मुगल आक्रांताओं ने हजारों मंदिर लूटे तोड़े लेकिन भग्नावशेष छोड़ दिए, परन्तु सैकड़ों विश्वविद्यालय जलाये और लाखों गुरूकुल समाप्त किए जानते हो क्यों!

अकबर बाबर औरंगजेब जैसे लुटेरे मुगल व यवन आक्रांताओं ने अखंड भारत में हजारों मंदिर लूटे, सोमनाथ जैसे मंदिर तो सत्रह सत्रह बार लूटे कुल मिला कर इन म्लेच्छ आक्रांताओं ने २८००० से अधिक मंदिरों को लूटा और विद्रुप किया और उनमें से हजारों के उपर ढांचे पहना दिए जबकि कुछ मंदिर पूरे नहीं तोड़े ….ऐसा नहीं था कि पूरा नहीं तोड सकते थे….उन्होंने जानबूझकर कई मंदिर पूरी तरह नहीं तोड़. …कहीं मूर्तियाँ भग्न की,,कहीं खंडित की,,किंतु पूरी तरह नष्ट नहीं की..अपितु विद्रुप करके भग्नावशेष छोड़ दिए ताकि मंदिर बनाने वालों और मंदिरों में पूजा करने वालों का मान मर्दन हो सके। 

उन्होंने मंदिरों के अवशेष पूरे ढँके या छुपाए भी नहीं कभी..उन्हें पूरी तरह भग्नावस्था में हिन्दुओं की आँखों के सामने रखा..

ताकि तुम्हें और तुम्हारी आनेवाली असंख्य पीढ़ियों को नित्य अपमानित करते रहें….खून के आँसू रुलाते रहे,,उनकी धाक और खौफ तुम्हारे दिलों में ताजा रख सकें और सदैव ..हर पल..हर क्षण तुम्हारे आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और आत्मबल पर अप्रत्यक्ष चोट करते रहें… 

वे चाहते तो क्या नन्दी को भग्न नहीं कर सकते थे..?? उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया ताकि तुम याद रखो नन्दीश्वर कहां हैं और रोज रोज तरसो,,तड़पो और दर्शन की अभिलाषा लिए तिल तिल मरो..!!

बहुत भयानक होती है ऐसी मौत क्योंकि इसमें व्यक्ति नहीं उसका स्वाभिमान,,धर्म और राष्ट्र मर रहा होता है….हर आक्रांता का परम आनंद होता है ऐसी मौत देखना।।

बख्तियार खिल्जी जैसे दुर्दांत लुटेरे आक्रांताओं ने नालंदा तक्षशिला शारदा जैसी सैकड़ों अद्भुत अद्वतीय अकल्पीय और आश्चर्यजनक विश्वविद्यालय और उनकी लाखों दुर्लभ पुस्तकें जला दी और लाखों गुरूकुल समाप्त किए। इन गुरूकुलों के जिन आचार्यों ने मजहब कबूल नहीं किया उनके सर तन से जुदा कर उनके जनेऊ से कढ़ाई भर जाती थी। इन आक्रांताओं ने हजारों मंदिरों को लूटा और भग्नावशेष छोड़ दिये। ताकि तुम्हें आत्मग्लानि हो कि कैसे मुगलों ने तुम्हारा मान मर्दन किया। सैकड़ों विश्वविद्यालय जलाये और लाखों गुरूकुल समाप्त किए जानते हो क्यों पहला उद्देश्य भारतीय सनातन धर्म परम्परा और वैज्ञानिक संस्कृति नष्ट करनी थी और दूसरा भारतीयों को उनकी औकात में रखना था ताकि उनका स्वाभिमान सदैव के लिए मर जाय। और वे भारतीय थाति पर गर्व करना भी भूल जांय। 

तब उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि यही अधमरे,,आत्माभिमान शून्य लोग कभी एकत्रित हो जाएंगे और अपनी विरासत वापस मांगने लगेंगे।।

उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि उनके समाजिक और मानसिक स्तर पर इतनी चोट के बाद भी हम कभी संगठित हो पाएंगे।।

उन्होंने सोचा ही नहीं था इन सोए मुरझाए लोगों को झकझोरकर जगाने कोई आएगा….और फिर जो भग्नावशेष इन्हें अपमानित करने के लिए बाकी छोड़े थे वे ही उनके अत्याचारों की गवाही देने लगेंगे।।

बहुत वर्षों के अपमान झेलने के बाद कोई आया है जिसने सनातन स्वाभिमान जगाया है। इसलिए एक जुट एक मुठ रहो। स्वाभिमान जीवित रखो। क्यों कि चीन व पाकिस्तान की शक्ति प्रमाणु बम नहीं बल्कि भारत में पल रहे उनके कीटाणु बम हैं। इसीलिए सचेत और सावधान भी रहना है। साभार संकल ✍️हरीश मैखुरी