900 किमी चार धाम सड़क परियोजना में सुप्रीम कोर्ट का स्टे दुर्भाग्यपूर्ण

 

हरीश मैखुरी

900 कि.मी. की चार धाम सड़क परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए ग्राम प्रधान संगठन कहा कि ऐसे फैसलों से न केवल विकास कार्य दुष्प्रभावित होते हैं बल्कि पलायन को भी बढ़गा। और पहाड़ खाली होंगे।  उत्तराखंड में पहले से ही मोटर सड़कों का भारी अभाव है और चारधाम के लिए तो अच्छी मोटर सड़कें हैं ही नहीं, जबकि समूचे देश से लोग यहाँ चारों धामों में भगवान के दर्शन के लिए आते हैं लेकिन अच्छी सड़कें न होने से उनका समय वाहन और स्वस्थ्य को भारी नुकसान होता है बल्कि हर वक्त जान का जोखिम बना रहता है। प्रधान संगठन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को यहाँ की स्थिति समझने की कोशिश करनी चाहिए ।
 ज्ञात हो कि उत्तराखंड में विकास कार्यों को भारी झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में बन रहे 12 हज़ार करोड़ के चार धाम हाइवे प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है, इस प्रोजेक्ट के तहत 900 किलोमीटर से ज़्यादा सड़कें उत्तराखंड में बनाई जानी थीं, अथवा उन्हें चौड़ा किया जाना था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में 26 सितंबर को नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल द्वार पास किए गए आदेश को स्थगित कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट में वे लोग बैठे है जिन्हें उत्तराखण्ड की जमीनी हालत पता नहीं है। इस एकृत्य से विकास कार्य अवरुद्ध होता है। बेरोजगारी, पलायन की मार उत्तराखण्ड पहले ही झेल रहा है। NGT को यहाँ के लोगों के विकास के बारे में भी सोचना चाहिए। यहाँ के लोग भी पर्यावरण का हिस्सा हैं । अगर यहाँ लोग ही नहीं रहेंगे तो पेड़ कहां से बचेंगे। प्रधान संगठन ने कहा कि पर्यावरण की चिन्ता उनको है जो वातानुकूलित कक्षों में बैठ कर  करते  चिंतन करते हैं। जबकि सबसे ज़्यादा नुक़सान Ac इन्हीं एयर कंडिशनिंग से ही है जो ओज़ोन परत को क्षय कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस स्थगन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रधान संगठन ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में खुद पहल की अपील की है। क्योंकि यह मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है जिसकी मोदी खुद मानिटरिंग कर रहे हैं।