नीती माणा घाटी के घुरड़ बरड़ का संरक्षण भी हिमालय का संरक्षण ही है

दोस्तो ये जंगली पशु नीति माना घाटी में इसे घुरड़, बरड़ या अंग्रजी में आई बैक्स के नाम से पुकारा जाता है पहाड़ों की ऊंची चोटियों में रहते हैं ये ऐसी चट्टानों पर भी चल सकते हैं जिसमे पांव रखने की भी जगह नहीं होती,घाटी में इनके झुंड पहाड़ियों में चरते हुए अक्सर दिख जाते हैं ये नीचे की तरफ सिर्फ पानी पीने के लिए आते हैं और हां दोस्तो यह जरूर ध्यान दें कि यदि पहाड़ में ये झुंड आपको दिखाई दे तो जहां ये चर रहे उसके नीचे गाड़ी कभी भी न खड़ी करें क्योंकि अन्य की उपस्थिति में ये जब डर कर भागते हैं तो इनके पैरो से पत्थर खिसक कर नीचे गिरते हैं और गाड़ी का नुकसान हो सकता है ऐसी घटना में मेरे परिचित की गाड़ी बाल बाल बची है जिन्होंने मेरी बातों को गंभीरता से नहीं लिया था,जेसे जेसे घाटी में ठंड बड़ती है ये भी ऊंची पहाड़ियों से नीचे की तरफ उतरने लगते हैं अक्टूबर माह में ये गांवो के बिलकुल करीब पहुंच जाते हैं एक बात और जाड़ों में अति बर्फबारी में फसकर या एबलोंच में इनमे से कई मारे जाते हैं जिसका हम कुछ नही कर सकते सिवाय दुख के मगर कुछ जानवर जाड़ों में बांकरो में फस कर भूखे प्यासे मारे जाते हैं जो कि सोच कर हृदय को पीड़ा देता है बंकर के दरवाजे अंदर को खुलते हैं और जानवर अंदर तो घुस जाते हैं पर दरवाजा बंद होने पर खोल नही पाते हैं और भूख प्यास से वहीं दम तोड देते हैं इसलिए कभी भी बंकर के दरवाजे खुले नही छोड़ने चाहिए या खुले दिखे तो बंद कर देने चाहिए क्योंकि जीने का हक तो इन्हे भी है क्यों है ना #nititheuntouchedheaven