आज का पंचाग आपका राशि फल, राष्ट्रीय शौर्यदिवस आज, कुलदेवता /देवी का पता न हो ,जानकारी न हो तो क्या करें ? पारद शिवलिंग का महात्म्य

​ 𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝
*श्री हरिहरो*
*विजयतेतराम*

*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*
🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓
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*मंगलवार, ०६ दिसम्बर २०२२*

सूर्योदय: 🌄 ०६:५९
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२१
चन्द्रोदय: 🌝 १५:५६
चन्द्रास्त: 🌜३०:०७
अयन 🌖 दक्षिणायने
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 हेमंत
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि👉चतुर्दशी(पूर्ण रात्रि)
नक्षत्र 👉 भरणी (०८:३८ से
कृत्तिका)
योग👉शिव(२६:५३से सिद्ध
प्रथम करण👉गर(१९:२१तक
द्वितीय करण👉वणिज(पूर्ण रात्रि
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟 वृष (१५:०३ से)
मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,वक्री)
बुध🌟धनु(उदित,पूर्व,मार्गी)
गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (अस्त, पूर्व)
शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४७ से १२:२८
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०८:३८ से ३१:००
रवियोग 👉 ०८:३८ से ३१:००
विजय मुहूर्त 👉 १३:५१ से १४:३२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१४ से १७:४१
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:१७ से १८:३९
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४१ से २४:३६
राहुकाल 👉 १४:४२ से १५:५९
राहुवास 👉 पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०९:३३ से १०:५१
होमाहुति 👉 शनि (०८:३८ तक)
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 पाताल
चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण १५:०३ से)
शिववास 👉 भोजन में
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – रोग २ – उद्वेग
३ – चर ४ – लाभ
५ – अमृत ६ – काल
७ – शुभ ८ – रोग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल २ – लाभ
३ – उद्वेग ४ – शुभ
५ – अमृत ६ – चर
७ – रोग ८ – काल
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-दक्षिण (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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पिशाच मोचन श्राद्ध आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०८:३८ तक जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (लो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम कृतिका नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (अ, ई, उ, ए) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – २९:३० से ०७:४९
धनु – ०७:४९ से ०९:५३
मकर – ०९:५३ से ११:३४
कुम्भ – ११:३४ से १३:००
मीन – १३:०० से १४:२३
मेष – १४:२३ से १५:५७
वृषभ – १५:५७ से १७:५२
मिथुन – १७:५२ से २०:०७
कर्क – २०:०७ से २२:२८
सिंह – २२:२८ से २४:४७
कन्या – २४:४७ से २७:०५
तुला – २७:०५ से २९:२६
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:५९ से ०७:४९
मृत्यु पञ्चक – ०७:४९ से ०८:३८
अग्नि पञ्चक – ०८:३८ से ०९:५३
शुभ मुहूर्त – ०९:५३ से ११:३४
रज पञ्चक – ११:३४ से १३:००
शुभ मुहूर्त – १३:०० से १४:२३
शुभ मुहूर्त – १४:२३ से १५:५७
रज पञ्चक – १५:५७ से १७:५२
शुभ मुहूर्त – १७:५२ से २०:०७
चोर पञ्चक – २०:०७ से २२:२८
शुभ मुहूर्त – २२:२८ से २४:४७
रोग पञ्चक – २४:४७ से २७:०५
शुभ मुहूर्त – २७:०५ से २९:२६
मृत्यु पञ्चक – २९:२६ से ३१:००
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आज का राशिफल
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन भी आपके धन कोष अथवा अन्य सुख के साधनों में वृद्धि करेगा। कार्य व्यवसाय में पहले से चल रही योजना फलीभूत होने से धन की आमद होगी। भविष्य के लिये भी लाभ के सौदे हाथ लगेंगे। सहकर्मियों का साथ मिलने से निश्चित कार्य समय से पूर्ण कर सकेंगे। महिलाओ को शारीरिक कमजोरी के कारण दैनिक कार्यो के अतिरिक्त घर की व्यवस्था सुधारने में परेशानी होगी। कंजूस प्रवृति के कारण घर के किसी सदस्य से मतभेद की संभावना है। आज आप अपनी गलती जानते हुए भी अपनी बात पर अडिग रहेंगे जिससे आस-पास का वातावरण कुछ समय के लिये खराब होगा। व्यवसायिक यात्रा से लाभ हो सकता है। छोटी-मोटी व्याधि को छोड़ सेहत सामान्य रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से निराश करने वाला रहेगा धन की आमद बुद्धि बल का प्रयोग करने पर ही होगी लेकिन क्रोध पर नियंत्रण ना रहने के कारण स्वयं ही अपना नुकसान कर लेंगे। बुद्धि विवेक आज प्रखर रहेगा लेकिन फिर भी धन संबंधित कार्यो में निराशा ही मिलेगी। घर के सदस्यों को छोड़ अन्य सभी लोग अपनी समस्याओं को लेकर आएंगे। अति आत्मविश्वास की भावना आज हानि करा सकती है इसका भी ध्यान रखें खास कर कर्क एवं कुम्भ राशि के लोगो से बच कर रहे अपने कार्य निकालने के लिये आपको परेशानी में डाल सकते है। जोड़ो में दर्द अथवा पेट संबंधित शिकायत हो सकती है। संध्या से परिस्थिति सुधरने लगेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आप पूर्व में कई गई अपनी ही किसी गलती को लेकर शर्मिंदा होंगे। व्यवहारिकता की कमी और अहम की भावना आपसी संबंधों में खटास लाएगी। घर को छोड़ अन्य सभी जगह दोपहर बाद से सम्मान में कमी का अनुभव करेंगे। आज किसी से भी बात करते समय हद पार ना करें अन्यथा लोगो मे आपके प्रति गलत धारणा बनेगी। कार्य व्यवसाय से लाभ की उम्मीद जागेगी लेकिन लाभ होगा जरूर लेकिन आशा से कम । लोग आपसे केवल अपना काम निकालने के लिये ही व्यवहार रखेंगे। खर्चो पर भी नियंत्रण रखें भावुकता में आवश्यकता से अधिक खर्च करेंगे बाद में आर्थिक संतुलन बिगड़ेगा। पति-पत्नी में थोड़ी बहुत कहासुनी के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। शरीर के जोड़ो में दुर्बलता महसूस करेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिये सफलता दयाक तो रहेगा लेकिन आज आप अपनी ही किसी गलती से परेशानी को न्योता देंगे। दिन के आरंभ में जिस भी कार्य की रूप रेखा बनाएंगे मध्यान बाद तक ले देकर उसे पूरा कर ही लेंगे। व्यवसाय में जटिल समस्याए किसी वरिष्ठ व्यक्ति के परामर्श से सुलझेंगी। धन की आमद निश्चित होगी इसमे थोड़ा विलंब होने पर निराश ना हो। माता अथवा चल संपत्ति संबंधित सुखों में कमी देखने को मिलेगी। शत्रु पक्ष से कहासुनी भी हो सकती है मामला गंभीर होने की जगह तुरंत शांत भी हो जाएगा। परिवार में भाई बहनों को छोड़ अन्य सभी से विचार मेल नही खाएंगे। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपका व्यक्तित्त्व निखरा हुआ रहेगा लेकिन स्वभाव में जिद और अकड़ रहने के कारण कोई भी आपसे अपने मन की बात बोलने से कतरायेगा। दिन के आरंभ में आलस्य रहेगा फिर भी मन ही मन नौकरी व्यवसाय संबंधित तिकडम लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय में पुरानी योजनाओ से धन लाभ होगा लेकिन भाग्य पक्ष कमजोर होने के कारण कुछ ना कुछ कमी अनुभव करेंगे आज नए कार्य अनुबंध भी मिलने की सम्भवना है। धन धार्मिक अथवा परोपकार के कार्यो पर खर्च होगा। घर परिवार में वातावरण असामान्य रहेगा पत्नी की उम्मीदों का हनन करना महंगा पड़ सकता है। माता से भी संबंध में चंचलता आएगी। मूत्राशय संबंधित समस्या रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आरम्भ से ही सेहत में उतार चढ़ाव लगा रहेगा इस वजह से दिनचर्या भी अस्त व्यस्त रहेगी। आप आज जहां भी जाएंगे या उठ बैठ करेंगे वही आलस्य प्रमाद फैलाएंगे। कार्य व्यवसाय को लेकर गंभीर तो रहेंगे लेकिन आर्थिक कमी के चलते विचार सिरे नही चढ़ पाएंगे। नौकरी पेशा जातक सब सुविधा मिलने पर भी प्रतिष्ठा की चाह में अथवा अन्य किसी न किसी कारण से परेशान ही रहेंगे। व्यवसायी वर्ग को धन लाभ जुगाड़ करने पर अवश्य होगा लेकिन धन को रोक नही पाएंगे अनर्गल कार्यो में खर्च हो जाएगा। परिवार में किसी पुराने आपसी विवाद अथवा शत्रु पक्ष के कारण बेचैनी का वातावरण रहेगा। कल से परिस्थिति बदलने लगेगी महत्त्वपूर्ण निर्णय आज ना लें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपका मन इधर उधर की बातों में अधिक रहेगा। एक काम करते हुए भी दिमाग अन्य जगह रहने पर कुछ त्रुटि होने की संभावना है। कार्य व्यवसाय से जितनी आशा लगाकर रहेगें उतना लाभ नही मिल पायेगा। धन की आमद होते होते किसी स्वजन परिचित की गलती से आगे के लिये टलेगी। नौकरी पेशा लोग सहकर्मियों के ऊपर अधिक निर्भर रहेंगे जाना बूझ कर अपना काम अन्य के ऊपर सरकाएँगे। भाई बंधुओ से आपसी तालमेल की कमी रहेगी आपके विचारों के उलट कार्य करने पर बहस भी हो सकती है लेकिन संतान सहयोगी बनने पर राहत मिलेगी। आरोग्य में कमी अनुभव करेंगे।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आशानुकूल रहेगा धन का खर्च विशेष रहेगा फिर भी सुख सुविधाओं में कुछ ना कुछ वृद्धि ही होगी। काम धन्धा आज ज्यादा बेहतर तो नही चलेगा फिर भी दैनिक खर्च आसानी से निकल जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर नौकरी वालो के लिये कोई नई मुसीबत बढ़ने से मानसिक तनाव में रहेंगे। घर के सदस्यों का व्यवहार स्वार्थ सिद्धि से भरा रहेगा इच्छा पूर्ति करते रहने तक ही मीठा व्यवहार करेंगे माता अथवा पति-पत्नी में व्यवहारिकता की कमी रहेगी छोटी सी बात को प्रतिष्ठा से जोड़ने पर कलह होने की संभावना है। सरकारी कार्यो में आकस्मिक लाभ होने की संभावना है। व्यसन दुराचरण से बचे मान हानि हो सकती है। सेहत संबंधित शिकायत खान पान में संयम ना रखने पर ही होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप जिस भी कार्य को करने का मन बनायेगे उसी में भ्रम की स्थित रहेगी कार्य आरंभ होने के बाद भी कोई ना कोई टांग अढायेगा लेकिन जिस भी कार्य को करें एकाग्र होकर लगे रहे विजय अवश्य मिलेगी। कार्य व्यवसाय की मध्यान तक धीमी रहेगी धन लाभ को लेकर चिंतित रहेंगे मध्यान बाद अकस्मात लाभ के सौदे मिलने से धन की आमद निश्चित होगी लेकिन तुरंत नही होगा जबरदस्ती भी ना करें अन्यथा हाथ आया भी निकल सकता है। गृहस्थ का वातावरण ठीक ठाक ही रहेगा लेकिन घरेलू सुख सुविधा संघर्ष के बाद ही जुटा पाएंगे। शत्रु पक्ष अथवा प्रतिस्पर्धियों के प्रति ढुलमुल रवैया आगे हानि का कारण बन सकता है इसका ध्यान रहे। पिता की सेहत को लेकर चिंतित रह सकते है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपको मौन रहकर बिताने की सलाह है। किसी को भी बिना मांगे सलाह भूल कर भी ना दें अन्यथा लेने के देने पड़ सकते है। घर का माहौल छोटी सी बात पर उग्र होगा खास कर पति-पत्नी के बीच झगड़ा होने के प्रबल योग है संतान अथवा अन्य अनैतिक कार्य इसका कारण बनेंगे। कार्य क्षेत्र पर जिस कार्य से लाभ की उम्मीद लगाएंगे उसी में हानि होगी इसके विपरीत जहां से कोई उम्मीद नही रहेगी वहां से खर्च चलाना पड़ेगा। संताने मनमानी करेंगी नजर बनाए रखें सार्वजनिक क्षेत्र पर सम्मान हानि भी हो सकती है। धन लाभ किसी न किसी रूप में अवश्य होगा लेकिन झंझटो के बाद ही। रक्त पित्त संबंधित शिकायत हो सकती है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपकी सोच के एकदम विपरीत रहेगा सोचेंगे कुछ होगा उसका उल्टा ही। मानसिक रूप से भी अंदर ही अंदर से जले भुने रहेंगे आवश्यकता होने पर भी अहम के कारण किसी की सहायता अथवा सलाह लेना पसंद नही करेंगे। लाभ की संभावनाए बनेगी अवश्य लेकिन आर्थिक हानि के डर से जोखिम नही लेंगे फलस्वरूप खर्च निकालने के लिये भी अन्य लोगो का मुह ताकना पड़ेगा। शत्रुओ पर पकड़ बनी रहेगी आपके आगे कोई सर नही उठायेगा फिर भी इसे अनदेखा न करें आपके संपर्क को लोभ देकर अपने पक्ष में कर सकते है सतर्क रहें वरना बाद में पछताना पड़ेगा। सेहत और गृहस्थ दोनो में उतार चढ़ाव लगे रहेंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन अनिर्णय की स्थित किसी भी कार्य को समय पर होने से रोकेगी। मेहनत करने के पक्ष में आज बिल्कुल नही रहेंगे इसके विपरीत महात्त्वकांक्षाये सामर्थ्य से अधिक रहेंगी। आलस्य प्रमाद में कार्यो को आगे के लिये टालेंगे बाद में सर पर आने पर जो भी निर्णय लेंगे अधिकांश कार्य जल्दबाजी में ही होंगे जिससे कोई न कोई भूल होगी। काम धंधा सामान्य रहने पर भी अपनी ही गलतियों के कारण जिस लाभ के अधिकारी है उससे वंचित रह जाएंगे। अविवाहितों को योग्य साथी मिलेगा लेकिन यहाँ भी असमंजस की स्थित के कारण बात बिगड़ ना जाये इसके लिये आज निर्णय ना ले तो ही बेहतर रहेगा। धन हाथ मे नही रुकेगा। सेहत के ऊपर खर्च होगा।
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कुलदेवता /देवी का पता न हो ,जानकारी न हो तो क्या करें! 

कैसे उन्हें पूजा दें ,कैसे उनकी पूजा करें 

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आज के समय में स्थान -स्थान से लोगों के स्थानांतरित होकर कहीं और बस जाने के कारण अथवा संयुक्त परिवार के विघटन या अलग शहरों में रहने की परंपरा अथवा आधुनिकता की दौड़ में मूल संस्कार भूलने की परंपरा से बहुत अधिक लोगों और परिवारों को यह तक पता नहीं है की उनके कुलदेवता या कुलदेवी कौन हैं ,| इनकी कैसे पूजा होती है यह तो बाद की बात है |ऐसे में जब यह लोग समस्याओं में घिरते हैं ,पतन को प्राप्त होते हैं ,परिवार खराब होने लगता है तब खोज शुरू होती है कारण की और तब कुलदेवता /देवी की याद आती है जो उन्हें नहीं पता होता |भारतीय परंपरा में कुलदेवता एक अहम् कड़ी होते हैं क्योंकि यहाँ साकार ईष्ट की पूजा होती है और साकार ईष्ट का मतलब है गुण विशेष की ऊर्जा /शक्ति की उपासना |इस शक्ति तक पहुँचने के लिए कुलदेवता /देवी की आवश्यकता होती है ,जबकि दुसरे धर्म और देशों में भिन्न गुणों के शक्तियों की ही परिकल्पना नहीं इसलिए वहां कुलदेवता आदि की भी मान्यता नहीं |सनातन धर्म अत्यंत विकसित रहा है जहाँ हर क्रिया के पीछे गहन विज्ञान रहा है |कुछ आधुनिकतावादी कहते हैं की पाश्चात्य देश इतने विकसित हैं जबकि वह यह सब नहीं मानते |ऐसे मूर्खों को हम कहना चाहेंगे जब वह इतने ही विकसित थे तो बार बार भारत की तरफ सदियों से उनके मुंह क्यों घुमते रहे |क्यों भारत ही सब लूटने आते रहे |कारण की भारत ही सबसे विकसित और धनवान था |यहाँ के अपने ही द्रोहियों ने अपने स्वार्थ में बार बार इस देश को लुटवाया और तथाकथित आधुनिक पाश्चात्य देश यहाँ के सनातन वैज्ञानिक सूत्रों पर ही आज आधुनिक हो गए |यहाँ के धन से ही धनवान हो गए वर्ना वे तो वहां भी आज तक नहीं पहुंचे जहाँ हम हजारों वर्ष पहले थे |

कुलदेवता /देवी .पित्र ,वैदिक ज्योतिष ,साकार ईष्ट परिकल्पना ,विभिन्न धार्मिक क्रियाएं सनातन ब्रह्मांडीय सूत्रों पर आधारित विज्ञान हैं जिन्होंने हमें वह उन्नति दी है जिससे सम्पूर्ण विश्व ईर्ष्या करता रहा है |आज फिर देश उठ रहा जबकि इसका हजारों वर्ष शोषण हुआ |इन ब्रह्मांडीय सूत्रों पर ऊर्जा का उपयोग होता है जो मनुष्य को सुखी और संतुष्ट बनाते हैं |कुलदेवता /देवी इन सूत्रों की एक कड़ी हैं जिन्हें आधुनिक लोग भूल गए |कुलदेवता /देवी की असंतुष्टि या पूजा न होने या इनके रुष्ट होने से तीन तरह के परिणाम एक साथ आते हैं जो पतन ,तबाही और कष्ट के कारण बन जाते हैं | पहला यह की आप कोई भी पूजा -अनुष्ठान -जप करें या कराएं वह आपके उस ईष्ट तक नहीं पहुँचता भले आप खुद को सांत्वना दें की पूजा ईष्ट तक पहुँच रही |कोई भी पूजा -आराधना कुलदेवता /देवी द्वारा ही ईष्ट तक पहुँचती है और यह मनुष्य तथा ईश्वर के बीच की कड़ी होते हैं |दूसरा आपके पित्र लोग स्थायी रूप से असंतुष्ट हो जाते हैं और स्थायी पित्र दोष परिवार में उत्पन्न हो जाता है क्योंकि पित्र लोग कुलदेवता /देवी को पूजते आये होते हैं ,उन्होंने इन्हें स्थान दिया होता है अतः वह असंतुष्ट हो जाते हैं |पितरों की संतुष्टि के लिए किया गया कोई कार्य सफल नहीं होता क्योंकि उन्हें जिन देवताओं के माध्यम से तृप्ति मिलती है उन तक पूजा नहीं पहुँचती | तीसरा परिणाम कुलदेवता की रुष्टता या अनुपस्थिति से यह आता है की परिवार और व्यक्तियों की सुरक्षा समाप्त हो जाती है जिससे कोई भी नकारात्मक ऊर्जा ,हानिकारक शक्ति ,तांत्रिक अभिचार ,किया -कराया ,टोना -टोटका ,बाधा आदि सीधे परिवार और लोगों को प्रभावित करने लगता है |इनसे बचाने वाली कोई शक्ति नहीं होती |भूत -प्रेत जैसी वायव्य बाधाएं बेरोकटोक घर में आ सकती हैं या प्रभावित कर सकती हैं |

कुलदेवता /देवी की अनुपस्थिति या रुष्टता से खानदान में गया श्राद्ध ,नाशिक या हरिद्वार श्राद्ध आदि की प्रक्रियाएं कर देने पर भी पित्र दोष के प्रभाव समाप्त नहीं होते |आपके ईष्ट तक आपकी पूजा नहीं पहुँचती जिससे आपके सारे पूजा -पाठ व्यर्थ जाते हैं |आपकी मुक्ति का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है |पित्र दोष की उपस्थिति वाली समस्त समस्याएं अपने आप उपस्थित होती रहती हैं चूंकि इनका सीधा सम्बन्ध पितरों से होता है ,जैसे -मानसिक अवसाद होता है ,चिंताएं घेरे रहती हैं |व्यापार में नुक्सान होता है ,सबकुछ ठीक लगने पर भी उपयुक्त आय नहीं होती |अनायास हानि हो जाती है |धोखा मिलता है |परिश्रम के अनुसार फल नहीं मिलता ,उन्नति के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं |सभी प्रकार की योग्यता ,क्षमता होने पर भी उपयुक्त उन्नति नहीं होती |वैवाहिक जीवन में समस्याएं,अथवा विवाह न होना ,विवाह बाद भी अलगाव हो जाना ,जीवनसाथी के साथ कलहपूर्ण जीवन होना |

कुलदेवता की अनुपस्थिति में अनुकूल ग्रहों की स्थिति ,गोचर ,दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते, कितना भी पूजा पाठ ,देवी ,देवताओं की अर्चना की जाए , उसका शुभ फल नहीं मिल पाता |क्योंकि देवताओं तक उपाय और पूजा नहीं पहुँचता |आय -व्यय में सदैव असंतुलन बना रहता है | मांगलिक कार्यों में बाधा आती है |बच्चों के विवाह नहीं हो पाते |उनकी उच्च शिक्षा में बाधा आती है |उनका दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं होता | अनायास के खर्चे आते हैं |दुर्घटनाएं और बीमारियाँ होती है |बिना किसी उपयुक्त कारण के गंभीर बीमारी हो जाती है या ऐसी बीमारी हो जाती है जो चिकित्सकीय रूप से बीमारी ही नहीं होती या चिकित्सक पकड नहीं पाते की समस्या कहाँ और क्या है |व्यापार /व्यवसाय में लगाया हुआ रुपया डूब जाता है |व्यवसाय बंद हो जाता है या हानि के कारण अथवा विवाद के कारण बंद करना पड़ जाता है | प्रापर्टी ,जमीन -जायदाद विवाद में फंस जाती है |अनावश्यक मुकदमे ,विवाद का सामना करना पड़ता है |

घर में घुसते ही सर भारी हो जाता है |पूजा -पाठ का कोई परिणाम भी नहीं मिलता और स्थितियां जटिल ही होती जाती हैं |अनायास और अनावश्यक कर्ज की स्थिति उत्पन्न होती है संतानें विकारयुक्त और भाग्य में पित्र दोष लिए उत्पन्न होती हैं |इस कारण खानदान पतन की ओर अग्रसर हो जाता है |कुछ पीढ़ियों बाद खानदान का नाम लेने वाला तक नहीं बचता |ऐसी संताने उत्पन्न होती हैं जो खानदान को कलंकित करती हैं ,दुर्व्यसनी ,दुर्जन होती हैं जिन्हें समाज तिरस्कृत कर देता है और जो दंड पाती हैं |अंततः विनष्ट हो जाता है परिवार अथवा बिखर जाता है |कोई बाहरी शक्तिशाली शक्ति घर में स्थायी वास बना सकती है ,किये जा रहे पूजा पाठ लेकर अपनी शक्ति बढ़ा सकती है ,फिर घर -परिवार पर मनमानी कर सकती है अथवा अपनी तृप्ति करवा सकती है |पीढ़ियों तक स्थायी हो पूरे खानदान को तबाह कर सकती है अथवा देवता का स्थान ले सकती है |

कुलदेवता का यदि पता हो तो सम्पूर्ण पूजन प्रक्रिया परम्परानुसार ही होनी चाहिए किन्तु यदि बहुत कोशिश पर भी उनका पता न लगे तो हमने अपने ३० वर्षों के अनुभव के आधार पर एक प्रक्रिया बनाई है जिसके पालन से कुलदेवता ,पित्र की संतुष्टि होती है और नकारात्मक शक्तियाँ हटती हैं |यह प्रक्रिया एक साथ तीनो क्षेत्रों में कार्य करती है चूंकि तीनो तरह की समस्याएं एक दूसरे से जुडी होती हैं |इसमें प्रथमतः कुलदेवता और देवी दोनों की स्थापना आवश्यक होती है क्योंकि यह पता नहीं होता की खानदान में कुलदेवता की परंपरा रही है या कुलदेवी की |किसी सिद्ध व्यक्ति या तांत्रिक -पंडित से इनका पता लगाना अँधेरे में तीर मारने जैसा होता है क्योंकि कुलदेवता और देवी स्थानीय परम्परानुसार स्थानिक शतियों के रूप होते हैं और कोई तांत्रिक -पंडित -जानकार सभी स्थानों की स्थानिक शक्तियों और परम्पराओं के बारे में विस्तार से नहीं जानता या नहीं बता सकता |अतः इन दोनों की ही स्थापना सबसे बेहतर विकल्प है |

हमने २० वर्षों तक कुलदेवता और देवी पर ध्यान दिया है और अधिकतर समस्या में कहीं न कहीं इनकी भूमिका पाई है |इसके लिए दो चांदी की सुपारियाँ बनवानी होती हैं जिनमे एक पर मौली या कलावे के तीन घेरे बना उन्हें कुलदेवता के रूप में स्थापित किया जाता है और दुसरे सुपारी को मौली या कलावे से पूर्ण रूप से वेष्ठित कर उन्हें कुलदेवी के रूप में स्थापित किया जाता है |तात्कालिक रूप से इनकी पूजा विधिवत कर इन्हें अपने कुलानुसार भोज्य आदि प्रदान किया जाता है और इन्हें किसी डिब्बी आदि में अगले दिन रख दिया जाता है |मूल पूजा हर नवरात्र में इनकी होती है जिसके लिए पूर्ण पूजन प्रक्रिया हमने अलग से प्रकाशित की हुई है |यह प्रक्रिया दो चरण की है जिनमे कुलदेवता /देवी की इस स्थापना के साथ एक ऐसी ऊर्जा की भी स्थापना करनी होती है जो कुलदेवता /देवी की शक्ति को भी बढाए और नकारात्मक ऊर्जा भी हटाये |इस हेतु एक डिब्बी जिसे दिव्य गुटिका कहते हैं की भी स्थापना कुछ वर्ष के लिए होती है |इस सम्पूर्ण प्रक्रिया पर कुल लगभग १० हजार रूपये का खर्च आता है जो मात्र एक बार ही होता है |इस प्रक्रिया के बाद पित्र शान्ति ,विभिन्न -पूजा -पाठ ,अभिचार मुक्ति आदि के लिए पूजा पाठ आवश्यक नहीं होते यद्यपि इच्छानुसार कोई कुछ भी करा सकता है |इस प्रक्रिया में किसी बाहरी व्यक्ति और पंडित -तांत्रिक आदि की भी कोई आवश्यकता नहीं होती 

कुलदेवता /देवी की स्थापना के साथ ही सबसे अधिक ध्यान देना होता है नकारात्मक शक्तियों उर्जाओं पर और अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों पर |इन पितरों के साथ जुडी बाहरी शक्तियों पर |चूंकि कुलदेवता /देवी की अनुपस्थिति में यह शक्तिशाली हो गए होते हैं और इन्हें कुलदेवता /देवी की स्थापना से दिक्कत होती है जबकि कुलदेवता /देवी में अभी बहुत ऊर्जा नहीं होती क्योंकि ऊनकी तो अभी स्थापना ही हुई है |उनकी ऊर्जा बढने में समय लगता है जबकि नकारात्मक शक्तियों आदि में विक्षोभ तुरंत शुरू हो जाता है अतः ऐसी शक्ति घर में उत्पन्न करनी होती है जो कुलदेवता /देवी को भी बल दे ,पित्र को संतुष्ट करें ,अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों ,बाहर से आई शक्तियों और नकारात्मक शक्तियों की ऊर्जा का ह्रास करे |

इस हेतु हमने अपने वर्षों के अनुभव के आधार पर एक दिव्य गुटिका का निर्माण किया है जो एक डिब्बी है जिसमे 25 तरह की दुर्लभ तांत्रिक वस्तुएं हैं तथा जो काली ,चामुंडा ,लक्ष्मी ,शिव ,गणेश का प्रतिनिधित्व करते हैं |सभी कुलदेवता /देवी शिव परिवार से ही सम्बन्धित होने से इस डिब्बी के पूजन से कुलदेवता /देवी को बल मिलता है |दिव्य गुटिका विशेषतः नकारात्मक ऊर्जा हटाने और उग्र दैवीय शक्तियों की ऊर्जा /शक्ति बढाने का कार्य करती है जिससे कुलदेवता /देवी की संतुष्टि होती है ,उन्हें बल मिलता है |नकारात्मक शक्तियों का ह्रास होता है |पित्र संतुष्ट होते हैं ,जो अतृप्त पित्र और बाधाएं हैं उनके दुष्प्रभाव का शमन होता है |अतः कुलदेवता /देवी की स्थापना के साथ ही डिब्बी की भी स्थापना करनी होती है |इस डिब्बी की कम से कम 5 वर्ष पूजा होनी चाहिए जब तक की कुलदेवता /देवी शक्ति न प्राप्त कर लें और पुनः अपना स्थान न ले लें |इसके बाद इसे हटाया जा सकता है ,यद्यपि इसके लाभ इतने अधिक हैं और इसका क्षेत्र इतना व्यापक है की इसे कोई जीवन भर नहीं हटाना चाहेगा |

इस डिब्बी की पूजा दैनिक होती है जबकि कुलदेवता /देवी की पूजा एक बार अभी करने के बाद मात्र नवरात्र -नवरात्र ही होगी |कुलदेवता /देवी की स्थापना पूजन गृह में नहीं होगी चूंकि इनको जलाया दीपक कन्याएं नहीं देखती जिनका विवाह कल को दुसरे कुलों और गोत्रों में होना है |अतः इन्हें अलग डिब्बी में सुरक्षित रख दिया जाता है और नवरात्र -नवरात्र निकाल इनकी पूजा की जाती है |कुलदेवता /देवी की विस्तृत पूजा पद्धति पूर्व प्रकाशित होने से हम उसे यहाँ नहीं दे रहे |जब किसी के कुलदेवता की स्थापना करानी होती है तो हम अलग से उसे भेज देते हैं अथवा लिंक दे देते हैं जो की हमने अपने ब्लाग पर प्रकाशित कर रखे हैं |इन दो प्रक्रियाओं -कुलदेवता /देवी की स्थापना और दिव्य गुटिका के पूजन से कुलदेवता /देवी की समस्या का स्थायी निदान हो जाता है और वह स्थायी रूप से परिवार से जुड़ जाते हैं |पित्र दोष समाप्त हो पित्र संतुष्टि होती है तथा सभी नकारात्मक शक्तियों ,उर्जाओं ,अभिचार ,किये कराये ,टोन टोटके से बचाव होता है |अतः जो लोग कुलदेवता /देवी को भूल चुके हैं या जिनको कुलदेवता देवी का पता न लग रहा हो वह इस प्रक्रिया को अपना अपने कुलदेवता /देवी की स्थापना कर उनकी कृपा पुनः प्राप्त कर सकते हैं |[

भारत कुछ अति बुद्धिमानों का देश रहा है जहाँ के यह अति बुद्धिमान पश्चिम की ओर देख अन्धानुकरण कर ,अपने संस्कार -संस्कृति भूल खुद को आधुनिक समझते रहे हैं तथा यह अपनों को ही पीछे ले जाते रहे हैं |ऐसे लोग ही सोने की चिड़िया की तबाही के कारण सदियों से रहे हैं |इन्हें आज भी इस लेख में भी व्यावसायिकता ही नजर आएगी भले हमारा प्रयास लोगों को कितनी ही अच्छी जानकारी देने का रहा हो |यह अति बुद्धिमान लोग मानते हैं की कोई ज्ञानी ,साधक ,जानकार आदि इंटरनेट -फेसबुक पर क्या करेगा जबकि खुद यहाँ घूमते रहेंगे |ऐसे अति बुद्धिमान ज्ञानियों को हम कहना चाहेंगे की आज किताबें लिखने जैसा ही ब्लॉग लिखना हो गया है और अधिक लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए भी यहाँ पर लोग जुड़ते हैं |जरुरी नहीं की जो लोग फेसबुक -इंटरनेट पर हैं वह साधक न हों या ज्ञानी न हों |हमारा भी प्रयास अपनी भूली परम्परा को सुधारने का है आप माने या न माने। 

पारद शिवलिंग के चमत्कारी लाभ एवं पूजा
मित्रों भगवान शिव को देवों के देव महादेव की उपाधि प्राप्त है, भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु लोग भगवान शिव के अनेकों रूपों को पूजते हैं उनमें से ही एक पारद शिवलिंग का भी नाम आता है यह पारे से बना होता है और यह एक धातु है, पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भगवान शिव के आशीर्वाद से धन धान्य में वृद्धि होती है, सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यापार में वृद्धि एवं है प्रकार से उन्नति होती हैं।

मित्रों जैसा की मैने कहा की भगवान शिव के पारद शिवलिंग की पूजा करने से अनेकों लाभ मिलते हैं लेकिन यह तब ही संभव है जब आप उसकी विधि विधान के साथ पूजा करें।

पारद शिवलिंग के पूजा करने के फायदे —

पारद शिवलिंग के पूजा करने के अनेकों फायदे हैं चलिए उन सभी फायदों के बारे में जानते हैं —

पारद शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति और परिवार में सुख शांति बनी रहती है।

नवग्रहों के अनिष्ट प्रभाव के भय से मुक्ति हेतु भी पारद शिवलिंग की पूजा की जाती है।

पारद शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करने पर संतान हीन दंपत्ति को संतान की प्राप्ति हो जाती है।

पारद शिवलिंग की पूजा आराधना से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है ।

पारद शिवलिंग की पूजा आराधना करने से स्वास्थ्य लाभ, धन धान्य में वृद्धि, मान प्रतिष्ठा एवं पद प्रतिष्ठा, सुख आदि की प्राप्ति होती है ।

12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा करने से जितना पुण्य मिलता है उतना पुण्य पारद शिवलिंग को मात्र दर्शन करने से ही मिल जाता है रावण रसायन शास्त्र का विद्वान था इसलिए उसने पारद शिवलिंग की पूजा कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था ।

शिव पुराण के अनुसार जो लोग पारद शिवलिंग की पूजा आराधना करते हैं उनके घर में माता लक्ष्मी, कुबेर एवं महादेव का वास होता है ।

पारद शिवलिंग को घर में रखने से माता सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिससे बुद्धि में विकास और ज्ञान में वृद्धि होती है ।

पारद शिवलिंग की पूजा करने से सभी बीमारियों में लाभ होता है ।

घर में पारद शिवलिंग की पूजा करने के विधि विधान —

पारद शिवलिंग को सफेद कपड़े के ऊपर रखना चाहिए और पूर्व दिशा की और खड़े होकर पूजा सामग्री (गंगाजल, जल, चावल, दुध, रोली, मोली, हल्दी और चंदन रख लें )

इसके पश्चात पारद शिवलिंग के दाहिने तरफ दीपक जला लें इसके बाद थोड़ा जल ले लें और नीचे दिए गए मंत्र का 3 बार उच्चारण करें और जल को पी लें ।

प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:
दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:
तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:
चौथी बार ॐशिवाय नम:

इतना करने के बाद हाथ में फूल और चावल लेकर भगवान शिव का स्मरण करें और ॐ नम: शिवाय को 5 बार बोलें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें इसके पश्चात भगवान शिव के मंत्र ॐ नम: शिवाय का निरंतर उच्चारण करें ।

अब हाथ में फूल और चावल लेकर ॐ पर्वत्ये नम: मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का स्मरण करें एवं फूल और चावल पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का लगातार उच्चारण करें ।

अब मोली और बने को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें एवं हल्दी और चंदन का तिलक लगाएं और चावल, फूल चढ़ा दें अब प्रसाद को मीठे के रूप में भोग लगाएं इसके साथ ही भांग, धतूरा और बेलपत्र चढ़ा दें । इस प्रकार पारद शिवलिंग की पूजा करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है ।