डुमक कलगोठ जिस गांव को आज तक विकास की किरण ने नहीं छुआ।
रिपोर्ट हरीश मैखुरी
उत्तराखंड चमोली- जोशीमठ तहसील के डुमक कलगोठ गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था जिला मुख्यालय गोपेश्वर की रहने वाली कुसुम बिष्ट के भरोसे है जो सताइस किलोमीटर पैदल चल चढ़कर डुमक कलगोठ पंहुचती हैं। वे जिन क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं वे क्षेत्र हमारे नेताओं और प्रशासन की लापरवाही के चलते आज भी आदमयुग में जीने को विवश हैं। डुमक कलगोठ गांव आज भी मोटर सड़क से 27 किलोमीटर दूर है और वहां बिजली और मोबाइल टावर नहीं है। अस्पताल और सरकारी इन्टर कालेज नहीं है। यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बस कुसुम बिष्ट जैसे समर्पित लोगों के भरोसे है। अन्यथा वहां कोई एएनएम भी टिकने को राजी नहीं। यहां की दुनियां ही अलग है।
इस गांव में सरकारी योजना के नाम पर बस एक परिवार कल्याण उपेन्द्र है जो समर्पित स्वास्थ्य कारकत्री कुसुम बिष्ट के सहयोग से चल रहा है सरकारी कर्मचारियों के लिए यहां सेवा देना किसी तपस्या से कम नहीं।
यहाँ के बहुत कर्मठ और सच्चे लोग बसते हैं। इन डुमक कलगोठ गांवों का राजमा आलू घी और शहद आज भी जिला मुख्यालय में बहुत लोकप्रिय है। प्रेम सिंह सवाल पूर्व प्रधान जो अब काफी बुजुर्ग हो गये और बीमार रहते हैं उनका कहना है कि मोटर सड़क के लिए लड़ते लड़ते जीवन समाप्त हो गया पर गांव में मोटर सड़क देखने का ख्वाब अधूरा रह गया। अनेक स्वयं सेवी संस्थाओं ने वहां के नाम पर प्रोजेक्ट भी चलाये पर नतीजा ढाक के तीन पात। विधायक वोट मांगने जाते हैं और सांसद तो वोट मांगने भी यहां नहीं आते। डुमक कलगोठ उत्तराखंड सरकार की नाकामी का दंश झेल रहा है। फिर भी अब यह हमारी प्राचीन आत्त्मनिर्भर व्यवस्था का आखरी बचा हुआ गांव रह गया है। जहां दूर दूर तक विकास की हवा नहीं दिखती
माननीय मुख्यमंत्री जी आप इस जन्म में 27 किलोमीटर पैदल चलकर डुमक पंहुंचिए तो समझो हो गया विकास। परन्तु आप का हेलीकॉप्टर भी डुमक के पुंगड़ों में उतर जाय तो मेरा दावा है कि आप तब भी डुमक कलगोठ की पीड़ा समझ पायेंगे।
Report Harish Makhuri
Uttarakhand Chamoli- The health system of Dumk Kalgod village of Joshimath tehsil is believed to be the trust of Kusum Bisht, the district headquarters of Gopeshwar, which reached Satas Kms and reached Dumma Kalgoth. The areas in which they are providing their services are bound to live in our age even today due to the negligence of our leaders and administration. Dumk Kalgoth village is still 27 kilometers away from the motor road and there is no electricity and mobile tower. There is no hospital and government inter college. The health system here is just about trusting dedicated people like Kusum Bisht. Otherwise there is no ANM agree to end it there too. The world here is different. 
In this village there is just one family welfare deputy in the name of the government scheme, with the help of dedicated health activist Kusum Bisht, serving here is not less than any austerity.
Very busy and true people live here. These Dumka rajma potato ghee and honey of villages are still very popular in the district headquarters. Prem Singh, the former Pradhan, who has now become very old and ill, says that fighting for the motor road fighting ended but the dream of seeing the motor road in the village remained incomplete. Many volunteer organizations also run the project in the name of the result but the result was three out of Dhaka. Legislative votes are sought and MPs do not even come here to demand votes. Dumak Kalgoth is facing the stomach failure of Uttarakhand government. Yet now it remains the last remaining village of our ancient self-reliant system. Where is the wind of development far away
Hon’ble Chief Minister, if you reach a drip 27km walk in this birth, then it is understood that development has been developed. But if your helicopter goes down into Dumkung, then you claim that you will still understand the pain of Dumkal Kalgod.