आज का पंचाग आपका राशि फल, आंवला नवमी पर आज करें ये उपचार, मनुस्मृति संसार का सर्वोच्च सांस्कृतिक और व्यावहारिक धरोहर, भारत की जीडीपी ने मारा उछाल मोदी के नेतृत्व में संसार की चौथी अर्थव्यवस्था बना भारत

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक – 21 नवम्बर 2023*

*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमंत*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – नवमी रात्रि 01:09 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र – शतभिषा रात्रि 08:01 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
*⛅योग – व्याघात शाम 05:41 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल – दोपहर 03:10 से 04:32 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:57*
*⛅सूर्यास्त – 05:54*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:12 से 06:05 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:00 से 12:52 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – आँवला-अक्षय नवमी, साँईं लीलाशाहजी महाराज महानिर्वाण दिवस, श्री रंग अवधूत महाराज जयन्ती*
*⛅विशेष – नवमी को लौकी खाना त्याज्य है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 21 नवम्बर – 2023, अक्षय-आँवला नवमी 🌹*

*🌹आँवला नवमी के दिन जप, दान, तर्पण आदि का अक्षय पुण्य होता है ।*

*🌹इस दिन कपूर या घी के दीपक से आँवला वृक्ष के समीप दीपदान करें तथा निम्न मंत्र बोलते हुए प्रदक्षिणा करें -*

*यानि कानि च पापानि जन्मान्तरक्रतानि च ।*
*तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे ।।*

*🌹आँवले के वृक्ष के नीचे जप तथा भोजन करें ।*

*🌹आँवला नवमी के दिन किया गया जप-ध्यान आदि पुण्यकर्म अक्षय होता है, इस कारण इसको ‘अक्षय नवमी’ भी कहते हैं ।*

*🌹 हमारे पूजनीय वृक्ष – आँवला 🌹*

*🌹 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*

*🌹 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*

*🌹 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*

📜 *आंवला नवमी की कथा :*

एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने आईं। पृथ्वी पर आने के पश्चात मां लक्ष्मी को श्री हरि भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। तब उन्हें स्मरण हुआ कि नारायण की प्रिय तुलसी और भगवान शिव के स्वरूप बैल के गुण आंवले के वृक्ष में होते है। तब लक्ष्मी जी ने सोचा कि जब इस वृक्ष में दोनों का अंश है तो इस वृक्ष की ही पूजा की जाए। उसके बाद मां लक्ष्मी ने आंवले को ही शिव जी और विष्णु जी का स्वरूप मानकर पूजा की। जिससे प्रसन्न होकर दोनों देव एक साथ प्रकट हुए। तब मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को खिलाया था। कहा जाता है कि इसी कारण आज भी कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा का विधान है।

*🌹 प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।*

*🔹अंबाला के औषधीय प्रयोग 🔹*

*🔹१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।*

*🔹२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।*

*🔹३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।*

*🔹४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना लाभकारी है ।*

*🔹५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।*

*🔹६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।*

*🔹सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.*

*🔹ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।*

⚜ *आज का राशिफल :-*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
मेहनत का फल मिलेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। थकान रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। भूमि, आवास की समस्या रह सकती है। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। संतान से कष्ट रहेगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपनी बुद्धिमत्ता से आप सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। निजीजनों में असंतोष हो सकता है। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। जोखिम न लें। व्यावसायिक चिंता दूर हो सकेगी। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएंगे। योजनाएं फलीभूत होंगी।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। विवाद न करें। यात्रा में अपनी वस्तुओं को संभालकर रखें। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। अधीनस्थों की ओर ध्यान दें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय बढ़ेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करना चाहिए। व्यापार में कर्मचारियों पर अधिक विश्वास न करें। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी।
💁‍♀️  *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
नए अनुबंध होंगे। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। कार्य की प्रवृत्ति में यथार्थता व व्यावहारिकता का समावेश आवश्यक है। व्यापार में नई योजनाओं पर कार्य नहीं होंगे। जीवनसाथी का ध्यान रखें।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुद्धि एवं तर्क से कार्य में सफलता के योग बनेंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। अतः उसका परित्याग करें। व्यापार लाभप्रद रहेगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
समय ठीक नहीं है। वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में सावधानी रखें। लेन-देन में सावधानी रखें। विवाद न करें। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सकारात्मक विचारों के कारण प्रगति के योग आएंगे। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाए रखें।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय काम बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। चिंता रहेगी। जोखिम न उठाएं। संतान से मदद मिलेगी। आर्थिक स्थिति में प्रगति की संभावना है। अचानक धन की प्राप्ति के योग हैं। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें।
🏹 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। समाज में प्रसिद्धि के कारण सम्मान में बढ़ौत्री होगी। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेंगे। परिवार की समस्याओं को अनदेखा न करें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कामकाज में धैर्य रखने से सफलता मिल सकेगी। योजनाएं फलीभूत होंगी। मित्रों में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें।
🐠  *राशि फलादेश मीन :-*
दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। थकान रहेगी। जोखिम न लें। विवाद से बचें। राजकीय सहयोग मिलेगा एवं इस क्षेत्र के व्यक्तियों से संबंध बढ़ेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। वाणी पर संयम रखें।
☯ *आज मंगलवारिय *सामूहिक हनुमान चालीसा अभियान* के *11 वर्ष* पूर्ण हो रहे है, अपने नजदीक के मंदिर में संध्या 7 बजे *सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ* एवं *महाप्रसादी*  में अवश्य सम्मिलित होवें, *स्टेशन रोड, राऊ (इंदौर)* पर *श्री ज्ञानेश्वर महादेव* (पानी की टंकी के पास) के प्रांगण में *भव्य सुन्दरकाण्ड पाठ* चालीसा के पश्चात *संध्या 7.30 से रात्रि 10 बजे* तक रहेगा जिसके पर्यंत *राम खिचड़ा* की प्रसादी होगी…. समस्त सनातनी सपरिवार अवश्य पधारे…*
 
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*🌞🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩☀️

मनुस्मृति के बारे में फैलाये जा रहे अनर्गल प्रलाप और अनावश्यक भ्रांति को दूर करें। ये प्रलाप इसलिए फैलाये जाते हैं ताकि भारतीय अपनी श्रेष्ठ संस्कृति के अतुलित भंडार से विमुख हो सके ताकि सनातन धर्म संस्कृति मिटे और भारत का इस्लामीकरण और इसाईकरण का मार्ग प्रशस्त हो ।

1- राजर्षि मनु और उनकी मनुस्मृति
2- मनुस्मृति को जाने
3- मनु का विरोध क्यों? मनु कहते हैं-जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं।

वर्तमान दौर में ‘मनुवाद’ शब्द को नकारात्मक अर्थों में लिया जा रहा है। ब्राह्मणवाद को भी मनुवाद के ही पर्यायवाची के रूप में उपयोग किया जाता है। वास्तविकता में तो मनुवाद की रट लगाने वाले लोग मनु अथवा मनुस्मृति के बारे में जानते ही नहीं है या फिर अपने निहित स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग अलापते रहते हैं। दरअसल, जिस जाति व्यवस्था के लिए मनुस्मृति को दोषी ठहराया जाता है, उसमें जातिवाद का उल्लेख तक नहीं है।

◆यदुकुल दर्पण पत्रिका (वार्षिक) आगरा◆

क्या है ? मनुवाद :
जब हम बार-बार मनुवाद शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में भी सवाल कौंधता है कि आखिर यह मनुवाद है क्या? महर्षि मनु मानव संविधान के प्रथम प्रवक्ता और आदि शासक माने जाते हैं। मनु की संतान होने के कारण ही मनुष्यों को मानव या मनुष्य कहा जाता है। अर्थात मनु की संतान ही मनुष्य है। सृष्टि के सभी प्राणियों में एकमात्र मनुष्य ही है जिसे विचारशक्ति प्राप्त है। मनु ने मनुस्मृ‍ति में समाज संचालन के लिए जो व्यवस्थाएं दी हैं, उसे ही सकारात्मक अर्थों में मनुवाद कहा जा सकता है।

मनुस्मृति :
समाज के संचालन के लिए जो व्यवस्थाएं दी हैं, उन सबका संग्रह मनुस्मृति में है। अर्थात मनुस्मृति मानव समाज का प्रथम संविधान है, न्याय व्यवस्था का शास्त्र है। यह वेदों के अनुकूल है। वेद की कानून व्यवस्था अथवा न्याय व्यवस्था को कर्तव्य व्यवस्था भी कहा गया है। उसी के आधार पर मनु ने सरल भाषा में मनुस्मृति का निर्माण किया। वैदिक दर्शन में संविधान या कानून का नाम ही धर्मशास्त्र है।

महर्षि मनु कहते है-
जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यदि वर्तमान संदर्भ में कहें तो जो कानून की रक्षा करता है कानून उसकी रक्षा करता है। कानून सबके लिए अनिवार्य तथा समान होता है।

जिन्हें हम वर्तमान समय में धर्म कहते हैं दरअसल वे संप्रदाय हैं। धर्म का अर्थ है जिसको धारण किया जाता है और मनुष्य का धारक तत्व है मनुष्यता, मानवता। मानवता ही मनुष्य का एकमात्र धर्म है। हिन्दू , मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख आदि धर्म नहीं मत हैं, संप्रदाय हैं। संस्कृत के धर्म शब्द का पर्यायवाची संसार की अन्य किसी भाषा में नहीं है। भ्रांतिवश अंग्रेजी के ‘रिलीजन’ शब्द को ही धर्म मान लिया गया है, जो कि नितांत गलत है। इसका सही अर्थ संप्रदाय है। धर्म के निकट यदि अंग्रेजी का कोई शब्द लिया जाए तो वह ‘ड्यूटी’ हो सकता है। कानून ड्‍यूटी यानी कर्तव्य की बात करता है।

मनु ने भी कर्तव्य पालन पर सर्वाधिक बल दिया है। उसी कर्तव्यशास्त्र का नाम मानव धर्मशास्त्र या मनुस्मृति है। आजकल अधिकारों की बात ज्यादा की जाती है, कर्तव्यों की बात कोई नहीं करता। इसीलिए समाज में विसंगतियां देखने को मिलती हैं। मनुस्मृति के आधार पर ही आगे चलकर महर्षि याज्ञवल्क्य ने भी धर्मशास्त्र का निर्माण किया जिसे याज्ञवल्क्य स्मृति के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी काल में भी भारत की कानून व्यवस्था का मूल आधार मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति रहा है। कानून के विद्यार्थी इसे भली-भांति जानते हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में मनु की प्रतिमा भी स्थापित है।

मनुस्मृति में दलित विरोध :

मनुस्मृति न तो दलित विरोधी है और न ही ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देती है। यह सिर्फ मानवता की बात करती है और मानवीय कर्तव्यों की बात करती है।
मनु किसी को दलित नहीं मानते।
दलित संबंधी व्यवस्थाएं तो अंग्रेजों और आधुनिकवादियों की देन हैं। दलित शब्द प्राचीन संस्कृति में है ही नहीं। चार वर्ण जाति न होकर मनुष्य की चार श्रेणियां हैं, जो पूरी तरह उसकी योग्यता पर आधारित है।
प्रथम ब्राह्मण, द्वितीय क्षत्रिय, तृतीय वैश्य और चतुर्थ शूद्र।
वर्तमान संदर्भ में भी यदि हम देखें तो शासन-प्रशासन को संचालन के लिए लोगों को चार श्रेणियों- प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में बांटा गया है। मनु की व्यवस्था के अनुसार हम प्रथम श्रेणी को ब्राह्मण, द्वितीय को क्षत्रिय, तृतीय को वैश्य और चतुर्थ को शूद्र की श्रेणी में रख सकते हैं।
जन्म के आधार पर फिर उसकी जाति कोई भी हो सकती है। मनुस्मृति एक ही मनुष्य जाति को मानती है। उस मनुष्य जाति के दो भेद हैं। वे हैं पुरुष और स्त्री।

मनु की व्यवस्था के अनुसार ब्राह्मण की संतान यदि अयोग्य है तो वह अपनी योग्यता के अनुसार चतुर्थ श्रेणी या शूद्र बन जाती है।
ऐसे ही चतुर्थ श्रेणी अथवा शूद्र की संतान योग्यता के आधार पर प्रथम श्रेणी अथवा ब्राह्मण बन सकती है। हमारे प्राचीन समाज में ऐसे कई उदाहरण है, जब व्यक्ति शूद्र से ब्राह्मण बना। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के गुरु वशिष्ठ महाशूद्र चांडाल की संतान थे, लेकिन अपनी योग्यता के बल पर वे ब्रह्मर्षि बने।
एक मछुआ (निषाद) मां की संतान व्यास महर्षि व्यास बने। आज भी कथा-भागवत शुरू होने से पहले व्यास पीठ पूजन की परंपरा है। विश्वामित्र अपनी योग्यता से क्षत्रिय से ब्रह्मर्षि बने। ऐसे और भी कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में मौजूद हैं, जिनसे इन आरोपों का स्वत: ही खंडन होता है कि मनु दलित विरोधी थे।

ब्राह्मणोsस्य मुखमासीद्‍ बाहु राजन्य कृत:।
उरु तदस्य यद्वैश्य: पद्मयां शूद्रो अजायत। (ऋग्वेद)

अर्थात ब्राह्णों की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से, भुजाओं से क्षत्रिय, उदर से वैश्य तथा पांवों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई। दरअसल, कुछ अंग्रेजों या अन्य लोगों के गलत भाष्य के कारण शूद्रों को चरणों से उत्पन्न बताने के कारण निम्न मान लिया गया,
जबकि वास्तव में चरण पूजनीय हैं चरण संचालन का प्रतीक हैं। ब्रह्मा के मुख से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति या समूह से है जिसका कार्य बुद्धि से संबंधित है अर्थात अध्ययन और अध्यापन। आज के बुद्धिजीवी वर्ग को हम इस श्रेणी में रख सकते हैं।
भुजा से क्षत्रिय वर्ण अर्थात आज का रक्षक वर्ग या सुरक्षाबलों में कार्यरत व्यक्ति।
उदर से वैश्य अर्थात उत्पादक या व्यापारी वर्ग। चरणों से शूद्र अर्थात् शुद्ध चित् वाला असीम संभावना युक्त बालक यानी सम्पूर्ण मनुष्य प्रजाति जो कर्मणात् द्विजम् उच्यते अर्थात कर्मों के पुरूषार्थ से उच्च वर्गों को प्राप्ति करती है। 

यहां यह देखने और समझने की आवश्यकता है कि पांवों से उत्पन्न होने के कारण किसी वर्ग को अपवित्र या निकृष्ट बताने की साजिश की गई है, जबकि मनु के अनुसार यह ऐसा वर्ग है जो न तो बुद्धि का उपयोग कर सकता है, न ही उसके शरीर में पर्याप्त बल है और व्यापार कर्म करने में भी वह सक्षम नहीं है। वह शिशु के समान पाल्य है ऐसे में वह सेवा कार्य अथवा श्रमिक के रूप में कार्य कर समाज में अपने योगदान दे सकता है। आज का श्रमिक वर्ग अथवा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मनु की व्यवस्था के अनुसार शूद्र ही है। चाहे वह फिर किसी भी जाति या वर्ण का क्यों न हो।

वर्ण विभाजन को शरीर के अंगों को माध्यम से समझाने का उद्देश्य उसकी उपयोगिता या महत्व बताना है न कि किसी एक को श्रेष्ठ अथवा दूसरे को निकृष्ट। क्योंकि शरीर का हर अंग एक दूसरे पर आश्रित है। पैरों को शरीर से अलग कर क्या एक स्वस्थ शरीर की कल्पना की जा सकती है? इसी तरह चतुर्वण के बिना स्वस्थ समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

ब्राह्मणवाद की हकीकत :
ब्राह्मणवाद मनु की देन नहीं है। इसके लिए कुछ निहित स्वार्थी तत्व ही जिम्मेदार हैं। प्राचीन काल में भी ऐसे लोग रहे होंगे जिन्होंने अपनी अयोग्य संतानों को अपने जैसा बनाए रखने अथवा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए लिए अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया होगा। वर्तमान संदर्भ में व्यापम घोटाला इसका सटीक उदाहरण हो सकता है। क्योंकि कुछ लोगों ने भ्रष्टाचार के माध्यम से अपनी अयोग्य संतानों को भी डॉक्टर बना दिया।

मनु तो सबके लिए शिक्षा की व्यवस्था अनिवार्य करते हैं। बिना पढ़े लिखे को विवाह का अधिकार भी नहीं देते, जबकि वर्तमान में आजादी के 70 साल बाद भी देश का एक वर्ग आज भी अनपढ़ है।
मनुस्मृति को नहीं समझ पाने का सबसे बड़ा कारण अंग्रेजों ने उसके शब्दश: भाष्य किए। जिससे अर्थ का अनर्थ हुआ। पाश्चात्य लोगों और वामपंथियों ने धर्मग्रंथों को लेकर लोगों में भ्रांतियां भी फैलाईं। इसीलिए मनुवाद या ब्राह्मणवाद का हल्ला ज्यादा मचा।

मनुस्मृति या भारतीय धर्मग्रंथों को मौलिक रूप में और उसके सही भाव को समझकर पढ़ना चाहिए। विद्वानों को भी सही और मौलिक बातों को सामने लाना चाहिए। तभी लोगों की धारणा बदलेगी।
दाराशिकोह उपनिषद पढ़कर भारतीय धर्मग्रंथों का भक्त बन गया था। इतिहास में उसका नाम उदार बादशाह के नाम से दर्ज है। फ्रेंच विद्वान जैकालियट ने अपनी पुस्तक ‘बाइबिल इन इंडिया’ में भारतीय ज्ञान विज्ञान की खुलकर प्रशंसा की है।

पंडित, पुजारी बनने के लिये ब्राह्मण होना जरूरी है :

पंडित और पुजारी तो ब्राह्मण ही बनेगा, लेकिन उसका जन्मगत ब्राह्मण होना जरूरी नहीं है। यहां ब्राह्मण से मतलब विद्वान व्यक्ति से है न कि जातिगत।
आज भी सेना में धर्मगुरु पद के लिए जातिगत रूप से ब्राह्मण होना जरूरी नहीं है बल्कि योग्य होना आवश्यक है।
ऋषि दयानंद की संस्था आर्यसमाज में हजारों विद्वान हैं जो जन्म से ब्राह्मण नहीं हैं। इनमें सैकड़ों पूरोहित जन्म से दलित वर्ग से आते हैं।

शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम।

क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च। (10/65)

महर्षि मनु कहते हैं कि कर्म के अनुसार ब्राह्मण शूद्रता को प्राप्त हो जाता है और शूद्र ब्राह्मणत्व को। इसी प्रकार क्षत्रिय और वैश्य से उत्पन्न संतान भी अन्य वर्णों को प्राप्त हो जाया करती हैं। विद्या और योग्यता के अनुसार सभी वर्णों की संतानें अन्य वर्ण में जा सकती हैं।

प्रस्तुति:- साभार 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दुनियाँ के 25 सबसे ताकतवर देशों की हुई लिस्ट जारी ,,, भारत आया नम्बर 3 पर, हम से आगे अमेरिका, रूस हैं l ये है मोदी युग ,,,*
🔺 दूसरी उपलब्धि* ,,, 1.4- 1.5 लाख करोड़ के पार पहुँचा GST का मासिक टैक्स कलेक्शन ,,,,, ये है ! एक चाय वाले का अर्थशास्त्र ,,,*
🔺 तीसरी उपलब्धि* ,,, नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में , अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ , भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर ,,,,*
🔺 चौथी उपलब्धि* ,,,,, 2017-18 में दो गुना हुआ , सौर ऊर्जा का उत्पादन ,,,, चीन और अमेरिका भी दंग हैं ,,, *
🔺 पाँचवी उपलब्धि* ,,, भारत की आसमान छू रही , GDP को देखकर ,,, भारत की GDP 8.2% , चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2% ! अब भी कहेंगे , भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं,,,*
🔺 छठी उपलब्धि* ,,, जल , थल और आकाश ; तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला , दुनियाँ का पहला देश बना भारत ,,, ये है मोदी युग ,,, अगर आपको गर्व हुआ हो , तो जय हिन्द लिखना न भूलें ,,,,*
🔺 सातवीं उपलब्धि* ,,,, 70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा ,, लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया ,,, दरअसल पाकिस्तान की कमाई का जरिया , भारतीय नकली नोटों का व्यापार था ,,,, जिसे मोदी जी ने खत्म कर दिया ,,,*
🔺 आठवीं उपलब्धि* को भी पढ़ें ,,,,,, एक बात समझ में नहीं आयी ,,, 2014 में कांग्रेसी रक्षामंत्री ऐ. के. एंटोनी ने कहा था , देश कंगाल है , हम राफेल तो क्या , छोटा जेट भी नहीं ले सकते ,,,, पर मोदीजी ने ईरान का कर्ज भी चुका दिया ,,, राफेल डील भी करली ,,, S – 400 भी ले रहे हैं ! आखिर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था ,,, ❓*
🔺 नवीं उपलब्धि* ,,, सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच ,,, जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो ,,,*
🔺 दसवीं उपलब्धि* ,,, अब आपको बताता हूँ , भारत का इन 4 सालों में विकास क्या हुआ ,,,अर्थ व्यवस्था में फ्रांस को पीछे धकेल नम्बर 6 बना ,,,*
🔺 ग्यारहवीं उपलब्धि* ,,, ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना ,,,*
🔺 बारहवीं उपलब्धि* ,,,, बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना ,,,*
🔺 तेरहवीं उपलब्धि* ,,, टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना ,,,*
🔺 चोदहवीं उपलब्धि* ,,, मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,, *
🔺 पंद्रहवी उपलब्धि* ,,, स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना ,,,*
🔺 सोलहवीं उपलब्धि* ,,, चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना ,,,*
🔺 सतरहवीं उपलब्धिओ ,,, हमेशा सोए रहने वाले हिंदूओं में *राष्ट्रवाद* जगा दिया , पूरी दुनियां के सवा सौ करोड़ हिंदुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है ! मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूँ ।
आतंकियों का सफाया 8 महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुंचाया❗

*कृपया करके :– 2 minute का समय निकाल कर इसे देश हित में जरूर शेयर करें विशेष रूप से मोदी जी से अविश्वास करने वाले लोगों को।*

*बुलंदी पर मोदी के नेतृत्व में भारत !!

_*हिन्दुस्तान ने रचा इतिहास…🚩💪*_

_*4 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पार !!*_

_*पहली बार छुआ इतना बड़ा मुकाम !!*_

_*ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली सब पिछे !!*_

*भारत की अर्थव्यवस्था ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है !!

*4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को पार कर गया है,*
*इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को बधाई देता हूं !!💐*

*ये भारत के 140 करोड़ लोगों का प्रयास हैं !!*

*भारत तेजी से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनें, इसकी तेजी से कदम चला रहा है !!*

*क्या होता है*

*जीडीपी…?*
*GDP*

*GDP मतलब:- Gross Domestic Product !!*

*जिसे हम हिंदी में:- ‘सकल घरेलू उत्पाद’ भी कहते हैं !!*

*मतलब किसी देश में उत्पादन की कुल मात्रा,*
*इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था मापी जाती है !!*

*सामान्यतः GDP की माप एक वर्ष के लिए होती है !!*

*जिसे बोलचाल की भाषा में वित्तिय वर्ष कहा जाता है !!*

*मतलब एक वर्ष में किसी देश में कितना उत्पादन हुआ !!*

*इस एक वर्ष के दौरान उत्पादन का मूल्य निकाला जाता है+*
*इसी के आधार पर देश की अर्थव्यवस्था की रैंकिंग होती है !!*

*ये तय होता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था कितनी बड़ी है !!*
*इसी को GDP या Gross Domestic Product कहते हैं !!*

*भारत का GDP 4 लाख करोड़ डॉलर पार कर गया है !!*
*मतलब एक साल में इतने मूल्य का उत्पादन हुआ है !!*

_इस में तीन चीजें शामिल होती है…._

*पहला:- कृषि उत्पाद शामिल होते हैं,*
*जो उस एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित हुए हो !!*

*दूसरा:- इसमें औद्योगिक उत्पाद भी होते हैं,*
*जो उसी एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित हुए हो !!*

*तीसरा:- इसमें सेवाओं के मूल्य भी शामिल होते हैं,*
*जो उसी एक साल के दौरान उत्पादित हुए हो !!*
*जैसे:- शिक्षा, स्वास्थ्य या अन्य सामाजिक सेवाएं !!*

_नोट:- जीडीपी इसी आधार पर निकाली जाती है !!_

*ये हैं सरदार मोहन सिंह, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन के लिए लड़ाई लड़ी थी। युद्ध जीतने के बाद हिटलर ने उन्हें इनाम देना चाहा तो सरदार जी ने कहा कि हमें अच्छे से अच्छे हथियार दीजिए, क्योंकि हमें अपने देश को आजाद करवाना है। हिटलर ने फिर उन्हें जो हथियार दिये, वही हथियार आजाद हिन्द फौज ने इस्तेमाल किए और सही मायने में इस लड़ाई में र॔गून में 50 हजार से ज्यादा अंग्रेजी फौज के मारे जाने के बाद ही अंग्रेजो ने भारत छोड़ने का फैसला लिया था। इसमें गाँधी और काँग्रेस का कोई योगदान नहीं था। बाद में इन काँग्रेसियों ने आजादी का सारा श्रेय गाँधी के चरखे को दे दिया। इन काँग्रेसियों ने सरदार मोहन सिंह जैसे महान योद्धा का नाम भारत के इतिहास से गायब कर दिया 🤔😨*