नहीं रहे ऋषि परम्परा के साहित्यिकार एवं स्वतंत्र पत्रकार शिवराज सिंह रावत ‘निसंग’, विधायक महेंद्र भट्ट ने दी श्रद्धांजलि

✍️हरीश मैखुरी 

महान साहित्यकार, रचनाकार, पत्रकार और शक्ति के साधक श्री शिवराज सिंह रावत ‘निसंग’ जी 94 वर्ष की अवस्था में 2 जून 2021 को प्रातः परलोक सिधार गए। वे ऋषि परंपरा के लेखक और साधक थे। वे न केवल आत्म ज्ञानी पुरुष थे बल्कि उन्हें इसी जीवन में ब्रह्म तत्व की प्राप्ति हो चुकी थी। पिछले वर्ष हम अपने मित्र डाॅ भगवती पुरोहित के साथ उनके गांव’ देवर खडोरा’ उनसे मिलने गये, साथ में मंगला पुरोहित और कुसुम मैखुरी को भी देख वे बहुत गदगद हुए। असक्तता के बावजूद उन्होंने घंटों बात की एक रचना भी गा कर सुनाई। वे हमको झिड़की भी लगाते थे ‘तुम पढ़ेलिखे सब बेमान होते हैं’😊 चमोली जनपद में साहित्य सृजन के वे इतिहास पुरूष थे। निसंग जी का जन्म चमोली के दूरस्त गांव देवर-खडोरा में 15 फरवरी 1928 को हुआ था। युवावस्था में फौज में भर्ती हो गए। 1953 से 1974 उन्होंने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी। 1975 से 1994 तक नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारी के पद पर रहे, सेवाओं से सेवा निवृत्ति के बाद से वे अंतिम समय तक वे सतत साहित्य सेवा में निमग्न रहे। 

          श्री शिवराज सिंह जी ने सनातन धर्म की अनेक परंपराओं पर डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें एवं अनेक अत्यंत गूढ़ रचनाएं सृजित की हैं, ऐसा लेखन बिना ऊपरी शक्ति के नहीं हो सकता। शिवराज सिंह रावत कहते थे कि सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों से आत्मा का परिष्कार होता है। उनका कहना था कि सुख संपत्ति धन वैभव नाम सब देह के साथ यहीं छूट जाता है, जबकि हमारे कर्मों का लेखा और संस्कार आत्मा के साथ बंधे होते हैं। संस्कार ही आत्मा का परिष्कार करते हैं, संस्कार विहीन मनुष्य को प्रभु शरण की प्राप्ति नहीं होती और उन्हें वापस 84 लाख के योनियों के फेर में पड़ना पड़ता है, अस्तु मनुष्य को इसी जीवन में सोलह संस्कार संपन्न करने चाहिए।

     उन्होंने सनातन धर्म संस्कृति की परंपराओं सहित, बद्रीनाथ की महिमा, शक्ति की साधना, चंद्र सिंह गढ़वाली आदि अनेक विषयों पर कई पुस्तकें और साहित्य सृजन किया है। शिवराज सिंह जी हमारे अभिन्न मित्र थे, उनका निरंतर मेरे घर आना-जाना बना रहता था, उनका आशीष हमें निरंतर प्राप्त होता रहता था। उनके जाने से साहित्य जगत की जो अपूरणीय क्षति हुई है वह पूरी होना असंभव है।

   वर्ष 1997 में हम लोगों ने उमेश डोभाल स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन गोपेश्वर में किया था तब उमेश डोभाल स्मृति संस्था द्वारा बतौर लेखक व पत्रकार श्री शिवराज सिंह निशंक जी को सम्मानित करने का गौरव भी प्राप्त किया। श्री शिवराज सिंह जी को अनेक सम्मानित किया गया। वे सेवानिवृत्त सेनानी थे बद्रीनाथ मंदिर समिति में भी उन्होंने काफी समय कार्य किया। गत 20-25 वर्षों से वह निरंतर लेखन कार्य में व्यस्त रहे। गायत्री उपासना एवं दैनिक वन्दना, श्री बदरीनाथ धाम दर्पण, उत्तराखण्ड में नंदा जात, कालीमठ-कालीतीर्थ, उत्तराखण्ड में शाक्त मत और चंडिका जात, पेशावर गोली काण्ड का लौहपुरूष वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, भारतीय जीवनदर्शन और सृष्टि का रहस्य, षोडस संस्कार क्यों? केदार हिमालय और पंच केदार, भाषा तत्व और आर्यभाषा का विकास, मानवाधिकार के मूल तत्व, भारतीय जीवनदर्शन और कर्म का आदर्श, गीता ज्ञान तरंगिणी तथा बीती यादें उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं।  पिछले एक-दो वर्ष से उनको विस्मृति होने लग गई थी, इसके उपरांत भी जब भी स्मृति जगती तो वह बड़ा सुंदर लेखन करते थे। शरीर की असक्तता की अवस्था में भी उनका लेखन निरंतर चलता रहा, अपने जीवन काल में उनको बहुत सम्मान मिला 2010-11 के लिये ‘गुमानी पंत साहित्य सम्मान’ चन्द्र कुंवर बर्त्वाल स्मृति हिन्दी सेवा सम्मान 2005, उत्तराखण्ड सैनिक शिरोमणी सम्मान 2008, गोपेश्वर में पहाड़ सम्मान, साहित्य विद्या वारिधि सम्मान सहित उन्हें कई सम्मान उनको मिले। जितना गंभीर उनका लेखन था निश्चित रूप से हम आज की तिथि में कह सकते हैं उतनी गंभीरता के पाठक अब उपलब्ध नहीं है। गोपेश्व में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रवक्ता डाॅ भगवती प्रसाद पुरोहित ने सूचना दी कि आज उनका अंतिम संस्कार आज गंगा अलकनंदा तट पर संपन्न हुआ।

साहित्य जगत और पत्रकारिता जगत में उनके जाने से जो रिक्ति आई है वह अपूरणीय है। उनके निधन पर अनेक साहित्यकारों, पत्रकारों तथा जनप्रतिनिधियों ने अपनी अपनी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

 बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने श्रध्दांजलि देते हुए कहा कि महान साहित्यकार व पत्रकार शिवराज सिंह रावत जिनका कि उप नाम निशंग था अब हमारे बीच नहीं रहे। स्व0 निशंग जी से अनेको बार मिलना हुवा,अपने क्षेत्र के विकास के प्रति आपके दृष्टिकोण ने मुझे काफी प्रभावित किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनेको कार्यक्रमों में आपसे काफी कुछ समझने को मिलता था। मन दुःखी है। मैं अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूँ। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें। और परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

     उत्तराखंड के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज, बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट, उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध संस्कृति कर्मी प्रोफेसर दाताराम पुरोहित, लेखक और गूढ़ रहस्यों के अन्वेषक प्रोफेसर डाॅ भगवती प्रसाद पुरोहित, विख्यात लेखक और चित्रकार डाॅ नन्दकिशोर हटवाल, संस्कृति कर्मी और नाट्यविधा के मर्मज्ञ डाॅ राकेश भट्ट, साहित्यकार शम्भू प्रसाद भट्ट स्नेहिल, कवि और लेखक, डाॅ0 सत्या नन्द बडौनी, लेखक और चिंतक डाॅ0 चरणसिंह केदाखंडी, पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से जुड़े मंगला कोठियाल, चमोली में आयकर अधिवक्ता एडवोकेट देवी प्रसाद पुरोहित, सामाजिक सरोकारों के लेखक एडवोकेट भुवन नौटियाल, कवियत्री शशि देवली, जनपद चमोली के सभी पत्रकारों और साहित्यिकारों ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया और भावभीनी श्रध्दांजलि अर्पित की।