केरल के मुख्यमंत्री का बामपंथी चेहरा इतना खौपनाक ?

केरल में इन दिनों बाढ़ की विभीषिका ने जनजीवन अस्तव्यस्त और तहस-नहस कर दिया है। आपदा की इस घड़ी में पूरा देश कंधे से कंधा मिलाकर पूरी संवेदना के सहित केरल के साथ खड़ है,  विशेष रूप से आपदा बचाव टीमें,  केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 50 हजार कार्यकर्ता अपनी जान पर खेलकर वहां मदद कार्य में जुटे हैं। लेकिन वहां की बामपंथी  सरकार ने किस तरह विकास कार्यों व सुरक्षा इंतजामों में वहां का भट्टा बिठाया हुआ है वो भी उजागर हो गया। और इससे भी खतरनाक बात कि देवताओं के प्रान्त केरल का वहां की बामपंथी सरकार में न केवल तेजी से धर्मान्तरण और इस्लामीकरण किया गया बल्कि समाज व देश को किस खतरे में डाल दिया है सुरेश चिपलूनकर केे इस लेख से और अधिक स्पष्ट हो जाता है – – संपादक 

  “हमें बंगाल से सीखना चाहिए कि …. किस तरह वहाँ हमारे कामरेड पहले विरोधी का चुपचाप अपहरण कर लेते हैं,… फिर उसका मर्डर करने के बाद नमक भरी बोरी में जमीन के अंदर गाड़ देते थे… वर्षों तक किसी को पता भी नहीं चलता और काम हो जाता था…” . रोंगटे खड़े हो गए ना??

जी हाँ!! ये उदगार हैं ….केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के…. जब उन्होंने यह बयान दिया था, उस समय वे चौराहे पर खड़े कोई मामूली गुण्डे या मुम्बईया लौंडेछाप माफिया नहीं, बल्कि खुद को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाली माकपा के वरिष्ठ राज्य महासचिव थे ।

इस खौफनाक और वीभत्स बयान की सत्यता परखने के लिए आपको माकपा के ही एक पूर्व सांसद एपी अब्दुल्ला कुट्टी के उस लेख को पढ़ना होगा, जिसमें उन्होंने यह “कटु सत्य” बयान किया था कि केरल से निकलने वाले काँग्रेस के मुखपत्र “वीक्षनम” में बाकायदा लिखित स्वरूप में खुल्लमखुल्ला लिखे अपने लेख में अब्दुल्ला कुट्टी ने बताया कि जिस समय पिनरई विजयन ऐसा कह रहे थे, तो मैं भौंचक्का होकर उनका मुँह देखता रह गया ।

एपी अब्दुल्ला कुट्टी की बात पर इसलिए विश्वास किया जाना चाहिए, क्योंकि एक तो वे खुद हिंसक माकपाई भूतकाल लिए हुए हैं, और अब काँग्रेस की तरफ से कन्नूर सीट के विधायक हैं…..कन्नूर जिला संघ के स्वयंसेवकों की हत्याओं के लिए बहुत बदनाम हो चुका है ।

इस बयान पर विश्वास करने का दूसरा कारण यह है कि अब्दुल्ला कुट्टी के इस लेख पर पिनारई विजयन को छोड़कर माकपा के किसी भी नेता ने ना तो कोई आपत्ति दर्ज करवाई और ना ही मानहानि का केस दायर किया ।

अब्दुल्ला कुट्टी ने भी प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि, मैंने जो लिखा है मैं उस पर कायम हूँ और मुझे नहीं लगता कि माकपा के पास इसे झुठलाने का नैतिक साहस है, क्योंकि मैं खुद माकपाई रहा हूँ और इनकी रग-रग से वाकिफ हूँ.”.

साभार – सुरेश चिपलूनकर