मेष – १०:०३ से ११:३६

वृषभ – ११:३६ से १३:३१

मिथुन – १३:३१ से १५:४६

कर्क – १५:४६ से १८:०८

सिंह – १८:०८ से २०:२७

कन्या – २०:२७ से २२:४४

तुला – २२:४४ से २५:०५

वृश्चिक – २५:०५ से २७:२५

धनु – २७:२५ से २९:२८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

मृत्यु पञ्चक – ०७:०१ से ०७:१३

अग्नि पञ्चक – ०७:१३ से ०८:३९

शुभ मुहूर्त – ०८:३९ से १०:०३

मृत्यु पञ्चक – १०:०३ से ११:०८

अग्नि पञ्चक – ११:०८ से ११:३६

शुभ मुहूर्त – ११:३६ से १३:३१

रज पञ्चक – १३:३१ से १५:४६

शुभ मुहूर्त – १५:४६ से १८:०८

चोर पञ्चक – १८:०८ से २०:२७

शुभ मुहूर्त – २०:२७ से २२:४४

रोग पञ्चक – २२:४४ से २५:०५

शुभ मुहूर्त – २५:०५ से २७:२५

मृत्यु पञ्चक – २७:२५ से २७:३२

अग्नि पञ्चक – २७:३२ से २९:२८

शुभ मुहूर्त – २९:२८ से ३१:०१

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज मध्यान तक का समय व्यर्थ की गतिविधियों में खराब करेंगे इसके बाद का समय भी कुछ खास नही रहेगा मन मे धन प्राप्ति की कामना लगी रहेगी लेकिन उचित मार्गदर्शन की कमी के चलते आज सीमित साधनों से ही संतोष करना पड़ेगा। दिन का आरंभिक भाग काल्पनिक दुनिया की सैर में बीतेगा। मन मे बड़ी-बड़ी योजनाए बनायेगे परन्तु इनको साकार करने में फिसड्डी साबित होंगे। महिलाये स्वयं की आवश्यकता से अधिक बड़ाई करने पर हास्य की पात्र बनेंगी लेकिन गृहस्थी के लिए फिर भी उपयोगी ही रहेंगी। कारोबार को लेकर आशाये बहुत रहेंगी परन्तु आकस्मिक निर्णय लेने के समय दुविधा में पड़ेंगे। जोड़ो की समस्या से परेशानी होगी। परिवार के प्रति आज अधिक संवेदनशील रहेंगे। कार्य व्यवसाय से समय निकाल परिजनों के साथ समय बितायेंगे।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज आपका ध्यान अपने लक्ष्य से भटकेगा इस कारण महत्त्वपूर्ण कार्य अन्य लोगो के भरोसे छोड़ेंगे जिनके लटकने संभावना अधिक रहेगी। मानसिक रूप से चंचल रहेंगे। काम के समय मनोरंजन आज भारी पड़ सकता है ध्यान दें। आपका ध्यान काम पर कम और सुखोपभोग पर अधिक रहेगा लेकिन कार्य क्षेत्र पर मध्यान बाद स्थिति अनुकूल रहने से धन संबंधित समस्या नही रहेगी। नौकरी वाले लोग अन्य की अपेक्षा अधिक निश्चिन्त रहेंगे। किसी नजदीकी व्यक्ति की जमानत अथवा समझौता भी कराना पड़ेगा जसमे ना चाह कर भी समय एवं धन की बर्बादी होगी। महिलाये घरेलू वस्तुओ की खरीददारी के साथ ही व्यक्तिगत कार्यो पर अधिक खर्च करेंगी। किसी परिजन के नखराले व्यवहार से परेशान भी रहेंगे। घर में मांगलिक कार्यक्रम की रूप रेखा बनेगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत परिश्रम वाला रहेगा आज आप मेहनत करने के पक्ष में बिल्कुल नही रहेंगे लेकिन कुछ ना कुछ काम लगे रहने से बेमन से मेहनत करनी ही पड़ेगी। आज लापरवाही भी आपमें कुछ अधिक ही रहेगी महत्त्वपूर्ण कार्यो में टालमटोल का नतीजा हानिकर हो सकता है। आर्थिक कार्य मे कुछ ना कुछ व्यवधान अवश्य आएंगे परन्तु धैर्य ना त्यागे कर्म करते रहे संध्या बाद परिणाम आशा से अधिक अनुकूल मिलेंगे। व्यवसायी वर्ग छोटे निवेश से बड़ा लाभ कमाने में सफल होंगे लेकिन विलम्ब से डरे नही। घरेलू खर्चो में भी आज वृद्धि होगी फिर भी तालमेल बना रहेगा। महिलाये कुछ अनैतिक मांग पूरी करने पर घर का वातावरण कुछ समय के लिए अशांत बनाएंगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज भी दिनभर परिस्थितियां आपके अनुकूल बनी रहेंगी। आज कुछ भ्रामक खबरे सुनने को मिलेंगी इनपर ध्यान ना दें अन्यथा समय नष्ट होगा। दिन का आरम्भिक भाग लेट लतीफी के कारण खराब होगा परन्तु मध्यान से संध्या तक सभी कार्य सहज रूप से चलते रहेंगे। घर एवं बाहर सर्वत्र आपके कार्य की प्रशंसा होगी। व्यवसायी वर्ग आज मनोवांछित लाभ पाने से उत्साहित रहेंगे लेकिन नौकरी वाले लोग जल्दबाजी में गलती कर सकते है। आपका हितैशी व्यवहार अन्य सभी से निकटता बढ़ाएगा लोग आपको अपने मन की बात निसंकोच होकर बताएंगे। आर्थिक लाभ पूर्वनियोजित के साथ ही अकस्मात भी होगा। महिलाओं की भावनाएं आज पल-पल में बदलेंगी जिससे सही निर्णय लेने में दिक्कत आएगी। बड़े लोगो से स्वार्थ सिद्धि पूर्ण कर लेंगे। मौसमी बीमारियां अकस्मात लगेंगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आपकी आवश्यकतायें अधिक रहेंगी लेकिन भाग्य इसकी तुलना में कम साथ देगा। मध्यान तक परिश्रम का उचित फल ना मिलने पर निराशा होगी लेकिन धैर्य धारण करें आज की मेहनत कल अवश्य ही उन्नतिकारक रहेगी। कम समय मे अधिक लाभ कमाने के चक्कर मे हाथ आया लाभ भी निकल सकता है प्रलोभन से बच कर रहे। महिला वर्ग आज कोई उत्कृष्ट कार्य करने पर प्रशंशा की पात्र बनेंगी। आर्थिक कारणों से किसी प्रियपात्र से कलह हो सकती है। मध्यान के बाद शारीरिक कमजोरी अनुभव होगी थोड़ा आराम अवश्य करें। सामाजिक आयोजनों में सम्मिलित होने के कारण घरेलू कार्य अस्त-व्यस्त रहेंगे। बुजुर्ग लोग शारीरिक समस्या से परेशान रहेंगे फिर भी हिम्मत नही हारेंगे।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आपके स्वभाव में आडम्बर अधिक रहेगा। सार्वजिक क्षेत्र एवं धार्मिक कार्य भी दिखावे के लिए करेंगे। आध्यात्म में रुचि तो रहेगी लेकिन स्वार्थ सिद्धि तक ही पूजा पाठ करने के बाद भी काम ना होने पर मानसिक तनाव अनुभव करेंगे। घर मे किसी के गलत आचरण के कारण शांति भंग भी होगी। कार्य व्यवसाय पर अन्य लोगो के ऊपर ज्यादा निर्भर रहना पड़ेगा जिसके परिणाम स्वरूप आशानुकूल लाभ से वंचित रहेंगे फिर भी खर्च चलाने लायक धन मिल जाएगा। महिलाये घरेलू कामो पर कम ही ध्यान देंगी। मध्यान बाद आपका ध्यान परिवार में सुख शान्ति कायम रखने पर रहेगा। घर में सुख के साधनों पर खर्च करेंगे। घूमने-फिरने के अवसर भी मिलेंगे। परिजनों के साथ भविष्य का चिंतन होगा। सेहत में उतार चढ़ाव रहेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन भी आप स्वयं अथवा किसी परिजन की सेहत को लेकर चिंतित रहेंगे इसके कारण अतिरिक्त खर्च के साथ भागदौड़ भी करनी पड़ेगी। मानसिक बेचैनी आज भी बनी रहेगी। नौकरी पेशा जातको की दिनचर्या आज विशेष संघर्ष वाली रहेगी व्यवसायी वर्ग भी जोड़ तोड़ करके ही थोड़ा बहुत लाभ प्राप्त कर सकेंगे। धन की आमद न्यून रहेगी परन्तु खर्च आवश्यकता से अधिक होने पर आर्थिक स्थिति गड़बड़ायेगी। महिला वर्ग सेहत की अनदेखी करने के कारण बीमारी को बढ़ाएंगी। सम्पति का विवाद बढ़ने से परिवार में तना-तनी हो सकती है। कार्य क्षेत्र पर भी उदासीनता छायी रहेगी। लाभ के अवसर मिलते हुए भी हाथ से निकल सकते है। आज हर क्षेत्र पर विवेक एवं संयम का परिचय दें।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज मध्यान तक आपको किसी भी कार्य ने ज्यादा परिश्रम नही करना पड़ेगा जिस कार्य को करने का मन बनाएंगे उसमे आगे से सहयोग मिलने लगेगा। आज आपके संपर्क में जो भी आएगा वह कुछ ना कुछ खुशिया ही देकर जाएगा। व्यवहार कुशलता से अपने काम बना लेंगे। आर्थिक रूप से दिन मध्यान तक उलझन बढ़ाएगा इसके बाद धन की आमद होने से स्थिति सुधरेगी। व्यवसायी वर्ग को अनुबंध पाने के लिए खर्च करना पड़ेगा। दोपहर बाद धन संबंधित उलझने कुछ हद तक शांत रहेंगी। घर के बुजुर्ग अथवा महिलाये आज अकारण ही क्रोध कर सकते है जिससे वातावरण कुछ समय के लिए अशान्त बनेगा धैर्य बनाये रखें। सेहत रात्रि में अचानक नरम बनेगी।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज भी परिस्थितयां प्रतिकूल रहने वाली है आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा किसी से सहयोग की आकांक्षा आज ना ही रखें स्वयं के बल पर ही थोड़ा बहुत लाभ अर्जित कर सकेंगे। कार्य क्षेत्र अथवा घर मे हानि होने के योग बन रहे है प्रत्येक कार्य देखभाल कर ही करें। व्यापार में निवेश अथवा वस्तुओ पर खर्च आज ना करें। व्यवसायी वर्ग संतोषी वृति अपनाने से ही आज मानसिक रूप से शांत रह सकते है। व्यवसाय की गति पल पल में बदलेगी जिससे सुकून से बैठने का समय नही मिलेगा। किसी पुरानी घटना को याद करके दुखी रहेंगे। महिलाये अल्प साधनो से कार्य करने पर भाग्य को दोष देंगी मन मे आज उथल पुथल अधिक रहने के कारण बड़ी जिम्मेदारी का कार्य सौपना उचित नही रहेगा।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन पिछले दिन की तुलना में बेहतर रहेगा परिश्रम तो आज भी अधिक ही रहेगा लेकिन इसका फल तुरंत मिलने से धैर्य बना रहेगा। आज कुछ काम बेमन से भी करने पड़ेंगे लेकिन इसका फल निकट भविष्य में मंत्रियों जैसा सम्मान दिलाएगा। कार्य व्यवसाय में अन्य लोगो की अपेक्षा कम मेहनत से लाभ अर्जित कर लेंगे। महिला वर्ग नई-नई फरमाइशें करके घर का बजट बिगाड़ेंगी। आज पारिवारिक संबंधो को जोड़ कर रखने का प्रयास करें। आज आपकी विवेकी कार्यशैली रहने से आपसी विवादों को बढ़ने नही देंगे पैतृक संपत्ति संबंधित मामलों में जल्दबाजी करने से पहले ध्यान रहे इसके परिणाम आगे गंभीर हो सकते है। सरकारी कार्य लेदेकर करने से बचें। सेहत छोटी मोटी समस्या को छोड़ ठीक रहेगी।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन भी कलहकारी रहेगा। परिजन अथवा किसी प्रियपात्र के लिए मन मे ईर्ष्या के भाव पनपेंगे। आपका गरम स्वभाव भी आग में घी का काम करेगा किसी की हास्य भरी बातो को गंभीर लेने पर विवाद हो सकता है। आज धर्य का परिचय दें। आपकी मामूली गलती का पारिवारिक प्रतिष्ठा पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। परिजनों की असंतोषी प्रवृति के कारण घरेलू वातावरण आज लगभग अशांत ही रहेगा। कार्य क्षेत्र पर मंदी के बाद भी जरूरत के अनुसार लाभ अवश्य हो जायेगा। किसी भी महत्त्वपूर्ण निर्णय को लेने से पहले एक बार लाभ हानि की समीक्षा अवश्य करें।महिलाये व्यवहार संयमित रखें मान हानि की संभावना है। आडम्बर के ऊपर खर्च होगा।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। आर्थिक रूप से दिन लाभदयक रहने पर भी मन किसी गुप्त चिंता के कारण व्याकुल रहेगा। दिन के आरंभ में किसी स्वयं जन से आनंददायक समाचार मिलेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज लंबे समय तक लाभ देने वाले सौदे हाथ लग सकते है। व्यवसायी वर्ग की मानसिकता जोखिम वाले कार्यो से शीघ्र पैसा बनाने की रहेगी इसमे सफल भी रहेंगे। भाई-बंधुओ का सहयोग आज अपेक्षाकृत कम ही रहेगा। सन्तानो की प्रगति से संतोष होगा। सरकारी कार्यो में धन खर्च होगा लेकिन कुछ लाभ नही मिलेगा। महिलाओं को छोड़ घर के अन्य सदस्य आपसे ईर्ष्यालु व्यवहार रखेंगे। मित्र मंडली में खर्च करने पर खुशामद होगी।

रात्रि में किसी से कलह होगी सावधान रहें।

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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏