बद्रीविशाल जी के तप्तकुंड का रहस्य, महामृत्युंजय मन्त्र के आगे क्वांटम मशीन भी नगण्य, खजूराहो के इतिहास पर गढ़वाली भाषा में सरोज शर्मा का आलेख

जानिए बद्रीनाथ के तप्त कुंड का क्या है रहस्य?
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हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का अपना एक विशेष महत्व है। इनमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं। इस अलौकिक धाम की यात्रा देश का हर हिंदू करना चाहता है। भगवान बद्रीनाथ का मंदिर हिमालय पर्वत की श्रेणी में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। क़रीब 3133 मीटर की ऊंचाई पर बने इस मंदिर का इतिहास काफ़ी पुराना है। इसके बारे में कई अलौकिक कथाएं भी प्रचलित हैं। नर और नारायण पहाड़ों के बीच कस्तूरी शैली में बना यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान विष्णु का मंदिर है। यहां नर और नारायण की पूजा की जाती है। यहां भगवान विग्रह रूप में विराजमान हैं। मंदिर तीन भागों में विभाजित है।

गर्भगृह, दर्शन मंडप और सभामंडप का तापमान हमेशा 9 से 10 डिग्री सेल्सियस रहता है। लेकिन यहां उपस्थित तप्त कुंड का तापमान औसतन 54 डिग्री सेल्सियस रहता है। यह अपने आप में एक चमत्कार है कि जो मंदिर चारों ओर से बर्फ़ की ढकी पहड़ियों से घिरा हो, जहां नल का पानी भी जम जाता हो, वहां इस तप्त कुंड में इतना गर्म पानी कैसे रह सकता है? आइए जानें इस चमत्कारी तप्त कुंड का रहस्य…

तप्त कुंड
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कहते हैं कि बद्रीनाथ धाम में गर्म पानी के कुंड में स्नान करने से शरीर संबंधित सभी प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बाहर से छूने पर कुंड का पानी काफ़ी गर्म लगता है। लेकिन नहाते समय कुंड का पानी शरीर के तापमान जितना ही हो जाता है। तप्त कुंड की मुख्य धारा को दो भागों में बांट कर यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग स्नान कुंड बनाया गया है। माना जाता है कि नीलकण्ठ की पहाड़ियों से इस पानी का उद्गम है। कहते हैं कि भगवान बद्रीनाथ ने यहां तप किया था। वही पवित्र स्थल आज तप्त कुंड के नाम से विश्व विख्यात है।

मान्यता है कि तप के रूप में ही आज भी इस कुंड में गर्म पानी रहता है। मान्यता यह भी है कि इस तप्त कुंड में साक्षात सूर्य देव विराजते हैं। वहाँ के पुरोहित बताते हैं कि सूर्य देव को भक्षा-भक्षी की हत्या का पाप लगा था। तब भगवान नारायण के कहने पर सूर्य देव, बद्रीनाथ आये और तप किया। तब से सूर्य देव को भगवान ने जल रूप में विचलित किया। जिसमें स्नान कर लोगों को अपनी शरीर सम्बंधी सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही भगवान के दर्शन कर वो अपने पापों से मुक्ति भी पाते हैं।

मंदिर से महज़ चार किलोमीटर की दूरी पर बसा है ‘माना गाँव।’ कहते हैं इसी गांव से ‘धरती का स्वर्ग’ निकलता है। लोगों का यह भी कहना है कि यहाँ आने से पैसों से सम्बंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। यहां मौजूद गणेश गुफा, भीम पुल और व्यास गुफा अपने आप में कई पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं। कहते हैं कि तप्त कुंड के पानी में स्नान करने से भक्तों को उनके पापों से छुटकारा ही नहीं मिलता बल्कि उन्हें कई रोगों से मुक्ति भी मिल जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि ‘बदरी सदृशं तीर्थ, न भूतं न भविष्यति’
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महामृत्युंजय मन्त्र के आगे क्वांटम मशीन भी पराधीन।

दुनिया के 50 विश्वविद्यालयों के 500 वैज्ञानिक कर रहे शोध।
पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की मुख्य भूमिका।।

स्वामी महाराज को सादर प्रणाम

लेकिन हमे क्या, हमारे कुछ बुद्धूजीवियो के लिये तो ये सब ढोंग है (साभार) 

खजुराहो

✍️सरोज शर्मा

खजुराहो भारत क मध्य प्रदेश प्रान्त म स्थित एक मुख्य शहर च,जु आपणा पुरण मध्य कालीन मंदिरों खुण विश्वविख्यात च।ई मध्यप्रदेश क छतरपुर जिला म च। खजुराहो थैं पैल खजूरपुरा और खजूर वाहिका नौ से भि जंणै जांद छाय।यख बड़ी संख्या म प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर छन। खजुराहो सरया दुन्या म मुड़यां डुंग न बणया मंदिरों खुण प्रसिद्ध च, खजुराहो अलंकृत मंदिरों खुण जंणे जांद जु भारत क सर्वोत्कृष्ट मध्यकालीन स्मारक छन, भारत क अलावा भि दुन्या भर का पर्यटक ऐ अप्रतिम सौंदर्य थैं द्यखण कु आणा रंदिन। हिन्दू कला और संस्कृति थैं शिल्पियों न मध्यकालीन म उत्कीर्ण करि,बनि बनि कि कामक्रीड़ाओं थैं ऐ मंदिर म सुंदरता से उकेरे ग्या्, खजुराहो का मंदिर ऐक सभ्य संदर्भ, जीवंत संस्कृति च,ई वु अंतिम बिंदु क झर  च जु मानव संरचनाओं और संवेदनाओं कि भरपाई करद जु हमरा पास च, ई माटु से पैदा एक कैनवास च जु अपण शुद्धतम रुप म जीवन क चित्रण कैरिक फैलयूं च।

चंदेल वंश न ९५०-१०५०क बीच निर्मित, खजुराहो मंदिर भारतीय कला क महत्वपूर्ण नमूनो म एक च। हिन्दू और जैन मंदिरों थैं आकार लीण मा लगभग सौ साल लगिन।मूल रूप से ८५ मंदिरों क एक संग्रह च, संख्या २५तक ताल ऐ ग्या्, मंदिर परिसर थै तीन क्षेत्रों म विभाजित किए ग्या्। पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी। पश्चिमी समूह म अधिकांश मंदिर छन, पूर्वी म नक्काशीदार जैन मंदिर छन, दक्षिणी समूह म कुछ मंदिर छन। पूर्वी समूह क मंदिर चंदेला शाशन क टैम फलदा फूलदा जैन धर्म खुण बणै ग्या् छा।

पश्चिम और दक्षिण क भाग क मंदिर बनि बनि क हिन्दू द्यबताओं थैं समर्पित छन,आठ मंदिर विष्णु थैं,छै शिव थै, और एक गणेश और सूर्य और बाकी जैन तीर्थंकरों थैं समर्पित छन। कंदरिया महादेव मंदिर सब्या मंदिरों से बड़ च।

इतिहास

खजुराहो क इतिहास लगभग एक हजार साल पुरण च।अपण क्षेत्र म खजुराहो कि सबसे पुरणि ज्ञात शक्ति वत्स छै वूं का उत्तराधिकारियों मा मौर्य,सुंग, कुषाण, पद्मावती का नागा,वकाटक वंश, गुप्त,पुष्यभूति राजवंश और गुर्जर -प्रतिहार राजवंश शामिल छा।ई विशेष रूप से गुप्त काल क टैम पर छा ऐ बगत वास्तुकला और कला क विकास शुरु ह्वै, उत्तराधिकारियों न भि कलात्मक परंपरा जारी रखि।

 यु शहर चंदेल साम्राज्य कि पैलि राजधानी छाय। चंदेल वंश और खजुराहो क संस्थापक चंद्र वर्मन छा, चंद्र वर्मन मध्य काल म बुंदेलखंड म शासन कनवला राजपूत राजा छाय। चंदेलों न दसवीं से बारहवीं शताब्दी तक मध्य भारत म शासन करि।

खजुराहो मंदिरों क निर्माण ९५०ईसवी से १०५०ईसवी का बीच चंदेल राजाओं न हि करि।

२ मंदिरों क निर्माण क बाद चंदेलों न अपणि राजधानी महोबा म स्थानांतरित कैर दया् फिर भि खजुराहो क महत्व कम नि ह्वै।

मध्य काल क दरबारी कवि चंद्रबरदाई न पृथ्वी राज रासो क महोबा खंड मा चंदेलों कि उत्पति क वर्णन करींयू च। वूंन लिखि काशी का राजपंडित कि पुत्री हेमवती भौती सौंदर्यवती छै,ऐक दा गर्मियों कि रात्रि मा कमल पुष्पों क तालाब म नहेंणी छै वींकि सुन्दरता देखिक भगवान चंद्र वीं पर मोहित ह्वै गिन,वु मानव रूप म धरती मा ऐ गिन और हेमवती क हरण कैर दया् दुर्भाग्य से हेमवती विधवा छै और एक नौना कि ब्वै भि छै वींन चंद्र देव पर चरित्र हनन क आरोप लगै।

अपणि गलती क पश्चाताप कन कु चंद्र देव न हेमवती थैं वचन दया् कि वा एक वीर पुत्र कि ब्वै बणलि।वु एक महान राजा बणलु,राजा बणिक वु बाग झीलों न घिरयां मंदिरों क निर्माण करालु। चंद्र देव न हेमवती से बोलि कि राजा बणिक वु विशाल यज्ञ क आयोजन करालु जैसे त्यारा सरया पाप धुले जाला। 

चन्द्र क निर्देश क पालन कैरिक हेमवती न पुत्र थैं जन्म दींणकु अपण घौर छोड़ दया् और एक छवटा सि गौं मा पुत्र थैं जन्म दे।

हेमवती क पुत्र चन्द्र वर्मन भि अपण बुबा जन ही तेजस्वी बहादुर और शक्तिशाली छाय सोलह बर्ष कि आयु म वु शेर बाघ थैं बिना हथियार क मार सकदु छाय।अपण नौना कि असाधारण वीरता देखिक हेमवती न चंद्र देव कि करि और वूंन चन्द्र वर्मन थैं पारस पत्थर भेंट करि। और खजुराहो क राजा बणै। 

पारस पत्थर न लोहा थैं सोना बंणै सकदा छा।

चंद्र वर्मन न कै युद्धों म शानदार विजय प्राप्त करि, वैन कलिंजर क विशाल किला बंणै, ब्वै क बुन से वैन तालाबों और बागों से भ्वरयां( आच्छादित) खजुराहो मा ८५, अद्वितीय मंदिरों क निर्माण करै और एक यज्ञ क आयोजन भि करि जै से हेमवती पाप मुक्त ह्वै ग्या्। चंद्र वर्मन और वैका उत्तराधिकारियों न खजुराहो म भौत सा मंदिरों क निर्माण करै।

जब ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट न खजुराहो क मंदिरों कि खोज करि तब बटिक मंदिरों क एक विशाल समूह थैं “पश्चिमी समूह” क नौ से जंणै जांद।ई खजुराहो क सब्यों से ज्यादा आकर्षक स्थानों म गिणे जांद।ये थैं यूनेस्को न१९८६ म विश्व धरोहर कि सूचि म शामिल करि।ऐकु मतलब च कि अब सरया दुनियां ऐकि देखभाल कि कि उत्तरदाई होलि।

शिवसागर क नजदीक म स्थिति पश्चिमी समूह क मंदिरों क दर्शन क साथ अपणि यात्रा शुरु कन चैंद। एक आडियो हैड सेट ५० रु म टिकट बूथ से ५०० रुप्या जमा कैरिक मिल जाला।

ऐका अलावा द्वी सौ रुप्या से तीन सौ रुप्या क बीच अधा या सरया दिन खुण गाइड सेवा भि उपलब्ध च। खजुराहो थैं साइकिल क माध्यम से भि द्यखे जा सकद ई साईकिल बीस रुप्या प्रति घंटा कि दर से मिल जंदिन

ऐ परिसर का विशाल मंदिरों कि भौत ज्यादा सजावट करे ग्या्।यखकि सजावट यखका शासकों कि सम्पन्नता और शक्ति क प्रतीक च।

इतिहासकारों क मत च कि ऐमा हिन्दू देवताओं क प्रति भक्तिभाव दर्शाये ग्या्। देवताओं क रूप म शिव और विष्णु थैं दर्शाये ग्या्।ऐ परिसर म लक्ष्मण मंदिर उच्च कोटि क च।ऐमा विष्णु भगवान बैकुंठ म बैठयां दिखयां छन,चार फुट विष्णु कि मूर्ति म तीन मुंड छन।ई मनिख, सिंह, और वाराह क रुप म दर्शाये गिन।इन ब्वलेजांद कि कश्मीर क चम्बा क्षेत्र बटिक यूं मंगये ग्या्।ऐका तल का बांया हिस्सा म आमलोगों कि दैनिक क्रियाकलापों कूच करदि सेना और नर्तकों थैं दिखये ग्या्।

मंदिर म चार सहायक वेदी छन।९५४ ईस्वी म बणया ऐ मंदिर क संबंध तांत्रिक समुदाय से च ऐकु अग्र भाग द्वी प्रकार कि मूर्तियां से सजयूं च जैका मध्य खंड म आलिंगन करदा दम्पतियों थैं दरशांद। मंदिर क समणि द्वी छवटि वेदी छन।एक देवी और दुसरी वाराह देव थैं समर्पित च।वाराह कि आकृति पीला पत्थर कि चट्टान न बंणी छन।

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*”विश्वास” में*

*विष भी है*… *आस भी है*

*ये स्वयं पर निर्भर करता है कि…*

*क्या लेना और देना है..!!*

       *🙏🌹 नमस्कार🌹🙏*

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