मोदी एवं धामी की केदारनाथ कैमिस्ट्री के राजनीतिक मायने

✍️ हरीश मैखुरी

केदारनाथ में मोदी और धामी की केमिस्ट्री से उत्तराखंड में राजनीतिज्ञों की नींद उड़ गयी है। जिस तरह मुख्यमंत्री धामी मोदी के सम्मुख जबरदस्त फॉर्म में थे वह अंदाज चौंकाने वाला था।  केदारनाथ में करीब 400 करोड़ के शिलान्यास और लोकार्पण के समय भी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक भाषण देने से दूरी बनाए रखी वहीं मोदी का भाषण शुद्ध रूप से केदारनाथ की महिमा और सनातन धर्म का पुनरुत्थान विषयक रहा। यही नहीं जिस अंदाज में मोदी और धामी ने केदारनाथ में केमिस्ट्री बनी है उससे धामी का ना केवल अपना कद बढ़ा बल्कि उसने उत्तराखंड के चुनावी समीकरण को भी खासा प्रभावित कर दिया है भारतीय जनता पार्टी को भी इस केमिस्ट्री के उत्तराखंड में काफी लाभ होने की उम्मीद है। इसी से उत्तराखंड में विपक्ष काफी  तिलमिलाया है, उन्होंने मोदी की लाइव कवरेज को विषय बनाया है क्योंकि केदारनाथ में धार्मिक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए कोई भी राजनीतिक बात नहीं की इससे विपक्ष की रणनीति धरी रह गयी। इसीलिए विपक्ष ने केदारनाथ में मोदी की पूजा की लाइव कवरेज को ही विषय बना कर कहा कि वहां कैमरे कैसे लगे इस सवाल पर विपक्ष सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी हुआ और अंदर ही अंदर विपक्ष को मोदी धामी की केमिस्ट्री की चिंता सताने लगी है। और तो और मोदी जिस बॉडी लैंग्वेज और भाव भंगिमा से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से रूबरू हो रहे थे उससे भाजपा के पुराने बड़े नेताओं में भी उथल-पुथल मची हुई है समझा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पुष्कर सिंह धामी के अंदर का सृजनात्मक व्यक्ति को पहचान लिया। जिस तरह अपने संक्षिप्त कार्यकाल में ही पुष्कर सिंह धामी ने न केवल अपना कद बढाया उससे उनके मुख्यमंत्री बनने का लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में मिलना तय है बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी अपने एक 1 मिनट का सदुपयोग भारत को आगे बढ़ाने भारत के विकास और भारत की महान परंपराओं का के संरक्षण हेतु करते हैं उसी तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रधानमंत्री मोदी की केदारनाथ यात्रा के एक-एक क्षण को अपनी कार्यशैली से प्रभावित किया उन्होंने जहां जौली ग्रांट एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी के आने का स्वागत किया वही जौली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचकर उन्हें विदा भी किया कर एक सुदृढ़ केमिस्ट्री बना दी। मुख्यमंत्री जिससे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कद खुद भी ऊंचा हुआ और बिना राजनैतिक बात करे प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय जनता पार्टी को राजनीतिक लाभ भी पहुंचा दिया बस इसी केमिस्ट्री ने विपक्षी दलों से विषय छीन लिया । विपक्ष का आरोप है कि मोदी ने केदारनाथ से बड़ी घोषणा नहीं की। लेकिन मोदी जानते हैं कि केदारनाथ में की गयी किसी भी घोषणा को यही विपक्ष चुनावी घोषणा बता देता। संभवत इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस धार्मिक आयोजन में सभी राजनीतिक बातों से परहेज रखा। लेकिन सभी को संज्ञान है कि एक बड़े फलक के राजनीतिक व्यक्तित्व का धार्मिक कार्य भी स्वत: ही राजनीतिक लाभ मिलता ही है