चंपावत में मुख्यमंत्री धामी ने किया कैंप कार्यालय का उद्घाटन, जबकि नेपाल सीमा से लगे गांव में किया तिरंगा अभियान और रक्षाबंधन पर्व में प्रतिभाग, आज का पंचाग आपका राशि फल, जम्बू द्वीप का इतिहास और भारत विभाजन की त्रासदी

✍️ चंपावत में मुख्यमंत्री धामी ने किया कैंप कार्यालय का उद्घाटन,

✍️ शनिवार को नेपाल सीमा से लगे गांव में किया तिरंगा अभियान और रक्षाबंधन पर्व में प्रतिभाग,

✍️ आज का पंचाग आपका राशि फल,

✍️जम्बू द्वीप का इतिहास और भारत विभाजन की त्रासदी

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को गौरल चौड़ मैदान मार्ग, चंपावत स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय का पूजा-अर्चना कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने पौधरोपण भी किया। उन्होंने कहा की कैंप कार्यालय खुलने से चंपावत व आस-पास के क्षेत्र की जनता की समस्याओं का जल्द समाधान होगा।

*सीएम पुष्कर सिंह धामी सीमांत गांव मंच में हर घर तिरंगा अभियान में सम्मलित हुए*

*नेपाल सीमा पर मंच गांव पहुंचकर सीएम ने ग्रामीणों का हौसला बढाया*

 

*हर घर तिरंगा कार्यक्रम को लेकर सीमांत गांवों के निवासियों में जबरदस्त उत्साह और उमंग*

 

*तिरंगा हमारी आन बान शान : मुख्यमंत्री धामी*

 

चंपावत 13 अगस्त (सुवि)

 

 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी 13 अगस्त से 15 अगस्त तक आयोजित ’हर घर तिरंगा अभियान’ के तहत चंपावत जिले के दूरस्थ सीमांत क्षेत्र राजकीय इंटर कॉलेज मंच पहुंचकर तिरंगा अभियान में शामिल हुए।  

 

*बाबा गोरखनाथ की पूज्य भूमि से हर घर तिरंगा का दिया गया संदेश*

 

सर्व प्रथम मुख्यमंत्री ने बाबा गोरखनाथ को दोनों हाथ जोड़कर शीश झुकाकर प्रणाम किया और कहा यह क्षेत्र, तल्लादेश का क्षेत्र, बाबा गोरखनाथ की भूमि वास्तव में बहुत पूज्य भूमि है और बाबा गोरखनाथ की कृपा से आपने मुझे उत्तराखंड प्रदेश की सेवा करने का अवसर दिया है, जिसके लिये मैं सदैव यहां की जनता का दिल से आभारी रहुंगा। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा घोषणा की थी कि मंच में उप तहसील का संचालन करेंगे और आज बाबा गोरखनाथ की कृपा से उप तहसील का संचालन शुरू हो गया है और हम कोशिश करेंगे उप तहसील का संचालन और प्रभावी तरीके से हो। 

 

*सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिये सरकार दृढ़ संकल्पित*

 

उन्होंने कहा कि यहां पर लोगों की सुविधाओं हेतु अस्पतालों में डाक्टरों की कोई कमी न हो जिसके लिए हमेशा प्रयास किया है और अभी अस्पतालों में डाक्टरों की तैनाती भी होने लगी है। उन्होंने कहा कि स्कूलों की व्यवस्था, संपर्क मार्गों, बिजली, कनैक्टिविटी की यहां जो भी दिक्कत है उसे पूरा करने के लिये प्रस्ताव दिये है और उन पर कार्य हो रहा है। यह मेरा संकल्प है कि आने वाले समय में यहां के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो ईधर-उधर जाना न पड़े इसके लिए सरकार कार्य कर रही है, और आने वाले समय में यह सीमान्त क्षेत्र विकास की धाराओं में आयेगा। 

 

*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर हर घर तिरंगा अभियान बना जन आंदोलन*

 

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आहवाहन पर आज पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तिरंगा हमारी आन, बान और शान है इसलिए इसे घरों में प्रदर्शित करें। क्यूंकि तिरंगा हमारा मान-सम्मान और स्वाभीमान है। इस तिरंगे के लिए, भारत की आजादी के लिए न जाने कितने लोगों ने अपना बलिदान दिया। यह अमृत महोत्सव उन सबको स्मरण करने का समय है। उन्हांने कहा कि आज से 25 साल बाद जब देश आजादी के 100 वर्ष मानायेगा तो इन 25 सालों के कालखण्ड को अमृतकाल नाम दिया जायेगा। उन्हांने कहा कि वर्ष 2014 से इन 08 सालों में जो भी सरकार द्वारा योजनाएं चलायी जा रही हैं वह गरीबों के कल्याण एवं उत्थान के लिए चलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा देश के गृहमंत्री जी से इस सीमान्त क्षेत्र में विकास के लिए बजट की धनराशि बढ़ाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी के लिए भारत सरकार को 1200 टावरों मिलने का प्रस्ताव गया है जिसे भारत सरकार ने स्वीकृती दे दी है।

 

*स्थानीय महिलाओं ने सीएम को राखी बांध दीर्घायु की कामना की*

 

मुख्यमंत्री ने रक्षाबंधन की सभी को बधाई दी ओर वहां उपस्थित महिलाओं ने मुख्यमंत्री को रक्षा धागा बांधा और उनके दीर्घायु की कामना की। 

 

*क्षेत्र के विकास के लिये मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं*

 

 मुख्यमंत्री ने तामली मुख्य मोटर मार्ग से राजकीय इण्टर कालेज मंच में स्थाई हैलीपेड का निर्माण एवं सड़क का निर्माण, राजकीय इण्टर कालेज मंच में फील्ड का विस्तारिकरण, राजकीय इण्टर कालेज मंच में विज्ञान वर्ग की स्वीकृति प्रदान की जायेगी, राजकीय इण्टर कालेज मंच और तामली में एनसीसी की स्वीकृति की जायेगी, गोरखनाथ मंदिर गेट से सौराई भनार मॉ रणकुंची मंदिर क्षेत्र के लिए सड़क प्रस्तावित की जायेगी, तल्लादेश में दूर संचार की व्यवस्था हेतु जो भी जरूरी कदम है उठाये जायेंगे की घोषणा की ।

 

इस अवसर पर वन विकास निगम अध्यक्ष कैलाश चन्द्र गहतोड़ी, दलीप सिंह महर, दीपक महर, आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कमल रावत ने किया।

ये है जम्बू द्विपे, भरत खण्डे, भारत वर्षे आर्यवर्त क्षेत्रान्तर्गते! हम विखरे भारत को एकजुट कर आर्यवर्त को पुनर्जीवित करने के मिशन पर हैं। 

भारत जमीन का एक टुकड़ा भर नहीं है। जाग्रत देव है जिसके आध्यात्मिक सूत्र की परिधि द्वादश ज्योतिर्लिंगों, चार शंकर पीठों, इक्यावन शक्ति पीठों, इक्कीस गणपति क्षेत्र और इक्कीस सौर सिद्ध स्थलों को छूती है।

परन्तु दुर्योग, सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का विभाजन पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है। संसार में ईसाईयों, मुसलमानों और बौद्धों की कई जमीनें हैं। (ईसाइयों और बौद्धों के पास तो उज्जवल भविष्य भी है।) हिन्दुओं की एक ही जमीन है भारत और वह भी कलहग्रस्त, संशयग्रस्त, आपदात्रस्त।

समस्या के एक सूत्र को समझें कि सागरमाथा गौरीशंकर कैसे एवरेस्ट बन जाता है और वर्णनातीत क्षमताओं वाले महाकवि कालिदास भारत के शेक्सपियर, महान योद्धा समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन बोनापार्ट।

भारत शब्द दो ढंग से बन सकता है –
१. भरत + अण् = भारत
(भरत की सन्तति)
२. भा: + रत = भारत
(प्रकाश में रत)
इन दोनों में प्रथम मौलिक है।

प्रकारान्तर से ही सही हर सनातन धर्मावलम्बी भारत के भौगोलिक विस्तार को अपने दैनिक संकल्प में याद करता है।

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे
श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वंतरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरने जंबुद्वीपे भारतवर्षे आर्यावर्तैकदेशे….

वायु पुराण कहता है:-
सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत।
(वायु 31-37, 38)

अग्नि,वायु एवं विष्णु पुराण में समानार्थी श्लोक है :-
उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।
वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।

बृहस्पति आगम का कथन है :-
हिमालयं समारम्भ्य यावद् इन्दु सरोवरम।
तं देव निर्मित देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।

महर्षि पाणिनि के अष्टाध्यायी में वर्णित भारत और प्रान्तों के भूगोल से यहाँ केवल चार जनपदों की ही बात करते हैं।
(१.) कपिशी या कापिशी या कपिशा (वर्तमान नाम बेग्राम काबुल से लगभग पचास मील उत्तर)
(२ .) कापिशी से और भी उत्तर में कम्बोज जनपद था, इस समय दक्षिण एशिया का पामीर पठार है ।
(३.) मद्र जनपद-तक्षशिला के दक्षिण-पूर्व में मद्र जनपद था, जिसकी राजधानी शाकल (वर्त्तमान में स्यालकोट) थी ।
(४.) त्रिगर्त देशः- वर्त्तमान पंजाब का उत्तर-पूर्वी भाग जो चम्बा से कांगडा तक फैला हुआ है, प्राचीन त्रिगर्त देश था । इसका नाम त्रिगर्त इसलिए पडा, क्योंकि यह तीन नदियों की घाटियों में बसा हुआ था, ये तीन नदियाँ थीं–सतलुज, व्यास और रावी ।

सन् 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग कि.मी. था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग कि.मी. है। जबकि पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग कि.मी. बनता है।

शैव फिर प्रकृतिपूजक फिर बौद्ध और फिर विधर्मी बनी हमारी पश्चिमी भूमि! 26 मई, 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट स्थापित किया गया।

उधर मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य का सुगठन कर चुके थे। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक स्वतन्त्र अस्तित्व प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। महाराजा त्रिभुवन सिंह ने 1953 में भारतीय सरकार को निवेदन किया था कि आप नेपाल को अन्य राज्यों की तरह भारत में मिलाएं।

1955 में रूस द्वारा दो बार वीटो का उपयोग कर यह कहने के बावजूद कि नेपाल तो भारत का ही अंग है, पं. नेहरू ने पुरजोर वकालत कर नेपाल को स्वतन्त्र देश के रूप में यू.एन.ओ. में मान्यता दिलवाई।

म्यांमार भूटान, श्रीलंका तिब्बत बिछड़े सभी बारी बारी!

फिर एक दिन कहा गया कि भारत अब आजाद हो रहा है लेकिन हमारी जमीन बंटेगी और इसे कैसे बांटना है यह अंग्रेज बहादुर और मुसलमान तय करेंगे। काहे की आजादी अंकल!

भारत पाकिस्तान की भौगोलिक सीमारेखा है रेडक्लिफ! यह रेखा दरअसल इस्लामिक दंभ की सुवर्णरेखा है। यह रेखा वह जीवनदायिनी शक्ति है जिसके बल पर जुल्फिकार और हाफिज सईद जैसे लोग हिन्दुस्तान से हजार वर्ष तक चलने वाले जंग का ऐलान कर सकते हैं। यह रेखा परछाईं है शरणार्थी हिन्दुस्तानी औरतों की देह को बलत्कृत करते दानवों के तलवारों की! यह रेखा प्रतिध्वनि है म्लेच्छों के अट्टहासों की, जब आबरू और असबाब दोनों लूटे गए। यह रेखा अंग्रेज़ों का वह ‘वन टर्म इंश्योरेंस’ है जो गारंटी देता है कि कभी उसका उपनिवेश रहा हिंदुस्तान कहीं विश्व राजनीति में उससे आगे न निकल जाए।

इस रेखा की पृष्ठभूमि में निरन्तर प्रताड़ना अपमान और जिल्लत के ‘प्रेशर कुकर’ में उबलती भारतीय मानवी थी, ‘सेफ्टी वाल्व’ कांग्रेस थी ,सूप पकने का इंतज़ार करती मुस्लिम लीग थी और फटेहाल अंग्रेज थे।

आजादी मिलना वैश्विक प्रक्रिया का एक हिस्सा भर थी जिसके दो ही कारक महत्वपूर्ण थे। एक द्वितीय विश्व युद्ध जिसने बरतानिया बाजार को सड़क पर ला दिया और दूसरा यह डर कि आजाद हिंद फौज के प्रति भारतीय सेना की बढ़ती सहानुभूति कहीं बड़े आंदोलन का रूप न ले ले। इसकी परिणतिस्वरुप माउंटबैटन दम्पति भारत आए।

म्लेच्छों की रणनीति को समझने में हम चूकते हैं। कुछ इतिहास मर्मज्ञों और आधुनिक शुतुर्मुर्गों का ऐसा सोचना है कि इस्लामिक आतंकवाद दक्षिणपंथ के उभार की प्रतिक्रिया है। तो यह जान लें कि सैंतालीस में वह पार्टी जिसकी स्थापना इटावा के कलेक्टर जो कभी साड़ी पहन जान बचा कर भागे ‘पोप आफ इंडियन आर्निथोलाजी’ ए ओ ह्यूम ने की थी वह कांग्रेस तब मुस्लिम लीग को दक्षिणपंथी लगती थी।

माउंटबेटन और रेडक्लिफ़ ने बँटवारे के मामले में बहुत जल्दबाज़ी दिखाई, पहले भारत की आज़ादी के लिए जून 1948 तय किया गया था, माउंटबेटन ने इसे खिसका कर अगस्त 1947 कर दिया जिससे भारी अफ़रा-तफ़री फैली और असंख्य लोगों की जानें गईं।

रेडक्लिफ को करीब 8.8 करोड़ लोगों के लगभग साढ़े चार लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का न्यायोचित ढंग से बंटवारा करना था। हर राज्य के आयोग में दो कांग्रेस और दो मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि भी थे, हालांकि अंतिम निर्णय रेडक्लिफ को ही करना था।

इस विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सर सिरिल जॉन रेडक्लिफ को हिन्दुस्तान के भूगोल की जानकारी बहुत कम थी। वे तो पहले कभी हिन्दुस्तान भी नहीं आये थे। 8 जुलाई 1947 को हिंदुस्तान पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया कि उन्हें क्या करना है। यही नहीं, ब्रिटिश सरकार ने महत्वपूर्ण काम के लिए रेडक्लिफ को मात्र 5 सप्ताह ही दिये। यही नहीं, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें क्षेत्रीय जानकारी एकत्रित करने का समय भी नहीं दिया था।

फौरी तौर पर दो कमीशन बना दिए गए। पंजाब सीमा आयोग जिसमें कांग्रेस से जस्टिस मेहर महाजन और तेजा सिंह जबकि मुस्लिम लीग से दीन मोहम्मद और मोहम्मद ओमेर शामिल थे। उधर बंगाल सीमा आयोग में जस्टिस बी के मुखर्जी , सी सी बिस्वास कांग्रेस से और जस्टिस एस रहमान और अबू सालेह मुस्लिम लीग की तरफ से शामिल थे। मजेदार कि इनमें से कोई भी जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं था। रेडक्लिफ दोनों कमिटी का चेयरमैन था।

बंटवारे की योजना को अमल में लाने का काम एक ऐसे आदमी के जिम्मे था जिसे भारत की भूराजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक स्थितियों का जरा भी अंदाजा नहीं था। इतना ही नहीं, रेडक्लिफ न तो कोई प्रशासक था न ही मानचित्रकार और न ही उसे तात्कालिक जनसांख्यिकी की ही कोई जानकारी थी।

खैर, बंटवारा चाहता कौन था?? कितने हिन्दू हैं जो बंटवारे से दुखी हैं? कितने मुसलमान बंटवारे से दुखी हैं?फ्रांसिस रॉबिनसन और वेंकट धुलिपाला ने लिखा है कि “यूपी के ख़ानदानी मुसलमान रईस और ज़मींदार समाज में अपनी हैसियत को हमेशा के लिए बनाए रखना चाहते थे” और उन्हें लगता था कि हिंदू भारत में उनका पुराना रुतबा नहीं रह जाएगा।

समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने अपनी किताब ‘गिल्टी मेन ऑफ़ पार्टिशन’ में लिखा है कि कई बड़े कांग्रेसी नेता जिनमें नेहरू भी शामिल थे वे सत्ता के भूखे थे जिनकी वजह से बँटवारा हुआ परंतु इस्लामिक साम्प्रदायिकता इस लालच से भी बहुत बड़ी थी।

नामी-गिरामी इतिहासकार बिपिन चंद्रा ने तो विभाजन के लिए सीधे मुसलमानों की सांप्रदायिकता को ज़िम्मेदार ठहराया है।

कुछ लोग बँटवारे को अंग्रेजी साजिश बताकर असल मसले से मुंह छुपाते हैं या मामले को हल्का बनाने की कोशिश करते हैं कि अंग्रेज संप्रभु थे हमें बांटकर चले गए अब हम उनका कुछ कर नहीं सकते। वस्तुस्थिति बिल्कुल अलग है।

जिस समय भारत में प्रांतीय विधान सभाओं के चुनाव हो रहे थे उस समय 19 फरवरी 1945 को लार्ड पैथिक लारेंस ने पार्लियामेंट में ‘ पाकिस्तान को एक पृथक प्रभुतासंपन्न राज्य बनाए जाने की मांग को अव्यवहार्य कहा क्योंकि उनके अनुसार पाकिस्तान में बड़ी तादाद में गैर मुस्लिम लोग होंगे और मुसलमानों की एक बड़ी आबादी भारत में रह जाएगी।’

दरअसल हमारी संविधान सभा ने जिस लिखित संविधान को अपनाया वह लगभग 75% हिस्सा 1935 का भारत शासन एक्ट ही है जिसमें गैरजरूरी प्रशासनिक स्थानीय प्रावधान हैं और जो बेइंतहा अलगाववाद और प्रांतीयता को हवा देता है। 1935 का भारत शासन एक्ट 1919 के संविधान सिद्धांत का अनुसरण करता है जो विकेंद्रीकरण का सिद्धांत है न कि फेडरेशन का। इसी एक्ट के अनुसार बर्मा को भारत से अलग किया गया और सिंध और उड़ीसा दो नए प्रांत बने। बर्मा हमारा नहीं रहा सिंध अब पाकिस्तान में है। जय हो कानून संविधान देवता!

लेबर पार्टी की जीत, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजी अर्थव्यवस्था का भंगार बन जाना और भारतीय सेना के संभावित विद्रोह के मद्देनजर 22 मार्च 1947 को माउंटबैटन दंपति भारत आए। 3 जून 1947 को माउंटबैटन योजना संबंधित ड्राफ्ट का बयान जारी किया गया।

नेहरू-एडविना के संबंधों पर बहुत कुछ लिखा कहा गया है आगे भी कहा जाएगा। पर एक विदेशी महिला से इतने कम समय में अंतरंग संबंध स्थापित हो जाना कुछ तो इशारे करता ही है। या तो दोनों पूर्व-परिचित हों, नेहरू को फांसना कोई षड्यंत्र हो या नेहरू बहुत बड़े कैसानोवा रहे हों और एडविना कोई निम्फ! ध्यातव्य है कि नेहरू के एक पक्ष की आलोचना उनके पूरे व्यक्तित्व की आलोचना नहीं है। एक इंस्टीट्यूशन बिल्डर और विजनरी प्राइम मिनिस्टर के रूप में उनका सम्मान भी है। हाँ उनकी विदेश नीति और विदेशी महिला नीति सवालों के घेरे में रहेगी।

खैर, मुसल्लम ईमान वाले लोगों ने अपने लिए अलग जमीन ले ही ली। राष्ट्रवादी कांग्रेसियों को सत्ता पाने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने मुस्लिम अतिक्रमण आक्रमण के प्रतीकों पर अधिकार का कोई प्रश्न ही नहीं उठाया। अयोध्या काशी मथुरा का समाधान बहुत आसानी से हो सकता था। मजहब के आधार पर अलग मुल्क ले लिया तो तीन करोड़ दस लाख यहाँ क्यों रह गए??

चटगांव जैसा शहर जहाँ मुसलमान जनसंख्या सिर्फ ढाई प्रतिशत थी पाकिस्तान को कैसे दे दी गई?

उधर, बँटवारे में संसार की सबसे उपजाऊ ज़मीन , पंजाब के पंचनद , संसार का सबसे सुंदर सबसे बड़ा गंगा का डेल्टा , संसार की दूसरी सबसे ऊँची चोटी के टू , प्राचीनतम सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष, गिलगिट बाल्टिस्टान की स्विट्ज़रलैंड को मात करने वाली ख़ूबसूरती , एशिया का पेरिस कहा जाने वाला लाहौर , पर्यटन योग्य अनेक प्राचीन और प्राकृतिक पर्यटन स्थल और अपनी आबादी के मुक़ाबले ज़रूरत से कहीं अधिक भूखंड पाकिस्तान के हिस्से में आया !

हमारे भोजपुरी इलाके में जब बंटवारे होते हैं तो बड़े भाई को खानदानी दायित्वों के निर्वहन के लिए एक अतिरिक्त हिस्सा ‘जेठहस’ मिलता है लेकिन यहाँ जनसंख्या के हिसाब से अतिरिक्त भूमि, अतिरिक्त संसाधन, अतिरिक्त सेना, अतिरिक्त रसद और पचपन करोड़ रूपए पाक को मिले।

यह दुनिया का सबसे क्रूर, नृशंस, घटिया, बेईमान और बेशर्म बंटवारा था। बंटवारे ने जिन औरतों को विधवा कर दिया, जो बच्चे यतीम हो गए, जिनके बलात्कार हुए उनके प्रेतों की चीखें पाकिस्तान, कांग्रेस, मुस्लिम लीग को चैन से नहीं रहने देंगी।

डॉ● मधुसूदन ‘पाराशर’ उपाध्याय

 ‼️ 🕉️ ‼️
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द………………………5124
विक्रम संवत्……………………..2079
शक संवत्………………………..1944
रवि…………………………..दक्षिणायन
मास…………………………….भाद्रपद
पक्ष……………………………….कृष्ण
तिथी…………………………….तृतीया
रात्रि 10.41 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
सूर्योदय…………..प्रातः 06.03.24 पर
सूर्यास्त…………..संध्या 06.59.40 पर
सूर्य राशि………………………….कर्क
चन्द्र राशि………………………..कुम्भ
गुरु राशि………………………….मीन
नक्षत्र………………………पूर्वभाद्रपद
रात्रि 09.52 पर्यंत पश्चात उत्तराभाद्रपद
योग……………………………सुकर्मा
रात्रि 01.37 पर्यंत पश्चात धृति
करण………………………….वणिज
प्रातः 11.44 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु………………………………वर्षा
*दिन……………………….रविवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर श्रावण, दिनांक २३*
*( नभमास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*१४ अगस्त सन् २०२२ ईस्वी !*

☸ शुभ अंक………………………1
🔯 शुभ रंग…………………….लाल

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.05 से 12.56 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
संध्या 05.19 से 06.55 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
04:02:45 06:18:30
*सिंह*
06:18:30 08:30:44
*कन्या*
08:30:44 10:41:24
*तुला*
10:41:24 12:56:01
*वृश्चिक*
12:56:01 15:12:11
*धनु*
15:12:11 17:17:49
*मकर*
17:17:49 19:04:56
*कुम्भ*
19:04:56 20:38:30
*मीन*
20:38:30 22:09:41
*मेष*
22:09:41 23:50:25
*वृषभ*
23:50:25 25:49:03
*मिथुन*
25:49:03 28:02:45

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.42 से 09.18 तक चंचल
प्रात: 09.18 से 10.54 तक लाभ
प्रात: 10.54 से 12.30 तक अमृत
दोप. 02.06 से 03.42 तक शुभ
सायं 06.55 से 08.18 तक शुभ
संध्या 08.18 से 09.42 तक अमृत
रात्रि 09.42 से 11.06 तक चंचल ।

📿 *आज का मंत्रः*
|| ॐ ब्रह्मणे नम: ||

 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
दुर्जस्नं सज्जनं कर्तुमुपायो न हि भूतले ।
अपानं शतधा धौतं न श्रेष्ठमिन्द्रियं भवेत् ॥
अर्थात :-
यह पृथ्वी पर दुर्जन को सज्जन बनाने का कोई उपाय नहीं है । अपान को सौ बार धोने परभी उसे श्रेष्ठ इंन्द्रिय नहीं बनायी जा सकती ।

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*आंख के नीचे सूजन को दूर करने के उपाय -*

*6. दूध -*
आंखों के नीचे सूजन को कम करने के लिए दूध भी आपकी बहुत मदद कर सकता है। इसके लिए आप कॉटन बॉल्सम को ठंडे दूध में डुबोकर आंखों पर सेंक दें। इससे आपको बहुत सहायता मिलेगा। यह आंख की अच्छी तरह से मदद करता है और यह उन्हें ठंडा भी कर देगा।

. ⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
रुके कार्यों में गति आएगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। मनोरंजक यात्रा हो सकती है। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। झंझटों में न पड़ें। ईर्ष्यालु सक्रिय रहेंगे। सामाजिक कार्यों में मन लगेगा। दूसरों की सहायता कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
विवेक का प्रयोग करें। आय बनी रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। विवाद से बचें। काम में मन नहीं लगेगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर-परिवार में प्रसन्नता रहेगी। बाहर जाने का मन बनेगा। भाइयों से मतभेद दूर होंगे। घर-परिवार की चिंता रहेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। संतान पक्ष से खुशियां प्राप्त होंगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
भूमि व भवन संबंधी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। बड़ा काम करने का मन बनेगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्रोध रहेगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
यात्रा मनोरंजक रहेगी। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। मनपसंद भोजन की प्राप्ति संभव है। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। पारिवारिक सदस्यों तथा मित्रों के साथ आनंदायक समय व्यतीत होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
धैर्य रखें, समय सुधरेगा। बुरी सूचना मिल सकती है। मेहनत अधिक होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। आय में कमी रहेगी। नकारात्मकता बढ़ेगी। विवाद से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई महत्वपूर्ण निर्णय न लें। अनावश्यक परेशानी खड़ी हो सकती है। दूसरों की बातों में न आएं।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से सहयोग प्राप्त होगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थदर्शन हो सकते हैं। विवेक का प्रयोग करें, लाभ होगा। मित्रों के साथ अच्‍छा समय बीतेगा। विरोध होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। जल्दबाजी से हानि होगी। आलस्य हावी रहेगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
आय में वृद्धि होगी। बिगड़े काम बनेंगे। प्रसन्नता रहेगी। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। व्यस्तता के चलते स्वास्‍थ्य बिगड़ सकता है, ध्यान रखें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रमाद न करें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। योजना फलीभूत होगी। घर-परिवार के साथ आराम तथा मनोरंजन के साथ समय व्यतीत होगा। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोध होगा। काम करते समय लापरवाही न करें। चोट लग सकती है। थकान तथा कमजोरी महसूस होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
सेहत को प्रा‍थमिकता दें। लेन-देन में जल्दबाजी से हानि होगी। अनावश्यक जोखिम न लें। किसी भी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। फालतू खर्च होगा। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने का समय नहीं है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल चलेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। भ्रम की स्थिति बन सकती है। बुद्धि का प्रयोग करें। कोई नया बड़ा काम करने की योजना बनेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। लाभ में वृद्धि होगी। समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। भाग्य का साथ मिलेगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
व्यावसायिक साझेदार पूर्ण सहयोग करेंगे। कोई नया उपक्रम प्रारंभ करने का मन बनेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। सेहत का ध्यान रखें। वरिष्ठजनों की सलाह काम आएगी। नए मित्र बनेंगे। आय बनी रहेगी। हर कार्य बेहतर होगा।

. *🚩 🎪 ‼️ 🕉️ घृणि सूर्याय नमः ‼️ 🎪 🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

. *‼️ शुभम भवतु ‼️*
. *‼️ जयतु भारती ‼️*

. 🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩
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