उत्तराखंड का सबसे महत्वपूर्ण और पूरे पहाड़ के अधिसंख्य गावों में आयोजित होने वाले अति गोपनीय धार्मिक अनुष्ठान और सदियों से मनाये जाने वाले मनाये जाने वाले ‘नन्दा अष्टमी महा पर्व’ पर यहां के अधिसंख्य गांवों में पाती मेले का आयोजन किया जाता है और माता भगवती चंडिका देवी नन्दादेवी दशमद्वार की काली नैना देवी आदि हजारों मंदिरों में भगवती पराअम्बा को नये फल फूल मुंगरी काखड़ी च्यूड़ा बुखौंणा चढ़यास जाता है यज्ञ हवन व नवरात्रि पाठ होता है। इस बार नन्दा अष्टमी कल यानी 22 और 23 को नवमी है।
लेकिन सरकार द्वारा सार्वजनिक अवकाश नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है और समूचे पर्वतीय क्षेत्र की घोर उपेक्षा है। देवभूमि में महत्त्वपूर्ण देव पर्वों पर राजकीय अवकाश सनातन धर्म संस्कृति की बातें करने वाली सरकार में भी नहीं होगा तो कब होगा यह सोचनीय है।
हिमालय के महाकुंभ नंदा देवी राजजात के राजगुरु भुवन नौटियाल ने इस सम्बन्ध में पत्र लिखकर सरकार से नन्दा अष्टमी पर समूचे उत्तराखंड में राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग की है।
नंदा देवी मंदिर कुरूड़ एवं लाता चमोली के पुजारियों सहित अल्मोड़ा, नैनीताल देहरादून और पिथौरागढ़ के नंदा देवी मंदिरों के पुजारी व प्रबन्धन संगठनों ने भी मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी को पत्र लिखकर इस संदर्भ में सरकार का ध्यान आकर्षण किया है।
सनातन धर्म और पर्वतीय जनपदों की सनातन धर्म संस्कृति संबंधित परम्परा के संरक्षण बातें करने वाली सरकार के राज में भी यदि नंदा देवी राजजात और नंदा अष्टमी पर उत्तराखंड में छुट्टी नहीं होती है तो यह एक बड़ी विडंबना ही नहीं है अपितु भारी उपेक्षा भी होगी।✍️हरीश मैखुरी
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*सूर्य बोलता नहीं*
*उसका प्रकाश परिचय देता है ।*
*ठीक उसी प्रकार*
*आप अपने बारे में कुछ न बोलें,*
*अच्छे कर्म करते रहें*
*वही आपका परिचय देंगे ।*
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