आज का पंचाग आपका राशि फल, आवो मिलते हैं तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं से, हरितालिका तीज आज ऐसे करें अनुष्ठान, विनायक चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है जो मंगलवार 19 सितंबर को है, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अपने एक निर्धन बालसखा से 50 वर्ष बाद भेंट- एक मिलन कृष्ण सुदामा जैसा

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻सोमवार, १८ सितम्बर २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:१७

सूर्यास्त: 🌅 ०६:२५

चन्द्रोदय: 🌝 ०८:४५

चन्द्रास्त: 🌜२०:०४

अयन 🌖 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🏔️ शरद

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 भाद्रपद 

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 तृतीया (१२:३९ से चतुर्थी)

नक्षत्र 👉 चित्रा (१२:०८ से स्वाती)

योग 👉 इन्द्र (०४:२४ से वैधृति)

प्रथम करण 👉 गर (१२:३९ तक)

द्वितीय करण 👉 वणिज (०१:१४ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

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सूर्य 🌟 कन्या 

चंद्र 🌟 तुला 

मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 सिंह (उदित, पश्चिम, वक्री)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, वक्री)

शुक्र 🌟 कर्क (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४६ से १२:३५

अमृत काल 👉 ०४:२३ से ०६:०६

रवियोग 👉 १२:०८ से ०६:०३

विजय मुहूर्त 👉 १४:१४ से १५:०३

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:१९ से १८:४३

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:१९ से १९:३०

निशिता मुहूर्त 👉 २३:४८ से ००:३५

ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:२९ से ०५:१६

राहुकाल 👉 ०७:३५ से ०९:०७

राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम

यमगण्ड 👉 १०:३९ से १२:११

होमाहुति 👉 सूर्य (१२:०८ से बुध)

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पाताल (१२:३९ से पृथ्वी)

भद्रावास 👉 पाताल (०१:१४ से) 

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 सभा में (१२:३९ से क्रीड़ा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – अमृत २ – काल

३ – शुभ ४ – रोग

५ – उद्वेग ६ – चर

७ – लाभ ८ – अमृत

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – चर २ – रोग

३ – काल ४ – लाभ

५ – उद्वेग ६ – शुभ

७ – अमृत ८ – चर

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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हरितालिका (केवड़ा) तीज, समर्थ गुरु रामदास जयन्ती, व्यवसाय आरम्भ+वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त प्रातः ०९:१७ से १०:४५ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १२:०८ तक जन्मे शिशुओ का नाम चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (री) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम स्वाती नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थी चरण अनुसार क्रमशः (रू, रे, रो, ता) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कन्या – ०६:०३ से ०८:२०

तुला – ०८:२० से १०:४१

वृश्चिक – १०:४१ से १३:०१

धनु – १३:०१ से १५:०४

मकर – १५:०४ से १६:४५

कुम्भ – १६:४५ से १८:११

मीन – १८:११ से १९:३५

मेष – १९:३५ से २१:०८

वृषभ – २१:०८ से २३:०३

मिथुन – २३:०३ से ०१:१८

कर्क – ०१:१८ से ०३:४०

सिंह – ०३:४० से ०५:५९

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०६:०३ से ०८:२०

रोग पञ्चक – ०८:२० से १०:४१

शुभ मुहूर्त – १०:४१ से १२:०८

मृत्यु पञ्चक – १२:०८ से १२:३९

अग्नि पञ्चक – १२:३९ से १३:०१

शुभ मुहूर्त – १३:०१ से १५:०४

रज पञ्चक – १५:०४ से १६:४५

शुभ मुहूर्त – १६:४५ से १८:११

चोर पञ्चक – १८:११ से १९:३५

रज पञ्चक – १९:३५ से २१:०८

शुभ मुहूर्त – २१:०८ से २३:०३

चोर पञ्चक – २३:०३ से ०१:१८

शुभ मुहूर्त – ०१:१८ से ०३:४०

रोग पञ्चक – ०३:४० से ०५:५९

शुभ मुहूर्त – ०५:५९ से ०६:०३

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपको अधिकांश कार्यो में विजय दिलाने वाला रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में आकस्मिक धन लाभ होने से उत्साह बढेगा कार्यो को अधिक समर्पण के साथ करेंगे। आपके अंदर नई चेतना एवं स्फूर्ति बनेगी परोपकार की भावना अधिक रहने से विरोधियो के उटपटांग कुतर्कों का भी बुरा नहीं मानेंगे। आर्थिक आयोजन आज निर्विघ्न संपन्न होंगे भविष्य की योजनाओं पर भीं खर्च कर सकते है। आज आपको जितना भी लाभ मिलेगा उसी में संतोष कर लेंगे। मित्र परिचितों से शुभ समाचार की प्राप्ति आनंद को दुगुना करेगी। व्यस्त दिनचर्या के कारण शारीरिक थकान रहेगी दोपहर के बाद पेट अथवा पीठ सम्बंधित समस्या हो सकती है। 

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आप पिछले कुछ दिनों की अपेक्षा मानसिक रूप से हल्कापन अनुभव करेंगे। सामाजिक क्षेत्र पर परिवार के सहयोग से नाम और काम दोनों मिलेगा। फिर भी आप अपने कार्य से संतुष्ट नहीं रहेंगे कम समय में ज्यादा कमाने की भावना मानसिक रूप से विचलित रखेंगी। आज आप धैर्य से कम ही काम लेंगे अनैतिक कार्यो में पड़ने की सम्भावना है। मन के विचार भी पल-पल में बदलने से सही निर्णय लेने में कठिनाई अनुभव करेंगे। आज केवल पैतृक सम्बन्धो द्वारा ही लाभ की संभावना बन रही है इसलिए परिजनों के साथ व्यर्थ की बहस ना ही करे तो बेहतर रहेगा। धन लाभ कम परन्तु समय से होगा। सन्तानो के व्यवहार में उदंडता आएगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपकी बुद्धि विवेक जाग्रत होने से प्रत्येक कार्य सोच समझ कर ही करेंगे। लेकिन आज आपके कार्यो में बेवजह दखल देने वालो के कारण सही दिशा में जा रहे कार्य गलत होने की संभावना है। धन को लेकर आज आपका व्यवहार लापरवाही वाला रहेगा। किसी से किये वादे समय पर पूर्ण ना होने से बहस हो सकती है। महिलाये सामाजिक एवं पारिवारिक कार्यो में विशेष रूचि लेंगी इनमे आगे भी रहेंगी। नौकरी पेशा महिलाओं को घर एवं कार्य क्षेत्र पर तालमेल बैठाने में थोड़ी परेशानी रहेगी फिर भी संध्या के आस-पास शुभ समाचार मिलने से मानसिक राहत मिलेगी। संध्या के समय आवश्यकता अनुसार धन लाभ हो जाएगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आस-पास का वातावरण आपकी सोच के विरुद्ध रहने से आप क्रोध आवेश से भरे रहेंगे। हास्य भरी बातो को भी प्रतिष्ठा से जोड़ने पर टकराव की स्थिति बनेगी। व्यवसाय में स्वयं के निर्णय गलत साबित होंगे अभिमान त्याग किसी अनुभवी की सलाह अवश्य लें शीघ्र ही कोई रास्ता मिलेगा। आस-पड़ोसियों की मामूली बातों को अनदेखा करें अन्यथा अकारण ही विवाद गहरा सकता है।

शारीरिक समस्याएं मध्यान के समय प्रबल रहेंगी अधिक मसाले वाले भोजन अथवा बाहर के खान-पान से परहेज करें। विद्यार्थी वर्ग को भी परिश्रम का उचित परिणाम नहीं मिलने से दुःख होगा। किसी से धन सम्बंधित वादे ना करे।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आप अपनी एवं परिवार की महात्त्वकांक्षाओ को पूर्ण करने का पूरा प्रयास करेंगे। धन प्राप्ति की कामना दिन की शुरुआत से ही मन मे बनी रहेगी। मध्यान तक इसमे काफी हद तक सफल भी हों जाएँगे। हिम्मत बनाये रखे आर्थिक दृष्टिकोण से दिन संतोषजक रहने वाला है। महिलाये कार्य क्षेत्र पर पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन करेंगी बीच-बीच में मन मुटाव के प्रसंग भी बनेंगे परन्तु कार्य में बाधक नही होंगे। परिवार के बुजुर्ग आज आपसे किसी कारण से नाराज रह सकते है। घर के अन्य सदस्य भी बुजुर्गो का ही पक्ष लेंगे जिससे स्वयं को अकेला अनुभव करेंगे स्थिति स्वतः ही सामान्य हो जायेगी धैर्य के साथ मौन बनाये रखें। 

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज दिन के आरम्भ में आप प्रत्येक कार्यो से मन चुरायेंगे आलस्य अधिक रहने से दैनिक कार्य भी विलम्ब से पूर्ण होंगे। धार्मिक कार्यो में रुचि रहने से मानसिक रूप से शांति बनी रहेगी। सामाजिक व्यवहारिकता आज कई क्षेत्रों पर काम आएगी इसलिए जिद्दी व्यवहार को बीच में ना आने दें। व्यवसाय में आकस्मिक वृद्धि होगी परन्तु धन की प्राप्ति के लिए इन्तजार करना पड़ सकता है। नए कार्यो की रूपरेखा अवश्य बना सकते है पर आज आरम्भ नाही करें तो बेहतर रहेगा। परिजनों की आवश्यकता की अनदेखी अशांति खड़ी करेगी विशेष कर महिलाये आपसे ज्यादा असंतुष्ट रहेगी। सन्तानो के कारण खर्च करना पड़ेगा। 

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन आपके अंदर चंचलता एवं भावुकता अधिक रहेगी। आपसे कोई भी व्यक्ति अपना स्वार्थ आसानी से सिद्ध कर लेगा चाहकर भी किसी को ना नही कर सकेंगे इस वजह से बाद में परेशान ही रहेंगे। परन्तु फिर भी आर्थिक रूप से दिन संतोषजनक ही रहेगा। प्रतिस्पर्धी अतिरिक्त प्रलोभन देकर आपके बनते कार्य को बिगाड़ने का प्रयास करेंगे फिर धन लाभ आवश्यकता अनुसार हो ही जाएगा। आज आपकी महात्त्वकांक्षाएँ भी अधिक रहेगी पूरी ना होने पर बेवजह दुःख रहेगा। परिजन का व्यवहार अनुकूल रहेगा महत्त्वपूर्ण कार्यो में मार्गदर्शन भी मिलेगा परन्तु आप इसकी अनदेखी करेंगे। विपरीत लिंगीय आकर्षण भी आज अधिक ही रहेगा।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आपको प्रत्येक कार्य मे अधिक सतर्कता बरतने की सलाह है। आपसी संबंधों को लेकर भी गंभीर रहे आज किस की अनदेखी करने से बने बनाये लाभ से हाथ धो बैठेंगे। आज आपका मन कार्य करते हुए भी कही और रहेगा जिससे कार्य बिगड़ सकते है। आज अधिक धैर्य का परिचय दें। क्रोध के भी कई प्रसंग बनेंगे जो सम्बन्धो के कटुता लायेगी। घर की शांति अचानक भंग हो सकती है।

भाई बंधू अपनी बात मनवाने के लिए गलत व्यवहार कर सकते है। स्त्रीवर्ग अधिक भावुक रहेंगी जिससे आपसी सम्बन्ध बिखरने से बच भी सकते है। सरकारी अथवा अन्य कागजी कार्य आँख बंद कर ना करें। सन्तानो के साथ कुछ समय अवश्य बिताएं लंबी यात्रा ना करें।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आपको कही ना कही से अचानक धन की प्राप्ति होगी। नियमित होने वाली आय के साथ ही अतिरिक्त आय भी बना लेंगे। कारोबारी लोग पूर्व में लिए निर्णय से आज अच्छा लाभ उठा सकते है। कार्य क्षेत्र पर सभी लोग आपके व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे। परिवार की महिलाएं एवं बुजुर्ग आपको अधिक स्नेह देंगे। कार्य व्यवसाय से आज भविष्य के लिए भी धन का संकलन कर लेंगे। आवश्यक कार्य निर्विघ्न पूर्ण होंगे। उधारी का धन फंसने से नई परेशानी बढ़ेगी परन्तु धन को लेकर आज किसी से बहस ना करें डूबने की भी सम्भावना है। घर में भी उत्तम भोजन का सुख मिलेगा। सुख के साधनों में वृद्धि होगी। दिखावे पर खर्च भी अधिक रहेंगे। स्त्री सुख मिलेगा

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आपके लिए शुभ फलदायी है। दिन के आरंभिक भाग में पुरानी योजना पूर्ण होने से अथवा अन्य कार्यो से धन की आमद होगी मध्यान तक आशा से अधिक लाभ कमा लेंगे। इसके बाद का समय भी लाभ वाला रहेगा लेकिन प्राप्ति के लिए इन्तजार करना पड़ेगा। धार्मिक भावनाएं बलवती रहेंगी घर एवं धार्मिक क्षेत्रो पर पूजा पाठ में भाग लेंगे। विरोधियो के प्रति उदासीन व्यवहार भविष्य के लिये हानिकारक रह सकता है इसका ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था ना पनपने दें आगे परेशानी बन सकती है। महिलाये आज दैनिक कार्यो के अतिरिक्त कार्य रहने से अधिक व्यस्त रहेंगी। रिश्तेदारी में खर्च करना पड़ेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आप भागदौड़ से दूर रहकर शांति से बिताना पसंद करेंगे। घर के सदस्य खास कर महिलाये आपकी पसंद का विशेष ध्यान रखेंगे। प्रातः काल से जिस भी कार्य में जुटेंगे उसमे संध्या तक ही सफलता मिलेगी अथवा धन लाभ होगा। कार्य क्षेत्र पर आज कार्य व्यवसाय मंदा रहेगा फिर भी सहकर्मियों से व्यवहारिकता में कमी नही आने देंगे। आप जो भी कार्य करेंगे उसका निर्णय भी अचानक ही लेंगे जिससे आस पास के लोग आश्चर्य में रहने के साथ-साथ थोड़ी परेशानी भी अनुभव करेंगे। लोगो की आपसे अधिक अपेक्षाएं रहेंगी। जल्दबाजी में कार्य करने पर भी विलम्ब से पूर्ण होगा। घर के बुजुर्ग अथवा बच्चों की सेहत ख़राब होने के कारण अतिरिक्त कार्य बढेगा।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है दिन के आरम्भ में शरीर मे दर्द, अकड़न की शिकायत रहेगी। लापरवाही ना करें अन्यथा परिणाम गंभीर हो सकते है। कार्य क्षेत्र पर कुछ ना कुछ बदलाव लाने का प्रयास करेंगे परन्तु इससे आपकी पुरानी पहचान खराब हो सकती है जो की निकट भविष्य में आर्थिक मंदी का कारण बनेगी। अकारण क्रोध आने से प्रेम सम्बन्धो में खटास आएगी इसलिए मौन रहें। आध्यत्म के प्रति आज एकमत नहीं रहेंगे मन भटकने के कारण शांति नहीं मिल सकेगी। दिन का कुछ समय कागजो की देखभाल में व्यतीत होगा किसी महत्त्वपूर्ण कागजात के गुम होने से दुविधा में रहेंगे। पारिवारिक वातावरण उदासीन रहेगा।

         🙏 राधे राधे 🙏

*आज के लिए श्रीहरतालिका तीज व्रत कथा*

ॐ श्रीसूतजी ने कहा कि मंदार माला से श्रीगौरी के केश अलंकृत हैं मुंडों की माला से श्रीशिव की जटा अलंकृत हैं श्रीगौरी दिव्य वस्त्र धारण किये श्रीशिव दिगम्बर हैं ऐसी श्रीगौरीशंकर को प्रणाम करता हूँ । सुंदर कैलाश पर्वत के शिखर पर बैठी श्रीपार्वती कहती हैं हे श्रीमहेश्वर हमे कोई गुप्त व्रत रा पूजन बताये । जो सब धर्मों में सरल कम परिश्रम करना पड़े एवं फल अधिक मिले हे नाथ आप मुझ पर प्रसन्न हो तो वह विधान बताये। हे नाथ किस तप व्रत दान से आदि मध्य अंत रहित आप जैसे महाप्रभु मुझे मिले। श्रीशिव बोले हे देवी सुनो मैं तुम्हें एक उत्तम व्रत मेरा सर्वस्व छिपाने योग्य तुम्हारे प्रेम से वशीभूत हो कहता हूँ । नक्षत्रों में चंद्र ग्रहों में सूर्य वर्णों में ब्राह्मण देवों मे विष्णु नदियों में गंगा पुराणों में महाभारत वेदों मे सामवेद इन्द्रियों में मन श्रेष्ठ हैं । सब पुराण स्मृतियों में जिस तरह कहा मैं तुम्हें एक प्राचीन व्रत बताता हूँ एकाग्र मन से सुनो। जिस व्रत से तुमने मेरा आधा आसन पाया वह तुम्हें कहूँ तुम मेरी प्रेयसी हो । भाद्रपद मास में हस्त नक्षत्रयुक्त सुदी तीज तिथि को अनुष्ठान से स्त्रियाँ पापमुक्त होती हैं । हे देवी तुमने बहुत दिनों पहले हिमालय पर्वत पर इस व्रत को किया था । वह वृतांत कहूँ । श्रीपार्वती ने पूछा हे नाथ मैने यह व्रत क्यों किया? यह आपके मुख से सुनना चाहती हूँ । श्रीशिव ने कहा कि भारत के उत्तर में सुंदर पर्वत में श्रेष्ठ हिमवान पर्वत है। उसके आसपास भूमि में अनेक वृक्ष हैं अनेक पशु पक्षी उस पर रहते हैं वहाँ गन्धर्वों के साथ देवता सिद्ध चारण पक्षी गण सदैव प्रसन्न मन से विचारते हैं वहाँ गन्धर्व गाते अप्सराएँ नृत्य करती उस पर्वत के शिखर जिनमे स्फटिक रत्नादि की खाने भरी हैं । वह पर्वत ऊँचा आकाश छूता बर्फ से ढँका हैं वहाँ श्रीगंगाजल ध्वनि सुनाई देती हैं। हे देवी तुमने बाल्यकाल में पर्वत पर तपस्या की थी 12 वर्ष उल्टी टँगकर रही वैशाख की दोपहरी में पंचाग्नि तापती रही। श्रावण में बरसते जल में भूखी प्यासी मैदान में बैठी रही तुम्हारे पिता तुम्हे इन कष्टों को सहन नही करते हुए तुम्हें देख दुःखी हुए । वे चिन्ता में होकर अपनी कन्या किसे दूँ उसी समय तब श्रीनारद तुम्हें देखने गये हिमाचल ने श्रीनारद अर्ध्य पाद्यादि से स्वागत कर श्रीनारद से पूछा आप किसलिए आये? आपका आना अच्छा हैं श्रीनारद ने कहा कि श्रीविष्णु का भेजा आया हूँ आपकी कन्या योग्य वर को दे । श्रीविष्णु के समान श्रीइन्द्रादि कोई भी वर नही हैं इसलिए आप आपकी कन्या श्रीविष्णु को दे । हिमालय ने कहा कि श्रीविष्णु मेरी कन्या लेना चाहते हैं आप संदेश लेकर आये तो उन्हें कन्या दूँगा तब श्रीनारद चले गये। वे पीताम्बर शंख चक्र गदा धारी श्रीविष्णु के पास गये 1श्रीनारद ने करबद्ध श्रीविष्णु से कहा आपका विवाह पक्का कर आया। हिमालय ने श्रीपार्वती से कहा मैंने तुम्हें श्रीविष्णु को दे दिया । तब पिता की बात सुन निरुत्तर हो सखी के घर गयी भूमि पर पड़ दुःखी हो विलाप करने लगी तुम्हारा विलाप सुन सखी बोली आपके दुःख का कारण कहो ।आपकी इच्छा पूरी करने की चेष्टा करुँगी। श्रीपार्वती ने कहा मेरी इच्छा सुनो मैं एक श्रीशिव को ही पति बनाना चाहती हूँ इसमें संशय नही हैं । मेरे पिता ने मेरी इच्छा ठुकरा दी । अब मैं शरीर त्याग दूँ । श्रीपार्वती की बात सुन सखियों ने कहा कि शरीर मत त्यागो हम वन में चले जहाँ आपके पिता को पता न चले तब तुम सखी के साथ वन में गयी । पिता तुम्हे घर घर खोजने लगे दूतों द्वारा खबर लेने लगे कि कौन देव राक्षस आदि मेरी कन्या को हर ले गया। मैंने श्रीनारद के आगे प्रतिज्ञा करी की कन्या श्रीविष्णु को दूँगा ऐसा सोच बेहोश हो गये । गिरिराज को बेहोश देख लोग दौड़े होश आने पर पूछा आपकी बेहोशी का कारण कहो । हिमवान ने कहा मेरे दुःख का कारण सुनो मेरी कन्या को कोई हर ले गया या काले साँप ने काट लिया या शेर बाघ खा गये हाय हाय मेरी बेटी कहाँ गयी? किस दुष्ट ने मेरी पुत्री को मारा हिमवान वायु के झोंके की तरह काँपने लगे । फिर तुम्हारे पिता वन वन ढूँढने लगे वन शेर आदि से भयानक लगा तुम भी सखी के साथ एक जगह गयी जहाँ नदी बह रही वहाँ एक गुफ़ा में मेरी बालू की मूर्ति बना निराहार रह आराधना करी जब भाद्रपद सुदी हस्त नक्षत्र युक्त तीज आई तब मेरी पूजा कर रात भर गीत वाद्यादि से गाकर जागरण कर मुझे प्रसन्न करने मे बिताया । तुम्हारे व्रतराज से मेरा आसन डोला मैं उस स्थान पर आया जहाँ तुम सखी के साथ व्रत कर रही । मैंने तुमसे कहा कि मैं तुम पर प्रसन्न हूँ बोलो क्या चाहती हो? तुमने कहा आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे पति बने मेरे द्वारा तथास्तु कह कर कैलाश पर्वत पर वापस आने पर वह बालू की मूर्ति नदी में प्रवाहित कर दी । सखी के साथ महाव्रत का पारण किया । हिमवान तुम्हें खोजते वन में आ गये सभी दिशाओं में तुम्हें खोजने से घबरा कर गिर गये।थोड़ी देर बाद उन्होंने नदी तट पर दो कन्यायें देखी फिर तुम्हें देख छाती से लगा रोने लगे फिर आपसे पूछा कि इस भयानक वन में क्यो आई? आपने कहा कि मैं अपने को श्रीशिव को सोप चुकी आपने मेरी बात टाली। इस कारण यहाँ आई। हिमवान ने कहा आपकी इच्छा के विरुद्ध कुछ नही करुँगा तुम्हें अपने साथ घर लाकर मेरे साथ तुम्हारा विधि विधान से शुभ विवाह कर दिया । इसी से आपने मेरा अर्धासन पाया तब आज तक यह व्रत प्रकट करने का अवसर मुझे नही आया । हे देवी इस व्रत का नाम हरितालिका क्यों पड़ा? तुमको सखी हर ले गयी थी इसी से श्रीहरतालिका नाम पड़ा । श्रीपार्वती ने कहा हे नाथ आपने नाम तो बताया अब व्रत विधि पुण्य फल एवं व्रत कौन करे? यह भी बताये। श्रीशिव ने कहा हे देवी स्त्री जाति की भलाई हेतु यह व्रत हैं जो स्त्री सौभाग्य की रक्षा चाहती वह व्रत करे। केले के खम्भे का मंडप बना रेशमी वस्त्रों की झाँकी बना चंदन से सुगंध कर वाद्यों को बजाते मंगल गाते मंडप में श्रीशिवपार्वती की मूर्ति स्थापित करे। उस दिन उपवास रख बहुत सुगन्धित द्रव्यों से पूजन नैवेद्य लगा रात भर जागरण करे। ऋतु के पत्ते फलादि विशेष रखे । हे श्रीशिवे अर्थ दात्री शिवरुपिणी ब्रह्मरुपिणी जगद्धात्री आपको प्रणाम हैं । हे सिंहवाहिनी संसार भय से मुझ दीन की रक्षा करो इस इच्छा से आपकी पूजा की हैं । हे श्रीपार्वती मुझे राज्य एवं सौभाग्य दो प्रसन्न हो मुझ पर प्रसन्न हो। इन्हीं मंत्रों से श्रीपार्वती की पूजा करे। पति सहित पूजन कर कथा सुन दानादि संकल्प कर देवे । हे देवी जो स्त्री इस प्रकार पूजा करती वह पापों से छूट सात जन्म तक सुख सौभाग्य लेती हैं । जो स्त्री तीज को व्रत नही कर अन्न खाती वह सात जन्म तक बाँझ रह बार बार विधवा होना पड़ता हैं वह गरीब पुत्र शोक से दुःखी लड़ाकू दुःखी होती हैं उपवास नही करने वाली स्त्री नरक में जाती हैं । तीज को अन्न खाने से सूकरी फल खाने से बंदरिया पानी पीने से जोंक दूध पीने से नागिन मांस खाने से बाघिन मिठाई खाने से चींटी सभी वस्तुओं को खाने से मक्खी होती हैं सोने से अजगरी पति को धोखा देने मुर्गी होती हैं चौथ को दान कर व्रत पारण करे। जो स्त्री ऐसा व्रत करे वह मेरे समान पति पाकर मरने पर तुम्हारे समान उसका रुप हो जाता है। उस स्त्री को सुख एवं मोक्ष मिल जाता हैं यह श्रीहरतालिका व्रत कथा सुनने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ सौ वाजपेय यज्ञ का फल मिलता हैं मैंने यह उत्तम व्रत बताया जिसको करके प्राणी पापों से छूट जाता हैं इसमें संशय नही हैं । भगवान श्रीशिव ने श्रीपार्वती को उनका पूर्व जन्म का स्मरण कराने हेतु यह श्रीहरतालिका तीज व्रत पूजन कथा कही थी।

 *जय हो श्रीगौरी*सभी अनुष्ठान करने के बाद, महिला भक्त अगली सुबह इस व्रत का समापन करती हैं |

 

*श्री गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है आइये जाने शुभ मुहूर्त और पूजा बिधि*

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✍🏻श्री गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, जो की इस बार 19 सितंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है बताया कि स्वाति नक्षत्र मध्यान्ह कालीन बेला में श्री गणेश जी का जन्म हुआ था, इस बार 18 तारीख की दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से लेकर 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 42 मिनिट तक चतुर्थी तिथि रहेगी। श्री गणेश चतुर्थी तिथि से लेकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक ये गणेश उत्सव कहलाता है। इन दस दिनों में भगवान गणेश जी विघ्नों का हरण कर मंगल कार्यो को करते है।

*श्री गणेशजन्मोत्सव*

 भगवान गणेश जी का जन्म उत्सव 19 सितंबर मंगलवार से प्रारंभ होकर 28 सितम्बर अनंतचतुर्दशी तक चलता रहेगा है इन दिनों में गणेश जी का पूजन, अथर्वशीर्ष का पाठ, सिध्दि विनायक मंत्र जाप तदुपरान्त होम आहुति पूर्णाहुति आदि करके विधिवत तरीके से विसर्जन करना चाहिए।

 *गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त*

*१:-* दिनांक 19 सितंबर में ब्रह्म मुहूर्त से शाम और रात्रि कालीन भगवान गणेश जी की प्रतिष्ठा करे। 

*श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि*

१:- श्री गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

२:- सर्व प्रथम पूज्य गणेश जी की प्रतिमा गोबर या मिट्टी की होनी चाहिए। 

३:-निर्मित कि हुई श्री गणेश प्रतिमा पूर्व, पश्चिम या उत्तर की और मुख कर के रखनी चाहिए।

४:-इसके बाद प्राणप्रतिष्ठा करके षोडष उपचार अथवा पंच उपचार से पूजन करना चाहिए।

५:-विशेष कामना के लिए श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करके दुरवार्चन करे।

६:-रुद्राक्ष की माला या हल्दी की माला से *ॐ गं गणपतये नमः* मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए।*”ॐ शांति*

देवता तैतीस करोड़ ही हैं । सभी हिन्दूओं के एक ईश्वर भगवान एक कुल गुरु दो माता पिता, त्रिवेद(ब्रह्मा विष्णु महेश), चार वेद, चार धाम, पंच परमेश्वर,पंच तत्व (पंचमहाभूत) पंच नाम देवता, देवभूमि के पंच बद्री पंच केदार, पंच प्रयाग, सप्त ऋषि, आठ पहर, अष्ट वसु, नव ग्रह, नव दुर्गा, दस महाविद्या, दस दिग्पाल, दसावतार, ग्यारह रुद्र, बारह ज्योतिर्लिंग, चौदह प्रयाग, सोलह संस्कारों के देवता, अट्ठारह पुराणों के देवता, सत्ताईस नक्षत्रों के देवता, इक्यावन शक्ति पीठ, एक सौ आठ तीर्थ, एक सो आठ ऋषि, बहतर हजार वेदमंत्रों के देवता, तैतीस करोड़ अपने अपने कुल देवता, ईष्ट देवता कुल गुरू देवता भी होते हैं।

 देवता अर्थात् सुख-समृद्धि शांति व सुरक्षा व आशीर्वाद प्रदान करने वाले, जो प्रत्येक कार्य मुहूर्त समय काल परिस्थिति के लिए पृथक पृथक कहे गये हैं। 

अब सनातन धर्म संस्कृति के विरोधियों का ये नया षड्यंत्र है जो तैतीस करोड़ को तैतीस कोटि अर्थात् प्रकार बता कर सीमित करना चाहते हैं। ये छद्म षड्यंत्रकारी तो यहां तक कहते हैं संस्कारों और संस्कृति की आवश्यकता नहीं है एक को जानो एक को मानों आदि इत्यादि कपोल व मनगढ़ंत बातें करने वाले हैं प्रकारान्तर से देवी-देवताओं को सीमित करना मनुष्यों को वेद शास्त्र च्युत करना यज्ञोपवीत शिखा सूत्र तिलक चंदन संध्या वंदन यज्ञ हवन विमुख करना भी मुस्लिम पंथ और इसाई पंथियों का षड्यंत्र है। और मनुष्य को संस्कृति व संस्कार विहीन कर साक्षात् पश पुच्छ विहीनम् बनाने की योजना है। ताकि विज्ञान आधारित सनातन धर्म संस्कृति समाप्त की जा सके। 

मनुष्य वे कहे जाते हैं जो मनु महाराज की परम्परा से हैं। यह मूल रूप से अनादि काल से भगवान विष्णु की परम्परा की वंशावली ही है अर्थात हम अपने पिता के पिता के पिता को खोजते जायेंगे तो कश्यप ऋषि उनके औरस पिता प्रजापति ब्रह्मा जी और उनके कमलासन का मूल भगवान विष्णु ही मिलते हैं। सनातन धर्म संस्कृति ने कहा “यत् पिंडे तत् ब्रहमांडे” अर्थात् जैसी संरचना एक प्रमाणु की है वैसी ही संरचना परम अणु यानी ब्रहमांड है। यानी पिंड और ब्रह्मांड की संरचना का सूत्र एक ही है। इसलिए कुछ विद्वान ‘एको ब्रह्म द्वतियो नास्ति’ कहते हैं। लेकिन एक सूत्र होने के उपरांत भी मनुष्य और सृष्टि संचालन के लिए अनन्त कोटि ब्रहमांड नायक के साथ ही देश काल परिस्थितियों के अनुसार तैतीस करोड़ उर्जा श्रोतों की आवश्यकता रहती है तभी जीवन चलता है इसी को तैतीस करोड़ देवी-देवता कहा जाता है। 

वस्तुत:सनातन धर्म संस्कृति न केवल संस्कृत संस्कृति और संस्कारों से मनुष्य को देवता बनाती है अपितु मरणधर्मा मनुष्य को मुक्ति और अमरत्व प्रदान करने का सूत्र देती है। हरि अन्नंत हरि कथा अन्नंता ✍️हरीश मैखुरी 

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