आज का पंचाग आपका राशि फल, प्रसिद्धि की कामना है तो पराक्रम एवं पुरूषार्थ करें, गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक सर्वविषनाशक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जीवन परिचय, दो हजार के नोट हैं तो 30 सितम्बर तक बदल लो नहीं बनेंगे कूड़ा, उत्तराखंड सरकार ने दस लोगों को बाटें दायित्व

अति महत्वपूर्ण सूचना *2000 के नोट बदलने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2023 है।*

*जिन लोगों के अभी तक 2000 के नोट नहीं बदल पाए हैं उनके लिए केवल एक सप्ताह का समय बचा है इसके बाद 2000 का नोट लीगल टेंडर नहीं रहेगा।**अति महत्वपूर्ण सूचना*

*2000 के नोट बदलने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2023 है। डर की वजह से इधर उधर न फेकें न ही नष्ट करें बल्कि ग़रीबों को दान करें*

*जिन लोगों के अभी तक 2000 के नोट नहीं बदल पाए हैं उनके लिए केवल दो का समय बचा है इसके बाद 2000 का नोट लीगल टेंडर नहीं रहेगा।*

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻बुधवार, २७ सितम्बर २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:२१

सूर्यास्त: 🌅 ०६:१६

चन्द्रोदय: 🌝 १७:०३

चन्द्रास्त: 🌜०४:३६

अयन 🌖 दक्षिणायणे (दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🏔️ शरद

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 भाद्रपद 

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 त्रयोदशी (२२:१८ से चतुर्दशी)

नक्षत्र 👉 धनिष्ठा (०७:१० से शतभिषा, ०४:२९ से पूर्वाभाद्रपद)

योग 👉 धृति (०७:५४ से शूल)

प्रथम करण 👉 कौलव (१२:०३ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२२:१८ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कन्या 

चंद्र 🌟 कुम्भ 

मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 सिंह (उदित, पश्चिम, वक्री)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, वक्री)

शुक्र 🌟 कर्क (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌❌❌

अमृत काल 👉 २२:०५ से २३:३१

रवियोग 👉 ०७:१० से १९:०७

विजय मुहूर्त 👉 १४:०८ से १४:५६

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:०८ से १८:३२

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:०८ से १९:२०

निशिता मुहूर्त 👉 २३:४४ से ००:३२

ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:३२ से ०५:२०

प्रातः सन्ध्या 👉 ०४:५६ से ०६:०८

राहुकाल 👉 १२:०८ से १३:३८

राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०७:३८ से ०९:०८

होमाहुति 👉 शनि (०७:१० से चन्द्र)

दिशाशूल 👉 उत्तर

नक्षत्र शूल 👉 दक्षिण (०४:२९ से)

अग्निवास 👉 पाताल (२२:१८ से पृथ्वी)

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 नन्दी पर (२२:१८ से भोजन में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – लाभ २ – अमृत

३ – काल ४ – शुभ

५ – रोग ६ – उद्वेग

७ – चर ८ – लाभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – उद्वेग २ – शुभ

३ – अमृत ४ – चर

५ – रोग ६ – काल

७ – लाभ ८ – उद्वेग

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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प्रदोष व्रत, विवाहादि मुहूर्त हिमाचल-कश्मीर-हरियाणा-पंजाब आदि प्रांतो के लिये कन्या लग्न (प्रातः ०६:२० से प्रातः ०७:१०) तक, वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त प्रातः १०:४७ से दोपहर १२:१७ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०७:१० तक जन्मे शिशुओ का नाम धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गे) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय तृतीय, एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गो, सा, सि, सू) नामक्षर से तथा इसके बाद ०४:२९ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (से) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कन्या – ०५:२७ से ०७:४५

तुला – ०७:४५ से १०:०६

वृश्चिक – १०:०६ से १२:२५

धनु – १२:२५ से १४:२९

मकर – १४:२९ से १६:१०

कुम्भ – १६:१० से १७:३६

मीन – १७:३६ से १८:५९

मेष – १८:५९ से २०:३३

वृषभ – २०:३३ से २२:२८

मिथुन – २२:२८ से ००:४३

कर्क – ००:४३ से ०३:०४

सिंह – ०३:०४ से ०५:२३

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पञ्चक रहित मुहूर्त

मृत्यु पञ्चक – ०६:०८ से ०७:१०

अग्नि पञ्चक – ०७:१० से ०७:४५

शुभ मुहूर्त – ०७:४५ से १०:०६

रज पञ्चक – १०:०६ से १२:२५

शुभ मुहूर्त – १२:२५ से १४:२९

चोर पञ्चक – १४:२९ से १६:१०

शुभ मुहूर्त – १६:१० से १७:३६

रोग पञ्चक – १७:३६ से १८:५९

चोर पञ्चक – १८:५९ से २०:३३

शुभ मुहूर्त – २०:३३ से २२:१८

रोग पञ्चक – २२:१८ से २२:२८

शुभ मुहूर्त – २२:२८ से ००:४३

मृत्यु पञ्चक – ००:४३ से ०३:०४

मृत्यु पञ्चक – ०३:०४ से ०४:२९

अग्नि पञ्चक – ०४:२९ से ०५:२३

शुभ मुहूर्त – ०५:२३ से ०६:०८

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन अधिकांश समय लापरवाही करेंगे। प्रातः काल यात्रा की योजना बनेगी लेकिन अकस्मात अन्य कार्य आने से निरस्त हो सकती है। आज आप अपनी कामनाओ को त्याग परिजनों की आवश्यकता पूर्ति पर अधिक ध्यान दें अन्यथा क्लेश हो सकता है। मेहनत इच्छाओं की तुलना में कम करेंगे ध्यान रहे आज की मेहनत कल किसी ना किसी प्रकार से वृद्धि कारक बनेगी। कार्य क्षेत्र पर ज्यादातर कार्य बिना बौद्विक श्रम किये सम्पन्न होंगे। जल्दबाजी में किसी से धन संबंधित वादे ना करें उधार आज भूल कर भी ना दें अन्यथा निश्चित ही डूबेगा।

सेहत में ताजगी बनी रहेगी। लोभ से बचें समय स्वतः ही लाभदायक बना है।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज परिस्थितिया संध्या तक विषम रहेंगी इसके बाद ही थोड़ी राहत अनुभव करेंगे। दिन का आरंभ बेचैनी भरा रहेगा हानि का भय रहने से जल्दी किसी कार्य को करने का मन नही करेगा। घर मे भी कुछ ना कुछ समस्या बनी रहेगी। कार्य व्यवसाय में आज जोखिम लेने से बचें संतोषी वृति अपनाए बड़ी हानि से बचेंगे। सहकर्मी सामने से हितैषी बनेंगे लेकिन पीछे से गड़बड़ कर सकते है। धन की आमाद सामान्य रहेगी फिर भी उधारी के कारण हाथ मे रुकेगा नही। ज्यादा भगदौड़ करने से बचें कल से परिस्थिति अनुकूल बनने लगेगी। परिवार रिश्तेदारी में अकस्मात दुखद घटना घटित होने की सम्भवना है। सेहत में नरमी रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपमे धार्मिक भावनाओं का उदय होगा। दैनिक कार्यो से समय निकाल पूजा पाठ धार्मिक यात्रा के लिये उपस्थित रहेंगे। परोपकार की भावना भी रहेगी लेकिन जहां स्वार्थ दिखेगा वही दिखावे के लिये दान पुण्य करेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज ज्यादा व्यवसाय नही रहेगा लेदेकर लाभ कमाने की नीति अपनाएंगे इससे लाभ तो तुरंत हो जाएगा लेकिन बाद में अफसोस भी होगा। सहकर्मियों अथवा किसी बाहरी व्यक्ति से नोक झोंक होगी व्यर्थ के विवादों से बचें अन्यथा अपने हित साधने भारी पड़ेंगे। घर मे आंशिक शांति रहेगी कुछ काम बताने पर परिजन उग्र होंगे। सेहत में आज स्थिरता रहेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आपको स्वास्थ्य एवं अन्य घरेलू समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। दिन के आरंभिक और अंतिम भाग को छोड़ शेष में मानसिक उलझने लगी रहेंगी। नौकरी अथवा व्यवसाय में भी सफलता हाथ आते आते निकल जायेगी। आज जिस कार्य को करने से दूर भागेंगे परिस्थितिवश उसी को करना पडेगा। धन प्राप्ति के लिये किसी की खुशामद भी करनी पड़ेगी उसके बाद भी परिणाम आशाजनक नही मिलेंगे। संध्या बाद से उलझनों में कमी आने लगेगी महत्त्वपूर्ण कार्य कल तक कि लिये टालने के प्रयास करें। परिवार में एक दूसरे का सहयोग करने से ही तालमेल बन सकता है। कठोर वाणी एवं यात्रा से भी बचें। 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन उठा पटक वाला रहेगा आज आप जिस कार्य से लाभ की उम्मीद लगाए रहेंगे उसे छोड़ कोई अन्य काम लाभ दिलाएगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय ना लें वरना हाथ लगे लाभ से वंचित रह जाएंगे। व्यवसायी वर्ग कुछ समय के लिये निराशा में आकर घाटे में सौदे करने का विचार बनाएंगे लेकिन थोड़ा धैर्य रखें संध्या के समय स्थिति बदलने पर ज्यादा लाभ मिल सकता है। महिलाओं के विचार पल पल में बदलेंगे जिससे कार्य सफलता संदिग्ध रहेगी। नौकरी वाले लोगो को परिश्रम का फल किसी ना किसी रूप में अवश्य मिलेगा। सेहत कुछ समय के लिये गड़बड़ होगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन मिला-जुला फल देगा कभी प्रसन्न तो कभी उत्साहहीनता बनेगी। व्यवसायी वर्ग आज प्रातः काल से ही धन की उगाही को लेकर चिंतित रहेंगे जोर जबरदस्ती से बचें अन्यथा नई समस्या बन सकती है। कार्य व्यवसाय में आज मंदी का सामना करना पड़ेगा पूर्व नियोजित कार्योंसे ही अल्प धन लाभ होगा। कार्य विस्तार की योजना फिलहाल स्थगित करें निवेश करने से भी बचें आगे हानि के योग बन रहे है। परिवार में किसी के उद्दंड व्यवहार के कारण शांत वातावरण अचानक खराब होगा परिजनों में धर्य की कमी रहेगी विवेकी व्यवहार अपनाए। सेहत संध्या बाद खराब हो सकती है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन भले बुरे का ज्ञान होने के बाद भी आप अपने असंतोषी आचरण से खराब करेंगे। परिस्थितियां अधिकांश समय आपके निर्णय के विपरीत रहेंगी। अपने काम निकालने की कला से आवश्यकता अनुसार लाभ बना लेंगे लेकिन आज किसी भी प्रकार का सुख आपको संतोष नही दे सकेगा। कार्य व्यवसाय की उलझनों के कारण मानसिक रूप से चिड़चिड़े रहेंगे किसी की गलती का गुस्सा अन्य के ऊपर उठाने पर सम्मान में कमी आएगी। आज आपकी प्रवृति बैठकर कार्य करने की रहेगी लेकिन धन लाभ चाहते हैं तो अधिक परिश्रम करना ही पड़ेगा तभी कल से इसका लाभ उठा सकेंगे। पुरानी बात याद आने पर मानसिक रूप से अशान्त और ग्लानि अनुभव करेंगे।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आपका व्यवहार उद्दंड रहेगा। स्वभाव में भी कुछ कठोरता एवं रूखापन आपसी संबंधों को तो खराब करेगा ही साथ मे धन संबंधित उलझने भी बढ़ाएगा। जो व्यक्ति आपकी सहायता के लिये पहले तैयार था वह अचानक पीठ दिखायेगा। कार्य क्षेत्र अपर भी धन का अभाव महत्त्वपूर्ण कर्यो को अधूरा रखेगा। उधारी वालो से अतिरिक्त परेशानी होगी। आज आपका मन सरल एवं सात्विक कार्यो को छोड़ अनर्गल प्रवृतियों की तरफ जल्दी आकर्षित हो जाएगा। नौकरी वाले लोग छोटी सी बात पर सहकर्मी अथवा अन्य व्यक्ति से भिड़ेंगे व्यवहार में नरमी लाये अन्यथा मान हानि के प्रबल योग बन रहे है। स्वास्थ्य में कुछ ना कुछ विकार लगा रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन व्यर्थ के कार्यो में समय नष्ट होगा जिससे अपने मूल उद्देश्य से भटक जाएंगे। आज घर के बुजुर्ग अथवा वरिष्ठ नागरिको को सलाह की अनदेखी ना करें वरना बाद में पछताना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय में उतार चढ़ाव आएगा लेकिन फिर भी भाग्य का साथ मिलने से अन्य प्रतिद्वंदियों की तुलना में ज्यादा लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन ध्यान रहे प्रलोभन के चक्कर मे ये हाथ से निकल भी सकते है। सहकर्मी स्वार्थ सिद्धि के लिये मीठा व्यवहार करेंगे पूर्ति होने के बाद व्यवहार बदल जायेगा देख कर ही किसी की मदद करें। परिवार के सदस्य आपकी टालमटोल वाली नीति से नाराज होंगे। सर दर्द अथवा मासपेशियो में अकड़न रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा जो लोग आपसे नजदीकी बनाये हुए है वो आपकी बेतुकी बातो से दूरी बना सकते है। आज दिनचर्या को सामान्य रखने के लिये विवेकी व्यवहार की अधिक आवश्यकता है विशेष कर विपरीत लिंगीय से बात करते समय अधिक सावधान रहें लोग आपकी गलतियां पकड़ेंगे जिनका प्रयोग समय आने पर कर आपकी परेशानि में डालेंगे। धन लाभ की संभावना दिन भर लगी रहेगी परन्तु प्राप्ति के समय अचानक कुछ ना कुछ बाधा आएगी। खर्च की तुलना में धन की आमद कम ही रहेगी। परिजनों से सलाह लेकर ही कोई बड़ा काम करें। शारीरिक कमजोरी अनुभव होगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन शुभ प्रसंग बनने से उत्साहित रहेंगे लेकिन आज अपने काम से काम रखें कही सुनी बातो पर ध्यान दिया तो किसी ना किसी से गरमा गरमी अवश्य होगी। आज पुरुषार्थ में कमी रहने पर भी धन लाभ के अवसर सुलभ होंगे लेकिन आपके प्रयास अनैतिक रूप से धन कमाने के अधिक रहेंगे मार्ग चाहे कोई भी हो लाभ अवश्य देकर जायेगा भले बाद में समस्या ही लाये। नौकरी वाले लोग अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें छोटी भूल भी माफी के लायक नही रहेगी। मध्यान के बाद भाग दौड़ करनी पड़ेगी लेकिन परिणाम विपरीत ही रहेंगे। संध्या का समय आनंद मनोरंजन में बिताना पसंद करेंगे। घर में थोड़ी बहुत कहा सुनी होगी। 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपको परिश्रम का फल ना मिलने से गुस्सा आएगा। दिन का प्रथम हिस्सा तो शांति से व्यतीत करेंगे लेकिन इसके बाद कि दिनचार्य व्यर्थ की भागदौड़ वाली रहेगी। अनचाहे कार्यो में समय खराब होगा। आज मन मे अहम की भावना रहने के कारण किसी का मार्गदर्शन भी नही लेंगे। कार्य व्यवसाय से जब भी धन लाभ की संभावना बनेगी तभी कुछ ना कुछ व्यवधान आएगा। उधार के व्यावहार आज सीमित रखें अन्यथा धन संबंधित उलझनों में पढ़ेंगे। परिवार में भी किसी से आर्थिक कारणों को लेकर खींच तान संभव है महिलाए आवश्यकता पड़ने पर ही बोलें। रक्त पित्त दोष सेहत को प्रभावित करेगा।

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🙏राधे राधे🙏

गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है।

* सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है।

* वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।

* देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु होते हैं।

* रूस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं।

* एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।

* विश्व की सबसे बड़ी गौशाला पथमेड़ा, राजस्थान में है।

* गौवंशीय पशु अधिनियम 1995 के अंतर्गत 10 वर्ष तक का कारावास और 10,000 रुपए तक का जुर्माना है।

* एक समय वह भी था, जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था। इसका कारण केवल गाय थी।

* भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन थे। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था।

* किंतु हरित क्रांति के नाम पर सन् 1960 से 1985 तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को लगभग नष्ट कर दिया गया। अब खेत उर्वर नहीं रहे। अब खेतों से कैंसर जैसी ‍बीमारियों की उत्पत्ति होती है। 

* हरित क्रांति से पहले खेतों को गाय के गोबर में गौमूत्र, नीम, धतूरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जाता था।

* पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है।

* पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है।

* पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है।

* पंचगव्य से गुजरात के बलसाड़ नामक स्थान के निकट कैंसर अस्पताल में 3 हजार से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज हो चुका है।

*पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से पेटेंट भारत ने प्राप्त किए हैं। 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों पर प्राप्त किए जा चुके हैं।

– उपरोक्त और निम्न सभी पत्रिका ‘गवाक्ष भारती’, धर्मपाल की ‘भारत में गौरक्षा…’ और ‘गौ की महिमा’ पुस्तिका से साभार उद्धृत….

अगले पन्ने पर धार्मिक तथ्य…

* हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। कोटि का अर्थ करोड़ नहीं, प्रकार होता है। इसका मतलब गाय में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं।

* शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार कुछ पशु-पक्षी ऐसे हैं, जो आत्मा की विकास यात्रा के अंतिम पड़ाव पर होते हैं। उनमें से गाय भी एक है। इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है।

* कत्लखाने जा रही गाय को छुड़ाकर उसके पालन-पोषण की व्यवस्था करने पर मनुष्य को गौयज्ञ का फल मिलता है।

* भगवान शिव के प्रिय पत्र ‘बिल्वपत्र’ की उत्पत्ति गाय के गोबर में से ही हुई थी।

* ऋग्वेद ने गाय को अघन्या कहा है। यजुर्वेद कहता है कि गौ अनुपमेय है। अथर्ववेद में गाय को संपतियों का घर कहा गया है। 

* इस देश में लोगों की बोलियां खाने पीने के तरीके अलग हैं पर पृथ्वी की तरह ही सीधी साधी गाय भी बिना विरोध के मनुष्य को सब देती है।

* पौराणिक मान्यताओं व श्रुतियों के अनुसार, गौएं साक्षात विष्णु रूप है, गौएं सर्व वेदमयी और वेद गौमय है। भगवान श्रीकृष्ण को सारा ज्ञानकोष गोचरण से ही प्राप्त हुआ। 

* भगवान राम के पूर्वज महाराजा दिलीप नन्दिनी गाय की पूजा करते थे। 

* गणेश भगवान का सिर कटने पर शिवजी कर एक गाय दान करने का दंड रखा गया था और वहीं पार्वती को देनी पड़ी। 

* भगवान भोलेनाथ का वाहन नन्दी दक्षिण भारत की आंगोल नस्ल का सांड था। जैन आदि तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का चिह्न बैल था।

* गरुढ़ पुराण अनुसार वैतरणी पार करने के लिए गोदान का महत्व बताया गया है।

* श्राद्ध कर्म में भी गाय के दूध की खीर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसी खीर से पितरों की ज्यादा से ज्यादा तृप्ति होती है। 

गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-

1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने वाला है।

2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।

3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।

4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती है।

5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।

6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।

अगले पन्ने पर गाय की नस्लें…

आज से लगभग 9,500 वर्ष पूर्व गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया और उन्होंने गाय की नई प्रजातियों को भी बनाया, तब गाय की 8 या 10 नस्लें ही थीं जिनका नाम कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी, भौमा आदि था।

वर्तमान में गायों की प्रमुख नस्लें : भारत में आजकल गाय की प्रमुख 30 नस्लें पाई जाती हैं। गायों की यूं तो कई नस्लें होती हैं, लेकिन भारत में मुख्‍यत: साहीवाल (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार), गिर (दक्षिण काठियावाड़), थारपारकर (जोधपुर, जैसलमेर, कच्छ), करन फ्राइ (राजस्थान), सिंधी (सिंध का कोहिस्तान, बलूचिस्तान), कांकरेज (कच्छ की छोटी खाड़ी से दक्षिण-पूर्व का भू-भाग), मालवी (मध्यप्रदेश, ग्वालियर), नागौरी (जोधपुर के आसपास), पंवार (पीलीभीत, पूरनपुर तहसील और खीरी), भगनाड़ी (नाड़ी नदी का तटवर्ती प्रदेश), दज्जल (पंजाब के डेरा गाजी खां जिला), गावलाव (सतपुड़ा की तराई, वर्धा, छिंदवाड़ा, नागपुर, सिवनी तथा बहियर), हरियाणा (रोहतक, हिसार, सिरसा, करनाल, गुडगांव और जींद), अंगोल या नीलोर (तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुंटूर, नीलोर, बपटतला तथा सदनपल्ली), निमाड़ी (नर्मदा घाटी), देवनी (दक्षिण आंध्रप्रदेश, हिंसोल) आदि है। 

अन्य गाएं : राठ अलवर की गाएं और अमृतमहल, हल्लीकर, बरगूर, बालमबादी नस्लें मैसूर की वत्सप्रधान, एकांगी गाएं हैं। कंगायम और कृष्णवल्ली दूध देने वाली हैं। विदेशी नस्लों में जर्सी गाय सर्वाधिक लोकप्रिय है। यह गाय दूध भी ‍अधिक देती है। गाय कई रंगों जैसे सफेद, काली, लाल, बादामी तथा चितकबरी होती है। भारतीय गाय छोटी होती है, जबकि विदेशी गाय का शरीर थोड़ा भारी होता है

गाय पर महापुरुषों की बानी…

* स्कंद पुराण के अनुसार ‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय हैं।’

* भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवद्भीता में कहा है- ‘धेनुनामस्मि कामधेनु’ अर्थात मैं गायों में कामधेनु हूं।

* ईसा मसीह ने कहा था- एक गाय बैल को मारना एक मनुष्य को मारने के समान है।

* श्रीराम ने वन गमन से पूर्व किसी त्रिजट नामक ब्राह्मण को गाय दान की थी।

* गुरु गोविंदसिंहजी ने कहा, ‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटाऊं।’

* बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि ‘चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ न उठाओ’। 

* प्रसिद्ध मुस्लिम संत रसखान की इच्छा थी कि यदि पशु के रूप में मेरा जन्म हो तो मैं बाबा नंद की गायों के बीच में जन्म लूं।

* पं. मदनमोहन मालवीय की अंतिम इच्छा थी कि भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने।

* पंडित मदनमोहन मालवीय का कथन था कि यदि हम गायों की रक्षा करेंगे तो गाएं हमारी रक्षा करेंगी।

* महर्षि अरविंद ने कहा था कि गौ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है। इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है।

* मुस्लिम कवि रसखान ने कहा- ‘जो पशु हों तो कहा बसु मेरो, चरों नित नंद की धेनु मंझारन।’

* महात्मा नामदेव ने दिल्ली के बादशाह के आह्नवान पर मृत गाय को जीवनदान दिया। 

* भगवान बुद्ध को गाय के पास उस क्षेत्र के सरदार की बेटी सुजाता द्वारा गायों के दूध की खीर खानें पर तुरन्त ज्ञान और मुक्ति का मार्ग मिला। बुद्ध गायों को मनुष्य की परम मित्र कहते हैं। 

* जैन आगमों में कामधेनु को स्वर्ग की गाय कहा गया है और प्राणिमात्र को अवध्या माना है। भगवान महावीर के अनुसार गौ रक्षा बिना मानव रक्षा संभव नहीं। 

* स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते है कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।

* गांधीजी ने कहा है कि गोवंश की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना है, भारत की सुख- समृद्धि गाय के साथ जुड़ी हुई है। गाय प्रसन्नता और उन्नति की जननी है, गाय कई प्रकार से अपनी जननी से भी श्रेष्ठ है।

गाय के गोबर से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य…

बायोगैस, गोबर गैस : गैस और बिजली संकट के दौर में गांवों में आजकल गोबर गैस प्लांट लगाए जाने का प्रचलन चल पड़ा है। पेट्रोल, डीजल, कोयला व गैस तो सब प्राकृतिक स्रोत हैं, किंतु यह बायोगैस तो कभी न समाप्त होने वाला स्रोत है। जब तक गौवंश है, अब तक हमें यह ऊर्जा मिलती रहेगी।

प्लांट के पर्यावरणीय फायदे : एक प्लांट से करीब 7 करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है जिससे करीब साढ़े 3 करोड़ पेड़ों को जीवनदान दिया जा सकता है। साथ ही करीब 3 करोड़ टन उत्सर्जित कार्बन डाई ऑक्साइड को भी रोका जा सकता है।

हाल ही में कानपुर की एक गौशाला ने एक ऐसा सीएफएल बल्ब बनाया है, जो बैटरी से चलता है। इस बैटरी को चार्ज करने के लिए गौमूत्र की आवश्यकता पड़ती है। आधा लीटर गौमूत्र से 28 घंटे तक सीएफएल जलता रहेगा। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। 

* गोबर गैस संयंत्र में गैस प्राप्ति के बाद बचे पदार्थ का उपयोग खेती के लिए जैविक खाद बनाने में किया जाता है?

* खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था। इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है।

* वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। आम मान्यता है कि गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है।

* गाय के सींग गाय के रक्षा कवच होते हैं। गाय को इसके द्वारा सीधे तौर पर प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है। यह एक प्रकार से गाय को ईश्वर द्वारा प्रदत्त एंटीना उपकरण है। गाय की मृत्यु के 45 साल बाद तक भी ये सुरक्षित बने रहते हैं। गाय की मृत्यु के बाद उसके सींग का उपयोग श्रेष्ठ गुणवत्ता की खाद बनाने के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है।

* गौमूत्र और गोबर फसलों के लिए बहुत उपयोगी कीटनाशक सिद्ध हुए हैं। कीटनाशक के रूप में गोबर और गौमूत्र के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान केंद्र खोले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों के बिना खेतिहर उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता है। इसके बैक्टीरिया अन्य कई जटिल रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। गौमूत्र अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है।

* कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वतः खाद डलती जाती है। 

* प्रकृति के 99% कीट प्रणाली के लिए लाभदायक हैं। गौमूत्र या खमीर हुए छाछ से बने कीटनाशक इन सहायक कीटों को प्रभावित नहीं करते। एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्र 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से बचा सकता है। केवल 40 करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में 84 लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है।

* गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है। प्राचीनकाल में मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता था। यह गोबर जहां दीवारों को मजबूत बनाता था वहीं यह घरों पर परजीवियों, मच्छर और कीटाणुओं के हमले भी रोकता था। आज भी गांवों में गाय के गोबर का प्रयोग चूल्हे बनाने, आंगन लीपने एवं मंगल कार्यों में लिया जाता है।

गाय के दूध से जुड़े वैज्ञानिक तथ्‍य…

गाय का दूध :

* गाय का दूध पीने से शक्ति का संचार होता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

* हाथ-पांव में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने पर आराम मिलेगा। 

* गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। 

* गाय का दूध फैटरहित, परंतु शक्तिशाली होता है। उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग आदि में लाभ होता है।

* गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुएं से प्रदूषणजनित रोगों से बचा जा सकता है।

* गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेक बीमारियों से दूर रखता है। 

* सफेद रंग की गाय का दूध पाचक होता है, जो शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाता है।

* चितकबरी गाय का दूध पित्त बढ़ाता है, जो शरीर को चंचल बनाता है।

* काले रंग की गाय का दूध मीठा होता है, जो गैस के रोगों को दूर करता है।

* लाल रंग की गाय का दूध रक्त बढ़ाता है, जो शरीर को स्फूर्ति वाला बनाता है।

* पीले रंग की गाय का दूध पित्त को संतुलित करता है, जो शरीर को ओजपूर्ण बनाता है।

* गाय के दूध में कैल्शियम 200 प्रतिशत, फॉस्फोरस 150 प्रतिशत, लौह 20 प्रतिशत, गंधक 50 प्रतिशत, पोटैशियम 50 प्रतिशत, सोडियम 10 प्रतिशत पाए जाते हैं।

* गाय के दूध में विटामिन C 2प्रतिशत, विटामिन A (आईक्यू) 174 और विटामिन D 5 होता है।

अगले पन्ने पर गाय के घी के चमत्कारिक  लाभ 

गाय का घी : 

* ऐसी मान्यता है कि काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।

* घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने की प्रथा प्रचलित है।

* गाय का घी नाक में डालने से बाल झड़ना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते हैं।

* गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।

* देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।

* दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह-शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है।

* दो बूंद देसी गाय का घी आंखों में डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।

अगले पन्ने पर गौमूत्र से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य…

गौमूत्र : गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों की लिस्ट में शामिल किया गया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं। यदि आप गौमूत्र का सेवन कर रहे हैं तो प्लीहा और यकृत के रोग नष्ट कर रहे हैं।

* गौमूत्र कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी जड़ से दूर कर सकता है। गौमू‍त्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लिवर 4 भागों में बंटा होता है। इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है। गौमूत्र का ‍खाली पेट प्रतिदिन निश्‍चित मात्रा में सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो जाता है।

* गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है। दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है।

* गौमूत्र में प्रति-ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार भी संभव है।

* गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, कॉपर, लौह तत्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फॉस्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सियम, विटामिन ए, बी, डी, ई, एंजाइम, लैक्टोज, सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्रॉक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं। यूरिया मूत्रल, कीटाणुनाशक है। पोटैशियम क्षुधावर्धक, रक्तचाप नियामक है। सोडियम द्रव मात्रा एवं तंत्रिका शक्ति का नियमन करता है। मैग्नीशियम एवं कैल्सियम हृदयगति का नियमन करते हैं।

दही के बारे में रोचक तथ्य…

कहते हैं-

जो खाए चना वो रहे बना 

जो पीवै दही, वह रहे सही

* दही हमारे पाचन तंत्र को सेहतमंद बनाए रखने में बहुत ही कारगर सिद्ध होता है। रात में दही नहीं खाते हैं।

* दही में सुपाच्य प्रोटीन एवं लाभकारी जीवाणु होते हैं, जो क्षुधा को बढ़ाने में सहायता करते हैं। 

* दही का स्वास्थ्य के साथ-साथ सौंदर्य निखारने में भी महत्वपूर्ण स्थान है। चेहरे की त्वचा और बालों पर दही लगाने से लाभ मिलता है। 

* दही चेहरे, गर्दन व बाजू आदि के सौंदर्य को तो निखारता ही है, साथ ही यह बालों को पोषण देने में भी बहुत सहायक है। 

* दही के नियमित सेवन से आंतों के रोग और पेट की बीमारियां नहीं होती हैं तथा कई प्रकार के विटामिन बनने लगते हैं। दही में जो बैक्टीरिया होते हैं, वे लैक्टोज बैक्टीरिया उत्पन्न करते हैं।

* दही में हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दों की बीमारियों को रोकने की अद्भुत क्षमता है। यह हमारे रक्त में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल नामक घातक पदार्थ को बढ़ने से रोकता है जिससे वह नसों में जमकर ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित न करे और हार्ट बीट सही बनी रहे।

* दही में कैल्शियम की मात्रा काफी पाई जाती है, जो हमारे शरीर में हड्डियों का विकास करती है। दांतों एवं नाखूनों की मजबूती एवं मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने में भी सहायता करती है। 

* दही के सेवन से शरीर की फालतू चर्बी कम करने में सहायता मिलती है।

* नींद न आने से परेशान रहने वाले लोगों को दही व छाछ का सेवन करना चाहिए।

* दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है। मुंहासे दूर होते हैं।

* दही में शहद मिलाकर चटाने से छोटे बच्चों के दांत आसानी से निकलते हैं।

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छाछ या मट्ठा के फायदे : 

* छाछ पीने से पेट की गर्मी हट जाती है और पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है।

* नींद न आने से परेशान रहने वाले लोगों को दही व छाछ का सेवन करना चाहिए।

* छाछ में हेल्‍दी बैक्‍टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, साथ ही लैक्‍टोज शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप तुरंत ऊर्जावान हो जाते हैं।

* अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर छाछ पीएं।

* पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पीएं।

* जिन लोगों को खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है, उन्हें रोजाना छाछ में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। 

* यदि आप डाइट पर हैं तो रोज एक गिलास मट्ठा पीना न भूलें। यह लो कैलोरी और फैट में कम होता है।

* बटर मिल्‍क में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाए जाते हैं, जो कि शरीर के पोषण की जरूरत को पूरा करता है।

* यह स्वस्थ पोषक तत्वों जैसे लोहा, जस्ता, फॉस्फोरस और पोटैशियम से भरा होता है, जो कि शरीर के लिए बहुत ही जरूरी मिनरल माना जाता है।

* गर्मी में छाछ पीने से लू नहीं लगती। लग जाए तो छाछ पीना शुरू कर दें।

*श्रृंगेरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य ने राहुल और सिद्धारमैया (कर्नाटक के सीएम) को आशीर्वाद देने से इनकार कर दिया। जगद्गुरु ने कहा, “आप मठ में आए, धन्यवाद। लेकिन, आप जो कर रहे हैं, उसके बाद हम आपको आशीर्वाद नहीं दे सकते।”*

  *बैठक के दौरान जगद्गुरु ने राहुल और सिद्धारमैया से कहा कि अगर आपके मन में हिंदू धर्म के प्रति असहिष्णुता है तो कृपया हिंदू धर्म से दूर रहें, न कि अपने कार्यों से हिंदू धर्म के भीतर वैमनस्य पैदा करें. हिंदू मठों और मंदिरों ने क्या गलत किया है, सरकार ने मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है। इतना ही नहीं, छोतरी के रूप में आने वाले धन से मंदिरों का पुनर्निर्माण करने के बजाय वही धन अन्य धर्मों के कल्याण के लिए खर्च किया जाता है। यह स्वीकार्य नहीं है।* *जगदगुरु ने दोनों से दो टूक कहा कि, ”यह अच्छी बात है कि आप हमारे मठ में आएं, लेकिन जिस तरह से आप हिंदू विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं, उस पर हम आपको आशीर्वाद नहीं दे सकते।*

  *दोनों नेताओं राहुल और सिद्धारमैया को जगद्गुरु से इतनी तीखी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी. दोनों बहुत झिझक रहे थे और बैठक से निकलने के बाद इस माथापच्ची में लग गए कि जगद्गुरु की प्रतिक्रिया को मीडिया तक पहुंचने से कैसे रोका जाए. जगद्गुरु की प्रतिक्रिया जानकर मठ से जुड़े सभी भक्त और कर्मचारी बहुत खुश हुए और बिना किसी देरी के इसे हर स्तर पर साझा किया।*

  *मैं कामना करता हूं कि हमारे सभी साधु-संत ऐसे ही बनें*

  *अधिकतर सत्ता के प्रभाव में आकर ये अधर्मियों, यहाँ तक कि विधर्मियों को भी आशीर्वाद देते हैं, ऐसे अधर्मी, विधर्मियों को तो मन्दिरों में भी प्रवेश नहीं देना चाहिए।*

  *मंदिर वोट पाने की कुछ जगहें हैं*

हमारे धार्मिक नेताओं को राहुल गांधी, सिद्धारमैया (कर्नाटक के मुख्यमंत्री), स्टालिन, येवचुरी, लालू यादव, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, गहलोत, मुमताज बनर्जी, केजरीवाल जैसे पृथ्वी के इन हिंदू विरोधी नालायक दुष्टों से इसी तरह निपटना चाहिए। , कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों में नीतीश कुमारुद्दीन और अन्य।

*इस संदेश को अधिक से अधिक शेयर करें।*

 विदेशी DNA से हजारों गुणा बेहतर हैं, नरेंद्र दामोदर दास मोदी। 

मोदीजी के आप आलोचक हैं या प्रशंसक हैं..ये बात जान लेनी चाहिए कि,इस व्यक्ति ने संघर्ष किया है,कड़ा संघर्ष,भीषण संघर्ष।..कि उन्हें खुद कभी इसका भान ही नहीं हुआ।

बात तब की है,जब वो 21 वर्ष के थे।

2 वर्ष हिमालय में बिता कर आ चुके थे,

1-2 दिन घर में रहे और फिर घर छोड़ दिया।

अहमदाबाद आकर चाचा के पास रहने लगे।

गीता मंदिर स्टेट ट्रांसपोर्ट्स बस अड्डे पर,

उनके चाचा कैंटीन चलाते थे।

नरेंद्र मोदी किशोरावस्था में RSS में सक्रिय रहे थे,

ऐसे में अहमदाबाद में भी उन्होंने संघ से संपर्क पुनः जोड़ा।

इसी दौरान प्रान्त प्रचाकर लक्ष्मणराव ईमानदार (वकील साहब) से उनकी मुलाकात हुई।उसी दौरान एक सत्याग्रह में गिरफ्तार होकर जेल भी गए।

नरेंद्र मोदी ने चाचा के घर रहना छोड़ दिया

और वकील साहब के घर रहने लगे।सोचिए,

एक 22 साल का लड़का वकील साहब के घर पर रहने गया, जहाँ एक दर्जन से अधिक लोग पहले से ही रह रहे थे।वो लड़का सुबह उठ कर सबको जगाता था।सबके लिए चाय बनाता था।

चाय पिलाता था। सारे बर्तन धोता था।फिर शाखा जाता था।शाखा से वापस आकर सबके लिए नाश्ता तैयार करता था।सुबह के 9 बजे तक सबको नाश्ता करा देता था।इतना ही नहीं, फिर वो 8-9 कमरों वाली इमारत की सफाई करता था, झाड़ू-पोछा सब।

दोपहर का भोजन किसी स्वयंसेवक के घर जाकर खाता था।फिर वापस आकर सबको चाय पिलाता था। और तो और, वकील साहब के कपड़े भी धोता था,उनके मना करने के बावजूद।

ये वकील साहब हैदराबाद में निज़ाम के खिलाफ सत्याग्रह में 7 वर्ष जेल की सज़ा काट चुके थे।

उनकी कहानी भी ऐसे ही संघर्षों से भरी है।

कहने का मतलब ये है,

कि लोग आज कह देते हैं कि अरे नरेंद्र मोदी क्या है,

एक नेता है।नरेंद्र मोदी असल में एक पूरा का पूरा मिशन है।अपने-आप में एक संस्था है।

आप सोचिए,आज आपको कहीं पूरी इमारत में झाड़ू-पोछा लगाने कहा जाए और रोज 12 लोगों को खाना-चाय वगैरह बना कर देने और बर्तन धोने को कहा जाए, वो भी बिना कोई पैसे के, आप करेंगे?सही बात है, कोई क्यों करेगा?

यही फ़र्क है हम-आप और नरेंद्र मोदी में।

नरेंद्र मोदी ने किया।बिना किसी के कहे किया।बिना किसी शर्म के किया,

पूरे एक वर्ष तक इस दिनचर्या का कड़ाई से अनुसरण किया। बदले में कुछ नहीं लिया, लेकिन किया।

आज वो Narendra Modi हैं, लेकिन ये सफर कोई अस्सी-नब्बे के दशक में शुरू नहीं हुआ था।

बचपन से ही उन्होंने रास्ते तलाशने शुरू कर दिए थे।

तभी 1950 से आज तक करोड़ों लोगों ने जन्म लिया और करोड़ों स्वर्ग सिधार गए, लेकिन ये व्यक्ति लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहा है।

नरेंद्र मोदी के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

आज जब 21-22 वर्ष के युवकों में कोई पढ़ाई-लिखाई को लेकर तनाव में होता है,कोई अवसाद में चला जाता है, कोई सोशल मीडिया पर दिन-रात लगा रहता है,कोई अय्याशी में लगा रहता है,कोई नेता बनने के लिए विधायक-मंत्रियों के साथ तस्वीरें क्लिक करवाने की फिराक में रहता है,कोई इस उम्र में भी लाखों कमाने लगता है – सबका जीवन है,सबके किस्से हैं..

लेकिन जो @narendramodi_in ने उस उम्र में किया वो बहुत कम लोग करते हैं।

इसके लिए हार्वर्ड-कैम्ब्रिज-ऑक्सफ़ोर्ड की डिग्री नहीं, अंग्रेजी का ज्ञान नहीं, बल्कि अनुभव और अध्ययन चाहिए।मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि नरेंद्र मोदी कोई कलाकार, खिलाड़ी,लेखक या संन्यासी होते तो क्या होता?निश्चित ही देश का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता,क्योंकि हमेशा कुछ नया सोचने वाला और बाकियों से 4 कदम आगे रहने वाले व्यक्ति देश का नेतृत्व मिलना ही चाहिए था।

बचपन में भी उनकी माँ ने घूमते-फिरते आ पहुँचे एक साधु को अपने बेटों में से 2 की कुंडली दिखाई थी तो साधु ने नरेंद्र की कुंडली देखते ही अवाक् होकर पूछा कि ये किसकी पत्री है? फिर स्पष्ट कहा कि या तो ये कोई महान संन्यासी होगा या फिर एक चक्रवर्ती सम्राट।महान संन्यासी या सम्राट तो नहीं,

लेकिन परिवार वालों को ये पक्का लग रहा था कि ये साधु बन जाएगा। एक दिन वो लड़का झोला उठा कर निकल भी गया।पास में एक पैसा नहीं।

राजकोट के रामकृष्ण मिशन से लेकर हिमालय तक की यात्रा की,2 साल ऐसे ही घूमते-फिरते रहा और फिर घर लौट आया।फिर घर से निकला तो आज तक घर नहीं गया।संघ में और फिर भाजपा में संगठन का काम करते-करते साधु पीछे छूटता चला गया और राजा के गुण अधिक उभर कर सामने आने लगे। 

अगर वो खिलाड़ी होता तो?वडनगर में एक बार कबड्डी की प्रतियोगिता हुई। टीमें थी ‘कुमार शाला नंबर 1’ और ‘कुमार शाला नंबर 2’। पहली टीम में नरेंद्र मोदी और अन्य छोटे खिलाड़ी थे। दूसरी टीम में बड़े खिलाड़ी। इसके कैप्टेन थे उमेद जी, जो कबड्डी के माहिर खिलाड़ी थे।

वो दाईं ओर से एंट्री लेते थे और फिर उन्हें कोई रोक नहीं पाता था। नरेंद्र मोदी ने एकाध बार उनको खेलते देखा, बहुत बारीकी से देखा। फिर ऐसी व्यूह-रचना की कि उनकी टीम को 3 बार हराया। सब चौंक गए। शिक्षक कनुभाई भावसार भी बोल पड़े कि बल के आगे बुद्धि, संगठन क्षमता और चपलता ने अपना काम कर दिखाया।

एक लेखक के रूप में उन्होंने अपने मार्गदर्शन ‘वकील साहब’ की जीवनी लिखी।

इतना ही नहीं, उन्होंने ‘ज्योतिपुंज’ नामक पुस्तक के जरिए RSS के उन नेताओं से जनता का परिचय कराया, जो निःस्वार्थ भाव से देशसेवा में लगे थे और जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता था।

आपातकाल के दौर को लेकर जो सबसे अच्छी पुस्तकें हैं, उनमें उनकी ‘आपातकाल में गुजरात’ भी है जिसे उन्होंने अपने अनुभवों से लिखा है।गुजरात के विकास पर उन्होंने पुस्तकें लिखीं।

प्रधानमंत्री बनने के बाद बच्चों के लिए ‘Exam Warriors’ लिखी। उनकी कविताएँ भी प्रकाशित हुई हैं। अगर व फुल टाइम लेखक होते तो ज़रूर लोकप्रिय होते ही होते।वो अगर फ़िल्मी दुनिया में होते तो वहाँ भी सफल होते क्योंकि बचपन में वो खुद नाटक लिखा करते थे,उसका मंचन भी करते थे और निर्देशन भी। उन्होंने भेदभाव की समस्या को दिखाने के लिए ‘पीला फूल’ नामक एक नाटक का मंचन किया था,जिसने सबको भावुक कर दिया।हाईस्कूल में जब दीवार बनवाने की ज़रूरत थी,तब नरेंद्र ‘जोगी दास खुमाण’ नामक नाटक का मंचन किया और इसमें भावनगर के महाराजा की भूमिका निभाई।इससे जो पैसे आए उससे दीवार बनी।

नरेंद्र मोदी अगर आज @PMOIndia बने हैं तो इसके पीछे का यही राज़ है – किसी भी क्षेत्र में कोई भी काम करो, एकदम बारीकी से चीजों को समझ कर करो,निःस्वार्थ भाव से करो।

उन्होंने कभी पैसे की चाहत नहीं की,धन के पीछे नहीं भागे।उन्होंने आदमी को पढ़ा है,अपने संघर्षों के दौरान हजारों लोगों को पढ़ा है, इस अनुभव से सीख ली है।

आज अमेरिका से लेकर UN तक इस व्यक्ति का लोहा मानता है, जिसके पीछे एक कलाकार, एक खिलाड़ी और एक साधु आज तक छिपा हुआ है।

आप नरेंद्र दामोदर दास मोदी के प्रशंसक हैं या आलोचक,उससे फर्क नहीं पड़ता,वो व्यक्ति आज आपके हमारे भारत का सफलतम प्रधानसेक है,

ये बात उनके शत्रु भी नहीं नकार सकते।

आप आलोचक भी हैं,तो भी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं,मैं स्वयं को एक विद्यार्थी मानता हूं और मैं उनसे और उनके जैसे हर संघर्षशील व्यक्ति से बहुत कुछ सीखता हूं,उनमें से कोई कुछ बन चुका है,कोई बनने की क्रिया में है..

आज इस संघर्षशील व्यक्ति

को मेरे जैसे असंख्य युवाओं की ओर से

अनेकों अनेक मंगलकामनाएं🙏🏻

महादेव और योगेश्वर आपका यूं ही मार्गदर्शन करते रहें और आपके द्वारा भारत का उत्थान यूं ही होता रहे🙏🏻

महाराज पोरस सिकंदर को बांध कर ले जाते हुए।

अगर सिकंदर महान था,विश्वविजेता था तो पोरस का बंदी घोड़े पर सवार युद्धबंदी सिकंदर कौन था?? ये प्राचीन सिक्का गवाह है.. सिकंदर कैसा विश्वविजेता था??

हमारे इतिहास लेखक वामपंथी, जेहादी कितने झूठे थे और उनके लिखित इतिहास कितना झूठा है….ये सब अब जानकारी मे आ रहा है।

सोशल मीडिया….फेसबुक भले कितना भी विदेशी हो लेकिन भारत के इतिहास से भारत को यही परिचित करवा रहा है।🙏🇮🇳

*प्रसिद्धि की कामना है तो पराक्रम एवं पुरूषार्थ करें ? (‘पांचजन्य’, दीपावली अंक, १६६८)*

आज सभी व्यक्ति भिन्न-भिन्न समस्याओं पर विचार करते हुए राजनीतिक ढंग से सोचते हैं। वर्तमान दलों से यदि समाधान न हुआ तो लोग विरोधी दल में, उससे भी संतोष न हुआ तो स्वतंत्र दल में सम्मिलित होते रहते हैं। इसे ‘राजनीतिक जागृति’ कहा जाता है। प्रजातंत्र की सफलता का रहस्य प्रत्येक व्यक्ति के उत्तरदायित्व की भावना में है और उसे यदि ‘राजनीतिक जागृति’ कहा जाए तो उसका होना आनंद की बात है, किंतु राजनीतिक विचार का अर्थ चुनाव अथवा पक्षोपपक्ष की जय-पराजय ही रहता है। सब यही विचार किया करते हैं कि मैं विरोधी को चुनाव में किस प्रकार परास्त करूँ, कौन सा नया नारा देकर राजनीतिक चालबाजी करूँ।

*मेरा विचार*

मैं इस प्रश्न पर दूसरी दृष्टि से विचार करता हूँ। देश-सेवा अथवा समाज की उन्नति के लिए मान-सम्मान प्राप्त करना या मंत्री बनना ही एकमेव मार्ग है, मैं ऐसा नही मानता। राजनीतिक मत भिन्नता के होते हुए भी स्वतंत्र रीति से लोगों को एकत्रित करके सब समस्याएँ हल की जा सकती हैं। घर की सारी समस्याएँ सबकी सद्भावना एवं सहयोग से हल की जा सकती हैं। वैदेशिक संबंधों को छोड़कर बाकी के प्रश्न Privately हल हो सकते हैं और होने भी चाहिए। राजसत्ता यदि प्रत्येक कार्य में टाँग अड़ाना प्रारंभ कर देगी तो वह व्यक्ति को कर्तव्यच्युत बनाना होगा। उससे जनता की कर्मचेतना नष्ट हो जाएगी, सब बातों में उसका हस्तक्षेप अनावश्यक एवं अवांछनीय होगा, क्योंकि व्यक्ति के जीवन की मौलिकता नष्ट करना ठीक नहीं है। प्रेरणा तो व्यक्तिगत होती है। उसे सामूहिक एवं सहकारिता के भाव पर आधारित बनाने के लिए प्रयत्न होना योग्य है। उस आधार पर स्वतंत्र रीति से कार्य हो तो अत्युत्तम । मेरा ऐसा मानना है कि यह तरीका बहुत अच्छा है। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, उसकी कर्त्तव्य-भावना जागृत होती है। मैंने अपना कर्तव्यपालन किया है यह मनोबल उत्पन्न होता है।

*व्यक्तिगत प्रेरणा को सामूहिक रूप दें*

जीवन के अनेक महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं, पर वे सभी राजनीतिक नहीं हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज-रचना, दरिद्रता आदि के प्रश्नों को सुलझाने के लिए व्यक्तिगत प्रेरणा को सामूहिक रूप देना आवश्यक है। ये सार्वजनिक प्रश्न हैं, ये राज्य या किसी दल के एकाधिकार नहीं हो सकते। इनपर किसी की बपौती भी नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि इन्हें हल करने के लिए परिश्रम करे। सब सद्भावना से, सामूहिक प्रयत्न द्वारा अनुशासित रीति से जीवन की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रवृत्त हो। समाज-सेवा का भाव स्थायी होना चाहिए। वह हमारा इष्ट हो, मुखौटा नहीं, परंतु स्थिति यह है कि सब अपने-अपने स्वार्थ में लगे हैं। समाज सेवा का नाम लेकर राजनीतिक दृष्टि से कार्य होते हैं। लोग बोलते भी उसी दृष्टि से हैं। वे स्टंट खड़े करते हैं। उनमें सच्चाई नहीं होती। यदि राजनीतिक क्षेत्र में रहने से यही स्वभाव बन जाता हो तो राजनीति को दूर से नमस्कार कर निःस्वार्थ समाज सेवा और निरपेक्ष राष्ट्र-चिंतन में अपने जीवन को लगा देना ही अच्छा है।

*नाम नहीं, काम*

संघ के रूप में हमने सेवा की यही प्रणाली प्रचलित की है। हम प्रसिद्धि के लिए कार्य नहीं करते। हमारे नाम का डंका बजे, यह हमारा उद्देश्य नहीं रहा। हमारा उद्देश्य तो सेवा का है। प्रसिद्धि से दूर रहना ही हमें इच्छित है। किंतु हमारे आज के राष्ट्रजीवन में ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं देता। प्रदर्शन का भाव आ गया है। यदि कार्य एवं नाम का ढोल न बजाया जाए तो उस कार्य को ‘गुप्त’ कहा जाता है। यह अपनी संस्कृति को न समझने के ही कारण होता है। हमें अपना कर्तव्य करना चाहिए। कर्तव्यपूर्ति में व्यापार करना ठीक नहीं। नाम अथवा पद की लालसा व्यापार है। उसमें न दिल की सच्चाई होती है, न प्रेम होता है, न सेवा होती है। अपनी संस्कृति की शिक्षा के अनुकूल हम अपना नाम नहीं चाहते। हमारी इच्छा तो यह रहती है कि काम हम करें और नाम दूसरों का हो। इसी दृष्टि से हमने आज तक कार्य किया है। किंतु पाश्चात्य प्रणाली के संपर्क से यह भावना उत्पन्न हो गई है कि यदि नाम का डंका न बजा तो वह कार्य गुप्त है। हमने आज तक नाम की चिंता नहीं की। बड़प्पन मनुष्य को नहीं, राष्ट्र को अथवा ईश्वर को मिलना चाहिए। व्यक्ति या व्यक्तियों के गुट को बड़प्पन मिलना योग्य नहीं ।

*प्रसिद्धिलोलुप राजनीति से बचें*

हम अभी भी चाहते हैं कि अपरिहार्य को छोड़कर प्रसिद्धि न हो। कार्य को जानकर लोग उसकी सहायता करें, इतनी ही प्रसिद्धि हम चाहते हैं। यदि ऐसे निःस्वार्थ भाव से काम करने का निश्चय हो तो झगड़े अपने आप नष्ट हो जाएंगे और संपूर्ण समाज के साथ ही राष्ट्र की भलाई का कार्य हो जाएगा। राजनीति में वे भाग लें, जिनके लिए वह आवश्यक हो। वैयक्तिक शक्तियाँ एकत्र कर, एकसूत्र एवं अनुशासित कार्य करने और स्वतंत्र रीति से आगे बढ़ने से सब कठिनाइयाँ दूर हो जाएँगी।

समाज-रचना का कार्य भी इसी प्रकार हो। उसमें व्यक्ति प्रमुख आधार हो, पैसा आदि अन्य बातें नहीं। राज्य समाज-रचना को न लादे । यह तो समुद्र के पानी को घड़े में भरकर पहाड़ की चोटी पर डालने जैसा होगा। समाज की रचना की जाए और समाज विकास का कार्य उसी प्रकार से हो, जैसा कि होता था। इसके लिए सब मिलकर प्रयत्न करें और सामूहिक जीवन की भावना को उत्पन्न करें। इस प्रकार मिलकर सहकार्य से चलने की वृत्ति से एक निर्णय पर आते हुए छोटे-मोटे मतभेदों को भूलकर सारी ताकत लगाकर उन समस्याओं को हल करें, जिनपर देश का सुख निर्भर है। वास्तविक रीति से यही श्रेष्ठ कार्य है।

*नींव के पत्थर बने*

व्यक्तिगत प्रयत्न एवं सामूहिक भावना से कार्य होने की आवश्यकता है । इसी से व्यक्ति-व्यक्ति में राष्ट्र-जीवन का उत्तरदायित्व प्रकट होगा। उदाहरण के लिए साक्षरता प्रभार की योजनाओं को ही लें। साक्षरता-प्रसार का अर्थ क्या नाम लिखना और पढ़ना सिखाना ही है? नाम यदि लिखना न भी आता हो, तो भी यह जानना कि मैं क्या हूँ, मेरे ऊपर कैसे संस्कार हैं और होने चाहिए; मेरा और समाज का संबंध क्या है – यह विचार लेकर समाज के लिए मरने की तैयारी रखने वाला व्यक्ति क्या शिक्षित से कम है? किंतु यह कार्य निःस्वार्थ देशभक्तों के व्यक्तिगत प्रयत्नों से ही संभव है। स्वार्थशून्य अंतःकरण से समस्याओं को हल करने के लिए लग जाना परमावश्यक है। आज देश को ऐसे ही कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। संघ ऐसे कार्यकर्ता तैयार करता है। उसके भीतर आकर आप सब लोग उसे और प्रभावी बनाएँ। आज नींव के पत्थर बनने वाले व्यक्ति चाहिए, क्योंकि उसके बिना शिखर नहीं ठहरेगा। उसे स्थिर रखने के लिए नींव का पत्थर अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। शिखर पर तो कौवे भी बैठ जाते हैं। नींव का पत्थर बनकर में सुदृढ़ भारत को खड़ा करूँगा और गौरव के साथ खड़ा हुआ भारत अटल शोभा को प्राप्त होगा, ऐसा हमारा विचार हो।

*श्री गुरुजी समग्र : खंड ६ : पृष्ठ-91-93*

उत्तराखंड में लम्बे समय से दायित्वों को ले कर चला आ रहा इंतजार समाप्त हो गया है हालांकि मुख्यमंत्री विदेश दौरे पर हैं लेकिन दायित्वधारियों की सूची पहले ही तैयार कर ली गयी थी सूचना महानिदेशक ने आज ये सूची आज प्रेस के लोगों को जारी की

ये दस लोग हैं शामिल पहली सूची में

1.ज्योति प्रसाद गैरोला : उपाध्यक्ष, बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति (राज्य स्तरीय )

2. रमेश गड़िया : उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य स्तरीय जलागम परिषद

3. मधु भट्ट : उपाध्यक्ष, उत्तराखंड संस्कृत साहित्य एवं कला परिषद

4. मुफ्ती शमून कासमी : अध्यक्ष, उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद्

5. बलराज पासी : अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य बीज एवं जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण संस्था

6. सुरेश भट्ट : उपाध्यक्ष, राज्य स्तरीय राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवं अनुश्रवण परिषद

7. अनिल डब्बू : अध्यक्ष, कृषि उत्पादन एवं विपणन बोर्ड (मंडी)

8. कैलाश पंत : अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य सलाहकार श्रम संविदा बोर्ड

9. शिव सिंह बिष्ट : उपाध्यक्ष, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना राज्य स्तरीय अनुश्रवण परिषद्

10. नारायण राम टम्टा : अध्यक्ष, हरिराम टम्टा परंपरागत शिल्प उन्नयन संस्था