🌷 *डोल ग्यारस व्रत* 🌷
🌷 *पदमा एकादशी व्रत* 🌷
🌷 *जल झूलनी एकादशी* 🌷
🌷 *वामन एकादशी व्रत* 🌷
🌷 *परिवर्तन एकादशी व्रत*
*आज 7सितंबर 2022, बुधवार को व्रत रखें* 🙏
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पद्मा एकादशी, जल झूलनी एकादशी, डोल ग्यारस, वामन एकादशी और परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं।
जो वाम न हो सो वामन !
और, वामन भगवान् हैं – जो तीन पग में …
विश्व,तैजस,प्राज्ञ /
जाग्रत,स्वप्न,सुषुप्ति/
सत्व,रज, तम /
परोक्ष,अपरोक्ष,अहं /
अविद्या,विद्या,प्रकृति
– तीनों नाप लेते हैं !
यह सर्वमेध याग है – इसमें
इन्द्रिय, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर
तीनों का दान है
यह गुरु बानी है जो कुरबानी और बलिदानी का भेद बताती है
इसमें कुष्मांड-कोहड़े, बकरे,घोड़े की हत्या नहीं है –
‘मैं ‘ ‘मेरा’ और ‘मैं मेरा मानने वाले -अहं वाम’ को नकारते मुस्कुराते ‘वामन’ की झाँकी है
🙂
वाम माने ?
1.जो इन्द्रियों को शक्तिशाली मान कर उनसे समस्त भोग भोग लेना चाहता हो
2. विषय भोगों को सदैव बना रहनेवाला मानता हो
3. मन से किसी एक से प्यार करने की कल्पना करता हो
4. सोने में कितना समय निकल गया और दुनिया कहाँ की कहाँ पहुँच गई – इस बात पर जिसका ध्यान न जाता हो
🙂
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आधार : अखण्ड चिन्तन
एक होती है वामपन्ती,
आप पूछेंगे – वामपंथी क्यों न केह रये ?
बोले – पंथ पर चलनेवाले को पंथी कहते हैं,
जिनका कोई पथ ही नहीं, जो पथ हैं उसे भी उलट दें – यह ‘वामपंती’ हुई !
एक होती है ‘वामनपंथी’ !
बलि ने तीनलोक जीत लिये, भले काम भी कर रहा था, पर दृष्टि अनुदात्त थी,
देखने में तो था बौना, छोटा, वामन पर दृष्टि उदात्त थी,
उसने छोटा होते हुए भी बलि के तीनों लोक नाप लिये …अहंकार भी !
#वामन हो गये #त्रिविक्रम !!
यह है ‘वामनपंथी’ !
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अपने को #वामनपंथी रखिये
#वामपन्ती से दूर रहिये
आदरणीय भाईश्री सोमदत्त जी की वॉल से …
विष्णुपद : लोहस्तंभ से जकार्ता तक
प्रारंभिक पुराणों और गुप्तकालीन अभिलेखों में विष्णुपद की महिमा अनेक रूपों में मिलती है। महरौली के लोहस्तम्भ अभिलेख में नरपति चंद्र विष्णुपद को नमन करता है। वाल्मीकि रामायण में दशरथ पुत्र भरत के ननिहाल के मार्ग में और वायु जैसे पुराण में गया में विष्णुपद के संदर्भ मिल जाते हैं। कहीं चट्टान या शिला का आकार होता है तो कहीं उसी पर उत्कीर्णन भी मिलता है!
क्या कारण है?
विष्णु के पद के प्रसंग इतने लोकप्रिय हुए कि त्रैलोक्य विष्णु पाताल, भूमि और अंतरिक्ष तक व्याप्त हुए और फिर ऐसे पद प्रसंग एकपाद (अजैकपाद) अष्टपाद ( शरभावतार) खंजनपाद, हंसपद, बिड़ालपद… के रूप में भी मिलते हैं।
ये सब प्रतीक हैं कि प्रमाण!
कंबोडिया में हम मित्र 2018 में विष्णुपद गए। जकार्ता के राष्ट्रीय संग्रहालय में एक शिला विष्णुपद के नाम से संग्रहित है। उस पर दो चरण चक्र चिह्न सहित हैं और अभिलेख भी हैं। पहल्वी अभिलेख का पाठ है :
विक्क्रान्तस्यावनिपते:
श्रीमत्पूर्ण्णवर्म्मण:
विरमनगरेन्द्रस्य
विष्णुरिव पदद्वयम।
संयोग से यह 5वीं सदी का है और यह वही समय है जब बलि – वामन प्रसंग अनेकत्र लोकप्रिय हुआ! विष्णु (सूर्य) की दिशा (पूर्व) में पांव बढ़ाते हुए भारतीय आगे बढ़े और जहां जहां प्रभाव (चक्र, शासन) जमा वहां वहां विष्णुपद कहा…। क्या हमारी कहानियों में कहीं ऐसा कुछ है?
इसके तीन चित्रों को शेयर करते हुए अध्येता क्रिस्टल पिल्ज ने लिखा है :
The ancient Symbol of the soles of Vishnu’s feet in Indonesia AND in Cambodia.
It was in Indonesia 150 years ago.Villagers discovered a big rock in the bed of a river near their village called Ciaruteun, close to the westjavanese City Bogor.
The rock was engraved with strange letters and even a pair of the soles of feet. As it turned out, the inscription was written in Pallava and the language was Sanskrit. The date was sometime during the 5th century. The inscription revealed, that the “ brave and illustrious” king Purnawarman was the Ruler of Tarumanagara and the soles of two feet were to symbolize that the King was a follower of the Hindu God Vishnu .
Now we ask, do these footsprints indicate any connection to the Land of the Khmer, which at that time seems to have been called Chenla. There is a Sanskrit inscription, dated 6th century, that King Jayawarman ( probably Jayawarman I ) gave a sanctuary to his son Gunawarman, which contained an Image of Vishnu’s feet. Where, however, can we find this inscription, where even an image of the engraved feet? What more is known of the ancient relationship between the Land of the Khmer and the Islands of Indonesia. Both were experienced seafarers.
इस बारे में तरुण रॉय की टिप्पणी थी : the Kingdoms on the Bay of Bengal coastal region, Bengal (for a while under Kingdom of Magadha), Odisha, Pallava, Chola, Pandya and Chera States are doing maritime trades with south-east Asian countries, and southern China. Originally Magadha under King Ajatashatru, Port of Tamralipta (present Tamluk) in Bengal was his source of maritime trade to China, even period’s seven Chinese regional Kings vied for trading with him, it was circa 6th century BCE. Later period after fall of Maurya Empire independent Kingdoms continued that practice, even influenced local rulers with Hinduism, cultures & Indian civilisation.
Burma, Cambodia, Malaysia, Thailand and Indonesia were major recipients of such exchanges! Interestingly, during period of Sri Vijaya Kingdom of Indonesian Archipelago with their major port of Singhapur (Singapore). However Piracy along Malacca Strait was a main concern, and those Pirates were supported by the King himself(s). After a long complains, a coalition of bay of Bengal Kings attacked Sri Vijaya with a large Naval forces to end the Sri Vijaya Kingdom!
✍🏻श्रीकृष्ण “जुगनू”
वामन द्वादशी-विष्णु के वामन अवतार ने बलि से इन्द्र के ३ लोकों का राज्य भाद्र शुक्ल १२ के दिन वापस लिया था, अतः इस दिन को वामन द्वादशी कहते हैं। इस दिन तक इन्द्र बिना राज्य के अर्थात् शून्य थे। अतः इसे शून्य पर्व भी कहते हैं। अन्य कारण है कि राजाओं का राजत्व काल इसी दिन से गिना जाता है। यदि किसी राजा का अभिषेक होली के दिन हुआ तो होली से वामन द्वादशी तक नहीं गिना जाता है। प्रथम वामन १२ को शून्य गिना जाता है। उसके बाद के वर्षों की वामन द्वादशी क्रमशः १,२,३… आदि गिनी जाती है। राजा की प्रथम वामन द्वादशी को शून्य कहा जाता है अतः इसे शून्य (सुनिया) पर्व भी कहते हैं। इस पद्धति से राजत्व काल की गणना अंक पद्धति है जो अभी केवल ओड़िशा में ही प्रचलित है। २ प्रकार की अंक पद्धति का उल्लेख तेलुगु मादला-पांजी (राजकीय आदेशों की सूची) में है जिसे प्रायः ३०० वर्ष पूर्व कलिंग के एक तेलुगू भाषी मन्त्री ने लिखा था। श्रीजगन्नाथ-स्थल वृत्तान्तम् के नाम से जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी से इसका अंग्रेजी अनुवाद २००५ में प्रकाशित हुआ। एक पद्धति में सभी अंक लिखे जाते हैं, दूसरी पद्धति में ६ तथा शून्य से अन्त होने वाले अंक छोड़ दिये जाते हैं। इसकी गिनती होगी १, २, ३, ४, ५, ७, ८, ९, ११, १२, १३, १४, १५, १७ …. आदि। दो पद्धतियों के कारण पुराणों में चन्द्र वंश के प्रथम चक्रवर्त्ती पुरुरवा का राजत्व कहीं ५६ और कहीं ६४ वर्ष लिखा है। कहीं कही पूर्ण संख्या ६० भी है। बाद के संकरणों के लेखक इसका रहस्य भूल गये और बिना किसी मन्तव्य के ये काल लिखते गये।
ओड़िशा में इसके पालन का कारण है कि वामन अवतार यहाँ हुआ था। उनका निजी नाम विष्णु था, जैसा ब्राह्मण ग्रन्थों में कहा गया है-वामनो ह विष्णुरास। उसी काल में कार्तिकेय भी हुए थे, जिन्होंने क्रौञ्च द्वीप में बलि को पराजित किया। उस विजय की स्मृति में कोणार्क में विजय स्तम्भ बना तथा माघ शुक्ल सप्तमी को वहाँ चन्द्रभागा तट पर रथयात्रा आरम्भ हुई। (स्कन्द पुराण, १/२/३२/१७८)। यह कृत्तिका के पुत्र थे। इस नक्षत्र के ६ तारा को कार्तिकेय की ६ माता कहा गया है-अत्र जुहोति अग्नये स्वाहा, कृत्तिकाभ्यः स्वाहा, अम्बायै स्वाहा, दुलायै स्वाहा, नितत्न्यै स्वाहा, अभ्रयन्त्यै स्वाहा, मेघयन्त्यै स्वाहा, चुपुणीकायै स्वाहेति। (तैत्तिरीय ब्राह्मण ३/१/४/१-९)
इस नाम के ६ स्थान सेना के ६ केन्द्र या मुख्यालय हो सकते हैं। ओड़िशा में दुला क्षेत्र था जिसके मन्दिर कोणार्क तथा निकट स्थानों में हैं। प्रचलन अनुसार वर्षयन्ती असम में (अधिक वर्षा), चुपुणीका पंजाब में (चोपड़ा), मेघयन्ती गुजरात, राजस्थान में (मेघानी, मेघवाल), अभ्रयन्ती महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश में, नितत्नि (जमीन पर फैलने वाली लता) तमिलनाडु, कर्णाटक में हो सकता है।
यही पर्व केरल में ओणम कहा जाता है पर वह सिंह मास की १० वीं तिथि को मनाते हैं। यह जानने का पुराणों के अतिरिक्त और कोई साधन नहीं है कि जिस दिन बलि ने ३ लोक इन्द्र को लौटाये उसदिन सचमुच भाद्र शुक्ल १२ के दिन सिंह मास का १०वां दिन भी था। क्या यह किसी वर्ष जब संयोग से दोनों तिथियां मिल रही थीं, तब किसी ने अंग्रेजी परम्परा की नकल में सिंह मास की १०वीं तिथि को ओणम कर दिया? यदि भाद्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्य संक्रान्ति मानी जाय तो संक्रान्ति के दिन द्वितीया आरम्भ हो जायेगी तथा अगले दिन तृतीया से सिंह मास का प्रथम दिन होगा। सिंह मास की दशम तिथि को द्वादशी हो जायेगी।
यहूदी तथा इसाई मतों के पूर्व पश्चिम एशिया में बाल देवता की पूजा होती थी, जो पौराणिक नाम बलि का ही अपभ्रंश है।
वामन द्वादशी के दिन ही झारखंड में करमा पूजा होती है। झारखण्ड को इन्द्र का नागपुर कहते थे। इन्द्र को अच्युत-च्युत कहते थे, अर्थात् जो अजेय को भी च्युत या पराजित कर सके।
यो अच्युत च्युतः स जनास इन्द्रः (ऋग्वेद , २/१२/९)। हिब्रू भाषा में भी चुतियापा का यही अर्थ है-Chutzpah = un-abashed audacity (Chambers Dictionary)।
इन्द्र पूर्व दिशा के लोकपाल थे, अतः असम में राजा को च्युत या चुतिया कहते थे। इन्द्र के राजा बनने पर असुरों के सहयोग से समुद्र मन्थन अर्थात् खनिज निष्कासन आरम्भ हुआ। झारखण्ड में बलि के राज्य उत्तर अफ्रीका, पश्चिम एशिया से असुर आये। बाद में वहाँ के यवनों को सगर ने ग्रीस भगा दिया जिसके बाद वहाँ का नाम यूनान हुआ। अतः अफ्रीका से खनन के लिए आये असुरों का नाम वही है जो ग्रीक भाषा में खनिज नाम हैं। खालको -खालको पाइराइट (ताम्बा अयस्क), ओराम (Aurum = gold), टोप्पो (Topaz) आदि।
समन्वय के लिए वासुकि नाग आये थे जिनका स्थान ब्रह्माण्ड पुराण (१/२/२० अध्याय) में रसातल (दक्षिण अमेरिका) कहा है। उनके नाम पर वासुकिनाथ तीर्थ भी यहाँ है। अतः इस क्षेत्र का नाम चुतिया नागपुर हुआ (चुतिया इन्द्र + वासुकि नाग)। १८५७ विद्रोह के अंग्रेजी वर्णनों में यह चुटिया तथा चोटा हो गया। आज भी रांची में चुटिया थाना है। चुटिया नागपुर से छोटा नागपुर हो गया। भाद्र शुक्ल द्वादशी को खनन कर्म आरम्भ हुआ अतः यह करमा पर्व है।
✍🏻अरुण उपाध्याय
*इस बार यह एकादशी 06 सितंबर दिन मंगलवार को थी एवं व्रत की एकादशी 7 सितंबर 2022 आज बुधवार के दिन है।*
*आज व्रत के दिन बुधवार को खाने में चावल या चावल से बनी हुई चीज वस्तु का उपयोग तनिक भी ना करें अगर आपने व्रत नहीं रखा है तो भी* 🙏
पद्म पुराण के अनुसार चातुर्मास के बीच आने वाली एकादशी का महत्व देवशयनी और देवप्रबोधिनी एकादशी के समान है। इस दिन भगवान विष्णु चातुर्मास के शयन के दौरान करवट लेते हैं इसलिए देवी-देवता भी इनकी पूजा करते हैं।
पुराण के अनुसार इस एकादशी पर व्रत और पूजन करने से पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है .इस दिन भक्तों को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करनी चाहिए।
वासुदेव ने युधिष्ठिर को बताया कि
पद्म पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार, युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से एकादशी व्रत के महत्व को विस्तार से चरण की विनती की। इस पर वासुदेव श्रीकृष्ण ने उन्हें सभी एकादशी का महत्व बताया। इसी क्रम में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी की कथा और महत्व को श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस प्रकार निर्दिष्ट किया है!
युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा, हे वसुदेव! भाद्रपद शुक्ल पक्ष में आनेवाली एकादशी का क्या नाम है❓इसकी व्रत और पूजा विधि और इसके महात्म्य विस्तार से बताए गए हैं। तब भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर की विनती स्वीकार की और बोले, हे युधिष्ठिर भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आनेवाली एकादशी को पद्मा एकादशी और परिवर्तीनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर व्रत और पूजन करने से पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और अर्थोपदेश होता है। इस दिन भक्तों को मेरे वामन रूप की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान युधिष्ठिर को पूजा विधि, व्रत का महत्व और व्रत कथा सुनाते हैं🙏
👉 *पद्मा एकादशी व्रत कथा* 👇
त्रेतायुग में बली नामक एक असुर राजा था, लेकिन वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। विविध प्रकार के वेद सूक्तों से प्रतिदिन भगवान का पूजन करता था। नित्य विधिपूर्वक यज्ञ आयोजन करता था और ब्राह्मणों को भोजन कराने की सुविधा भी करता था। वह जितना धार्मिक था उतना ही शूरवीर भी था। एक बार उन्होंने इंद्रलोक पर अधिकार स्थापित कर लिया।
स्वर्ग लोक देवताओं से छीन जाने से देवतागण परेशान होकर भगवान विष्णु के पास गए । देवगुरु बृहस्पति सहित इंद्र देवता प्रभु के निकट जाकर हाथ जोड़कर वेद मंत्रों द्वारा भगवान की स्तुति करने लगे। तब भगवान विष्णु ने उनकी विनती सुनी और संकट टालने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए उन्होंने वामन रूप धारण करके अपना पांचवां अवतार लिया और राजा बली से सब कुछ दान स्वरूप ले लिया।
भगवान वामन का रूप धारण करके राजा बली द्वारा आयोजित किए गए यज्ञ में पहुंचे और दान में तीन पग भूमि मांगी। इस पर राजा ने वामन का उपहास करते हुए कहा कि इतने छोटे से हो, तीन पग भूमि में क्या पाओगे❓ लेकिन वामन अपनी बात से अडिग रहे। इस पर राजा ने तीन पग भूमि देना स्वीकार किया और दो पग में पृथ्वी और आकाश माप लिए। इस पर वामन ने तीसरे पग के लिए पूछा कि राजन अब तीसरे पग कहां रखूं, इस पर राजा बली ने अपना सिर आगे कर दिया, क्योंकि वह पहचान गए थे कि वामन नहीं पर स्वयं भगवान विष्णु हैं🙏
वामन रूप में विद्यमान भगवान विष्णु राजा बली की भक्ति और वचनबद्धता से अत्यंत प्रसन्न हो गए और राजा बली को पाताल लोक वापस जाने के लिए कहा। इसके साथ ही भगवान विष्णु ने राजा बली को वरदान दिया कि चतुर्मास अर्थात चार महीने में उनका एक रूप क्षीर सागर में शयन करेगा और दूसरा रूप राजा बली के साथ पाताल में उस राज्य की रक्षा के लिए रहेगा।
👉 *एकादशी करते हों तो ध्यान रखें कुछ बातों का* 👇
👉 1. एकादशी के दिन सुबह दातुन या ब्रश न करें! नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। * यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें।
👉 2. एकादशी के दिन झाड़ू पोछा इत्यादि बिलकुल न करें! क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।
👉 3. एकादशी के दिन तुलसीदल न तोड़ें, भगवन को भोग लगाने हेतु एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लें।
👉 4. यदि घर में दक्षिणावर्ती शंख हो तो उसमे जल लेकर भगवान शालिग्राम को स्नान करवाएं, या पंचामृत से स्नान करवाएं!इस से सारे पाप उसी समय नष्ट हो जाते हैं तथा माता लक्ष्मी के साथ भगवान् हरि भी अति प्रशन्न होते हैं।
👉 5.एकादशी के दिन भगवान् श्री हरि को पीली जनेऊ अर्पित करें। पान के पत्ते पर एक सुपारी, लौंग, इलायची, द्रव्य, कपूर, किसमिस तुलसीदल के साथ इत्यादि अर्पित करें, साथ ही ऋतुफल भी अर्पित करें! एक तुलसीदल भगवान् पर भी चढ़ाएं पर रात्रि में उसे हटाना न भूले।
👉 6.एकादशी के दिन सुबह संकल्प लें, मन में मनोकामना करते हुए श्री हरि से व्रत में रहने का संकल्प करें!
👉 7. एकादशी के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व है, कोशिश करें की इस एकादशी पर जरूर जागरण करें, इस से व्रत फल 100 गुणा बढ़ जाता है!
👉 8. एकादशी के दिन चावल भूल से भी न छुएं, न ही घर में चावल बनें, इस दिन चावल खाने से बेहद नकरात्मक फल प्राप्त होते हैं, भाग्य खंडित होता है! एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें। प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।
👉 9. एकादशी के दिन कम से कम बोलें, पापी लोगों से बात न करें, जिनके मन में लालच, पाप या कोई भी अनैतिक तत्व दिखे कम से कम इस दिन उन सभी से दूर रहने का प्रयत्न करें! परनिंदा से बचें!
👉 10.श्री हरि की विशेष कृपा हेतु ‘ *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’* की 11 माला सुबह और 11 माला शाम में करें, साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करें! एकादशी व्रत कथा कहे ,पढे या सुनें।
👉 11. शाम में केले के पेड़ के नीचे एवं तुलसी में दीपक जलाना न भूले, इसे दीप-दान कहते हैं!
👉 12. माता लक्ष्मी के बिना विष्णु अधूरे हैं इसलिए माता की भी आरती अवश्य करें, सुबह और शाम शंखनाद एवं घंटियों की ध्वनि में ॐ जय जगदीश हरे की आरती करना न भूले!
👉 13. एकादशी के दिन केले के पेड़ की 7 परिक्रमा करने से धन में बढ़ोतरी होती है!
👉 14. व्रत पंचांग के समयानुसार ही खोलें अन्यथा लाभ की जगह नुक्सान भी हो सकता है, व्रत एवं पूजा के नियमों में करने से ज्यादा कुछ बातें जो हमे नहीं करनी चाहिए वो ही ज्यादा महत्व रखती है. अतः सावधानी से की गई पूजा सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करती है.
👉 15 .आज के दिन किसका त्याग करें-
🍁मधुर स्वर के लिए गुड़ का।
🍁दीर्घायु अथवा पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए तेल का।
🍁शत्रुनाशादि के लिए कड़वे तेल का।
🍁सौभाग्य के लिए मीठे तेल का।
🍁स्वर्ग प्राप्ति के लिए पुष्पादि भोगों का।
प्रभु शयन के दिनों में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य जहाँ तक संभव हो सके न करें। पलंग पर सोना, भार्या का संग करना, झूठ बोलना, मांस, शहद और दूसरे का दिया दही-भात आदि का भोजन करना, मूली, पटोल एवं बैंगन आदि का भी त्याग कर देना चाहिए।
👉 16. दोनों ही दिन शाम में संध्या आरती कर दीपदान करें। अखंड लक्षमी प्राप्त होगी। पैसा घर में रुकेगा।
👉 17. शंख ध्वनि से भी माता लक्ष्मी के साथ भगवान् हरि भी अति प्रसन्न होते हैं। अतः पूजा के समय जरूर शंख का उपयोग करें । पूजा के पहले शुद्धिकरण मंत्र तथा आचमन करना न भूलें क्योंकि इसके बिना पूजा का फल प्राप्त नहीं हो पाता।
👉 18. तुलसी की विधिवत पूजा करके उसकी 7
परिक्रमा करें। श्री हरि की तुलसी की मंजरी से पूजा करें
👉 *व्रत का महत्व* 👇
इस दिन राजा ने भगवान से अपने साथ रहने का वर मांगा तो भगवान बली के साथ पाताल लोक में चले गए। *धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस दिन भगवान विष्णु करवट लेते हैं, इसलिए इस एकादशी को उदयतिनी एकादशी भी कहते हैं* । जो लोग विधिपूर्वक इस एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं। इस दिन भगवान को कमल अर्पित करने से भक्त उनके और अधिक निकट आ जाता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन करने का पुण्य होता है। अत: इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए
गोविन्द जय – जय गोपाल जय – जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय॥
ब्रह्माकी जय-जय, विष्णूकी जय-जय।
उमा- पति शिव शंकरकी जय-जय ।।
राधाकी जय-जय, रुक्मनिकी जय-जय।
मोर-मुकुट बन्सीवाले की जय-जय॥
गंगाकी जय-जय, यमुनाकी जय-जय।
सरस्वती, त्रिवेणीकी जय-जय॥
रामजीकी जय-जय, श्यामजीकी जय-जय।
दशरथ-कुँवर चारों भैयों की जय-जय॥
कृष्णाकी जय-जय, लक्ष्मीकी जय-जय।
कृष्ण-बलदेव दोनों भाइयोंकी जय-जय॥
गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय॥
सोचिए पाकिस्तानी फ्रॉड करने में कितने माहिर हैं
लंदन में करोड़ों रुपए की कीमत की एक कार चोरी हो गई और वह कार कराची के एक बंगले के पोर्च में खड़ी मिली
इन्होंने लंदन से कराची तक यह कार फर्जी पेपर तैयार करके कैसे भेजा होगा
🙏 *ओम नमो नारायणाय* 🙏
🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻बुधवार, ७ सितम्बर २०२२🌻
सूर्योदय: 🌄 ०६:११
सूर्यास्त: 🌅 ०६:२४
चन्द्रोदय: 🌝 १६:४३
चन्द्रास्त: 🌜२७:१४
अयन 🌖 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (नल)
मास 👉 भाद्रपद
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 द्वादशी (२४:०४ से त्रयोदशी)
नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ (१६:०० से श्रवण)
योग 👉 शोभन (२५:१६ से अतिगण्ड)
प्रथम करण 👉 बव (१३:३५ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (२४:०४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 सिंह
चंद्र 🌟 मकर
मंगल 🌟 वृष (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 सिंह (उदित, पूर्व)
शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️
अमृत काल 👉 १०:११ से ११:३८
विजय मुहूर्त 👉 १४:२१ से १५:११
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२० से १८:४४
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:३३ से १९:४१
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५२ से २४:३८
राहुकाल 👉 १२:१५ से १३:४९
राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०७:३१ से ०९:०६
होमाहुति 👉 शनि
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 कैलाश पर (२४:०४ से नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – लाभ २ – अमृत
३ – काल ४ – शुभ
५ – रोग ६ – उद्वेग
७ – चर ८ – लाभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – उद्वेग २ – शुभ
३ – अमृत ४ – चर
५ – रोग ६ – काल
७ – लाभ ८ – उद्वेग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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पद्मा जलझूलनी (परिवर्तिनी) एकादशी (वैष्णव, निम्बार्क), श्री वामन अवतार जन्मोत्सव (वामन द्वादशी), विवाह मुहूर्त (हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर आदि प्रांतो के लिए) गोधुलि सायं ०५:३७ से सायं ०७:०४ तक, नींव खुदाई एवं गृहाआरम्भ+गृह प्रवेश मुहूर्त प्रातः ०६:१२ से प्रातः ०९:१७ तक, व्यवसाय आरम्भ+वाहन क्रय-विक्रय+देवप्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः १०:५१ से दोपहर १२:२५ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १६:०० तक जन्मे शिशुओ का नाम
उत्तराषाढ नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (खी, खू, खे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
सिंह – २८:२६ से ०६:४५
कन्या – ०६:४५ से ०९:०३
तुला – ०९:०३ से ११:२४
वृश्चिक – ११:२४ से १३:४३
धनु – १३:४३ से १५:४७
मकर – १५:४७ से १७:२८
कुम्भ – १७:२८ से १८:५४
मीन – १८:५४ से २०:१७
मेष – २०:१७ से २१:५१
वृषभ – २१:५१ से २३:४६
मिथुन – २३:४६ से २६:००
कर्क – २६:०० से २८:२२
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०५:५७ से ०६:४५
शुभ मुहूर्त – ०६:४५ से ०९:०३
रोग पञ्चक – ०९:०३ से ११:२४
शुभ मुहूर्त – ११:२४ से १३:४३
मृत्यु पञ्चक – १३:४३ से १५:४७
अग्नि पञ्चक – १५:४७ से १६:००
शुभ मुहूर्त – १६:०० से १७:२८
रज पञ्चक – १७:२८ से १८:५४
शुभ मुहूर्त – १८:५४ से २०:१७
शुभ मुहूर्त – २०:१७ से २१:५१
रज पञ्चक – २१:५१ से २३:४६
शुभ मुहूर्त – २३:४६ से २४:०४
चोर पञ्चक – २४:०४ से २६:००
शुभ मुहूर्त – २६:०० से २८:२२
रोग पञ्चक – २८:२२ से २९:५७
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन कार्यसिद्धि वाला है समय का लाभ उठाएं अधिकारी वर्ग आज आपकी हर संभव सहायता करेंगे सरकारी अथवा ने कागजी कार्य करने में देरी ना करें अन्यथा लंबित रह सकते है। आर्थिक मामले देखभाल कर ही करें धन की आमद देखकर जल्दबाजी में लिया निर्णय भविष्य में कष्ट देगा। पारिवारिक सदस्य अथवा मित्र, रिश्तेदारों को आर्थिक मदद ना चाह कर भी करनी पड़ेगी इससे घर का बजट प्रभावित होगा। महिलाये घर के कार्यो से ऊबन अनुभव करेंगी धीमी गति से कार्य करने पर अव्यवस्था फैलेगी। स्वास्थ्य आज सामान्य ही रहेगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन भाग्योन्नति वाला रहेगा। दिन का प्रथम भाग आलस्य की भेंट चढेगा परन्तु मध्यान से कार्यो में पूरी निष्ठा से जुट जाएंगे अधूरे कार्य पूरे होने पर धन की आमद होगी। आर्थिक रूप से आज का दिन आपकी आशाओ पर खरा उतरेगा लेकिन उधारी के व्यवहार कुछ समय के लिये परेशान करेंगे। घर मे धर्म कर्म के आयोजन होंगे। शुभ धार्मिक यात्रा की योजना भी बनायेगे। उगाही से लाभ होगा। परिजनों के साथ मित्रवत व्यवहार रहेगा। कार्य क्षेत्र पर स्त्री का सहयोग मिलेगा। पारिवार में सुख के साधनों की खरीद का विचार करेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज प्रातः काल से ही आपकी सेहत में नरमी आने लगेगी फिर भी लापरवाहि करेंगे जिससे तबियत ज्यादा खराब हो सकती है। कार्य व्यवसाय से आज आशानुकूल परिणाम नही मिलेंगे भागदौड़ अधिक करनी पड़ेगी आर्थिक रूप से दिन उलझनों वाला रहेगा। किसी को उधार दिया धन समय से ना मिलने पर असुविधा होगी बहस भी हो सकती है। नौकरी करने वालो को जबरदस्ती दौड़ धूप करनी पड़ेगी। परिवार का वातावरण भी रोग ग्रस्त रहेगा स्त्री वर्ग की सेहत खराब रहने से काम-काज अस्त व्यस्त रहेंगे। भाई बंधु भी स्वार्थी साधने के लिये व्यवहार करेंगे। धैर्य से दिन व्यतीत करें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिये धन और ज्ञान वृद्धिकारक रहेगा। आज आप जिस भी कार्य को करेंगे उसमे अपनी कार्य कुशलता का परिचय देंगे। अपने अनुकूल कार्य मे विशेष योग्यता मिलेगी।
आज आपके मन में राग-द्वेष की भावना रहने से किसी प्रिय व्यक्ति से दूरी बन सकती है लेकिन सामजिक व्यवहार बढ़ने का लाभ मिलेगा। संध्या के समय आकस्मिक धन अथवा उपहार लाभ के योग है। आज के दिन प्रेम-प्यार से दूर रहना ही हितकर रहेगा। लंबी यात्रा की योजना बनेगी यथा सम्भव आज टालें। स्वास्थ्य संबंधित समस्या कुछ समय के लिये रहेगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपको पिछले कुछ दिनों से चल रही मानसिक दुविधा में राहत प्रदान करेगा। कार्य व्यवसाय से दिन के आरम्भ में तसल्ली देने वाले समाचार मिलेंगे फिर भी आर्थिक निवेश करने से पहले सोच विचार अवश्य करें धन फंसने की संभावना है। सहकर्मियों की मनमाना व्यवहार कुछ समय के लिए असहज करेगा मामूली झड़प भी हो सकती है। धन लाभ संध्या के आस-पास अकस्मात होने से खर्च निकाल लेंगे। परिवार का वातावरण भी आज अन्य दिनों की तुलना में शांत रहेगा किसी के ऊपर भर डालने का प्रयास ना करें अशांति फैल सकती है। सेहत नरम रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज भी परिस्थिति आपके लिए सहायक बन रही है। दिन के आरम्भ से लेकर अंत तक आपकी दिनचार्य अन्य दिनों से अलग रहेगी। दिन भर शारीरिक व मानसिक रूप से चुस्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज नए प्रयोगों में रूचि दिखाएंगे। नियमित के अलावा अनैतिक मार्ग से भी धन लाभ होगा। आज घर एवं बाहर क्लेश मुक्त वातावरण बनने से राहत मिलेगी। मन मे यात्रा पर्यटन के विचार बनेंगे लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण निरस्त ही करनी पड़ेगी। महिला मित्र से मधुर मुलाकात होगी। संध्या के समय मित्र-परिजनों के साथ मनोरंजन के अवसर मिलेंगे। उत्तम भोजन वाहन सुख मिलेगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपके लिये उतार-चढ़ाव वाला रहेगा दिन के आरम्भ से ही आवश्यक कार्यो में व्यस्त हो जाएंगे घर मे किसी बात को लेकर कहासुनी होगी इसका प्रभाव दिन भर मस्तिष्क पर रहेगा संध्या बाद फिर दोबारा गड़े मुर्दे उखाड़ने पर झगड़ा हो सकता है। कार्य व्यवसाय से आशाजनक लाभ तो होगा लेकिन मन को शांति नही दे सकेगा। प्रतिस्पर्धा होने के कारण कुछ समय के लिए परेशानी होगी। धन को लेकर किसी से बहस ना करें मानसिक शान्ति के लिये आध्यात्म का सहारा लेना उचित रहेगा। सेहत मानसिक तनाव को छोड़ ठीक रहेगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आपके लिये आज का दिन धन लाभ वाला रहेगा। आज दिन के पूर्वार्ध में आप जो भी योजना बनाएंगे उसे मध्यान पश्चात तक पूर्ण कर लेंगे लेकिन आज धन संबंधित लाभ पाने के लिये किसी की सहायता की आवश्यकता भी पड़ेगी इसलिये स्वभाव में नरमी रखें। मध्यान के बाद व्यवसायिक यात्रा अथवा पर्यटन की योजना बनेगी लेकिन आज व्यस्तता अधिक रहने पर सम्भव नही हो सकेगा। पारिवारिक जीवन आनदमय रहेगा परिजन आवश्यक सामग्री की सारणी बना कर कुछ समय के लिये दुविधा में डालेंगे। घर मे अथवा कार्य क्षेत्र पर धन को लेकर किसी से विवाद हो सकता है। सेहत उत्तम रहेगी।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी आपके कुछ उलझनों वाला रहेगा। आज आप दिन का अधिकांश समय केवल सोचने में व्यर्थ करेंगे महत्त्वपूर्ण कार्य भी असमंजस के कारण अधूरे रह सकते है। कार्य व्यवसाय में मध्यान तक उदासीनता रहेगी इसके बाद संध्या तक बिक्री बढ़ने से काम चलाऊ आय हो जाएगी लेकिन आज घरेलू और अन्य व्यावसायिक खर्च भी अधिक रहने से धन संचय नही कर सकेंगे। परिवार के सदस्य अपनी बात मनवाने के लिए अनुचित जिद करेंगे जिसजे पूर्ण ना होने पर घर का वातावरण कुछ समय के लिए खरब होगा। बुजुर्ग वर्ग किसी बात को लेकर असंतोष जताएंगे। आरोग्य बना रहेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन शुभ कर्मों में व्यतीत करेंगे दिन के पूर्वार्ध में घर मे धार्मिक कृत्यों का आयोजन होगा धार्मिक क्षेत्रो की यात्रा के प्रसंग भी उपस्थित होंगे धन पुण्य पर खर्च करेंगे। कार्य व्यवसाय में मध्यान तक का समय अनदेखी के कारण मंदा जाएगा इसके बाद रात्रि तक कही ना कहि से आर्थिक लाभ होगा। स्वभाव में आज थोड़ी कृपणता भी रहने से परिजनों से मन मुटाव होगा। नौकरी वाले लोग कार्यो को जल्दबाजी में करेंगे जिससे थोड़ी बहुत त्रुटि हो सकती है। संध्या बाद का समय दिन की अपेक्षा राहत वाला रहेगा थकान रहने पर भी मनोरंजन के अवसर नही चूकेंगे।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज की परिस्थिति हानिकारक बन रही है घर एवं बाहर विवेक से काम लें अन्यथा जहां से लाभ की उम्मीद लगाए बैठे है वहाँ से अकस्मात निराश होना पड़ेगा। आज आप जल्दी से परिश्रम करने के लिए तत्पर नही होंगे इसके विपरीत मौज-शौक के लिए हर समय तैयार मिलेंगे। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी आपकी अनदेखी से बिगड़ सकते है अपने हित के लिए अन्य को परेशान ना करें अन्यथा अकेले रह जाएंगे। धन लाभ संध्या के समय आवश्यकता से कम होगा परिवार की महिलाओं अथवा बुजुर्ग से अनजाने में हानि हो सकती है क्रोध ना करें। परिजन अथवा स्वयं के स्वास्थ्य में गिरावट अनुभव होगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन सफलता दायक रहेगा फिर भी स्वभाव में गंभीरता लाना आवश्यक है अन्यथा लोग आपकी बातों को हल्के में लेंगे। कार्य व्यवसाय में पुरानी योजनाए आज फलीभूत होकर धन लाभ के साथ समाज मे वर्चस्व बढ़ाएंगी। सामाजिक क्षेत्र पर आज आपकी छवि प्रतिष्ठित जैसी बनेगी। व्यवसायियों की आर्थिक विषयो को लेकर कहा सुनी हो सकती है विवेकी व्यवहार रखें अन्यथा दुविधा में पड़ सकते है। नौकरी पेशाओ के लिये दिन ज्यादा शुभ रहेगा काम की अपेक्षा सम्मान अधिक मिलेगा। संध्या बाद का समय आनंद मनोरंजन में बिताना पसंद करेंगे। परिजनों से स्नेह स्वार्थ पूर्ति तक ही सीमित रहेगा। सेहत में आज सुधार अनुभव करेंगे।
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