डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक के राजनीतिक और साहित्यिक समालोचक हो सकते हैं लेकिन उनके नीजी विरोधी नहीं मिलेंगे

डॉ हरीश मैखुरी

1982 से लेकर 86 की बात है तब हम राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गोपेश्वर में पढ़ते थे, रमेश पोखरियाल निशंक जी उन दिनों पौड़ी से नई राह नई चेतना पत्रिका निकालते थे और उसी के प्रचार-प्रसार के क्रम में गोपेश्वर आते थे। गोपेश्वर में आने के बाद वे कुछ जगह जरूर मिलने और बैठने जाते उनमें क्रांति भट्ट और प्रकाश पुरोहित जयदीप का घर और मंदिर मार्ग पर मेरे यहां भी बैठने आते थे कभी-कभी हम खिचड़ी भी साथ ही बनाते खाते थे। जनसंघ के नेता अनुसूया प्रसाद भट्ट जी के यहां बैठने जाते पत्रकार धनंजय भट्ट से मिलते और गोपेश्वर के उस जमाने के कुछ साहित्यिक मित्रों श्री बंधु बोरा आदि से भी अवश्य भेंट करते थे। गोपेश्वर में बुद्धिसिंह अस्वाल जी के मकान पर संघ कार्यालय में चर्चा करते और ठहरते थे। कभी वे मोहन सिंह रावत गांव वासी जी के साथ भी आते और कभी मनोहर कांत ध्यानी जी के साथ दिख जाते थे। शिवानंद नौटियाल को हराने के बाद जब वे पहली बार कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से विधायक बने तो फिर राजनीति में कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, 3 बार उत्तर प्रदेश में विधायक रहे, धर्मस्व मंत्री रहे, उत्तराखंड में भी स्वस्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री रहे। दो बार लोकसभा सांसद रहे और वर्तमान भारत सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण और बड़ा मंत्रालय संभाल रहे हैं। पहले से ही शब्दों को करीने तराशकर बोलना डाॅ निशंक की आदत रही है। उन्होंने जोशीमठ के विद्या मंदिर में भी शिक्षण कार्य किया। उस दौर में एक दिन निशंक जी के साथ हम वन विभाग के एक डीएफओ से मिले, नयी राह नयी चेतना पत्रिका भेंट की, और उसके लिए विज्ञापन हेतु पत्र देकर अनुरोध किया, उस जमाने में डीएफओ ने ₹100 का विज्ञापन दिया था, उस पूरे दिन निशंक जी अति प्रसन्न रहे। रमेश पोखरियाल निशंक की मुझे उस दौर में सुन्दर लगी उनकी दिनचर्या। वे रात को करीब10:30 बजे आवश्यक रूप से सो जाते और सुबह 4:00 बजे उठकर स्नान ध्यान के पश्चात वे अपने उस दिन के सारे कामों को डायरी में लिखते कि आज क्या-क्या काम होने हैं और शाम को अपने कार्यो की समीक्षा भी करते। डाॅ निशंक की लेखनी में सरस्वती विराजती हैं, खूबसूरत अक्षर और सटीक लेखन उनकी खासियत है। निशंक जी के उस दौर के कुछ पत्र पोस्टकार्ड आज भी मेरे पास हैं। अब तो डाॅ निशंक की करीब २०० पुस्तकें छप चुकी हैं। हाल ही डा निशंक ने एनआईटी गढ़वाल के भवन निर्माण हेतु जो धनराशि अवमुक्त की है, निश्चित रूप से वह उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। सीबीएसई बोर्ड से भी उन्होंने कुछ अनावश्यक और दिग्भ्रमित करने वाले मिथ्या कोर्स के बोझ से भी नयी पीढ़ी के छात्रों को हल्का किया। भारतीय शिक्षा की महान गुरूकुल शिक्षा पद्धति बहाल करने के अनुक्रम में भी उनके शासन में अवश्य कार्य होगा ऐसी उम्मीद पूरे देश को है। हम उनके जन्मदिवस पर, उनके दीर्घायु की कामना करते हैं। निशंक जी का उस दौर का ये फोटो विनय उनियाल ने शेयर किया था जिसे एडिट किया है। हेमवती नन्दन बहुगुणा के समान ही निशंक जी की एक खूबी ये है कि वे जिससे एकबार मिलते हैं उसका नाम वे सदैव याद रखते हैं और जब भी मिलते हैं उसे उसके नाम से बुलाते हैं। निरन्तर अध्ययन और लेखन उनकी प्राथमिकता में रहता है। लोकसभा चुनाव के तुरन्त बाद कपाट खुलने के दिन डाॅ निशंक बद्रीनाथ आये तब टीवी चैनल के लिए उनका एक साक्षात्कार बनाया तब भी वे प्रधानमंत्री मोदी की जीत और मोदी सरकार में उत्तराखंड को प्रतिनिधित्व दिए जाने को लेकर कानफिडेंट थे। कैबिनेट में डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक के राजनीतिक और साहित्यिक समालोचक हो सकते हैं लेकिन उनके नीजी विरोधी नहीं मिलेंगे।

आज उनके जन्म दिन पर देश में अनेक स्थानों पर मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल की ईच्छा अनुसार रक्त्तदान शिविरों में लोगों रक्त दान किया। ऊतराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत चमोली के विधायक महेंद्र भट्ट सुरेंद्र सिंह नेगी और मुन्नी देवी और हजारों लोगों ने बधाई संदेश दिया। उनके बारे में आलोचक मीडिया भी बड़ी सजगता से बात रखते हैं। आसान नहीं है फर्श से अर्श तक का सफर उसके लिए निशंक बनना पड़ता है। ….. हरीश मैखुरी, 9634342461,