बांज यानी उत्तराखंड का हरा सोना : नयी पीढ़ी को बांज में स्टार्टप खोजने आवश्यकता है

#बांज यानी उत्तराखंड का #हरा_सोना। बांज उत्तराखंड की सदाबहार चारा पत्ती है। #पहाड़ की महिलाओं का जीवन बांज की घास और गाय भैंस आदि पशुओं को समर्पित है। इस जीवन का भी अपना आनंद अपना शकुन और उत्साह है। यह कार्य इन #महिलाओं को प्राकृतिक रूप से बलशाली और निरोग बनाता है। बांज के बीज को स्थानीय भाषा में #लिंक्वाल कहते हैं पन्द्रह बीस वर्षीय पेड़ होने पर ही बांज ये बीज देते हैं। पके होने पर हल्के पीले रंग के होते हैं। इसे भूमि में गाड़ने पर अगले वर्ष वहां बांज का अंकुरण हो जाता है। लेकिन जब यह दो पति या चार छ पति वाला पौधा होता तो इसे बकरी गाय घ्वीड़ काखड़ आदि जीव अपना चारा बना लेते हैं। इसलिए इसकी पैदावार कम होती है। क्यों कि यह चारा पत्ती है। संभवतः इसलिए अब रूखे जंगलों में जहां मानव ने कुछ नहीं छोड़ा वहां प्रकृति ने भारी मात्रा में काला बांस या #बासिलो नाम की झाड़ उगा दी है। उस झाड़ को गाय भी नहीं खाती लेकिन वह झाड़ भूमि की नमी बनाये रखता है भूमि को नरेसन प्रदान करता है। उसके पत्ते पीस कर एंटीबॉयोटिक्स और कैंसर दवाईयां बनती हैं, उस काले बांस की झाड़ में अनेक #पशु-पक्षी उस पर अंडे बचे देते हैं और सबसे बड़ी बात बांज के ये लिंक्वाल जब उस झाड़ के बीच उगते हैं तो पौधा बनने तक काला बांस की झाड़ बांज आदि के पेड़ों के पौधों की रक्षा भी कर देता है। बाद में वही पौधे पेड़ बन जाते हैं और वहां एक भरा पूरा जंगल बन जाता है। बाज (ओक) एक तरह से उतराखंड का हरा सोना है। यह जंगल में नमी बनाये रखता है और सदाबहार पेड़ है। इसकी गिर हुई पत्तियों की खाद उत्तम मानी जाती है जो प्राकृतिक रूप से जंगलों को मिल जाती है।
पहले बांज की पतियों को गाय चाव से खाती थी। यह पहाड़ की एक प्रमुख घास थी लेकिन अब बताया गया कि #गाय भी इसे नहीं खाती है। संभव तया गायों को अधिक पींडा अन्न फ्री वाले चावल खिलाने से उनकी आदत बदल रही है। इसलिए अनेक जगह पर अब इस बांज के पेड़ की पत्तियों पर #रेशम के कीड़े पालने का कार्य आरम्भ हो गया है। उत्तराखंड में बांज की ६ से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। बांज के पेड़ 1800 मीटर से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। #उत्तराखंड के #चमोली #पिथौरागढ़ #उत्तरकाशी #रूद्रप्रयाग #अल्मोड़ा #बागेश्वर #टिहरी #देहरादून आदि जनपदों में भारी मात्रा में पाया जाने वाला बांज (Oak Tree) अत्यंत उपयोगी पेड़ है। इसे उत्तराखंड का हरा सोना भी कहते हैं। इसका बॉटनिकल नाम क्वेर्कस (Quercus) है। पूरे इकोसिस्टम में कीस्टोन (Keystone Species) का काम करती हैं। कीस्टोन उन स्पीसीजको कहा जाता है, जो अपने इकोसिस्टम में अपनी प्रजाति के सापेक्ष बाकी अन्य प्रजातियों के अस्तित्व में सहयोग करती हैं। इस पेड़ की जड़ें पानी को रिटेन करती हैं यानी पानी भूमि को देती हैं। और ग्राउंडवॉटर की मात्रा बढ़ाने का कार्य भी करती हैं। साथ ही यह अन्य स्पीसीज, पशु पक्षियों, माइक्रो फ्लोरा, माइक्रो फौना काई शैवाल को भी रहने के लिए आश्रय देता हैं इसकी लकड़ी बहुत सुगढ़ होती है इसलिए #कृषि उपकरण #नसूड़ा आदि बनाने के लिए काम आता है बांज के पेड़ बहुउपयोगी हैं। वैसे तो यह पेड़ विलुप्त होने की श्रेणी में नहीं हैं, लेकिन फिर भी इनको बढाने के लिए समय समय पर ट्रीमिंग भी करनी चाहिए यानी इसका चारा के लिए उपयोग करना चाहिए। मैं फिर कहूंगा बांज यानी उत्तराखंड का हरा सोना है नयी पीढ़ी को बांज में स्टार्टप खोजने व भविष्य के लिए संरक्षित रखना आवश्यक है। न कि दिल्ली रौण वाली के विरह में जाना है दारू छोड़ो और बांज अपनाओ पहाड़ मत छोड़ो ✍️हरीश मैखुरी
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