सेना के जवान अपने हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे?

हरीश मैखुरी
भारत के जम्मू कश्मीर प्रांत में अघोषित युद्ध चल रहा है, सेना के जवान पाक परस्त आतंकवादियों से  लोहा ले रहे हैं उधर पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थित आर्मी भी  एक तरह से आतंकवादियों की पनाहगाह बनी हुई है और लगातार हमारे अमूल्य जवानों को शहीद कर रही है, आए दिन जम्मू कश्मीर से  हमारे जवानों की लाशें आ रही है  यह छद्म युद्ध  पाकिस्तान के साथ  करीब 25 सालों से जारी है  हमारी सेना है कश्मीर में  अंदरूनी और बाहरी दुश्मनों से लगातार युद्ध कर रही है यह प्रोक्सीवार  हमारे जवानों के घर परिवारों को उजाड़ चुका है । लेकिन सरकार ने जवानों के हाथ बांधे हुए हैं  आतंकवाद के समर्थन में पत्थर फेंकने वाले पाक परस्त मुस्लिम चरमपंथी हमारे जवानों और उनके वाहनों पर लगातार पत्थरबाजी कर रहे हैं और हमारे जवान इतने विवश हैं कि वे अपने बचाव में भी हथियारों का प्रयोग नहीं कर पाते , जबकि उनकी जान पर बन आती है। कश्मीर से लगातार आ रही जवानों की लाशें बताती है कि देश की सरकारें किस तरह से संवेदनहीन हो चुकी हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में भी जवानों को बहुत ही विपरीत हालतों का सामना करना पड़ता है, अब सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल रही है कि सेना के 300 जवान अपने हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे, यदि यह खबर किसी भी स्तर पर लेशमात्र सही है तो सरकार में बैठे हुए संवेदनहीन नेताओं के मुंह पर जबरदस्त तमाचा है , जो जवानों को भेड़ बकरियों से ज्यादा कुछ नहीं समझते। हालांकि सेनिकों द्वारा कानूनी व व्यवहारिक रूप से ऐसा करना संभव नहीं है,  लेकिन इस मामले में हम सेना के जवानों की स्थिति को सुधारने के पक्ष में हैं, और उम्मीद की जा सकती है कि उच्चतम न्यायालय जवानों की समस्या विचारण के लिए स्वत:संज्ञान  स्वीकार करते हुए सरकार को इस मामले में जवानों के हित में अविलंब समुचित डायरेक्शन देगा। ताकि जवानों आत्मविश्वास मजबूत हो और वे देश के लिए और मजबूती से कार्य कर सकें