आज का पंचाग, आपका राशि फल, जानें महाकाल उज्जैन के विषय में, 28450 वर्ष पुरानी इस मूर्ति ने पूरी दुनियां को अचम्भे में डाल दिया है, अजामिल की कथा

  ✡️श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे । *शनि देव की स्तुति* :– *नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम् छाया मार्तंड संभूतम् तं नमामि शनिश्चरम्*।। हिंदी व्याख्या:–नील अजन के समान जिनकी दीप्ति है जो सूर्य भगवान के पुत्र तथा यमराज के बड़े भ्राता हैं सूर्य की छाया से जिन की उत्पत्ति हुई उन शनेश्वर देवता को मैं प्रणाम करता हूं।
शनि देव गायत्री:–
🕉️ *कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्रायधीमहि तन्न:सौरि प्रचोदयात्*।। हिन्दी ब्याख्या,:–यथाशक्ति शनि गायत्री का जप करने के बाद शमी युक्त पायस जीके दशांश हवन करना चाहिए एक लोहे के पात्र में तेल रखकर उसका पूजन करें अपने मुख की छाया देखकर कृष्ण तिल उसमें डाल देवे छाया पात्र को दान कर दें।। आपका अपना ✡️ *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली ✡️फलित ज्योतिष शास्त्री* ✡️
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️वीर विक्रमादित्य संवत् ✡️
✡️2078✡️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️30 प्रविष्टे गते ✡️
✡️शनि वासरे ✡️
✡️दिनांक ✡️:12 – 06 – 2021✡️(शनिवार)✡️
✡️सूर्योदय :05.44 पूर्वाह्न✡️
✡️सूर्यास्त :07.09 अपराह्न✡️
✡️सूर्य राशि :वृषभ✡️
✡️चन्द्रोदय :06.57 पूर्वाह्न✡️
✡️चंद्रास्त :09.01 पूर्वाह्न✡️
✡️चन्द्र राशि :मिथुन✡️
✡️विक्रम सम्वत : 2078✡️
✡️अमांत महीना :ज्येष्ठ 2✡️
✡️पूर्णिमांत महीना :ज्येष्ठ 17
पक्ष :शुक्ल 2✡️
✡️तिथि :द्वितीया 8.18 अपराह्न तक,✡️ बाद में तृतीया
✡️नक्षत्र :आद्रा 4.57 अपराह्न तक,✡️ बाद में पुनर्वसु✡️
✡️योग :गण्ड 9.13 पूर्वाह्न तक, बाद में वृद्धि✡️
✡️करण :बालव 7:27पूर्वाह्न तक, बाद में कौलव 8:18 अपराह्न तक, बाद में तैतिल✡️
✡️राहु काल :9.10 पूर्वाह्न से✡️ – 10.50 पूर्वाह्न तक
✡️कुलिक काल :5.49 पूर्वाह्न से- 7.29 पूर्वाह्न तक✡️
✡️यमगण्ड :2.11 अपराह्न से – 3.52 अपराह्न तक✡️
✡️अभिजीत मुहूर्त :11.59 पूर्वाह्न से – 12.53 अपराह्न तक✡️
✡️दुर्मुहूर्त :07:31 पूर्वाह्न-से- 08:25 पूर्वाह्न तक✡️
[12/6, 06:02] चक्रधर प्रसाद शास्त्री: *आज के लिए राशिफल *(12-06-2021)*
*मेष*✡️
12-06-2021
आज व्यापारिक सौदें हाथ आने से आपका उत्साह बढ़ेगा। आपकी चुप्पी को गलत समझा जाएगा और उस पर सवाल खड़े किये जायेंगे। कुछ लोग आपके खिलाफ साजिश भी कर सकते हैं। जोखिम और जवाबदारी के कामों में सावधानी रखें। दूसरों को आपके सहयोग कि जरूरत है, सहयोग जरूर करें। किसी परीक्षा प्रतियोगिता के लिए तैयार रहें। आज किसी अजनबी पर भरोसा ना करें। पिता की ओर से आर्थिक सहायता मिल सकती है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग
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*वृष*✡️
12-06-2021
आज व्यावसायिक रूप से अच्छा समय है। आर्थिक लाभ भी शुभ रहेगा। आपके कार्य पूर्ण तो होंगे किन्तु उनमे कुछ देरी हो सकती है। दैनिक क्रियाकलापों में आप अपने परिवार के सदस्यों की भागीदारी और प्रदर्शन से प्रसन्न होंगे। नए नौकरी चाहने वाले विशेष रूप से तकनीकी क्षेत्र में, अच्छे पद को प्राप्त करेंगे। जो लोग सफलतापूर्वक नौकरी कर रहे हैं, उन्हें समय पर पदोन्नति मिलने की पूरी संभावना है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : हल्का पीला
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*मिथुन*✡️
12-06-2021
आज आपको हर किसी का सहयोग मिलेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए अच्छे ऑफर्स आने के योग बन रहे हैं। घर में खुशी का माहौल बनेगा। संतान पक्ष से आज आपको खुशी मिलेगी। आज लोग आपकी बातों से प्रभावित होंगे। जीवनसाथी के साथ आपका तालमेल बढ़िया रहेगा। आपको व्यापार में मुनाफा होने की संभावना है। ऑफिस में किसी सहकर्मी से आपकी दोस्ती होगी। शाम को आप एक साथ टाईम स्पेंड करेंगे। पशुओं के लिए मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखें, पारिवारिक रिश्ते मजबूत होंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : सोना रंग
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*कर्क*✡️
12-06-2021
कुछ सोचे हुए काम पूरे नहीं होने से आप दुखी हो सकते हैं। आज धन हानि के योग बन रहे हैं। तनाव और दौड़-भाग वाला दिन रहेगा। ज्यादा काम करेंगे, लेकिन फायदा कम मिलेगा। आज आपको दौड़-भाग ज्यादा करनी पड़ सकती है। आज आप किसी तरह की लापरवाही भीकर सकते हैं। परिवार के किसी बड़े सदस्य की तबीयत खराब हो सकती है। साथियों के साथ संबंध अच्छे रहेंगे। नेत्र विकार से कष्ट संभव है।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
—————————————
*सिंह*✡️
12-06-2021
सिंह राशि वाले आज अपने तनाव को मनोरंजन से दूर करें। आप किसी परेशान करने वाली समस्या के बारे में लगातार सोचते रहेंगे। जटिल परिस्थितियां आपके पक्ष में निवास करने वाली है। रिश्तों के लिए पॉजिटिव समय है। हिम्मत का आप लोगों को पूरा समर्थन मिलेगा। भावुकता में गलत निर्णय लेने से बचें। छोटे प्रवास की संभावना भी है। रियल स्टेट तथा सेल्स से जुड़े लोग अपने टारगेट को प्राप्त करेंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिणपूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : चन्दन रंग
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*कन्या*✡️
12-06-2021
प्रभावी सहकर्मी आपकी कार्यशैली को और बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। आपको अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे। राजनेताओं की नई जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। सिनेमा और मीडिया से जुड़े क्षेत्रों के लोगों के पास खुद को व्यस्त रखने के लिए पर्याप्त काम होगा। बच्चे और परिवार अपने उपक्रमों में अच्छी सफलता दिखाएंगे। यह माता-पिता के लिए अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने और अपने बच्चों के लिए विवाह करने का एक आदर्श समय है।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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*तुला*✡️12-06-2021
आज अधिकारियों से अपने व्यवहार में सावधानी रखनी चाहिए। धन लाभ के नए सोर्स नजर आयेंगे। आपको परिवार के किसी काम से यात्रा करनी पड़ सकती है। किसी पुराने मित्र से आपकी मुलाकात होने की संभावना है। उससे आपको भविष्य में बड़े फायदे होंगे। दिनभर के कामों से आलस्य महसूस हो सकता है। बहुत हद तक आप व्यस्त हो सकते हैं। फालतू विवाद भी सामने आने की उम्मीद है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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*वृश्चिक*✡️12-06-2021
बिजनेस को लेकर टेंशन बढ़ सकती है। आपको थोड़ा सावधान रहना होगा। आज सेहत को लेकर लापरवाही न करें। पुराने रोग परेशान कर सकते हैं। हाथ-पैर और बदन दर्द हो सकता है। आपको कोई नुकसान की खबर मिल सकती है। आज आप किसी भी स्थिति का विरोध करेंगे तो खुद परेशान हो सकते हैं। सावधान रहें। कोई नया काम भी शुरू न करें। आपको उनसे बचना चाहिए। सुबह उठकर धरती माँ को छूकर प्रणाम करें, घर के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होगी।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : हल्का लाल
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*धनु*✡️12-06-2021
भरपूर रचनात्मकता और उत्साह आपको एक और अच्छे दिन की ओर ले जाएंगे। आप अपने कार्य क्षेत्र में लगातार उन्नति की ओर बढ़ेंगे, आपके भाग्य में जबरदस्त सुधार आने के योग बन रहे हैं। धर्म कर्म में आस्था बढ़ेगी। यात्रा संभव है। तकदीर के भरोसे चलने की बजाय अपनी मेहनत के भरोसे आगे बढ़ना होगा। इस प्रयास में आपकी आर्थिक स्तिथि आपकी मदद जरूर करेगी। उच्चाधिकारी का सहयोग प्राप्त होगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : हल्का हरा
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*मकर*✡️12-06-2021
सामाजिक समारोहों और रिश्तेदारों से मिलने-मिलाने से आपको बहुत खुशी मिलेगी। यदि आप नौकरी परिवर्तन की तलाश में हैं, तो आप विभिन्न अवसर प्राप्त कर सकते हैं। व्यावसायिक दृष्टि से आज का दिन परियोजनाओं के पुनर्निर्माण के लिए एक आदर्श समय है, क्योंकि आप वित्तीय रूप से स्थिर हैं। नई शुरुआत की तीव्रता सभी व्यवसायियों के लिए आगे बढ़ने का मौका प्रदान करेगी। धन निवेश से अच्छा लाभ मिलेगा। प्रबंधन क्षेत्र के छात्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। कुछ तनावपूर्ण रिश्तों का समाधान होगा। आप में से कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से प्रभावित हो सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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*कुंभ*✡️12-06-2021
आज आप खुद को एनर्जी से भरा महसूस करेंगे। आप जिस काम को करेंगे, वो समय से पहले पूरा हो जायेगा। मैकेनिकल इंजीनीयर्स वाले लोग अपने अनुभव का प्रयोग सही दिशा में करेंगे। किसी जरूरी काम में जीवनसाथी की सलाह लेना फायदेमंद रहेगा। प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों के लिए दिन फायदेमंद रहेगा। अधिकारियों से खास मामलों पर बातचीत होगी। सोचे हुए सभी काम समय पर पूरे होंगे। आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं, काम में सफलता अवश्य मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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*मीन*12-06-2021
बिजनेस के बड़े फैसलें सावधानी से लें। नुकसान होने के योग बन रहे हैं। आज कोई काम भी टल सकता है। आज किसी खास काम को लेकर कन्फ्यूजन बना रहेगा। बिजनेस या नौकरी में पुरानी गलती या किसी काम को लेकर आपके मन में डर बना रह सकता है। खर्चा बढ़ने केयोग हैं। आज आपकी कोई प्लानिंग फेल होने की भी संभावना बन रही है। संतान संबंधी मामले आज आपकी टेंशन बढ़ा सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : चांदी रंग
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आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️8449046631,9149003677*🕉️

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*********|| जय श्री राधे ||*********
🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏
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*दिनाँक -: 12/06/2021,शनिवार*
द्वितीया, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ। वृन्दावन
“”””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि———– द्वितीया 20:17:18 तक
पक्ष————————— शुक्ल
नक्षत्र————– आर्द्रा16:56:19
योग—————- गण्ड 09:11:17
करण————-बालव 07:26:31
करण————- कौलव 20:17:18
वार————————-शनिवार
माह—————————-ज्येष्ठ
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु————————— ग्रीष्म
आयन——————– उत्तरायण
संवत्सर———————– प्लव
संवत्सर (उत्तर)——— आनंद
विक्रम संवत—————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—- 2077
शाका संवत—————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय—————– 05:24:35
सूर्यास्त—————– 19:13:45
दिन काल————— 13:49:10
रात्री काल————– 10:10:53
चंद्रोदय—————- 06:38:25
चंद्रास्त—————— 21:04:19

लग्न——– वृषभ 27°7′ , 57°7′

सूर्य नक्षत्र——————- मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र———————आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————–रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

ङ—- आर्द्रा 10:21:42

छ—- आर्द्रा 16:56:19

के—- पुनर्वसु 23:29:28

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृषभ 27°52 ‘ मृगशिरा , 2 वो
चन्द्र = मिथुन 14°23 ‘आर्द्रा , 3 ङ
बुध = वृषभ(व) 25°57’आर्द्रा ‘ 1 वे
शुक्र= मिथुन 17°55, आर्द्रा ‘ 3 ङ
मंगल=कर्क 04°30 ‘ पुष्य ‘ 1 हु
गुरु=कुम्भ 07°30 ‘ शतभिषा, 1 गो
शनि=मकर 19°43 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
राहू=(व)वृषभ 16°30 ‘ रोहिणी , 2 वा
केतु=(व)वृश्चिक 16°30 अनुराधा , 4 ने

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 08:52 – 10:36 अशुभ
यम घंटा 14:03 – 15:46 अशुभ
गुली काल 05:25 – 07:08 अशुभ
अभिजित 11:52 -12:47 शुभ
दूर मुहूर्त 07:15 – 08:10 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
काल 05:25 – 07:08 अशुभ
शुभ 07:08 – 08:52 शुभ
रोग 08:52 – 10:36 अशुभ
उद्वेग 10:36 – 12:19 अशुभ
चर 12:19 – 14:03 शुभ
लाभ 14:03 – 15:46 शुभ
अमृत 15:46 – 17:30 शुभ
काल 17:30 – 19:14 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
लाभ 19:14 – 20:30 शुभ
उद्वेग 20:30 – 21:46 अशुभ
शुभ 21:46 – 23:03 शुभ
अमृत 23:03 – 24:19* शुभ
चर 24:19* – 25:36* शुभ
रोग 25:36* – 26:52* अशुभ
काल 26:52* – 28:08* अशुभ
लाभ 28:08* – 29:25* शुभ

💮होरा, दिन
शनि 05:25 – 06:34
बृहस्पति 06:34 – 07:43
मंगल 07:43 – 08:52
सूर्य 08:52 – 10:01
शुक्र 10:01 – 11:10
बुध 11:10 – 12:19
चन्द्र 12:19 – 13:28
शनि 13:28 – 14:37
बृहस्पति 14:37 – 15:46
मंगल 15:46 – 16:56
सूर्य 16:56 – 18:05
शुक्र 18:05 – 19:14

🚩होरा, रात
बुध 19:14 – 20:05
चन्द्र 20:05 – 20:56
शनि 20:56 – 21:46
बृहस्पति 21:46 – 22:37
मंगल 22:37 – 23:28
सूर्य 23:28 – 24:19
शुक्र 24:19* – 25:10
बुध 25:10* – 26:01
चन्द्र 26:01* – 26:52
शनि 26:52* – 27:43
बृहस्पति 27:43* – 28:34
मंगल 28:34* – 29:25

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

2 + 7 + 1 = 10 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*💮 शिव वास एवं फल -:*

2 + 2 + 5 = 9 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

* द्वितीय शनिवार

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

भ्रमन्संपूज्यते राजा भ्रमन्संपूज्यते द्विजः ।
भ्रमन्संपूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति ।।
।।चा o नी o।।

राजा, ब्राह्मण और तपस्वी योगी जब दुसरे देश जाते है, तो आदर पाते है. लेकिन औरत यदि भटक जाती है तो बर्बाद हो जाती है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: कर्मसंन्यासयोग अo-05

बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम्‌ ।,
स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते ॥,

बाहर के विषयों में आसक्तिरहित अन्तःकरण वाला साधक आत्मा में स्थित जो ध्यानजनित सात्विक आनंद है, उसको प्राप्त होता है, तदनन्तर वह सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मा के ध्यानरूप योग में अभिन्न भाव से स्थित पुरुष अक्षय आनन्द का अनुभव करता है॥,21॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
पुराने संगी-साथी व रिश्तेदारों से मुलाकात होगी। नए मित्र बनेंगे। अच्‍छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। कार्यों में गति आएगी। विवेक का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। मित्रों के सहयोग से किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी।

🐂वृष
मेहनत सफल रहेगी। बिगड़े काम बनेंगे। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने के अवसर मिलेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धनार्जन होगा।

👫मिथुन
लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। शोक संदेश मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी के उकसाने में न आएं। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🦀कर्क
मेहनत का फल पूरा नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन मिल सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।

🐅सिंह
संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता रहेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे।

🙍‍♀️कन्या
शत्रुओं का पराभव होगा। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कोई बड़ा कार्य करने की योजना बन सकती है। कार्यसिद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

⚖️तुला
वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग से हानि की आशंका है, सावधानी रखें। दूसरों के झगड़ों में हस्तक्षेप न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्षोभ होगा। फालतू की बातों पर ध्यान न दें। व्यापार ठीक चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।

🦂वृश्चिक
तीर्थदर्शन हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय सहयोग से कार्य पूर्ण व लाभदायक रहेंगे। कारोबार मनोनुकूल रहेगा। शेयर मार्केट में जोखिम न लें। नौकरी में चैन रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। ध्यान रखें।

🏹धनु
आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य कर पाएंगे। व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम न लें। भाइयों का सहयोग मिलेगा। आय में वृद्धि होगी।

🐊मकर
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। लाभ होगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। प्रशंसा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रमाद न करें।

🍯कुंभ
व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। विवाद से बचें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। व्यापार ठीक चलेगा। आय होगी। विवेक का प्रयोग करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।

🐟मीन
रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। कोई बड़ा कार्य हो जाने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश लाभदायक रहेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद से बचें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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*28450 वर्ष पुरानी भगवान शिव के कल्पविग्रह मूर्ति का रहस्य* 🙏🏻

यह बात सन 1959 की है, जब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया था। उस समय वहाँ कई बौद्ध भिक्षुओं को पकड़कर जेल में डाल दिया गया था। जेलर ने देखा कि वो बौद्ध भिक्षु अपने साथ लाये किसी धातु की चीज को पानी से घोकर उस जल को पी रहा है। जिससे उसका स्वास्थ्य ठीक हो रहा है। बाद में जांच में पता चला वह मूर्ति को नहला कर उस जल को पीता है। 

फिर वहाँ के एक बौद्ध हाम्पा साधु ने 

जो कि हम्पा रक्षक साधु होते हैं , उन्होंने कुछ गुप्तचरों के सहयोग से भगवान शिव की वह एक छोटी-सी मूर्ति को अमेरिका की गुप्तचर संस्था में भिजवा दिया था। कुछ जानकार इसे हाथ में सुदर्शन चक्र लिए भगवान विष्णु की मूर्ति बता रहे हैं। लेकिन यह निर्विवाद है कि यह भगवान मूर्ति है। और तब की है जब दुनियां में सनातनियों का राज था। 

यह लगभग 5.3 सेमी लंबा और लगभग 4.7 सेमी चौड़ा है, एक अंडाकार आधार 2.5 सेमी लंबा और 1.7 सेमी चौड़ा और वजन लगभग 47.10 ग्राम है।

इस मूर्ति को कल्पविग्रह कहा जाता है ।

सीआईए ने जब इस मूर्ति को कार्बन डेटिंग हेतु कैलिफोर्निया विकिरण प्रयोगशाला में भेजा , तो वहाँ पर इन्हें जो बात पता चली , उससे सभी अवाक् रह गए । एक अमेरिकी डॉक्टर ने भी इस मूर्ति के पानी के प्रयोग अपने मरीजों पर किए वह भी मूर्ति के जल से मरीजों में हुए सकारात्मक लाभ से चकित रह गया। तब न महाबीर जैन पैदा हुए थे न महात्मा बुद्ध। न ईसा मशीह पैदा हुए थे न मूसा ही पैदा हुए थे। भारत तब भी इतना एडवांस था कि ऐसी चमत्कारिक मूर्ति बना रहा था। हमारी भारतीय संस्कृति में मूर्तियों का स्नान और उस जल का आचमन सिंचन की परम्परा लाखों वर्ष पुरानी है। तो इस परम्परा का इतना बड़ा महत्व है!! 

यह मूर्ति 28450 वर्ष पुरानी है । आधुनिक विज्ञान द्वारा ऐसा माना जाता है कि इतने वर्ष पहले न तो कोई भाषा थी , न तो कोई तकनीक थी , न ही किसी को किसी धातु का विशेष ज्ञान था ; तो फिर काँसे भंगार और अष्टधातु की मूर्ति कैसे बनायी गयी होगी ? इसका अर्थ यह हुआ कि आधुनिक विज्ञान से भी आगे हमारा परम्परागत विज्ञान है। 

*मेरी संस्कृति ..मेरा देश ..मेरा अभिमान 🚩*

उज्जैन स्वर्ग है क्यों है  जानते हैं ?* 
उज्जैन मध्य मध्य प्रदेश MP 
   एक मात्र स्थान जहाँ शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन किया जाता है ।
 *यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है*
“महाँकाल,कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव।”
    *यहाँ तीन गणेश विराजमान है।*
      “चिंतामन,मंछामन, इच्छामन”
*यहाँ 84 महादेव है,यही सात सागर है।।*
    “ये भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली है।।”
    *ये मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।।*
      “यही वो स्थान है जिसने महाकवी कालिदास दिए।”
   *उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है,यह वह ८ देवता है जिन्हें अमरता का वरदान है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर)*
    “राजा विक्रमादित्य ने इस धरा का मान बढ़ाया।।”
     *विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी!!*
  “इसके शमशान को भी तीर्थ का स्थान प्राप्त है *चक्र तीर्थ* ।
यहां नो नारायण और सात सागर है
भारत को सोने की चिड़िया का दर्जा यहां के राजा विक्रमादित्य ने ही दिया था इनके राज्य में सोने के सिक्के चलते थे सम्राट राजा विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत का आरंभ हुआ जो हर साल चैत्र माह के  प्रति प्रदा के दिन मनाया जाता है उज्जैन से ही ग्रह नक्षत्र की गणना होती है कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है
और तो और पूरी दुनिया का *केंद्र बिंदु* _(Central Point)_ है महाकाल जी का मंदिर
   _*महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।।* 
_यदि आप भी *अवंतिका* एवं *कालों के काल महाकाल* के प्रेमी व पुजारी हैं तो इस संदेश को सभी शिव भक्तों  तक पहुंचाए।_

🚩🚩!! जय श्रीलक्ष्मीनारायण !!🚩🚩
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“भक्त अजामिल अघ भण्डारा।
पाप करत नित बेशुम्बारा।।
अंत समय नारायण लीन्हा।
भक्त जान प्रभु निज पद दीन्हा।।”
नारायण नाम की महिमा :~ प्रिय भक्तों कान्यकुब्ज (कन्नौज) में एक ब्राम्हण रहता था। उसका नाम अजामिल था। यह अजामिल बड़ा शास्त्रज्ञ था। शील, सदाचार और सद्गुणों का तो यह खजाना ही था। ब्रम्हचारी, विनयी, जितेन्द्रिय, सत्यनिष्ठ, मन्त्रवेत्ता और पवित्र भी था। इसने गुरु, संत-महात्माओं सबकी सेवा की थी।

एक बार अपने पिता के आदेशानुसार वन में गया और वहाँ से फल-फूल, समिधा तथा कुश लेकर घर के लिये लौटा। लौटते समय इसने देखा की एक व्यक्ति मदिरा पीकर किसी वेश्या के साथ विहार कर रहा है। वेश्या भी शराब पीकर मतवाली हो रही है। अजामिल ने पाप किया नहीं केवल आँखों से देखा और काम के वश हो गया। अजामिल ने अपने मन को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रहा। अब यह मन-ही-मन उसी वेश्या का चिन्तन करने लगा और अपने धर्म से विमुख हो गया।

अजामिल सुन्दर-सुन्दर वस्त्र-आभूषण आदि वस्तुएँ, जिनसे वह प्रसन्न होती, ले आता। यहाँ तक कि इसने अपने पिता की सारी सम्पत्ति देकर भी उसी कुलटा को रिझाया। यह ब्राम्हण उसी प्रकार की चेष्टा करता, जिससे वह वेश्या प्रसन्न हो। इस वेश्या के चक्कर में इसने अपने कुलीन नवयुवती और विवाहिता पत्नी तक का परित्याग कर दिया और उस वैश्या के साथ रहने लगा। इसने बहुत दिनों तक वेश्या के मल-समान अपवित्र अन्न से अपना जीवन व्यतीत किया और अपना सारा जीवन ही पापमय कर लिया। यह कुबुद्धि न्याय से, अन्याय से जैसे भी जहाँ कहीं भी धन मिलता, वहीं से उठा लाता। उस वेश्या के बड़े कुटुम्ब का पालन करने में ही यह व्यस्त रहता। चोरी से, जुए से और धोखा-धड़ी से अपने परिवार का पेट पालता था।

एक बार कुछ संत इसके गांव में आये। गाँव के बाहर संतों ने कुछ लोगों से पूछा की भैया, किसी ब्राह्मण का घर बताइए हमें वहां पर रात गुजारनी है। इन लोगों ने संतों के साथ मजाक किया और कहा – संतों – हमारे गाँव में तो एक ही श्रेष्ठ ब्राह्मण है जिसका नाम है अजामिल। और इतना बड़ा भगवान का भक्त है कि गाँव के अंदर नहीं रहता गाँव के बाहर ही रहता है। अब संत जन अजामिल के घर पहुंचे और दरवाजा खटखटाया – भक्त अजामिल दरवाजा खोलो। जैसे ही अजामिल ने आज दरवाजा खोला तो संतों के दर्शन करते ही मानो आज अपने पुराने अच्छे कर्म उसे याद आ गए।

संतों ने कहा की भैया – रात बहुत हो गई है आप हमारे लिए भोजन और सोने का प्रबंध कीजिये। अजामिल ने सुंदर भोजन तैयार करवाया और संतो को करवाया। जब अजामिल ने संतों से सोने के लिए कहा तो संत कहते हैं भैया – हम प्रतिदिन सोने से पहले कीर्तन करते हैं। यदि आपको समस्या न हो तो हम कीर्तन कर लें?

अजामिल ने कहा – आप ही का घर है महाराज! जो दिल में आये सो करो। संतों ने सुंदर कीर्तन प्रारम्भ किया और उस कीर्तन में अजामिल बैठा। सारी रात कीर्तन चला और अजामिल की आँखों से खूब आसूं गिरे हैं। मानो आज आँखों से आंसू नहीं पाप धूल गए हैं। सारी रात भगवान का नाम लिया। जब सुबह हुई संत जन चलने लगे तो अजामिल ने कहा – महात्माओं, मुझे क्षमा कर दीजिये। मैं कोई भक्त वक्त नहीं हूँ। मैं तो एक महा पापी हूँ। मैं वैश्या के साथ रहता हूँ। और मुझे गाँव से बाहर निकाल दिया गया है। केवल आपकी सेवा के लिए मैंने आपको भोजन करवाया। नहीं तो मुझसे बड़ा पापी कोई नहीं है।

संतों ने कहा – अरे अजामिल! तूने ये बात हमें कल क्यों नहीं बताई, हम तेरे घर में रुकते ही नहीं। अब तूने हमें आश्रय दिया है तो चिंता मत कर। ये बता तेरे घर में कितने बालक हैं। अजामिल ने बता दिया की महाराज 9 बच्चे हैं और अभी ये गर्भवती है। संतों ने कहा की अबके जो तेरे संतान होगी यानि वो तेरे पुत्र होगा। और तू उसका नाम “नारायण” रखना। जा तेरा कल्याण हो जायेगा।

संत जन आशीर्वाद देकर चले गए। समय बीता उसके पुत्र हुआ। नाम रखा नारायण। अजामिल अपने नारायण पुत्र में बहुत आशक्त था। अजामिल ने अपना सम्पूर्ण हृदय अपने बच्चे नारायण को सौंप दिया था। हर समय अजामिल कहता था – नारायण भोजन कर लो। नारायण पानी पी लो। नारायण तुम्हारा खेलने का समय है तुम खेल लो। हर समय नारायण नारायण करता था। इस तरह अट्ठासी वर्ष बीत गए। वह अतिशय मूढ़ हो गया था, उसे इस बात का पता ही न चला कि मृत्यु मेरे सिर पर आ पहुँची है। अब वह अपने पुत्र बालक नारायण के सम्बन्ध में ही सोचने-विचारने लगा।

इतने में ही अजामिल ने देखा कि उसे ले जाने के लिये भगवान् के पार्षदों ने देखा कि यह मरते समय हमारे स्वामी भगवान् नारायण का नाम ले रहा है, उनके नाम का कीर्तन कर रहा है; अतः वे बड़े वेग से झटपट वहाँ आ पहुँचे। उस समय यमराज के दूत दासीपति अजामिल के शरीर में से उसके सूक्ष्म शरीर को खींच रहे थे। विष्णु दूतों ने बलपूर्वक रोक दिया। उनके रोकने पर यमराज के दूतों ने उनसे कहा- “अरे, धर्मराज की आज्ञा का निषेध करने वाले तुम लोग हो कौन ? तुम किसके दूत हो, कहाँ से आये हो और इसे ले जाने से हमें क्यों रोक रहे हो ?”

जब यमदूतों ने इस प्रकार कहा, तब भगवान् नारायण के आज्ञाकारी पार्षदों ने हँसकर कहा – यमदूतों! यदि तुम लोग सचमुच धर्मराज के आज्ञाकारी हो तो हमें धर्म का लक्षण और धर्म का तत्व सुनाओ। दण्ड का पात्र कौन है ?

यमदूतों ने कहा – वेदों ने जिन कर्मों का विधान किया है, वे धर्म हैं और जिनका निषेध किया है, वे अधर्म हैं। वेद स्वयं भगवान् के स्वरुप हैं। वे उनके स्वाभाविक श्वास-प्रश्वास एवं स्वयं प्रकाश ज्ञान हैं – ऐसा हमने सुना है। पाप कर्म करने वाले सभी मनुष्य अपने-अपने कर्मों के अनुसार दण्डनीय होते हैं।

भगवान् के पार्षदों ने कहा – यमदूतों! यह बड़े आश्चर्य और खेद की बात है कि धर्मज्ञों की सभा में अधर्म प्रवेश कर रह है, क्योंकि वहाँ निरपराध और अदण्डनीय व्यक्तियों को व्यर्थ ही दण्ड दिया जाता है। यमदूतों! इसने कोटि-कोटि जन्मों की पाप-राशि का पूरा-पूरा प्रायश्चित कर लिया है। क्योंकि इसने विवश होकर ही सही, भगवान् के परम कल्याणमय (मोक्षप्रद) नाम का उच्चारण तो किया है। जिस समय इसने “नारायण” इन चार अक्षरों का उच्चारण किया, उसी समय केवल उतने से ही इस पापी के समस्त पापों का प्रायश्चित हो गया। चोर, शराबी, मित्रद्रोही, ब्रम्हघाती, गुरुपत्नीगामी, ऐसे लोगों का संसर्गी; स्त्री, राजा, पिता और गाय को मारने वाला, चाहे जैसा और चाहे जितना बड़ा पापी हो, सभी के लिये यही – इतना ही सबसे बड़ा प्रायश्चित है कि भगवान् के नामों का उच्चारण किया जाय; क्योंकि भगवन्नामों के उच्चारण से मनुष्य की बुद्धि भगवान् के गुण, लीला और स्वरुप में रम जाती है और स्वयं भगवान् की उसके प्रति आत्मीय बुद्धि हो जाती है। तुम लोग अजामिल को मत ले जाओ। इसने सारे पापों का प्रायश्चित कर लिया है, क्योंकि इसने मरते समय भगवान् के नाम का उच्चारण किया है।

इस प्रकार भगवान् के पार्षदों ने भागवत-धर्म का पूरा-पूरा निर्णय सुना दिया और अजामिल को यमदूतों के पाश से छुड़ाकर मृत्यु के मुख से बचा लिया भगवान् की महिमा सुनने से अजामिल के हृदय में शीघ्र ही भक्ति का उदय हो गया। अब उसे अपने पापों को याद करके बड़ा पश्चाताप होने लगा । (अजामिल मन-ही-मन सोचने लगा) “अरे, मैं कैसा इन्द्रियों का दास हूँ! मैंने एक दासी के गर्भ से पुत्र उत्पन्न करके अपना ब्राम्हणत्व नष्ट कर दिया। यह बड़े दुःख की बात है। धिक्कार है! मुझे बार-बार धिक्कार है!” मैं संतों के द्वारा निन्दित हूँ, पापात्मा हूँ! मैंने अपने कुल में कलंक का टीका लगा दिया! मेरे माँ-बाप बूढ़े और तपस्वी थे। मैंने उनका भी परित्याग कर दिया। ओह! मैं कितना कृतघ्न हूँ। मैं अब अवश्य ही अत्यन्त भयावने नरक में गिरूँगा, जिसमें गिरकर धर्मघाती पापात्मा कामी पुरुष अनेकों प्रकार की यमयातना भोगते हैं। कहाँ तो मैं महाकपटी, पापी, निर्लज्ज और ब्रम्हतेज को नष्ट करने वाला तथा कहाँ भगवान् का वह परम मंगलमय “नारायण” नाम! (सचमुच मैं तो कृतार्थ हो गया)। अब मैं अपने मन, इन्द्रिय और प्राणों को वश में करके ऐसा प्रयत्न करूँगा कि फिर अपने को घोर अन्धकारमय नरक में न डालूँ। मैंने यमदूतों से डर के अपने पुत्र “नारायण” को पुकारा। और भगवान के पार्षद प्रकट हो गए यदि मैं वास्तव में नारायण को पुकारता तो क्या आज श्री नारायण मेरे सामने प्रकट नहीं हो जाते?

अब अजामिल के चित्त में संसार के प्रति तीव्र वैराग्य हो गया। वे सबसे सम्बन्ध और मोह को छोड़कर हरिद्वार चले गये। उस देवस्थान में जाकर वे भगवान् के मन्दिर में आसन से बैठ गये और उन्होंने योग मार्ग का आश्रय लेकर अपनी सारी इन्द्रियों को विषयों से हटाकर मन भगवान श्री कृष्ण् में लीन कर लिया और मन को बुद्धि में मिला दिया। इसके बाद आत्मचिन्तन के द्वारा उन्होंने बुद्धि को विषयों से पृथक् कर लिया तथा भगवान् के धाम अनुभव स्वरुप परब्रम्ह में जोड़ दिया। इस प्रकार जब अजामिल की बुद्धि त्रिगुणमयी प्रकृति से ऊपर उठकर भगवान् के स्वरुप में स्थित हो गयी, तब उन्होंने देखा कि उनके सामने वे ही चारों पार्षद, जिन्हें उन्होंने पहले देखा था, खड़े हैं। अजामिल ने सिर झुकाकर उन्हें नमस्कार किया। उनका दर्शन पाने के बाद उन्होंने उस तीर्थस्थान में गंगा के तट पर अपना शरीर त्याग दिया और तत्काल भगवान् के पार्षदों का स्वरुप प्राप्त कर दिया। अजामिल भगवान् के पार्षदों के साथ स्वर्णमय विमान पर आरूढ़ होकर आकाश मार्ग से भगवान् लक्ष्मीपति के निवास स्थान वैकुण्ठ को चले गये।
🚩🚩!! जय श्रीसच्चिदानन्द !!🚩🚩