जीरो टालरेंस है या टालरेंस ही जीरो हो गया?

अनुज  त्यागी

देरादून- किस अधिकारी से कहां काम लेना है ये, हालाँकि सरकार इसके लिए स्वतंत्र होती है। लेकिन  जीरो टालरेंस सरकार ने नए चीफ सेक्रेटरी के आते ही जिस तरह से 5 आईएएस अधिकारियों के पदभार में बदलाव किया। इस तबादलों के होते ही सत्ता के गलियारे से लेकर आज जनता के बीच मिनाक्षी सुंदरम और विनय शंकर पांडे के तबादले पर कयासबाजी का दौर शुरू होगया। इतना ही नहीं जीरो टॉलरेंस पर भी लोग उंगलियां उठाने लगे। जहां मिनाक्षी सुंदरम को हटाने की वजह सतपाल महाराज के वजन को हल्का करना माना जा रहा है, वहीं एमडीडीए के उपाध्यक्ष के पद से विनय शंकर पांडेय को हटाने के पीछे राज्य की बड़ी बिल्डर लॉबी का हाथ माना जा रहा है। चर्चा है कि इस बिल्डर लॉबी को सीएम कार्यालय में तैनात एक बड़े अधिकारी का भी साथ मिल रहा है।गौरतलब है कि विनय शंकर पांडे ने जिस तरह एमडीडीए उपाध्यक्ष का चार्ज लेते ही बिल्डर लॉबी पर शिकंजा कसा था उससे सूबे में कम रहे बिल्डर कसमसा कर रह गए थे। पांडे के शिकंजे में बीजेपी के भी कुछ बिल्डर नेता भी शामिल हैं। पांडे ने बिल्डर लॉबी पर गरीबों के हक का मकान मारने के एवज में 22 करोड़ का जुर्माना ठोका था।शेल्टर फंड के लिए बिल्डर की नाक में नकेल डालने वाले विनय शंकर पांडे ने मानकों के विपरीत बनाए जाने का ताना-बाना बुनने वाले कई आवासीय परियोजनाओँ के नक्शे भी निरस्त कर दिए थे। जबकि आम आदमी के लंबित नक्शों पर त्वारित कार्यवाही के लिए मानचित्र समाधान दिवस कीशुरूआत की थी। वहीं हाल में ही पांडे ने बड़े अवैध निर्माणों की स्थिति तलब करने के आदेश भी दिए थे। उस पर अमल होता कि उससे पहले ही विनय शंकर पांडे को एमडीडीए से चलता कर दिया। ऐसे में चर्चा है कि पांडे से तिलमिलाई बिल्डर लॉबी ने उन्हें एमडीडीए से हटाने का दबाब बनाना शुरू किया और तबादला करा कर ही चैन लिया।बहरहाल खेल जो भी हो शासन के इस फैसले से सरकार की किरकिरी तो हो रही है वहीं मुख्यमंत्री के जीरो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात पर भी जनता उंगली उठा रही है। वहीं चर्चा इस बात की भी है कि एमडीडीए में 6 महीने के भीतर तीसरा वीसी लाने की वजह क्या है ?  काम करने वालों को सजा देना और भ्रष्ट व  निकम्मों को  सजाना इससे लगता है  ये जीरो टालरेंस नहीं, बल्कि टालरेंस ही जीरो हो गया ।

Is Zero Tolerance or Tolerance Is Only Zero?