रमेश विधुड़ी का जीवन परिचय : क्या है रमेश विधुड़ी और दानिश अली प्रकरण

कौन हैं रमेश बिधूड़ी ?

रमेश बिधूड़ी उस परिवार से आते हैं, जिसने अपनी जमीन-जायदाद का एक बड़ा हिस्सा आर्य समाज मंदिर, विद्यालय और अस्पताल बनवाने के लिए दान में दे दिया।

कालकाजी के GBSS स्कूल से हुई बचपन की शिक्षा-दीक्षा।

मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की।

DU के शहीद भगत सिंह कॉलेज में वे बतौर सेन्ट्रल काउंसलर चुने गए थे।

इसके बाद उन्होंने DU की एग्जीक्यूटिव काउंसिल में जगह बनाई।

फिर 3 बार लगातार दिल्ली की तुगलकाबाद विधानसभा सीट से विधायक रहे।

उसके बाद लगातार 2 बार दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।

जमीन से जुड़े नेता हैं रमेश बिधूड़ी।

रमेश बिधूड़ी को 2003 में दिल्ली भाजपा का उपाध्यक्ष बनाया गया था, उससे पहले वो प्रदेश जनरल सेक्रेटरी थे।

रमेश बिधूड़ी के पिता भी समाजसेवी रहे हैं।

बिधूड़ी 90 के दशक से ही कई हिन्दू संगठनों से भी जुड़े रहे हैं।

तुगलकाबाद, जहाँ से वो विधायक बने 3 बार, वहाँ की जनता से उनका खास जुड़ाव है।

साउथ दिल्ली में वो रिकॉर्ड वोटों से जीतते हैं , कांग्रेस के विजेंदर सिंह और AAP के राघव चड्ढा को उन्होंने 2019 में मात दी थी।

कालकाजी एक्सटेंशन में रमेश बिधूड़ी ने जच्चा-बच्चा अस्पताल भी खुलवाया हुआ है।

इन दिनों सदन में उनकी की प्रतिक्रियात्मक टिप्पणी से विपक्ष में भारी तिलमिलाहट है। बात ये है कि वे सदन में चर्चा कर रहे थे कि एक पार्टी के सांसद दानिश अली बार बार विधुड़ी को टोक रहे थे जिस पर विधुड़ी ने पहले उन्हें शांत रहने को कहा ले दानिश बार बार टोकाटाकी करते ही रहे तब विधुड़ी ने ‘ऐ उग्रवादी चुप रह’ कहा जब दानिश अली ने फिर उदंडता करते हुए टोकाटाकी की तो रमेश विधुड़ी ने ‘ऐ आतंकवादी चुप कर’ कहा। सदन में उनकी ऐसी टिप्पणी से जहां विपक्ष को राजनीतिक हंगामे अवसर मिल गया वहीं भाजपा को इस तरह की टिप्पणी ने असहज कर दिया। भाजपा इसिलिये विधुड़ी का न बचाव कर रही है और उनके बयान से पल्ला झाड़ रही है। 

वहीं हिन्दूओं के विरूद्ध अनेक बार आपत्ति जनक बयान देने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने तो इस मौके को एक अवसर की तरह लिया वे आनन-फानन में बसपा सांसद दानिश से मिलने पंहुच गये। कांग्रेस शासित राजस्थान में हिन्दू नेता नूपुर शर्मा समर्थक होने के कारण एक मुस्लिम आतंकवादी ने दर्जी कन्हैया लाल का गला काट कर सर तन से जुदा कर दिया गया। राहूल उस कन्हैयालाल के घर अबतक नहीं गया। वहीं बिन बुलाए दानिश अली के घर पहुंच गया वो भी बसपा के सांसद के, गजब की नफ़रतें हिंदू ,सनातनी, शुद्ध भारतीयों से है 

“कटुआ” शब्द अनेक जगह ओवैसी कह चुके हैं 
क्या “ओवैसी” को ही “कटुआ” बोलने की छूट है??ओवैसी कहे तो वाह वाह..कोई और कहे तो आह आह….

रमेश बिधूड़ी ने किसी को कोई गाली नहीं दी।

दानिश विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं।
गाली क्या दी है।
मुल्ला, कटुआ ,आतंकी , ही तो बोला है।
1)क्या वह मुल्ला नहीं है ,इस संवैधानिक देश में मुल्ला को मुल्ला होने का अधिकार है। क्या उन्हें काफिर बोला जाय। अपनी पहचान को गाली मानना बेफकूफ़ी है।
2)कटुआ वह है जो उनके यहां मानी जाने वाली जरूरी रिवायत है। इतनी जरूरी है कि बिना इसके उनको मुसलमान ही नहीं माना जाता।अगर डॉक्टरी जांच में रिपोर्ट नेगटिव आती है तो निश्चित ही वह काफिर हैं। संसद साहब ने कटुआ जैसा शब्द का गलत प्रयोग किया है।
3)आतंकी उन्होंने पूर्व में एक माननीय सिख विधायक को आतंकित किया है आम आदमी की क्या विसात है। उनकी सोच,धारणा,आदत, उनके घर के मासूम जानवारों तक को आतंकित करती है। उनको यह डर लगा रहता है कि जो व्यक्ति अभी तक उनको खिला पिला कर दुलार कर रहा है वह कल कहीं उनको निवाला न बना दे। किसी भी काफिर(अन्य शांतिप्रिय समुदाय जो इनकी सच्चाई जनता है) से पूछों की वह इनके होने से कितना आतंकित रहता है। इनका एक मात्र उद्देश्य व अस्तित्व ही काफिरों को धोखे से तड़पा तड़पा कर खत्म करके अपने धर्म जो हमारी नजर में अधर्म व पाप है उसको लागू करना।इसके लिए आतंकी सोच (पाशविक विचारधारा)निर्माण की इनके लिए पवित्र किताब आदेशित करती है।।
आखिर सच बोलने पर आखिर विधवा विलाप क्यों?
जाहिर है उनकी कुत्सित इक्छा सच बोलने वालों की आवाज दवाने की मंशा होगी।
आखिर इन अपराधियों की क्यों सुनी जाय अगर राजतंत्र भयवश इनकी लल्लोचप्पो करता है तो वह इन अपराधियों के सामने कमजोर,लाचार व विवश है।
ऐसे कमजोर राजतंत्र को नेतृत्व का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
कायदे से हमारे जनप्रतिनिधियों को इंसान को हेवन(इंसानियत का दुश्मन) बनाने से रोकने का प्रयास करना चाहिए।
A )संसद साहब को मुसलमानी जैसी अवैज्ञानिक ,अमानवीय व इंसान को शारीरिक कष्ट व कई लोगों का जीवन बर्बाद करने वाली प्रक्रिया को रोकने के लिए भी संसद में आवाज उठानी चाहिए।
B)निकाह स्त्री को सिर्फ भोग्या मानना भी पाप है,यह स्त्रीत्व का अपमान है। इस अपमानित प्रक्रिया को बंद करने के लिए भी आवाज उठानी चाहिए।
C)एनिमल किलिंग फ़ॉर टेस्ट ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन व पारिस्थितिक तंत्र बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाता है उस पर बैन लगाने की बात होनी चाइये।
D)काफिरों को मारने के लिए जितने भी ब्रेन वाशिंग की किताबें उनको वैन किया जाय। 72 हूर ,कयामत का दिन के लिए काफिरों कत्ल जैसी मुखों की बातों को बंद करना चाहिए।
Hindu life matters (साभार)