जीवन में आगे बढ़ने के लिए पढ़ें पंचाग, आपका राशि फल, सनातन धर्म संस्कृति का पौराणिक इतिहास बताने के लिए तो पत्थर ही पर्याप्त हैं, भगवान राम की वंशावली, शम्मी पौधे को घर में रखने के वास्तु लाभ

हमें किसी के सत्यापन की आवश्यकता नहीं….
हमारा इतिहास सहस्राब्दी पहले पत्थर पर उकेरा गया है। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में

चिंताला वेंकटरमण स्वामी मंदिर में अद्भुत कलात्मक चित्रण। (साभार) 

सैकड़ो मंजिला ऊंची इमारते और हजारों मीटर लंबी टनल का आर्किटेक्चर भी इन स्तंभों पर बनी नक्काशियों के आगे मात खा जाता है ।

आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व निर्मित इस मंदिर को देखिए । अपने अद्भुत नक्काशियों से चौंकाने वाले इस मंदिर में जटिल नक्काशियों वाले कई ऐसे अद्भुत स्तंभ हैं जो केवल एक पत्थर को तराश कर बनाये गए हैं । वामपंथी इतिहासकारों के कुतर्क अपनी जगह हैं लेकिन मेरा मानना ​​है कि इसका निर्माण हाथ के औजारों द्वारा नहीं किया गया होगा ।

अतीत में हमारे देश में ऐसे चालीस हजार मंदिरों को तोड़ दिया गया और अनगिनत आभूषणों को लूट लिया गया । अकेले अंग्रेज लगभग 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति भारत से लूट कर ले गए ।

आज हमारी इकोनॉमी 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास भटक रही है और प्राचीन मंदिरों के नामपर कुछ टूटे-फूटे खंडहर ही बचे हैं सोचिये हमारा भारत प्राचीन काल में आज की तुलना में कितना समृद्ध रहा होगा ।

(भोग नंदीश्वर मंदिर, कर्नाटक) (साभार) 

कनाडा में विशाल हिन्दु मंदिर ..
टोरंटो शहर में स्थित स्वामीनारायण संप्रदाय का स्वामीनारायण मंदिर..
यह मंदिर कनाडा में फिंच एवेन्यू के पास हाईवे नंबर 427 पर स्थित है..
इस मंदिर की मुख्य विशेषता है कि इसके निर्माण में इस्पात या लोहे का उपयोग नहीं किया गया है..
इस मंदिर का अधिकांश भाग अलग-अलग प्रकार के पत्थरों से बना है..जिन पर भारत में ही हस्तशिल्प कार्य किया गया है..यह मंदिर मात्र 18 माह की छोटी सी अवधि में बनकर तैयार हुआ..
मंदिर की सुंदर नक्काशी को नुकसान न पहुंचे..इसलिए इसकी दीवारों को छूना निषेध है..इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी अनेक रोचक बाते हैं, जो इस प्रकार हैं-

इस मंदिर के निर्माण में उपयोग किया गया लाईम स्टोन और संगमरमर क्रमश: टर्की और इटली से भारत लाया गया..बाद में इस पर हस्तशिल्प कर कनाडा ले जाया गया..
जिन पत्थरों से इस मंदिर का निर्माण हुआ है, उन पत्थरों पर भारत के 26 स्थानों पर लगभग 1800 हस्तशिल्पियों ने कार्य किया है।
यह मंदिर 18 एकड़ क्षेत्र में फैला है।
मंदिर के 132 तोरण, 340 खंबों और छत के 84 भागों के लिए 24 हजार नक्काशीदार संगमरमर और लाईम स्टोन पत्थर के टुकड़े उपयोग किए गए।
इस मंदिर का निर्माण 100 भारतीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों ने किया है।
पत्थरों पर की गई नक्काशी में भारतीय धर्म ग्रंथों और पुराणों से जुड़े देवी-देवता और चिह्न दिखाई देते हैं।
सनातन संस्कृति के अनुसार मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए स्वामी नारायण मंदिर में अनेक नियम और व्यवस्थाएं हैं, जो इस प्रकार हैं-

मंदिर में भगवान के दर्शन सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक और शाम को 4 से 6 बजे तक होते हैं।
मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण बनाए रखने के लिए शांत रहने का नियम बनाया गया है। साथ ही सुंदर नक्काशी को नुकसान न पहुंचे इसलिए दीवारों का छूना निषेध है।
मंदिर में वस्त्रों की भी मर्यादा नियत की गई है। शार्ट या घुटने से ऊपर तक ऊंचाई वाले कपड़े की अनुमति न होकर उसके स्थान पर धोती या लुंगी दी जाती है।
मंदिर में वस्त्रों की भी मर्यादा नियत की गई है। शार्ट या घुटने से ऊपर तक ऊंचाई वाले कपड़े की अनुमति न होकर उसके स्थान पर धोती या लुंगी दी जाती है।। (साभार) 🙏

#यहूदी जब बेबीलोन में निर्वासित जीवन जी रहे थे तो वहां की नदियों के तट पर बैठकर #येरूशलम की ओर मुंह करके रोते थे और विरह गीत गाते थे ।

उन्होंने वहां सौगंध ले ली कि हम तब तक कोई आनंदोत्सव नहीं मनाएंगे जब तक कि हमें हमारा येरुशलम और जियान पर्वत दोबारा नहीं मिल जाता ।

50 सालों के निर्वासित जीवन में न कोई हर्ष, न गीत, न संगीत और सिर्फ़ अपनी मातृभूमि की वेदना…

इसकी तुलना अपने देश की संततियों से कीजिये ।

जो #अफगानिस्तान से निकाले गए, जो #पाकिस्तान से निकाले गए, जो बांग्लादेश से निकाले गए, जो कश्मीर से निकाले गए, क्या उनके अंदर अपनी उस भूमि के लिए कोई वेदना है ?

इन निर्वासितों की किसी संस्था को अखंड भारत के लिए कोई कार्यक्रम करते देखा या सुना है ?

अपने छोड़े गए शहर, पहाड़, नदी आदि की स्मृति को क्या उन्होंने किसी रूप में संजोया हुआ है ?

क्या कोई विरह गीत ये अपनी उस खो गई भूमि के लिए गाते हैं ?

क्या अपनी #संततियों को समझाते हैं कि उनके दादा-पड़दादा को क्यों, कब और किसने कहाँ से निकाला था ?

मैं ये नहीं कहता कि इनमें से सब ऐसे ही हैं पर जो ऐसे हैं वो बहुसंख्यक में हैं या फिर मान लीजिये कि कल को मैं मेरे जन्मस्थान से खदेड़ दिया गया तो क्या उसकी स्मृति को उसी तरह जी पाऊँगा जैसा बेबीलोन के #निर्वासित यहूदी जीते थे…

शायद “नहीं”

 एक #सभ्यता के रूप में हमारी हार का सबसे बड़ा सबूत यही है कि न तो हमें भारत के अधूरे मानचित्र को देखकर दर्द होता है और न ही हमें हमारी खोई हुई भूमि, नदियां, पर्वत और लूटे धर्मस्थान पीड़ा देते हैं।(साभार) 

. *।। ॐ ।।*
.🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग*»»»📜
कलियुगाब्द……………………5125
विक्रम संवत्…………………..2080
शक संवत्……………………..1945
रवि…………………………उत्तरायण
मास………………………………चैत्र
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी………………………….चतुर्दशी
प्रातः 09.18 पर्यंत पश्चात पूर्णिमा
सूर्योदय…………प्रातः 06.16.49 पर
सूर्यास्त…………संध्या 06.43.05 पर
सूर्य राशि…………………………मीन
चन्द्र राशि……………………….कन्या
गुरु राशि………………………….मीन
नक्षत्र…………………..उत्तराफाल्गुनी
प्रातः 11.16 पर्यंत पश्चात हस्त
योग……………………………….ध्रुव
रात्रि 03.10 पर्यंत पश्चात व्याघात
करण…………………………..वणिज
प्रातः 09.18 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु……………………….(मधु) वसंत
दिन……………………………बुधवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
05 अप्रैल सन 2023 ईस्वी ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 12.29 से 02.02 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मीन*
05:15:57 06:46:11
*मेष*
06:46:11 08:27:53
*वृषभ*
08:27:53 10:26:32
*मिथुन*
10:26:32 12:40:14
*कर्क*
12:40:14 14:56:24
*सिंह*
14:56:24 17:08:12
*कन्या*
17:08:12 19:18:52
*तुला*
19:18:52 21:33:30
*वृश्चिक*
21:33:30 23:49:40
*धनु*
23:49:40 25:55:17
*मकर*
25:55:17 27:42:24
*कुम्भ*
27:42:24 29:15:57

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक……………………..5
🔯 शुभ रंग……………………..हरा

💮 *चौघडिया :-*
प्रात: 07.51 से 09.23 तक अमृत
प्रात: 10.56 से 12.28 तक शुभ
दोप 03.33 से 05.06 तक चंचल
सायं 05.06 से 06.38 तक लाभ
रात्रि 08.06 से 09.33 तक शुभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
॥ ॐ गजेशाय नम: ॥

📯 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
क्रोध: सुदुर्जय: शत्रु: लोभो व्याधिरनन्तक: ।
सर्वभूतहित: साधु: असाधुर्निदय: स्मॄत: ॥
अर्थात :
क्रोध को मनुष्य का जीतने में कठिन शत्रु कहा गया है, लोभ कभी न ख़त्म होने वाला रोग कहा गया है । साधु पुरुष वह है जो दूसरों के कल्याण में लगा हुआ है और असाधु वह है जो दया से रहित है

🍃 *आरोग्यं :*-
*गिलोय के औषधीय गुण : -*

*3. अपच -*
पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज़, एसिडिटी या अपच से परेशान रहते हैं तो गिलोय आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। गिलोय का काढ़ा, पेट की कई बीमारियों को दूर रखता है। इसलिए कब्ज़ और अपच से छुटकारा पाने के लिए गिलोय का रोजाना सेवन करें।
आधा से एक चम्मच गिलोय चूर्ण को गर्म पानी के साथ रात में सोने से पहले लें। इसके नियमित सेवन से कब्ज़, अपच और एसिडिटी आदि पेट से जुड़ी समस्याओं से जल्दी आराम मिलता है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। अज्ञात भय सताएगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। कुसंगति से बचें। चिंता रहेगी। धन प्राप्ति में अवरोध दूर होंगे। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
शत्रु भय रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। भूमि व भवन संबंधी खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। आर्थिक उन्नति होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। शुभ समय।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। कारोबार में बुद्धिबल से उन्नति होगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। प्रमाद से बचें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। किसी के उकसाने में न आएं। बात बिगड़ सकती है। आवश्यक निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। थकान हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय में निश्चितता रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। आय में वृद्धि होगी। कारोबार का विस्तार होगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। निवेश लाभदायक रहेगा। घर में सुख-शांति रहेगी। उत्साह बना रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। संतान की चिंता रहेगी।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
आय में वृद्धि होगी। कारोबार लाभप्रद रहेगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। दूर से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय बढ़ेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में सहकर्मियों का साथ रहेगा। थकान रहेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
प्रेम-प्रसंग में आशातीत सफलता प्राप्त होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। कारोबार का विस्तार होगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। सुख के साधन जुटेंगे। शत्रु परास्त होंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। सभी ओर से सफलता मिलेगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
राजभय रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। लेन-देन में जल्दबाजी हानि देगी। शारीरिक कष्ट संभव है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। व्यवस्था में मुश्किल होगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। अनहोनी की आशंका रहेगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। आय में निश्चितता रहेगी।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। मानसिक बेचैनी रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। अधिकार प्राप्ति के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। दूसरों के काम में दखल न दें। विवाद से बचें। लाभ होगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
राज्य से प्रसन्नता रहेगी। कोई बड़ा काम हो सकता है। नई योजना बनेगी। नया उपक्रम प्रारंभ हो सकता है। सामाजिक कार्य करने का अवसर मिलेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। स्वास्थ्‍य का पाया कमजोर रहेगा। कोई नई समस्या आ सकती है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कोई नई समस्या आ सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
आंखों को चोट व रोग से बचाएं। धन प्राप्ति सुगम होगी। सुख के साधन जुटेंगे। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। थकान व कमजोरी महसूस हो सकती है। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
पुराना रोग उभर सकता है। अनहोनी की आशंका रहेगी। मातहतों से कहासुनी हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद संभव है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। दूसरों से अपेक्षा न करें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। आय में निश्चितता रहेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। सोच-समझकर निर्णय लें।

.☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

हिंदू परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को यदि ये नहीं पता होगा तो संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी केसे आगे जायेंगे.. जय श्री राम 🚩

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था? नहीं तो जानिये श्री राम वंशवृक्ष

1 – ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,

2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,

3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,

4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,

5 – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |

6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,

7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,

8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,

9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,

10- अनरण्य से पृथु हुए,

11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,

12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,

13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,

14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,

15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,

16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,

17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,

18- भरत के पुत्र असित हुए,

19- असित के पुत्र सगर हुए,

20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,

21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,

22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,

23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |

24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |

25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,

26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,

27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,

28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,

29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,

30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,

31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,

32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,

33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,

34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,

35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,

36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,

37- अज के पुत्र दशरथ हुए,

38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |

इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ।

जय श्री राम 🙏 (साभार) 

उपयुक्त शमी के पौधे की वास्तु दिशा दक्षिण दिशा की ओर होती है। अगर सीधी धूप न हो तो इसे पूर्व या उत्तर पूर्व में रखें । यदि नहीं, तो शमी के पौधे को बाहर रखें ताकि जब भी आप घर से बाहर निकलें तो यह आपके दाहिने हाथ पर हो।ज्‍योतिष और वास्‍तु में पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया गया है. ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए कुछ पौधे बहुत कारगर माने जाते हैं. इनमें से एक है शमी का पौधा. ये शनिदेव और शिव भगवान को प्रिय है इसलिए इसे दैवीय पौधा भी कहा जाता है. इस पौधे को लगाने के अनगिनत फायदे हैं.शमी का पौधे लगाने से को घर में बरकत आती है कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है. इस पौधे को लगाने से घर का वास्तु दोष भी दूर होता है. इसके प्रभाव से घर की सारी बाधाएं दूर होती हैं. रोज शमी की पूजा करने से विवाह संबंधी दिक्कतें भी दूर होती हैं.शमी का पौधा शनिदेव को प्रिय है. जिन जातकों को पर साढ़े साती और शनि की ढैय्या चल रही है उन्हें शमी का पौधा अपने घर में जरूर लगाना चाहिए. इससे इसका प्रभाव कम होता है.शमी का पौधा भोलेनाथ को भी पसंद है. इसे लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और दुख दूर होते हैं. ये पौधा शनिवार के दिन घर में लगाना बहुत शुभ माना जाता है. इसके अलावा दशहरे के दिन शमी के पौधे को घर में लगाने से तरक्की मिलती है.शमी का पौधा दैवीय और बहुत पवित्र होता है. इसलिए इसे लगाते समय साफ मिट्टी का ही प्रयोग करें. इसे लगाते समय दिशा का ध्यान जरूर रखें. इसे घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए. शमी के पौधे को छत पर दक्षिण दिशा में रखें. धूप न मिल सके तो इसे पूर्व दिशा में भी लगा सकते हैं.आप घर के मुख्‍य द्वार के पास भी शमी का पौधा लगा सकते हैं. शाम के समय शमी के पौधे के पास भी एक दीपक जलाकर इसकी पूजा करें. ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. इस पौधे को आप गमले में या फिर सीधे जमीन में भी लगा सकते45 दिनों तक रोजाना शाम को शमी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं. ये उपाय विवाह में आ रही सारी बाधाएं दूर करता है। (साभार)