स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पत्रकार स्वर्गीय रामप्रसाद बहुगुणा जन्म शताब्दी विशेष: रामप्रसाद बहुगुणा राज्य पत्रकारिता पुरस्कार का क्या हुआ?

 हरीश मैखुरी

उत्तराखंड की पूर्ववर्ती डाॅ निशंक सरकार की घोषणा के बाद हरीश रावत सरकार द्वारा 2016 में नन्दप्रयाग चमोली के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जनपद के पहले संपादक स्व रामप्रसाद बहुगुणा की स्मृति में राज्य पत्रकारिता पुरस्कार योजना शुरू की गई थी। 20 दिसंबर 2020 से स्वर्गीय रामप्रसाद बहुगुणा जी का जन्म शताब्दी वर्ष है। उम्मीद है कि राज्य सरकार इस दिशा में निश्चित रूप से चिंतन-मनन कर रही होगी। ज्ञात हो कि 20 दिसंबर 1920 को नन्दप्रयाग की पावन भूमि पर जन्मे विलक्षण पत्रकार और संपादक राम प्रसाद बहुगुणा के पिता का नाम श्री गोपाल दत बहुगुणा और उनकी माता नाम श्रीमती राघवी देवी था। डेढ़ वर्ष की आयु में ही उनकी माता चल बसी और 14 वर्ष की उम्र में उनके सिर से पिता का साया भी उठ गया तब मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही अपने चाचा गढ़ केसरी अनुसूया प्रसाद बहुगुणा के पद चिन्हों पर चलते हुए उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने का निर्णय ले लिया, उस समय हुए वार मेमोरियल स्कूल कर्णप्रयाग में कक्षा आठ के छात्र थे 1 दिन वहां गढ़वाल के डिप्टी कमिश्नर एवटशन का दौरा था विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री चंदोला स्वर्गीय राम प्रसाद बहुगुणा के तेवरों और उनकी की देशभक्ति को अच्छी तरह से समझते थे इसलिए उन्होंने स्पष्ट रूप से बहुगुणा जी को निरिक्षण के अवसर पर संयम बरतने की सलाह दी थी। लेकिन बहुगुणा जी ने डिप्टी कमिश्नर के आते ही स्वतंत्रता आंदोलन की प्रतीक बन चुकी अपनी सफेद टोपी पहन ली अपने अन्य साथियों को भी पहनाई और भारत माता की जय के नारे लगाए। इस घटना के तुरंत बाद बहुगुणा जी को स्कूल से निष्कासित कर दिया गया लेकिन इस घटना से बहुना के जीवन का उत्साह कम नहीं हुआ बल्कि उनमें दुगना जोश भर गया उन्होंने अपने पुरुषार्थ से ही हिंदी अंग्रेजी और संस्कृत का अच्छा खासा ज्ञान अर्जित कर लिया भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए वह तब अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लिखने लगे उनके लेखों में देशभक्ति का और भारत की स्वतंत्रता का उन्माद बरसता था वे उत्तर भारत आदि में भी पत्रकारिता करते थे लेकिन क्योंकि उस समय की अपार गढ़वाल याने आज के चमोली जिले से कोई पत्र प्रकाशित नहीं होता था इसलिए उन्होंने हस्तलिखित समाज नामक समाचार पत्र शुरू किया जिसे वे उस समय के कम पढ़े लिखे लोगों के बीच बांटते भी थे और बात कर सुनाते भी थे 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में स्वर्गीय राम प्रसाद बहुगुणा को गिरफ्तार कर लिया गया, जहां उन्हें कड़ी यातनाएं दी गई, इसी बीच उनके सगे चाचा गढ़ केसरी अनुसूया प्रसाद बहुगुणा की मृत्यु हो गई लेकिन उन्होंने माफीनामा लिखकर पर ही घर की छूट से मना कर दिया और जेल में ही रहे वह गांधीवादी विचारों से अत्यंत प्रभावित थे और हमेशा खादी के वस्त्र पहनते थे वह शादी करने के पक्ष में नहीं थे लेकिन स्वर्गीय देवीराम नौटियाल के समझाने बुझाने पर उन्होंने विवाह किया 1953 में अपर गढ़वाल में देवभूमि नाम से उन्होंने अपना समाचार पत्र शुरू किया नंदप्रयाग? में प्रेस स्थापित की और बहुत कड़ी मेहनत और आर्थिक तंगी के बावजूद वे निरंतरता के साथ आजीवन “देवभूमि” समाचार पत्र निकालते रहे। वे बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति में भी रहे बद्रीनाथ धाम में राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी के साथ उनकी यादगार तस्वीर दे रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद स्वर्गीय राम प्रसाद बहुगुणा ने सामाजिक कुरीतियों और सरकार की कमियों पर निरंतर अपनी लेखनी चलाई जनहित में उनकी लेखनी तत्कालीन लालफीता शाहों  को बहुत खलती थी, लेकिन लोगों को ‘देव भूमि’ समाचार पत्र की प्रतीक्षा रहती थी इसलिए सरकार चाहते हुए भी राम प्रसाद बहुगुणा को घेर नहीं ले सकी। स्वर्गीय राम प्रसाद बहुगुणा के सुपुत्र एडवोकेट समीर बहुगुणा ने भी काफी लंबे समय तक देवभूमि का प्रकाशन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मुझे ऐसे परिवार में जन्म मिला जिसकी तीन पीढ़ियां स्वतंत्रता भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित रही। उन्होंने इस अवसर पर स्वर्गीय गढ़ केसरी अनुसूया प्रसाद बहुगुणा श्री बद्री प्रसाद बहुगुणा और राम प्रसाद बहुगुणा जी के योगदान विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि देश में ऐसे बहुत कम लोग पैदा हुए जो 14 – 15 वर्ष की आयु से ही देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े हों। स्वर्गीय राम प्रसाद बहुगुणा की चौथी पीढ़ी मैं उनकी नातिन मेघा बहुगुणा भी एक रचनाधर्मी पत्रकार हैं और इन दिनोंं वे एचएनएन टीवी न्यूज चैनल के बाद अब ‘नेटवर्क-10 ‘टीवी चैनल में काम कर रही हैं। कल 20 दिसंबर को उनकी जन्मशती के उपलक्ष में उनके शहर नंदप्रयाग में भव्य समारोह का आयोजन किया गया है। ऐसे मूर्धन्य पत्रकार रामप्रसाद बहुगुणा जी को breakinguttarakhand.com की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि💐🙏 Freedom Fighter Fighter Journalist Late Ramprasad Bahuguna Birth Centenary Special: What happened to Ramprasad Bahuguna State Journalism Award?