आज का पंचाग, आपका राशि फल, वेदों के कुछ जानने एवं मनन करने योग्य ज्ञानवर्धक मंत्र, अंतिम सत्य का साक्षात्कार मृत्यु का समय और स्थान अटल है

 📖 *नीतिदर्शन………………*✍🏿

*जलविन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घट:।*
*स् हेतु सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 जिस प्रकार बूँद-बूँदसे घड़ा भर जाता है, बूँद-बूँदके मिलनेसे नदी बन जाती है, पाई-पाई जोड़नेपर व्यक्ति धनवान् बन जाता है। उसी प्रकार यदि निरंतर अभ्याद किया जाये तो मनुष्यके लिए कोई विद्या अप्राप्य नहीं रहती। ऐसे ही यदि मनुष्य धर्मयुक्त शुभ कर्ममें लीन रहे तो एक दिन उसके पास पुण्योंका अथाह भंडार संचय हो जाता है।।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐

 🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || सौम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर || ग्रीष्म ऋतु || जेष्ठ कृष्णपक्ष || तिथि नवमी || गुरुवासर || जेष्ठ सौर २१ प्रविष्ठ || तदनुसार ०३ जून २०२१ ई० || नक्षत्र पूर्वाभाद्रपदा अपराह्न ६:३३ तक उपरान्त उत्तराभाद्रपदा || कुम्भस्थ चन्द्रमा मध्याह्न १२:०५ तक उपरान्त मीनस्थ चन्द्र ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐🚩 || ओ३म् || 🚩

उत्तराखंड पंचाग

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः आपको आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे *गुरु स्तुति*:–
*देवानां च ऋषिणां च,गुरूं कान्चन सन्निभम्*। *बुद्धिभूतं,त्रिलोकेशं,तं नमामि बृहस्पतिम्*।।
हिन्दी ब्याख्या:–
जो देवताओं और ऋषि यों के गुरु हैं कंचन के समान जिनकी प्रभा है जो बुद्धि के अखंड भंडार और तीनों लोकों के प्रभु हैं उन बृहस्पति देव को मैं प्रणाम करता हूं।
बृहस्पति गायत्री:–
*अंगिरोजाताय विद्महे वाचस्पतये च धीमहि तन्नो गुरू: प्रचोदयात्*।।
यथाशक्ति जप के बाद पीपल युक्त पायस घी से दशांश हवन करना चाहिए।।
आपका ✍️ *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री* ✡️8449046631
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️वीर विक्रमादित्य संवत् ✡️
✡️❤️2078 ❤️✡️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️21 प्रविष्टे गते ✡️
✡️गुरु वासरे ✡️
दिनांक ✡️:03 – 06 – 2021(गुरुवार)
सूर्योदय :05.44 पूर्वाह्न
सूर्यास्त :07.05 अपराह्न
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :01.23 पूर्वाह्न
चंद्रास्त :01.15 अपराह्न
चन्द्र राशि :कुंभ कल 12:07 अपराह्न तक, बाद में मीन
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 23
पूर्णिमांत महीना :ज्येष्ठ 8
पक्ष :कृष्ण 9
तिथि :अष्टमी 1.13 पूर्वाह्नतक, बाद में नवमी
नक्षत्र :पूर्वभाद्रपदा 6.35 अपराह्न तक, बाद में उत्तरभाद्रपदा
योग :विष्कुम्भ 2.26 पूर्वाह्न तक, बाद में प्रीति
करण :तैतिल 1:42 अपराह्न तक, बाद में गर
राहु काल :2.11 अपराह्न से – 3.51 अपराह्न तक
कुलिक काल :9.09 पूर्वाह्न से – 10.50 पूर्वाह्न तक
यमगण्ड :5.48 पूर्वाह्न से – 7.29 पूर्वाह्न तक
अभिजीत मुहूर्त :11.58 पूर्वाह्न-से- 12.51 अपराह्न तक
दुर्मुहूर्त :10:11 पूर्वाह्न से – 11:04 पूर्वाह्न, तक 03:31 अपराह्न से – 04:25 अपराह्न तक✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️🙏🙏🙏🙏🙏✡️ *राशि देखने के नियम*
मित्रों बहुत से मित्रों ने राशि नाम एवं प्रसिद्ध नाम के माध्यम से राशिफल देखने की प्रक्रिया जानी चाही इसके विषय में महर्षि पाराशर जी ने पाराशरी नामक ग्रंथ में लिखा है कि:–
*देशे ग्रामे गृहे युद्धे, सेवायां व्यवहार के। नाम राशे प्रधानत्वं , जन्म राशि न चिंन्तयेत्*।।
हिंदी ब्यख्या:–
प्रदेश में घर के बाहर गांव में युद्ध के समय सेवारत में व्यवहारिक नाम की प्रधानता होती है स्थानों पर जन्म राशि का चिंतन न करके प्रचलित नाम की राशि का चिंतन करना चाहिए।
*विवाह सर्वमांगल्यै, यात्रायां ग्रह गोचरे । जन्म राशे प्रधानत्वम्, नाम राशि न चिंन्तयेत्*।।
हिन्दी ब्याख्या:–
विवाह के समय मां सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में यात्रा में ग्रह गोचर दशा के पूजन में जन्म राशि की प्रधानता होती है प्रसिद्ध नाम राशि का चिंतन नहीं करना चाहिए।।
✡️ आज के लिए राशिफल(03-06-2021) ✡️
✡️मेष✡️03-06-2021
कार्यस्थल पर आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे और उत्साह के साथ काम करेंगे। यदि आप परीक्षा या प्रतियोगिता के माध्यम से व्यवसाय की खोज कर रहे हैं, तो आप सफल होंगे। आपको अपने भविष्य को बढ़ाने के अवसर मिलेंगे। कई यात्राएं हो सकती हैं और वे सफल भी होंगी। वित्तीय बाधाएं जो आपको पहले झेलनी पड़ी थीं, अब समाप्त हो जाएंगी। बचत योजनाओं में निवेश करने के लिए यह एक अच्छा समय है। सशस्त्र बलों में भविष्य की खोज करने वालों को कुछ अतिरिक्त प्रयासों से ही सफलता मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️वृष ✡️03-06-2021
आज आपके सारे काम मन-मस्तिष्क से पूरे होंगे। आप अपने बच्चों के साथ प्रशन्नता के पल बितायेंगे। पारिवारिक रिश्ते सुदृढ़ होंगे। इस राशि के जो छात्र अभियन्त्रण कर रहे हैं, उनके लिए आज का दिन शुभ है। उन्हें किसी बड़ी कंपनी से सेवा के लिए सूचना आ सकती है। आपको मित्रों का भरपूर सहयोग मिलेगा। आपका वैवाहिक जीवन प्रशन्नता से भरा रहेगा। व्यापार के क्षेत्र में दूसरे लोगों से संपर्क करना आपके लिये लाभकारी होगा। सरकारी कार्यों में आपको सफलता मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️मिथुन ✡️03-06-2021
धन आदान प्रदान में सावधानी रखें। कार्यालय में परिश्रम अधिक करना पड़ेगा । कोई महत्वपूर्ण सफलता भी मिलने के आसार नहीं है। पुराने रोग उभर कर आएंगे। खाने-पीने में सावधानी रखें। आज आपको दैनिक कामों में किसी की मदद नहीं मिल पाएगी। किसी भी मामले पर जल्दबाजी मेंफैसला लेने से आप परेशान हो सकते हैं। आपको कुछ नुकसान होने की भी संभावना है। कार्यालय की समस्याएं आज बढ़ सकती हैं।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : हल्का ग्रे
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✡️कर्क ✡️03-06-2021
आज दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं, ध्यान रखें। बदलता हुआ समय है इसलिए कामकाज को लेकर किसी भी तरह की ज़ल्दबाज़ी बिलकुल न करें। विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए। इससे आप चुस्त दुरुस्त बने रहेंगे।सफलता प्राप्त करने के लिए समय के साथ अपने विचारों में बदलाव लाएँ। इससे आपका दृष्टिकोण व्यापक होगा। परिवार और बच्चों के साथ अधिक वक्त बिताने की आवश्यकता है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️सिंह ✡️03-06-2021
रचनात्मक लोग जीवन में अच्छा करेंगे। अपनी कल्पना और रचनात्मकता आपको प्रगति में मदद करेगी। आपके द्वारा अपने आप को अदभुत और अनूठे तरीकों से व्यक्त करना दूसरों को प्रभावित करेगा और आप दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींच पाएंगे। नई परियोजनाएं शुरू की जा सकती हैं और वित्तीय लाभ प्राप्ति का भी प्रबल संकेत है। शेयर में निवेश के लिए अच्छा समय है। अपने रहन सहन को विकसित करने के लिए यह एक अच्छा समय है। भविष्य में यह आपके लिए लाभदायक भी साबित हो सकते हैं। परिवार में कोई शुभ कार्य संपन्न हो सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️कन्या✡️03-06-2021
आज आपका बड़ा काम संतान की मदद से पूरा हो जायेगा। माता-पिता का सहयोग भी बना रहेगा। शाम को उनके साथ किसी धार्मिक स्थल पर जायेंगे। आज आपको कोई बड़ी शुभ संदेश मिलेगी। इस राशि के छात्रों का आज पढ़ाई के प्रति ध्यान बना रहेगा। आपके पास कुछ नयी जिम्मेदारियां आ सकती है, जिन्हें आप सफलतापूर्वक निभायेंगे। आपका स्वास्थ्य भी स्वस्थ रहेगा। आज व्यापार में साझेदारी से लाभ होगा। अनाथालय में जाकर कुछ दान करें, संतान सुख की प्राप्ति होगी।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️तुला ✡️03-06-2021
निवेश करना चाहते हैं तो सोच-समझकर करें। सेवारत लोग कामकाज न टालें। साथ के कुछ लोगों से सहयोग मिल सकता है। धन और परिवार के सहयोग से आपका मन प्रसन्न रहेगा। आप अपने भविष्य और पेशे में प्रगति के लिए हर संभव कोशिश जरूर करें। मेहनत के दम पर आज आपका असर लोगों पर रहेगा। जीवनसाथी की भावनाओं का सम्मान करें। स्वास्थ के मामले में आपके लिए दिन अच्छा है।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️वृश्चिक ✡️03-06-2021
आज का दिन अच्छा रहेगा। व्यापार करने वाले लोग बड़े सौदे करेंगे। सभी प्रकार के मनोकामना आपकी आने वाले दिनों में पूर्ण होते दिख सकती है। शिक्षा क्षेत्र में बहुत तरक्की आपको देखने को मिलेगी। व्यापार आपका बहुत ही अच्छे से चलेगा। आपकी योजना को बड़े बुजुर्गों और भाइयों का सहयोग मिलेगा। नकारात्मकता से भरे छली लोगों से दूर रहें। ये आपको भी नकारात्मक बनाकर असफल कर देने की कोशिश में हैं।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️धनु ✡️03-06-2021
व्यावसायिक क्षेत्र में आज आपको आपको बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। प्रभावशाली लोगों से संपर्क लाभकारी रहेंगे। व्यावसायियों को साझेदारी या संगठन के माध्यम से अच्छा लाभ मिल सकता है। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। संपत्ति या वाहन का क्रय विक्रय कर सकते हैं। सेवारत जातकों को कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। प्रेमी शादी करने का निर्णय ले सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️मकर ✡️03-06-2021
आज माता-पिता अपने बच्चों के साथ मनोरंजन स्थल पर भ्रमण करने जा सकते हैं। आप किसी समारोह में जाने की योजनाभी कर सकते हैं। कार्यालय का वातावरण थोड़ा गंभीर रह सकता है। आपको अपने अधिकारी की बातों को ध्यान से सुनने के बाद ही अपनी कोई राय देनी चाहिए। आज आपको थोड़ा आलस्य भी महसूस हो सकता है। आपको अपना खान-पान ठीक रखना चाहिए। कुछ मामलों में आप थोड़े भावुक भी हो सकते हैं। अपने माता-पिता को कुछ उपहार दें, आपकी सभी परेशानियाँ दूर होंगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : हल्का लाल
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✡️कुंभ ✡️03-06-2021
सेवारत लोगों को पदोन्नति मिल सकता है। अधिकारियों से मदद मिलेगी। साथ के लोग भी आपके कामकाज में सहायता कर सकते हैं। पुरानी योजनाएं पूरी होने से आज लाभ मिल सकता है। कोई नया काम भी आज आप कर सकते हैं। नए लोगों से सहायता मिलने के योग बन रहेहैं। आज आपको प्रेमी प्रेमिका की सलाह से धन लाभ हो सकता है। दिन आपकी प्रेमी जीवन के लिए अच्छा है। पुराने रोग आपको परेशान कर सकते हैं। अपनी स्वास्थका ध्यान रखें।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : मोर नीला
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✡️मीन ✡️03-06-2021
आज आपको अपनी जिंदगी सुधारने के लिए अपनी कलात्मकता को उभारना चाहिए। सभी प्रकार की योजना आपके सफलता दिलाने वाली है। नई चीजों पर आपको ध्यान लगाना पड़ सकता है। दोस्तों की ओर से अच्छी सलाह आपको मिलने लेने वाली हैं। परिवार के किसी सदस्य का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। मित्रों से मूल्यवान उपहार मिल सकते हैं। चल या अचल संपत्ति खरीदने की योजना बन सकती है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर *8449046631,9149003677*
[3/6, 08:14] चक्रधर प्रसाद शास्त्री: *पूजापाठ से जुड़ी हुईं महत्वपूर्ण बातें जिनका महत्व अब पूरा विश्व जानने लगा है, मानने लगा है*
संकलनकर्ता:– *पण्डित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री*
★ एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए।
★ सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।
★ बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।
★ जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।
★ जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।
★ जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।
★ संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।
★ दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।
★ यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।
★ शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है,
★ कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं।
★ भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।
★ देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।
★ किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।
★ एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए ।
★ बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।
★ शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।
★ शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुमकुम नहीं चढ़ती।
★ शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी को आक तथा मदार और सूर्य भगवानको तगर के फूल नहीं चढ़ावे।
★ अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावे।
★ नये बिल्व पत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए बिल्व पत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।
★ विष्णु भगवान को चावल गणेश जी को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण को बिल्व पत्र नहीं चढ़ावें।
★ पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे ही चढ़ावें।
★ किंतु बिल्वपत्र उलटा करके डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें।
★पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें।
★ सड़ा हुआ पान या पुष्प नहीं चढ़ावे।
★ गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चढ़ती हैं।
★ पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी नहीं होता है।
★ दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।
★ सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।
★ पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।
★ पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।
★ घी का दीपक अपने बांयी ओर तथा देवता को दाहिने ओर रखें एवं चांवल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें।
★ गणेशजी को तुलसी का पत्र छोड़कर सब पत्र प्रिय हैं। भैरव की पूजा में तुलसी स्वीकार्य नहीं है।
★ कुंद का पुष्प शिव को माघ महीने को छोड़कर निषेध है।
★ बिना स्नान किये जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नहीं करते।
★ रविवार को दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए।
★ केतकी पुष्प शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए।
★ केतकी पुष्प से कार्तिक माह में विष्णु की पूजा अवश्य करें।
★ देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नहीं चाहिए।
★ शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नहीं होता।
★ जो मूर्ति स्थापित हो उसमें आवाहन और विसर्जन नहीं होता।
★ तुलसीपत्र को मध्यान्ह के बाद ग्रहण न करें।
★ पूजा करते समय यदि गुरुदेव,ज्येष्ठ व्यक्ति या पूज्य व्यक्ति आ जाए तो उनको उठ कर प्रणाम कर उनकी आज्ञा से शेष कर्म को समाप्त करें।

★ मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन होता है और अंत में शास्त्रीयविधि से गंगा प्रवाह भी किया जाता है।

★ कमल को पांच रात,बिल्वपत्र को दस रात और तुलसी को ग्यारह रात बाद शुद्ध करके पूजन के कार्य में लिया जा सकता है।
★ पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है।

★ शालिग्राम पर अक्षत नहीं चढ़ता। लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है।

★ हाथ में धारण किये पुष्प, तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं।

★ पिघला हुआ घी और पतला चन्दन नहीं चढ़ाना चाहिए।

★ प्रतिदिन की पूजा में सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ाएं।

★ आसन, शयन, दान, भोजन, वस्त्र संग्रह, विवाद और विवाह के समयों पर छींक शुभ मानी गई है।

★ जो मलिन वस्त्र पहनकर, मूषक आदि के काटे वस्त्र, केशादि बाल कर्तन युक्त और मुख दुर्गन्ध युक्त हो, जप आदि करता है उसे देवता नाश कर देते हैं।

★ मिट्टी, गोबर को निशा में और प्रदोषकाल में गोमूत्र को ग्रहण न करें।

★ मूर्ति स्नान में मूर्ति को अंगूठे से न रगड़ें।

★ पीपल को नित्य नमस्कार पूर्वाह्न के पश्चात् दोपहर में ही करना चाहिए। इसके बाद न करें।

★ जहां अपूज्यों की पूजा होती है और विद्वानों का अनादर होता है, उस स्थान पर दुर्भिक्ष, मरण और भय उत्पन्न होता है।

★ पौष मास की शुक्ल दशमी तिथि, चैत्र की शुक्ल पंचमी और श्रावण की पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करें।

★ कृष्णपक्ष में, रिक्तिका तिथि में, श्रवणादी नक्षत्र में लक्ष्मी की पूजा न करें।

★ अपराह्नकाल में, रात्रि में, कृष्ण पक्ष में, द्वादशी तिथि में और अष्टमी को लक्ष्मी का पूजन प्रारम्भ न करें।

★ मंडप के नव भाग होते हैं, वे सब बराबर-बराबर के होते हैं अर्थात् मंडप सब तरफ से चतुरासन होता है, अर्थात् टेढ़ा नहीं होता। जिस कुंड की श्रृंगार द्वारा रचना नहीं होती वह यजमान का नाश करता है।
★ पूजा-पाठ करते समय हो जाए कुछ गलती तो अंत में जरूर बोलें ये एक मंत्र
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
आप सभी को निवेदन है अगर हो सके तो और लोगों को भी आप इन महत्वपूर्ण बातों से अवगत करा सकते हैं। आपका ✍️ *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631,9149003677*

‼️ 🕉️ ‼️ अन्य राज्यों का पंचाग 
🚩🌞 *सुप्रभातम* 🌞
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
मास…………………………….ज्येष्ठ
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी……………………………नवमी
रात्रि 02.24 पर्यंत पश्चात दशमी
रवि…………………………उत्तरायण
सूर्योदय………..प्रातः 05.41.09 पर
सूर्यास्त………..संध्या 07.08.13 पर
सूर्य राशि………………………वृषभ
चन्द्र राशि………………………कुम्भ
गुरु राशि……………………….कुम्भ
नक्षत्र……………………पूर्वाभाद्रपद
संध्या 06.28 पर्यंत पश्चात उत्तराभाद्रपद
योग…………………………….प्रीती
रात्रि 02.23 पर्यंत पश्चात आयुष्मान
करण………………………….तैतिल
दोप 01.46 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु…………………………….ग्रीष्म
*दिन……………………….गुरुवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर ज्येष्ठ, दिनांक*
*१३ ( मधूमास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*०३ जून सन २०२१ ईस्वी !*

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.58 से 12.51 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 02.04 से 0३.44 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृषभ*
04:17:55 06:13:26
*मिथुन*
06:13:26 08:28:27
*कर्क*
08:28:27 10:49:09
*सिंह*
10:49:09 13:06:50
*कन्या*
13:06:50 15:23:30
*तुला*
15:23:30 17:43:22
*वृश्चिक*
17:43:22 20:02:19
*धनु*
20:02:19 22:06:40
*मकर*
22:06:40 23:49:16
*कुम्भ*
23:49:16 25:16:58
*मीन*
25:16:58 26:42:06
*मेष*
26:42:06 28:17:55

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..3
🔯 शुभ रंग……………..केसरिया

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.44 से 12.24 तक चंचल
दोप. 12.24 से 02.04 तक लाभ
दोप. 02.04 से 03.43 तक अमृत
सायं 05.23 से 07.03 तक शुभ
सायं 07.03 से 08.23 तक अमृत
रात्रि 08.23 से 09.43 तक चंचल |

📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ विश्वरूपाय नमः ।।

📢 *सुभाषितानि :-*
अनुकूलां विमलाङ्गीं कुलीनां कुशलां सुशीला सम्पन्नाम् ।
पञ्चलकारां भार्यां पुरुषः पुण्योदयात् लभते ॥
अर्थात :-
अनुकूल, निर्मल, कुलीन, कुशल, और सुशील – ऐसे पाँच ‘ल’ कार वाली पत्नी, पुरुष के पुण्योदय होने पर हि मिलती है ।

🍃 *आरोग्यं :-*
*दांतों की सड़न रोकने के उपाय -*

*2. नींबू का रस -*
सुबह-सुबह हल्के गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से शरीर के पीएच संतुलन को बनाए रखने में सहायता मिलती है। विटामिन सी से भरपूर नींबू पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम आदि का एक समृद्ध स्रोत भी है। दांतों की सड़न के लिए आप नींबू का रस, बेकिंग सोडा, पुदीना, पेपरमिंट का तेल भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप कुछ बूंदे नींबू का रस लीजिए, आधा चम्मच बेकिंग सोडा लीजिए और एक चौथाई चम्मच पुदीना पाउडर डालिए। इसके बाद आप इसमें एक बूंद पेपरमिंट मिलाइए। इसके बाद अब इन चारों चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करके ब्रश की सहायता से अपने दांतों पर लगाएं और कुछ समय बाद कुल्ला कर लें। इस पैक को दांतों पर लगाने से बहुत जल्दी आप दांतों की सड़न से निजात पा सकते हैं ।

⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड मनोनुकूल लाभ देगा। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
आत्मसम्मान बना रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों व संबंधियों से मुलाकात होगी। कारोबार में अनुकूलता रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बुद्धि का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। प्रमाद न करें।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
मित्रों का सहयोग करने का अवसर प्राप्त हो सकता है। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से लाभ होगा। यात्रा सफल रहेगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। किसी दूसरे व्यक्ति के काम में हस्तक्षेप न करें। विवाद होगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
विवाद को बढ़ावा न दें। बेवजह कहासुनी हो सकती है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। थकान व कमजोरी रह सकते हैं। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। धनहानि की आशंका है। व्यापार-व्यवसाय में धीमापन रह सकता है। आय में निश्चितता रहेगी। समय शीघ्र सुधरेगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। यात्रा मनोरंजक हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय में नए प्रयोग किए जा सकते हैं। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धन प्राप्ति सुगम होगी। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। कार्यभार व अधिकार में वृद्धि हो सकती है।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
अध्यात्म में रुझान रहेगा। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। राजकीय बाधा दूर होकर स्थिति लाभदायक बनेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। आसपास का वातावरण सुखद रहेगा। पार्टनरों तथा भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। विवेक का प्रयोग करें। प्रमाद न करें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
कार्यस्थल पर सुधार व परिवर्तन हो सकता है। योजना फलीभूत होगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। रुके कार्यों में गति आएगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। प्रमाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
यात्रा मनोनुकूल रहेगी। नया काम मिलेगा। नए अनुबंध होंगे। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। समय की अनुकूलता रहेगी, लाभ लें। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। फालतू खर्च होगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। आय में कमी होगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। बेकार बातों पर बिलकुल ध्यान न दें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि की आशंका बनती है, सावधानी आवश्यक है। लेन-देन में जल्दबाजी से बचें। आय बनी रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार-व्यवसाय की गति धीमी रहेगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। धनहानि भी आशंका है।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
भूमि-भवन व मकान-दुकान इत्यादि की खरीद-फरोख्त मनोनुकूल लाभ देगी। बेरोजगारी दूर होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। चारों तरफ से सफलता मिलेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। उत्साह बना रहेगा। चिंता तथा तनाव कम होंगे।

*🚩🎪‼️ 🕉️ विष्णवे नमः ‼️🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳

🔥वेदों में अनेक मन्त्र हैं, जिनमें परमात्मा की स्तुति, प्रार्थना और उपासना का उपदेश है. आइये पहले इसके अर्थों पर मनन करें।
====================वेदों के कुछ जानने और मनन करने योग्य ज्ञानवर्धक मंत्र, 

स्तुति: ईश्वर के गुणों का चिन्तन करना, ईश्वर में प्रीति, उसके गुण, कर्म, स्वभाव से अपने गुण, कर्म, स्वभाव का सुधारना।

स्तुति २ प्रकार की होती है:

१) सगुण स्तुति : ईश्वर में जो-जो गुण हैं, उन-उन गुणों के सहित स्तुति सगुण स्तुति कहलाती है। जैसे, ईश्वर पवित्र है, तो हम भी पवित्र बने।

२) निर्गुण स्तुति : जिस-जिस गुण से ईश्वर पृथक है, उन गुणों/अवगुणों से स्वयं को पृथक करना निर्गुण स्तुति कहलाती है। जैसे, ईश्वर निर्विकार है, तो हम भी निर्विकारी बने।

प्रार्थना: नम्रतापूर्वक ईश्वर से निवेदन करना, इससे निरभिमानता, उत्साह और सहायता मिलती है।

उपासना: अष्टांगयोग का अनुष्ठान करना। योग के ८ अंग निम्नलिखित हैं:
१) यम ( अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह)
२) नियम (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर-प्रणिधान)
३) आसन
४) प्राणायाम (वाह्यवृत्ति, आभ्यान्तरवृत्ति, स्तम्भवृत्ति, वाह्य-आभ्यान्तर-विषय-आक्षेपी)
५) प्रत्याहार
६) धारणा
७) ध्यान
८) समाधि
संयम उपासना का नवम् अंग है. अष्टांगयोग के निरन्तर अभ्यास से, शरीरस्थ मलदोष, चित्तस्थ विक्षेप-दोष, बुद्धिगत आवरण-दोष दूर होकर, परमात्मा का साक्षात्कार होता है।

अथ ईश्वर स्तुतिप्रार्थनोपासना मन्त्रा:
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सब संस्कारों के आरम्भ में, निम्नलिखित ८ मन्त्रों का पाठ और अर्थ द्वारा एक विद्वान् वा बुद्धिमान पुरुष, ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना स्थिरचित्त होकर परमात्मा में ध्यान लगाकर करे, और सब लोग उसमें ध्यान लगाकर सुने और विचारें।

१ :- ऋषि- नारायण, देवता- सविता, छन्द-गायत्री, गायन-स्वर- षडज
ओ३म् विश्वानि देव सवितार्दुरितानि परासुव यद् भद्रम् तन्न आसुव ।।
– यजुर्वेद अध्याय-३०, मन्त्र-३

अर्थ: हे (सवितः) सकल जगत के उत्पत्तिकर्त्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त (देव) शुद्धस्वरुप, सब सुखों के दाता परमेश्वर ! आप कृपा करके (नः) हमारे (विश्वानि) सम्पूर्ण (दुरितानि) दुर्गुण, दुर्व्यसन और दुःखों को (परासुव) दूर कर दीजिये. (यत्) जो (भद्रम्) कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव और पदार्थ हैं, (तत्) वह सब (नः) हमको (आसुव) प्राप्त कीजिये।

 

(२ ) ऋषि- प्रजापति, देवता-हिरण्यगर्भ, छन्द- आर्षी त्रिष्टुप, गायन-स्वर- धैवत

ओ३म् हि॒र॒ण्य॒ग॒र्भः सम॑वर्त॒ताग्रे॑ भू॒तस्य॑ जा॒तः पति॒रेक॑ आसीत् ।
स दा॑धार पृथि॒वीम् द्यामु॒तेमाम् कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥
– यजुर्वेद अध्याय-२५, मन्त्र-१०, यजुर्वेद अध्याय-१३, मन्त्र-४, ऋग्वेद मण्डल-१०, सूक्त-१२१०, मन्त्र-१

अर्थ: जो (हि॒र॒ण्य॒ग॒र्भः) स्वप्रकाशस्वरुप और जिसने प्रकाश करने वाले सूर्य-चन्द्रमादि पदार्थ उत्पन्न करके धारण किये हैं, जो (भू॒तस्य॑) उत्पन्न हुए सम्पूर्ण जगत् का (जा॒तः) प्रसिद्ध (पति॒:) स्वामी (एक॑) एक ही चेतनस्वरूप (आसीत्) था, जो (अग्रे॑) सब जगत् के उत्पन्न होने से पूर्व (सम॑वर्त॒त) वर्त्तमान था, (स:) वह (इमाम्) इस (पृथि॒वीम्) भूमि (उत) और (द्याम्) सूर्यादि को (दा॑धार) धारण कर रहा है, हमलोग उस (कस्मै॑) सुखस्वरूप (दे॒वाय॑) शुद्ध परमात्मा के लिए (ह॒विषा॑) ग्रहण करने योग्य योगाभ्यास और अतिप्रेम से (विधेम) विशेष भक्ति किया करें।

 

(३ ) ऋषि- प्रजापति, देवता-परमात्मा, छन्द- निचृत्त्रिष्टुप्, गायन-स्वर- धैवत
य आ॑त्म॒दा ब॑ल॒दा यस्य॒ विश्व॑ उ॒पास॑ते प्र॒शिषं॒ यस्य॑ दे॒वाः ।
यस्य॑ छा॒यामृतं॒ यस्य॑ मृ॒त्युः कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥
– ऋग्वेद मण्डल-१०, सूक्त-१२१०, मन्त्र-2, यजुर्वेद अध्याय-२५, मन्त्र-१३

अर्थ: (य:) जो (आ॑त्म॒दा) आत्मज्ञान का दाता, (ब॑ल॒दा:) शरीर, आत्मा और समाज के बल का देने वाला, (यस्य॒) जिसकी (विश्व॑) सब (दे॒वाः) विद्वान् लोग (उ॒पास॑ते) उपासना करते हैं, और (यस्य॑) जिसका (प्र॒शिषं॒) प्रत्यक्ष सत्यस्वरूप शासन, न्याय अर्थात् शिक्षा को मानते हैं, (यस्य॑) जिसका (छा॒या) आश्रय ही (अमृतम्) मोक्षसुखदायक है, (यस्य॑) जिसका न मानना अर्थात् भक्ति न करना ही (मृ॒त्युः) मृत्यु आदि दुःख का कारण है, हमलोग उस (कस्मै॑) सुखस्वरूप (दे॒वाय॑) सकल ज्ञान के देने वाले परमात्मा की प्राप्ति के लिए (ह॒विषा॑) आत्मा और अन्तःकरण से (विधेम) विशेष भक्ति अर्थात् उसी की आज्ञा-पालन करने में तत्पर रहे।

४ : ऋषि- प्रजापति, देवता-ईश्वर, छन्द- त्रिष्टुप्, गायन-स्वर- धैवत
यः प्रा॑ण॒तो नि॑मिष॒तो म॑हि॒त्वैक॒ इद्राजा॒ जग॑तो ब॒भूव॑ । य ईशे॑ अ॒स्य द्वि॒पद॒श्चतु॑ष्पद॒: कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥
– ऋग्वेद मण्डल-१०, सूक्त-१२१, मन्त्र-३, यजुर्वेद अध्याय-२५, मन्त्र-११

अर्थ: (यः) जो (प्रा॑ण॒त:) प्राणवाले और (नि॑मिष॒त:) अप्राणीरूप जगत् का (म॑हि॒त्वा) अपनी अनन्त महिमा से, (एक॒: इत्) एक ही (राजा॒) विराजमान राजा (ब॒भूव॑) है, (यः) जो (अ॒स्य) इस (द्वि॒पद॒:) मनुष्यादि और (चतु॑ष्पद॒:) गौ आदि प्राणियों के शरीर की (ईशे॑) रचना करता है, हमलोग उस (कस्मै॑) सुखस्वरूप (दे॒वाय॑) सकल ऐश्वर्य के देनेवाले परमात्मा के लिए (ह॒विषा॑) अपनी सकल उत्तम सामग्री से (विधेम) विशेष भक्ति करें।

( ५ : )ऋषि- स्वयम्भू ब्रह्म, देवता-परमात्मा, छन्द- निचृत्त्रिष्टुप्, गायन-स्वर- धैवत
येन॒ द्यौरु॒ग्रा पृ॑थि॒वी च॑ दृ॒ळ्हा येन॒ स्व॑ स्तभि॒तं येन॒ नाक॑: ।
यो अ॒न्तरि॑क्षे॒ रज॑सो वि॒मान॒: कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥
– ऋग्वेद मण्डल-१०, सूक्त-१२१, मन्त्र-५, यजुर्वेद अध्याय-३२, मन्त्र-६
अर्थ: (येन॒) जिस परमात्मा ने (उग्रा) तीक्ष्ण स्वभाव वाले, (द्यौ:) सूर्य आदि (च॑) और (पृ॑थि॒वी) भूमि को (दृ॒ढा) धारण किया, (येन॒) जिस जगदीश्वर ने (स्व॑:) सुख को (स्तभि॒तम्) धारण किया, और (येन॒) जिस ईश्वर ने (नाक॑:) दुःखरहित मोक्ष को धारण किया है, (य:) जो (अ॒न्तरि॑क्षे॒) आकाश में, (रज॑स:) सब लोक-लोकान्तरों को (वि॒मान॒:) विशेष मानयुक्त अर्थात् जैसे आकाश में पक्षी उड़ते हैं, वैसे सब लोकों का निर्माण करता और भ्रमण कराता है, हमलोग उस (कस्मै॑) सुखदायक (दे॒वाय॑) कामना करने के योग्य परब्रह्म की प्राप्ति के लिए, (ह॒विषा॑) सब सामर्थ्य से (विधेम) विशेष भक्ति करें।

६ ) ऋषि- प्रजापति, देवता-कः, छन्द- विराट्त्रिष्टुप्, गायन-स्वर- धैवत
प्रजा॑पते॒ न त्वदे॒तान्य॒न्यो विश्वा॑ जा॒तानि॒ परि॒ ता ब॑भूव ।
यत्का॑मास्ते जुहु॒मस्तन्नो॑ अस्तु व॒यं स्या॑म॒ पत॑यो रयी॒णाम् ॥
– ऋग्वेद मण्डल-१०, सूक्त-१२१, मन्त्र-१०
अर्थ: हे (प्रजा॑पते॒) सब प्रजा के स्वामी परमात्मा ! (त्वत्) आपसे (अन्य:) भिन्न दूसरा कोई (ता) उन (एतानि) इन (विश्वा॑) सब (जा॒तानि॒) उत्पन्न हुए जड चेतानादिकों को (न) नहीं (परि॒ब॑भूव) तिरस्कार करता है, अर्थात् आप सर्वोपरि हैं। (यत्का॑मा:) जिस-जिस पदार्थ की कामना वाले हमलोग, (ते) आपका (जुहु॒म:) आश्रय लेवें और वान्छा करें, (तत्) उस-उस की कामना (नः) हमारी सिद्ध (अस्तु) होवें। जिससे (व॒यम्) हमलोग (रयी॒णाम्) धनैश्वर्यों के (पत॑य:) स्वामी (स्याम) होवें।

७ ) ऋषि- स्वयम्भू ब्रह्म, देवता-परमात्मा, छन्द- निचृत्त्रिष्टुप्, गायन-स्वर- धैवत
स नो बन्धुर्जनिता स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा ।
यत्र देवा अमृतमानशानास्तृतीये धामन्नध्यैरयन्तः॥
– यजुर्वेद अध्याय-३२, मन्त्र-१०
अर्थ: हे मनुष्यों ! (सः) वह परमात्मा (नः) अपने लोगों का (बन्धु:) भ्राता के समान सुखदायक, (जनिता) सकल जगत् का उत्पादक, (सः) वह (विधाता) सब कार्यों का पूर्ण करनेवाला, (विश्वा) सम्पूर्ण (भुवनानि) लोकमात्र और (धामानि) नाम, स्थान, जन्मों को (वेद) जानता है, और (यत्र) जिस (तृतीये) सांसारिक सुख-दुःख से रहित, नित्यानन्दयुक्त (धामन्) मोक्षस्वरुप धारण करनेहारे परमात्मा में (अमृतम्) मोक्ष को (आनशाना:) प्राप्त होके (देवाः) विद्वान् लोग (अध्यैरयन्तः) स्वेच्छापूर्वक विचरते हैं, वही परमात्मा अपना ,धीश है, अपने लोग मिलकर सदा उसकी भक्ति किया करें।

८ )ऋषि- अगस्त्य, देवता- अग्नि, छन्द- निचृत्त्रिष्टुप्, गायन-स्वर- धैवत
अग्ने॒ नय॑ सु॒पथा॑ रा॒ये अ॒स्मान्विश्वा॑नि देव व॒युना॑नि वि॒द्वान् ।
यु॒यो॒ध्य॒॑स्मज्जु॑हुरा॒णमेनो॒ भूयि॑ष्ठाम् ते॒ नम॑उक्तिम् विधेम ॥
– ऋग्वेद मण्डल-१, सूक्त-१८९, मन्त्र-१

अर्थ: हे (अग्ने॒) स्वप्रकाश, ज्ञानस्वरुप, सब जगत् के प्रकाश करनेवाले (देव) सकल सुखदाता परमेश्वर ! आप जिससे (वि॒द्वान्) सम्पूर्ण विद्यायुक्त हैं, कृपा करके (अ॒स्मान्) हमलोगों को (रा॒ये) विज्ञान वा राज्यादि ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए (सु॒पथा॑) अच्छे धर्मयुक्त आप्तलोगों के मार्ग से (विश्वा॑नि) सम्पूर्ण (व॒युना॑नि) प्रज्ञान और उत्तम-कर्म (नय॑) प्राप्त कराईये और (अस्मत्) हमसे (जुहुरा॒णम्) कुटिलतायुक्त (एनः) पापरूप कर्म को (यु॒यो॒धि) दूर कीजिये। इस कारण हमलोग (ते॒) आपकी (भूयि॑ष्ठाम्) बहुत प्रकार की स्तुतिरूप (नम॑:उक्तिम्) नम्रतापूर्वक प्रशंसा (विधेम) सदा किया करें और सर्वदा आनन्द में रहें।

वेदों के इन मन्त्रों में निहित उपदेशों के अनुसार, दृढनिष्ठा से परमात्मा की नियमित स्तुति, प्रार्थना और उपासना से हमारे अवगुणों का नाश और सद्गुणों का विकास होकर सांसारिक सुख एवं मोक्षसुख की प्राप्ति अवश्य होती है।

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 एक बार भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर पहुंचे। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर वे खुद शिव जी से मिलने अंदर चले गए। कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी दृष्‍टि एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे विचार उसकी तरफ केंद्रित होने लगे। उसी समय मृत्‍यु के देवता यमराज भी कैलाश पहुंचे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से जाते हुए उसे अपने साथ यमलोक ले जायेंगे।

 

निश्‍चित मृत्‍यु से बचाने का प्रयास

गरूड़ को चिड़या पर बहुत दया आई। वे इतनी छोटी और सुंदर चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उन्‍होंने चिड़िया को अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोस दूर एक जंगल में चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद बापिस कैलाश पर आ गए। जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले “गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहां से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जल्‍दी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहां नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी।”

सत्‍य का हुआ बोध

तब गरुड़ समझ गये “मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी भी चतुराई की जाए।”
इस लिए भगवान कहते हैं- करता तू वह है, जो तू चाहता है परन्तु, होता वह है, जो में चाहता हूं, कर तू वह, जो में चाहता हूं, फिर होगा वो , जो तू चाहेगा ।

सार्वभौमधर्मः —

अस्मिन् विशाले संसारे मानवकुलं महद्विचित्रम् । नानाजाति-उपजाति-भाषा-वर्ण-धर्म-सम्प्रदाय-मत-मतान्तर-सिद्धान्त-आकार-स्वभाव-गुणादिभिः युक्तं कुलमिदम् अत्यन्तं हि वैचित्र्यं भजते । वैविध्यं स्याच्चेदपि कुलन्तु मानवकुलं हि खलु ! परन्तु एतस्य कुलस्य लक्ष्यन्तु एकमेव यत् स्वविवेकम् उपयुज्य परमतत्त्वस्य उपलब्धिः, आत्मसाक्षात्कारत्वस्य वा प्राप्तिरिति । तदर्थं मानवमात्रस्य कृते यो धर्मः, सः सार्वभौमधर्मः आख्यायते ।
एतस्य धर्मस्य लक्षणम् – सत्यम्, अस्तेयम्, अक्रोधः, लज्जा, मनःसंयमः, इन्द्रियसंयमः, विद्या इत्यादिकं वर्तते ; यच्च मानवकुलमात्रेण पालनयोग्यं साधनभूतमिदं कथ्यते ।
‘सत्यमस्तेयमक्रोधो ह्रीः शौचं धीर्धृतिर्दमः ।
संयतेन्द्रियता विद्या धर्मः सार्वः उदाहृतः ।।’ इति ।
एतस्य धर्मस्य पालनं विना मानवो लक्ष्यसिद्धिं न प्राप्नुयात्, न वा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ इति वचनं हि कदाचित् सफलीभवेत् इति ध्रुवसत्यमिदम् इति, शम् ।— नारदोपाध्यायः ।