आज का पंचाग आपका राशि फल, एकादशी व्रत मनुष्य को देवता बनाने की विधि है, झाड़ू हमारे घर को स्वच्छ ही नहीं बनाती है अपितु नकारात्मकता को हटाती है

*स्त्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य*

           *त्राता हरीशो हरते पिनाकी।*

*एकस्त्रिधा ऋग्युजु: सामपूर्ति*

            *तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।।*

अर्थ:-

      *जो स्वयं सृष्टि को बनाने वाले हैं,जो ब्रहमा, विष्णु और महेश के त्राता हैं या तीनों देवताओं में आप ही स्थित हैं,एक ऋग,यजु और साम मूर्ति हैं (अर्थात् वेदमय हैं) मैं उन सूर्य पुत्र शनि को नमस्कार करता हूं।’*

         *🙏🍁 सुप्रभात 🍁

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम, सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻शनिवार, ०९ दिसंबर २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०७:०८

सूर्यास्त: 🌅 ०५:२९

चन्द्रोदय: 🌝 २८:११

चन्द्रास्त: 🌜१४:३६

अयन 🌖 दक्षिणायणे (दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🗻 हेमन्त 

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 मार्गशीर्ष 

पक्ष 👉 कृष्ण 

तिथि 👉 द्वादशी (पूर्ण रात्रि)

नक्षत्र 👉 चित्रा (१०:४३ से स्वाती)

योग 👉 शोभन (२३:३७ से अतिगण्ड)

प्रथम करण 👉 कौलव (१८:५७ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (पूर्ण रात्रि)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 वृश्चिक 

चंद्र 🌟 तुला 

मंगल 🌟 वृश्चिक (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 धनु (अस्त, पूर्व, वक्री)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, वक्री)

शुक्र 🌟 तुला (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मीन 

केतु 🌟 कन्या 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४८ से १२:३०

अमृत काल 👉 २६:३७ से २८:१८

द्विपुष्कर योग 👉 ०७:०१ से १०:४३

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 १०:४३ से ३१:०२

विजय मुहूर्त 👉 १३:५२ से १४:३३

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१४ से १७:४२

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:१७ से १८:३९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:४२ से २४:३७

राहुकाल 👉 ०९:३५ से १०:५२

राहुवास 👉 पूर्व

यमगण्ड 👉 १३:२६ से १४:४३

दुर्मुहूर्त 👉 ०७:०१ से ०७:४२

होमाहुति 👉 राहु (१०:४३ से केतु)

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 नन्दी पर

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – काल २ – शुभ

३ – रोग ४ – उद्वेग

५ – चर ६ – लाभ

७ – अमृत ८ – काल

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – लाभ २ – उद्वेग

३ – शुभ ४ – अमृत

५ – चर ६ – रोग

७ – काल ८ – लाभ

नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (वायविंडिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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उत्पन्ना एकादशी व्रत (निम्बार्क), गृहप्रवेश+व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०८:२४ से ०९:४२ तक, वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर १२:१९ से सायं ०४:११ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १०:४३ तक जन्मे शिशुओ का नाम चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (री) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम स्वाती नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (रू, रे, रो, ता) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

वृश्चिक – २९:१९ से ०७:३८

धनु – ०७:३८ से ०९:४२

मकर – ०९:४२ से ११:२३

कुम्भ – ११:२३ से १२:४९

मीन – १२:४९ से १४:१२

मेष – १४:१२ से १५:४६

वृषभ – १५:४६ से १७:४१

मिथुन – १७:४१ से १९:५६

कर्क – १९:५६ से २२:१७

सिंह – २२:१७ से २४:३६

कन्या – २४:३६ से २६:५४

तुला – २६:५४ से २९:१५

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पञ्चक रहित मुहूर्त

अग्नि पञ्चक – ०७:०१ से ०७:३८

शुभ मुहूर्त – ०७:३८ से ०९:४२

रज पञ्चक – ०९:४२ से १०:४३

शुभ मुहूर्त – १०:४३ से ११:२३

चोर पञ्चक – ११:२३ से १२:४९

शुभ मुहूर्त – १२:४९ से १४:१२

शुभ मुहूर्त – १४:१२ से १५:४६

चोर पञ्चक – १५:४६ से १७:४१

शुभ मुहूर्त – १७:४१ से १९:५६

रोग पञ्चक – १९:५६ से २२:१७

शुभ मुहूर्त – २२:१७ से २४:३६

मृत्यु पञ्चक – २४:३६ से २६:५४

अग्नि पञ्चक – २६:५४ से २९:१५

शुभ मुहूर्त – २९:१५ से ३१:०२

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप लक्ष्य बनाकर कार्य करें अन्यथा मूल उद्देश्य से भटक सकते है दिन लाभदायी है इसका सदउपयोग करें। बेरोजगार लोग थोड़ा अधिक प्रयास करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य संध्या से पहले पूर्ण करने का प्रयास करें इसके बाद हानि हो होगी। दूर प्रदेश से आज नए संबंध जुड़ेंगे परन्तु इनसे आर्थिक लाभ की आशा ना रखें। समाज के वरिष्ठ व्यक्ति का व्यवहार कुछ देर के लिए परेशानी में डालेगा। मित्र परिचितों के साथ पिकनिक पार्टी की योजना बनेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आपके लिए आज का दिन लाभदायी तो रहेगा परन्तु लाभ कमाने के चक्कर मे आज शरीर की अनदेखी करना आगे भारी पड़ सकता है। कुछ दिनों से जिस वस्तु की कामना कर रहे थे आज उसकी प्राप्ति होने से मन प्रफुल्लित रहेगा। आज धन लाभ के साथ साथ खर्च में भी बढ़ोतरी होगी फिर भी आर्थिक संतुलन बना रहेगा। भाई बंधुओ का साथ मिलने से शत्रुओं पर आसानी से विजय पा लेंगे लेकिन आज घर का ही कोई सदस्य आपके भेदों को सार्वजनिक कर सकता है सतर्क रहें।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन सामान्य ही रहेगा फिर भी अतिआत्मविश्वास की भावना हानि करा सकती है इसका ध्यान रखे। कार्य क्षेत्र पर थोड़ी तू तू में में होने की सम्भवना है धन को लेकर आज किसी से वैर ना करें भविष्य के लिए हानिकारक रहेगा। आर्थिक उलझने दिन के मध्यान तक परेशान करेंगी इसके बाद आकस्मिक लाभ होने से थोड़ी राहत मिलेगी। परिवार के सदस्यों की फरमाइश पूरी ना होने पर अशांति फैलेगी इसका निराकरण शीघ्र करे। मनोरंजन के अवसर आज मुश्किल से ही मिलेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन का अधिकांश भाग भी आपके लिए कलहकारी रहेगा। आर्थिक स्थिति भी गड़बड़ाने से क्रोध अधिक आएगा। संबंधों के प्रति लापरवाह रहेंगे जिससे घर मे अशांति के प्रसंग ज्यादा बढ़ेंगे। पारिवारिक सदस्य के आज आपके विचार मेल नही खाएंगे। व्यवसायी वर्ग मध्यान बाद तक व्यापार को लेकर परेशान रहेंगे इसके बाद स्थिति में सुधार आएगा परन्तु आपकी छोटि मानसिकता आज ओरो को परेशान करेगी। सेहत का भी ध्यान रखें असंयमित दिनचर्या हानि पहुचायेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आप बड़ी-बड़ी योजनाए बनाएंगे लेकिन इनको साकार रूप देने में असफल रहेंगे फिर भी आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन आशा के अनुरूप ही रहेगा। धन लाभ रुक-रुक कर परन्तु प्रचुर मात्रा में होगा जिससे अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से कर सकेंगे। फिजूल के खर्च भी मध्यान के बाद अकस्मात ही बढ़ेंगे इनकी परवाह आज नही करेंगे। परिजन आज आपसे प्रसन्न रहेंगे लेकिन पति-पत्नि ने मामूली नोक-झोंक हो सकती है। संध्या के समय थकान ज्यादा रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आपका आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। कार्य क्षेत्र पर लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु अन्य कामो में उलझने के कारण इनमे से कुछ एक ही हाथ लग पाएंगे। नौकरी पेशा जातक कामो को जल्दी निपटाने के चक्कर मे कोई बड़ी भूल कर सकते है सतर्क रहें। परिजनों अथवा रिश्तेदारों से आपसी संबंधों में व्यवहारिकता मात्र ही रहेगी स्वार्थवश व्यवहार करेंगे। घर के बड़े लोग आज अकारण ही नाराज हो सकते है। संध्या बाद कोई शुभ समाचार मिलने से मानसिक शांति मिलेगी। धन के लेन देन में स्पष्टता रखें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन आप किसी इच्छा पूर्ति को लेकर जिद पर अडंगे जिससे परिवार का वातावरण कुछ समय के लिए अशांत बनेगा। व्यवहारिकता स्वभाव में कम रहेगी इसका दुष्परिणाम कार्य क्षेत्र पर देखने को मिलेगा संध्या से पहके सभी आवश्यक कार्यो को पूर्ण कर लें इसके बाद सफलता में संशय रहेगा। विपरीत लिंगीय के प्रति अधिक भावुकता आर्थिक हानि कराएगी दिखावे पर फिजूल खर्च हो सकता है। व्यवसायी एवं नौकरी पेशा जातक मनोरंजन की योजना बनाएंगे। धन का निवेश अथवा उधारी आज ना करें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आपकी किसी मनोकामना पूर्ति की उम्मीद टूटने से मन दुखी रहेगा। व्यवसायी वर्ग आज पैसो के लेन देन में अत्यंत सावधानी बरतें धन के डूबने अथवा फंसने की सम्भवना है। परिजनों से वैर विरोध की भावना रहने से घर का वातावरण उदासीन रहेगा फिर भी महिलाये शांति बनाने के लिए पहल करेंगी। संध्या बाद का समय थोड़ा राहत प्रदान करेगा धन लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन अहंकार के कारण हाथ से ना निकले इसका ध्यान रखें।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आपका आज का दिन मिलाजुला रहेगा दिन का आरंभिक भाग शुभ समाचारो की प्राप्ति कराएगा मध्यान के समय व्यावसायिक अथवा अन्य कार्यो में व्यस्त रहेंगे इसका परिणाम सांध्य के आस-पास ही मिल सकेगा लाभ आज आशा के अनुरूप ही रहेगा। आवश्यक कार्य आज ही पूरा कर लें इसके बाद व्यवधान आने लगेंगे। नौकरी पेशा जातक अधिकारियों से नाराज होंगे। संध्या के समय रमणीक स्थानों की यात्रा की योजना बनेगी। घर मे आज झगड़ा हो सकता है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आपको अधिकांश कार्यो में सफलता दिलाएगा। लेकिन धन संबंधित कार्य देखभाल कर ही करें। कार्य व्यवसाय से आज कम परिश्रम में ही अधिक लाभ अर्जित कर सकेंगे। प्रतिस्पर्धी स्वतः ही अपनी हार मान लेंगे जिससे लाभ के अवसर बढ़ेंगे। सेहत भी अनुकूल रहने से हर प्रकार की परिस्थितियों में काम कर लेंगे। जो लोग अबतक आपके विपरीत चल रहे थे वो भी आपका सहयोग एवं प्रशंशा करेंगे फिर भी आकस्मिक वाद-विवाद के प्रसंग बनेंगे इससे बच कर रहें। घर मे थोड़ी उग्रता रहने पर भी प्रेम बना रहेगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन परिस्थिति मे सुधार आपके व्यवहार के ऊपर निर्भर करेगा बात बात पर खींज निकालने से पारिवारिक माहौल गर्म रहेगा। दाम्पत्य जीवन मे तालमेल की कमी रहने से कड़वाहट बढ़ेगी। आर्थिक रूप से भी संध्या बाद ही थोड़ी तसल्ली मिल सकेगी। व्यवसायी वर्ग किसी की सहायता की आस लगाए रहेंगे जिसमे संभवतया निराशा मिलेगी। नौकरी पेशा जातक आज आराम के मूड में अधिक रहने से कार्यो को पूर्ण नही कर सकेंगे। आस-पड़ोसियों से आज विवेकी व्यवहार रखें झड़प हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन कुछ प्रतिकूल परिस्थितियां बनेगी लेकिन धार्मिक प्रवृत्ति एवं पूर्व संचित पुण्य इससे बाहर निकालने में।सहायता करेंगे। दिन के आरंभ में बौद्विक परिश्रम करना पड़ेगा इसका लाभ सम्मान के रूप में अवश्य मिलेगा। आर्थिक रूप से आज का दिन सामान्य रहेगा अधिकांश कार्यो में केवल आश्वासन से ही काम चलाना पड़ेगा। सेहत का भी आज ध्यान रखें पेट खराब होने से अन्य शारीरिक अंगों में शिथिलता आएगी। पारिवारिक वातावरण तालमेल की कमी के कारण बिखर सकता है।

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🙏राधे राधे🙏

🙏-एकादशी व्रत विधि एवं प्रमाण

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संस्कृत शब्द एकादशी का शाब्दिक अर्थ ग्यारह होता है। एकादशी पंद्रह दिवसीय पक्ष (चन्द्र मास) के ग्यारहवें दिन आती है। एक चन्द्र मास (शुक्ल पक्ष) में चन्द्रमा अमावस्या से बढ़कर पूर्णिमा तक जाता है, और उसके अगले पक्ष में (कृष्ण पक्ष) वह पूर्णिमा के पूर्ण चन्द्र से घटते हुए अमावस्या तक जाता है। इसलिए हर कैलंडर महीने (सूर्या) में एकादशी दो बार आती है, शुक्ल एकादशी जो कि बढ़ते हुए चन्द्रमा के ग्यारहवें दिन आती है, और कृष्ण एकादशी जो कि घटते हुए चन्द्रमा के ग्यारहवें दिन आती हैं। ऐसा निर्देश हैं कि हर वैष्णव को एकादशी के दिन व्रत करना चाहिये, इस प्रकार की गई तपस्या भक्तिमयी जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।

एकादशी का उद्गम

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पद्मा पुराण के चतुर्दश अध्याय में, क्रिया-सागर सार नामक भाग में, श्रील व्यासदेव एकादशी के उद्गम की व्याख्या जैमिनी ऋषि को इस प्रकार करते हैं :

इस भौतिक जगत् की उत्पत्ति के समय, परम पुरुष भगवान् ने, पापियों को दण्डित करने के लिए पाप का मूर्तिमान रूप लिए एक व्यक्तित्व की रचना की (पापपुरुष)। इस व्यक्ति के चारों हाथ पाँव की रचना अनेकों पाप-कर्मों से की गयी थी। इस पापपुरुष को नियंत्रित करने के लिए यमराज की उत्पत्ति अनेकों नरकीय ग्रह प्रणालियों की रचना के साथ हुई। वे जीवात्माएं जो अत्यंत पापी होती हैं, उन्हें मृत्युपर्यंत यमराज के पास भेज दिया जाता है, यमराज ,जीव को उसके पापों के भोगों के अनुसार नरक में पीड़ित होने के लिए भेज देते हैं।

इस प्रकार जीवात्मा अपने कर्मों के अनुसार सुख और दुःख भोगने लगी। इतने सारी जीवात्माओं को नरकों में कष्ट भोगते देख परम कृपालु भगवान् को उनके लिए बुरा लगने लगा। उनकी सहायतावश भगवान् ने अपने स्वयं के स्वरुप से, पाक्षिक एकादशी के रूप को अवतरित किया। इस कारण, एकादशी एक चन्द्र पक्ष के पन्द्रवें दिन उपवास करने के व्रत का ही व्यक्तिकरण है। इस कारण एकादशी और भगवान् श्री विष्णु अभिन्न नहीं हैं। श्रीएकादशी व्रत अत्यधिक पुण्य कर्म हैं, जो कि हर लिए गए संकल्पों में शीर्ष स्थान पर स्थित है।

तदुपरांत विभिन्न पाप कर्मी जीवात्माएं एकादशी व्रत का नियम पालन करने लगीं और उस कारण उन्हें तुरंत ही वैकुण्ठ-धाम की प्राप्ति होने लगी। श्रीएकादशी के पालन से हुए अधिरोहण से , पापपुरुष (पाप का मूर्तिमान स्वरुप) को धीरे धीरे दृश्य होने लगा कि अब उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ने लगा है। वह भगवान् श्रीविष्णु के पास प्रार्थना करते हुए पहुँचा, “हे प्रभु, मैं आपके द्वारा निर्मित आपकी ही कृति हूँ और मेरे माध्यम से ही आप घोर पाप कर्मों वाले जीवों को अपनी इच्छा से पीड़ित करते हैं। परन्तु अब श्रीएकादशी के प्रभाव से अब मेरा ह्रास हो रहा है। आप कृपा करके मेरी रक्षा एकादशी के भय से करें। कोई भी पुण्य कर्म मुझे नहीं बाँध सकता है, परन्तु आपके ही स्वरुप में एकादशी मुझे प्रतिरोधित कर रही है। मुझे ऐसा कोई स्थान ज्ञात नहीं जहाँ मैं श्रीएकादशी के भय से मुक्त रह सकूं। हे मेरे स्वामी! मैं आपकी ही कृति से उत्पन्न हूँ, इसलिए कृपा करके मुझे ऐसे स्थान का पता बताईये जहाँ मैं निर्भीक होकर निवास कर सकूँ।”

तदुपरांत, पापपुरुष की स्थिति पर अवलोकन करते हुए श्रीभगवान् विष्णु ने कहा, “हे पापपुरुष! उठो! अब और शोकाकुल मत हो। केवल सुनो, और मैं तुम्हे बताता हूँ कि तुम एकादशी के पवित्र दिन पर कहाँ निवास कर सकते हो। एकादशी का दिन जो त्रिलोक में लाभ देने वाला है, उस दिन तुम अन्न जैसे खाद्य पदार्थ की शरण में जा सकते हो। अब तुम्हारे पास शोकाकुल होने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि मेरे ही स्वरुप में श्रीएकादशी देवी अब तुम्हे अवरोधित नहीं करेगी।” पापपुरुष को आश्वाशन देने के बाद भगवान् श्रीविष्णु अंतर्ध्यान हो गए और पापपुरुष पुनः अपने कर्मों को पूरा करने में लग गया। भगवान विष्णु के इस निर्देश के अनुसार, संसार भर में जितने भी पाप कर्म पाए जा सकते हैं वे सब इन खाद्य पदार्थ (अनाज) में निवास करते हैं। इसलिए वे मनुष्य गण जो कि जीवात्मा के आधारभूत लाभ के प्रति सजग होते हैं, वे कभी एकादशी के दिन अन्न नहीं ग्रहण करते हैं।

एकादशी व्रत की विधि

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दशमी की रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा भोग विलास से भी दूर रहें । प्रात: एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें; नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करे । यदि यह सम्भव न हो तो पानी से बारह कुल्ले कर लें । फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितादि से श्रवण करें । प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि: ‘आज मैं चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करुँगा और न ही किसीका दिल दुखाऊँगा । गौ, ब्राह्मण आदि को फलाहार व अन्नादि देकर प्रसन्न करुँगा । रात्रि को जागरण कर कीर्तन करुँगा , ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करुँगा, राम, कृष्ण , नारायण इत्यादि विष्णुसहस्रनाम को कण्ठ का भूषण बनाऊँगा ।’ – ऐसी प्रतिज्ञा करके श्रीविष्णु भगवान का स्मरण कर प्रार्थना करें कि : ‘हे त्रिलोकपति ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें ।’ मौन, जप, शास्त्र पठन , कीर्तन, रात्रि जागरण एकादशी व्रत में विशेष लाभ पँहुचाते हैं।एकादशी के दिन अशुद्ध द्रव्य से बने पेय न पीयें । कोल्ड ड्रिंक्स, एसिड आदि डाले हुए फलों के डिब्बाबंद रस को न पीयें । दो बार भोजन न करें । आइसक्रीम व तली हुई चीजें न खायें । फल अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा थोड़े दूध या जल पर रहना विशेष लाभदायक है । व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) -इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) – इनका सेवन न करें । व्रत के पहले दिन (दशमी को) और दूसरे दिन (द्वादशी को) हविष्यान्न (जौ, गेहूँ, मूँग, सेंधा नमक, कालीमिर्च, शर्करा और गोघृत आदि) का एक बार भोजन करें।फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए । जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए। बैल की पीठ पर सवारी न करें।

भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए। एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। इस दिन बाल नहीं कटायें। मधुर बोलें, अधिक न बोलें, अधिक बोलने से न बोलने योग्य वचन भी निकल जाते हैं । सत्य भाषण करना चाहिए। इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें। प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करनी चाहिए।

एकादशी के दिन किसी सम्बन्धी की मृत्यु हो जाय तो उस दिन व्रत रखकर उसका फल संकल्प करके मृतक को देना चाहिए और श्रीगंगाजी में पुष्प (अस्थि) प्रवाहित करने पर भी एकादशी व्रत रखकर व्रत फल प्राणी के निमित्त दे देना चाहिए। प्राणिमात्र को अन्तर्यामी का अवतार समझकर किसीसे छल कपट नहीं करना चाहिए। अपना अपमान करने या कटु वचन बोलनेवाले पर भूलकर भी क्रोध नहीं करें। सन्तोष का फल सर्वदा मधुर होता है। मन में दया रखनी चाहिए। इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्टान्न, दक्षिणादि से प्रसन्न कर उनकी परिक्रमा कर लेनी चाहिए।

व्रत खोलने की विधि :

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द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए। ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ – यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए।

साभार आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

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सूर्यास्त के समय नहीं लगानी चाहिए झाड़ू

झाडू घर की गंदगी साफ करने के काम तो आती ही है इसके साथ ही ये घर में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा को भी घर से दूर करती है।

शास्त्रों में झाड़ू को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है, अतः किसी भी प्रकार से इसका अनादर नहीं होना चाहिए, झाड़ू से जुड़ी कुछ खास बातें हैं जिनको ध्यान में रखना आवश्यक होता है—

घर में यदि झाड़ू सबके सामने रखी जाती है तो कई बार अन्य लोगों के पैर उस पर लगते हैं जो कि अशुभ है,इसी वजह से झाड़ू को किसी स्थान पर छिपाकर रखना चाहिए।

झाड़ू को दरवाजे के पीछे रखना काफी शुभ माना गया है।

झाड़ू को कभी भी खड़ी करके नहीं रखना चाहिए,यह अपशकुन माना गया है।

गृह प्रवेश के समय नई झाड़ू लेकर ही घर के अंदर जाना चाहिए,यह शुभ शकुन माना जाता है,इससे नए घर में सुख-समृद्धि और बरकत बनी रहेगी।

कोई भी सदस्य किसी खास कार्य के लिए घर से निकला हो तो उसके जाने के तुरंत बाद घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने पर उस व्यक्ति को असफलता का सामना करना पड़ सकता है।

झाड़ू को घर में बड़ा ही विशेष रुप से महत्व दिया जाता है। यह घर की गंदगी को दूर करनें में ही काम में नहीं ली जाती बल्कि हिंदू धर्म के अनुसार झाडू को देवी लक्ष्मी का रुप माना जाता है।

घर के कचरे को यह दूर करती है, और कचरा दरिद्रता का प्रतीक होती है।

इसलिए इसे दरिद्रता को दूर करनें के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, इससे जुड़े शुभ अशुभ व्यक्ति के जीवन में कई तरह से प्रभाव देते है।

वास्तुशास्त्र में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि यह घर की परेशानियों को दूर करनें में मददगार होती है।

झाड़ू से ऐसे ही जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं, जिनका सीधा संबध हमारे जीवन से होता है-

झाड़ू को हमारे ग्रंथो में लक्ष्मी का रुप माना जाता है कहा जाता है यदि झाडू पर पैर लग जाता है तो वहां धन की हानि होती है।

हमेशा घर में झाड़ू को लोगों की नजरों से दूर रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार जिस तरह धन को घर में छुपाकर रखा जाता है ठीक उसी तरह झाडू को भी छुपाकर रखना चाहिए।

झाड़ू को इधर- उधर रखनें से धन के आगमन में रुकावट आती है, आर्थिक समस्या का सामना भी करना पड़ता है।

सूर्यास्त के बाद कभी भी घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करनें से लक्ष्मी नाराज होती है। घर में धन की हानि भी होती है।

इसे कभी भी खड़ा करके ना रखें,ऐसा रखना अपशकुन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए हमेशा इसे लेटाकर रखे।

अगर आप नई झाड़ू का उपयोग कर रहे तो इसके लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है।

झाड़ू को पश्चिम दिशा के किसी कमरे में रखना शुभ माना जाता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।

टूटी – फूटी झाड़ू का उपयोग नहीं करना चाहिए।