वरिष्ठ नागरिकों को मार डालो, सरकार को सभी सीनियरों को मार देना चाहिए! – सांसद जया बच्चन, संविधान की मूल प्रति सांसदों को देने के निहितार्थ

श्रीमती जया बच्चन माननीय. सांसद ने संसद में बहुत महत्वपूर्ण विषय उठाया….

“वरिष्ठ नागरिकों को मार डालो।

सरकार को सभी सीनियरों को मार देना चाहिए। 65 वर्ष की आयु के बाद के नागरिक क्योंकि सरकार इन राष्ट्र निर्माताओं पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
“क्या भारत में वरिष्ठ नागरिक होना अपराध है?
भारत के वरिष्ठ नागरिक 70 वर्ष के बाद चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. उन्हें कोई कार्य नहीं दिया जाता है, इसलिए वे जीवित रहने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने सेवानिवृत्ति की आयु यानी 60-65 तक सभी करों, बीमा प्रीमियम का भुगतान किया था। सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने होते हैं। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे/हवाई यात्रा पर मिलने वाली 50% छूट भी बंद कर दी गई है। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि राजनीति में विधायक, सांसद या मंत्री पद पर बैठे वरिष्ठ नागरिकों को हर संभव लाभ दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी मिलती है। मैं यह समझने में असफल हूं कि अन्य सभी (कुछ सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर) को समान सुविधाओं से क्यों वंचित रखा गया है। सोचिए, यदि बच्चों को उनकी परवाह नहीं होगी तो वे कहां जाएंगे। अगर देश के बुजुर्ग चुनाव में सरकार के खिलाफ जाएंगे तो इसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। सरकार को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।

सीनियर्स के पास सरकार बदलने की शक्ति है, उनकी अनदेखी न करें। उनके पास सरकार बदलने का जीवन भर का अनुभव है। उन्हें कमजोर मत समझो! वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए बहुत सारी योजनाओं की आवश्यकता है। सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर बहुत पैसा खर्च करती है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के बारे में कभी ध्यान नहीं देती। इसके विपरीत, बैंकों की ब्याज दरों में कमी के कारण वरिष्ठ नागरिकों की आय घट रही है। यदि उनमें से कुछ को परिवार और स्वयं का समर्थन करने के लिए अल्प पेंशन मिल रही है, तो यह भी आयकर के अधीन है। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को कुछ लाभों पर विचार किया जाना चाहिए:
(1). 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिकों को पेंशन दी जानी चाहिए
(2). सभी को हैसियत के मुताबिक पेंशन दी जाए
(3). रेलवे, बस और हवाई यात्रा में रियायत।
(4). अंतिम सांस तक सभी के लिए बीमा अनिवार्य होना चाहिए और प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
(5). वरिष्ठ नागरिकों के अदालती मामलों को शीघ्र निर्णय के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
(6). हर शहर में सभी सुविधाओं से युक्त वरिष्ठ नागरिकों के घर
(7). सरकार को 10-15 साल पुरानी पुरानी कारों को स्क्रैप करने के नियम में संशोधन करना चाहिए। यह नियम केवल वाणिज्यिक वाहनों के लिए लागू किया जाना चाहिए। हमारी कारें ऋण पर खरीदी जाती हैं और हमारा उपयोग 10 वर्षों में केवल 40 से 50000 किमी तक होता है। हमारी कारें नई जैसी ही अच्छी हैं। यदि हमारी गाड़ियाँ नष्ट हो जाती हैं तो हमें नई गाड़ियाँ दी जानी चाहिए।

मैं सभी वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वे इसे सभी सोशल मीडिया पर साझा करें। आशा करते हैं कि यह सरकार, जो हर समय ईमानदार रहती है और *”सब का साथ, सब का विकास”* की बात करती है, उन लोगों की भलाई के लिए कुछ करेगी जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है और अब अपने चरम पर हैं।”

कृपया अपने दोस्तों, वरिष्ठ नागरिकों और शुभचिंतकों के साथ साझा करें।

(साभार शोशल मीडिया) https://youtu.be/nr52ZLBRtOg?si=Y788iobrO7VNUH9h

आइए आपको कुछ बताता हूं 

 पुरानी संसद को छोड़ते हुए ओर नई संसद में जाते हुए सरकार ने हर सांसद को एक गिफ्ट पैक दिया था जिसमे एक संविधान की कॉपी भी थी 

देर रात विपक्षियों ने हंगामा मचाया की जो कॉपी सभी सांसदों को दी गयी ह उसमें सेकुलर वे सोशलिस्ट शब्द नही ह , जो कई सालों बाद संविधान में संसोधन कर जोड़े गए थे ।

हंगामा मचा तो सरकार ने जवाब दिया कि सांसदों को जो कॉपी दी गयी है वो संविधान की मूल प्रति की कॉपी है। 

हमारा मूल संविधान यही है ।

इसका तात्पर्य समझते हैं आप ?

सरकार विपक्ष ओर देश का तापमान माप रही है  देश की जनता को खींच कर इस मुद्दे पर ला रही है की देश में चर्चा हो कि भारत के मूल संविधान में क्या था और अब क्या है । मूल संविधान बचा हुआ भी है कि राजनीतिक तुष्टिकरण की भेंट चढ़ गया! 

ताकि कल को सरकार ठीक वैसे ही कोई सविधान संसोधन कर “सेकुलर ओर सोशलिस्ट” शब्द हटाए जैसे कि इंदिरा गांधी ने सविधान संसोधन से जोड़ा था तब विपक्ष के हंगामे में जनता न आए और जनता को पता हो कि संविधान को उसी मूल रूप में वापस लाया जा रहा है जैसा कि वो मूल रूप में बनाया गया था ।

वैसे तो मोदी के मन की थाह लेना असम्भव सी बात है लेकिन कभी कभी सोचता हूं कि इस आदमी का सपना क्या होगा जिसके लिए ये इस आयु में भी दिन रात एक किये है ।

क्या केवल विकसित और सुखमय भारत 

या विकसित, विशाल ,सुखमय, शक्तिशाली और सनातन भारत! 

मोदी की मंशाओं पर शक करना खुद पर थूकना है ।

जिससे आप सपने में भी नही सोच सकते वो उसके लिए भी पूरी प्लानिंग किये बैठा है ।