शक्ति की प्राप्ति और हृदय रोगों से बचाव में उपयोगी है ये ‘ल्वणयां’ नामक खरपतवार

✍️डाॅ0 हरीश मैखुरी

ये खरपतवार यदा-कदा आपको दिखी होगी लगभग सभी जगह होती है यह मजबूत पौधा फुटपाथ की दरारों से निकलता है, चौक आंगन व बगीचों में बहुत उगता है तो जानकारी के अभाव में किसान इसे खेतों से जड़ से उखाड़ कर नष्ट करते हैं। और इसके बने कैप्सूल बिटामिन सी के नाम पर बाजार से खरीदता है। जानकार दादी बौडी आज भी इसकी चटनी बनाती हैं। 

सेंटर फॉर जेनेटिक्स, न्यूट्रिशन एंड हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. आर्टेमिस सिमोपोलोस द्वारा इसे “चमत्कारिक पौधा” करार दिया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में अपने कार्यकाल के दौरान, डॉ. सिमोपोलोस ने पाया कि पर्सलेन में सभी हरे पौधों के बीच ओमेगा -3 फैटी एसिड का उच्चतम स्तर होता है। जो हृदय के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसे पर्सलेन कहा जाता है इसका बाटनिकल नाम ‘ओलेरासिया’ है अनेक देशों में इसकी लगभग 40 प्रजातियाँ उगाई जाती हैं। फूल वाला पौधा जिसे आमतौर पर विंटर पर्सलेन ( क्लेटोनिया परफोलियाटा ) के नाम से जाना जाता है। 

इस खरपतवार की रसीली खट्टी खट्टी पत्तियाँ, जो आंसू की बूंदों के आकार की होती हैं, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और खनिजों से भरपूर होती हैं, जो इसे पोषण का पावरहाउस बनाती हैं। इतना ही नहीं – ये पत्तियां चटपटी ज़िंग के स्पर्श के साथ एक ताज़ा और तीखा नींबू जैसा स्वाद भी प्रदान करती हैं, जैसा कि शिकागो में एल्डो के रिस्टोरैंट इटालियनो के शेफ-मालिक सर्जियो विटाले की विशेषता है, जो दक्षिणी इटली में पर्सलेन का स्वाद लेते हुए बड़े हुए हैं।

आरंभ में अमेरिकियों, जिनमें मार्था वाशिंगटन भी शामिल थे, ने पर्सलेन को ताजा और मसालेदार दोनों तरह से पसंद किया, लेकिन 1900 के दशक की शुरुआत में इसका उपयोग कम हो गया। भारत में तो लोग इसे खरपतवार ही कहते हैं उत्तराखंड में इसे ल्वण्यां कहते हैं और खेतों से चौक से उखाड़ते हैं। शुक्र है, हाल के दिनों में, किसानों, ग्रामीणों और नवोन्मेषी रसोइयों ने इस लाभकारी खरपतवार में अपनी रुचि फिर से जगा दी है।और इसका अनेक दवाओं में उपयोग कर रहे हैं। 

खेतों में उगे या जंगली पर्सलेन तैयार करते समय, किसी भी कीटनाशक के अवशेष को खत्म करने के लिए पौधे को अच्छी तरह से धोना आवश्यक है। अपने तीखे और हल्के नमकीन स्वाद के साथ, पर्सलेन सलाद और विभिन्न व्यंजनों के लिए एक उत्कृष्ट अतिरिक्त है। अनेक वैद्यों का परामर्श है कि योन शक्ति की प्राप्ति और हृदय रोगों से बचाव में उपयोगी है ये खरपतवार। इसे अच्छी तरह धोयें चटनी बनायें और उपयोग करें। आजकल इसके कैप्सूल भी बाजार में आ गये हैं। लेकिन हमारा परामर्श है कि ये घास जहाँ भी मिले थोड़ा सा निकालें और सिलबट्टे में चटनी पीस कर थोड़ी थोड़ी उपयोग करें।

मेरे किसान मित्रों सच बतायें तो अब इस बहु उपयोगी और मूल्यवान खरपतवार को उखाड़ने की जगह खेती करें पतंजलि डाबर वैद्यनाथ आदि संस्थाओं को बेचें इसके उपयोग से संबंधित अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 9634342461