नन्दप्रयाग जहां के स्वतंत्रता के चार महारथियों ने स्वतंत्रता संग्राम में निभाई बड़ी भूमिका

नन्दप्रयाग जहां के स्वतंत्रता के चार महारथियों ने स्वतंत्रता संग्राम में निभाई बड़ी भूमिका।

Nandprayag where four great heroes of freedom played a big role in the freedom struggle, 

✍️ समीर बहुगुणा

        अपर गढ़वाल में स्वतंत्रता संग्राम का तीर्थ स्थल नन्दप्रयाग —-चमोली जिले में नन्दप्रयाग जो कि एक छोटा सा कस्बा है ने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बडे जज्बे के साथ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बहुत कम जनसंख्या होने के उपरांत नन्दप्रयाग से चार -चार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए हैं तथा कई अन्य ग्रामवासी थे जिन्होने प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से इनका सहयोग किया था। इस छोटे से कस्बै से अंग्रेजों के अन्दर इतनी दहशत थी कि वे नन्दप्रयाग से गुजरते समय अपना हैट उतारकर घोड़े से उतर कर पैदल ही जाते थे। नन्दप्रयाग में इतनी राजनीतिक चेतना थी कि इसे छोटा लखनऊ कहा जाता था। गढ़वाल मंडल की सारी स्वतंत्रता संग्राम की योजनाऐं यहीं से संचलित होती थी। जब 15अगस्त को स्वतन्त्रता की घोषणा हुई तो पूरे जनपद ने नन्दप्रयाग में आकर स्वतंत्रता का पर्व मनाया था। कहा जाता है कि उस दिन करीब 15 से 20 हजार लोग नन्दप्रयाग में एकत्रित हुए थे । गढकेसरी स्व0 अनसूया प्रसाद बहुगुणा जी जिनको अंग्रेज़ी सरकार द्वारा मजिष्ट्रेट बनाने हेतु आमंत्रण दिया परन्तु उन्होने अंग्रेजों का आमंत्रण ठुकराकर स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर सम्भाली। स्व 0अनुसूया प्रसाद जी का अखिल भारतीय कांग्रेस में इतना प्रभाव था कि उनका गांधी जी व नेहरू जी तक से सीधा सम्बन्ध व सम्बाद था। नन्दप्रयाग में ही ऐसा एकमात्र उदाहरण है जदेशहां एक ही परिवार से तीन तीन पीढ़ियां स्वतंत्रता संग्राम में रही हों। यह परिवार भी अनसूया प्रसाद बहुगुणा जी का परिवार है ।जिसमें स्वयं अनुसूया प्रसाद बहुगुणा, उनके भतीजे स्व0 रामप्रसाद बहुगुणा व रामप्रसाद जी के भतीजे स्व0 बद्रीप्रसाद बहुगुणा हैं। स्व0 रामप्रसाद बहुगुणा जी तो जब वे आठवीं कक्षा में कर्णप्रयाग में पढते थे वहीं से आजादी का विगुल फूंकते हुऐ गिरफ्तार हो गये थे। सम्भवतः वे प्रथम व्यक्ति थे जो बाल्यकाल में ही गिरफ्तार हुए थे। चौथे सेनानी स्व0 जोधसिंह मनराल थे। परन्तु स्वतंत्रता आन्दोलन में इतना सब कुछ न्योछावर करने के बावजूद स्वतंत्रता के पश्चात इतनी अनदेखी कहीं की नहीं हुई जितनी नन्दप्रयाग की हुई जो आजतक होती जा रही है। आज नन्दप्रयाग विकास के मामले में सबसे निचले पायदान में है जो कि एक बहुत चिंतित करने वाला विषय है। गढवाल मंडल का नेतृत्व करने वाला नन्दप्रयाग आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। जहां देश में आज के दिन लोग स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को तथा उनके परिवार वालों को सम्मानित कर रहे हैं वहीं जिला प्रशासन, नेतागण तथा स्थानीय शासन द्वारा उनकी अनदेखी पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। पूरा राष्ट्रीय त्यौहार सभी को साथ लेकर न चलने पर अपने अपने हितों के लिए बलि बेदी पर चढ़ा दिया गया है। भारत माता की जय। बन्दे मातरम। सभी देशवासियों को पुनः स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय भारत।