आज का पंचाग, आपका राशि फल, सुदामा के चावल का रहस्य, आयु के का एक क्षण का मूल्य

🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| शिशिर ऋतु || माघ कृष्णपक्ष || तिथि षष्टी अपराह्न २:१५ तक उपरान्त सप्तमी || चान्द्रवासर || माघ सौर २१ प्रविष्ट || तदनुसार ०३ फरवरी २०२१ ई० || नक्षत्र चित्रा (त्वष्टा) || कन्यास्थ चन्द्रमा पूर्वाह्ण ९:४९ तक उपरान्त तुलास्थ चन्द्र ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

. ‼️🕉️‼️
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5122
विक्रम संवत्………………….2077
शक संवत्…………………….1942
मास…………………………….माघ
पक्ष…………………………….कृष्ण
तिथी…………………………….षष्ठी
दोप 02.14 पर्यंत पश्चात सप्तमी
रवि………………………..उत्तरायण
सूर्योदय……….प्रातः 07.05.11 पर
सूर्यास्त……….संध्या 06.16.42 पर
सूर्य राशि……………………….मकर
चन्द्र राशि………………………कन्या
गुरु राशि……………………….मकर
नक्षत्र……………………………चित्रा
रात्रि 09.03 पर्यंत पश्चात स्वाति
योग……………………………..शूल
रात्रि 12.57 पर्यंत पश्चात गंड
करण…………………………वणिज
दोप 02.13 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु………………………….शिशिर
*दिन………………………बुधवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर दिनांक १४*
*पौष मास, सौर माध !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*०३ फरवरी सन २०२१ ईस्वी !*

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 12.40 से 02.03 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मकर*
05:53:45 07:28:28
*कुम्भ*
“07:28:28 09:14:22
*मीन*
09:14:22 10:45:39
*मेष*
10:45:39 12:26:22
*वृषभ*
12:26:22 14:24:59
*मिथुन*
14:24:59 16:38:41
*कर्क*
16:38:41 18:54:51
*सिंह*
18:54:51 21:06:40
*कन्या*
21:06:40 23:17:19
*तुला*
23:17:19 25:31:57
*वृश्चिक*
25:31:57 27:48:07
*धनु*
27:48:07 29:53:45

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक……………………..3
🔯 शुभ रंग……………………..हरा

⚜️ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.31 से 09.54 तक अमृत
प्रात: 11.16 से 12.39 तक शुभ
दोप 03.25 से 04.48 तक चंचल
सायं 04.48 से 06.11 तक लाभ
रात्रि 07.48 से 09.25 तक शुभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ वक्रतुण्डाय नम: ||

📯 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
बाल्यादपि चरेत् धर्ममनित्यं खलु जीवितम् ।
फलानामिव पक्कानां शश्वत् पतनतो भयम् ॥
अर्थात :-
बचपन से हि धर्म का आचरण करना (उचित है), जीवन अनित्य है । (शरीर को) पके हुए फल की तरह गिरने का सदैव भय होता है ।

🍃 *आरोग्यं :*-
*फ्लू से लड़ने के लिए आसान घरेलू उपचार -*

*2. शहद और नींबू -*
विटामिन सी का बहुत ही अच्छा स्रोत नींबू एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल है और संक्रमण की प्रगति को रोकने के लिए उत्कृष्ट है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और ठंड और फ्लू के लक्षणों से छुटकारा पाने में मदद करता है। शहद और नींबू ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि त्वचा के लिए भी बहुत उपयोगी है। इससे कोलेस्ट्रॉल,वजन, मुंह से दुर्गन्ध इत्यादि कई सारी समस्याओं से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है।

⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जोखिम न उठाएं। तनाव रहेगा, मान बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। परिवार में आवाजाही बनी रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
यात्रा से लाभ होगा। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। यात्रा मनोरंजक होगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। विवाद को बढ़वा न दें।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
पुराना रोग उभर सकता है। चिंता रहेगी, बाकी सामान्य रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। फालतू खर्च होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। रुका हुआ धन मिल सकता है।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
रुके कार्यों में गति आएगी। धनलाभ होगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। जल्दबाजी से बचें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
योजना फलीभूत होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आंखों में कष्ट संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आय बढ़ेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
दौड़धूप अधिक रहेगी। तनाव रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। नई योजना बनेगी। राजकीय सहयोग से लाभ के अवसर बढ़ेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। मान-सम्मान मिलेगा।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। परिवार के वरिष्ठजनों के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। लेन-देन में सावधानी रखें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
व्यावसायिक गतिविधि बढ़ेगी। विवेक से कार्य करें। लाभ होगा। निवेश व यात्रा मनोनुकूल रहेंगे। चिंता रहेगी। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। प्रेम-प्रसंग में सफलता मिलेगी। तीर्थदर्शन संभव है। पूजा-पाठ में मन लगेगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
रोजगार में वृद्धि होगी। जोखिम लेने का साहस कर पाएंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उन्नति होगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। तनाव बना रहेगा। भूमि व भवन के कार्य बड़ा लाभ देंगे। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
घर-बाहर अशांति रह सकती है। थकान महसूस होगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। बुरी सूचना मिल सकती है, धैर्य रखें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। फालतू खर्च होगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
व्यवसाय ठीक चलेगा, रोजगार में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। स्वास्‍थ्य कमजोर रहेगा।

*🚩🎪 ‼️ 🕉 गं गणपतये नमः ‼️ 🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩

*आत्मापराधवृक्षस्य*
*फलान्येतानि देहिनाम्।*
*दारिद्र्यरोग दुःखानि*
*बन्धनव्यसनानि च॥*

अर्थात् – निर्धनता, रोग, दुःख, बन्धन और बुरी आदतें- ये सभी मनुष्य के कर्मों के ही फल होते हैं। जो जैसा बोता है, उसे वैसा ही फल भी मिलता है।इसलिए सदा अच्छे कर्म करने चाहिए।

*🙏🌻🌷प्रातर्वन्दनम्🌷🌻🙏*

*आयुषः क्षण एकोऽपि सर्वरत्नैर्न लभ्यते।*
*नीयते तद् वृथा येन प्रमादः सुमहानहो॥*
योगवासिष्ठ ६ उ० १७५/७८

अर्थात् – आयु का एक भी क्षण संसार के सब रत्न देने पर भी नहीं मिल सकता। ऐसे बहुमूल्य जीवन को जो व्यर्थ खोता है, तो अहो ! यह बड़ा भारी प्रमाद है।

*🙏🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻🙏*

💐💐सुदामा की दरिद्रता💐💐

मेरे मन में सुदामा के सम्बन्ध में एक बड़ी शंका थी कि एक विद्वान् ब्राह्मण अपने बाल सखा कृष्ण से छुपाकर चने कैसे खा सकता है ???

आज भागवत पर चर्चा करते हुए एक पंडित जी ने इस शंका का निराकरण किया। इस चर्चा को आपसे साझा करना जरुरी समझता हूँ ताकि आप भी समाज में फैली इस भ्रान्ति को दूर कर सकें।
गुरुदेव बताते हैं सुदामा की दरिद्रता, और चने की चोरी के पीछे एक बहुत ही रोचक और त्याग-पूर्ण कथा है- एक अत्यंत गरीब निर्धन बुढ़िया भिक्षा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिक्षा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चने मिले। कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते उसे रात हो गयी। बुढ़िया ने सोंचा अब ये चने रात मे नही, प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर खाऊँगी ।
यह सोंचकर उसने चनों को कपडे में बाँधकर रख दिए और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी। बुढ़िया के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये।
चोरों ने चनों की पोटली देख कर समझा इसमे सोने के सिक्के हैं अतः उसे उठा लिया। चोरो की आहट सुनकर बुढ़िया जाग गयी और शोर मचाने लगी ।शोर-शराबा सुनकर गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे। चने की पोटली लेकर भागे चोर पकडे जाने के डर से संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये। इसी संदीपन मुनि के आश्रम में भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। चोरों की आहट सुनकर गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है गुरुमाता ने पुकारा- कौन है ?? गुरुमाता को अपनी ओर आता देख चोर चने की पोटली छोड़कर वहां से भाग गये।
इधर भूख से व्याकुल बुढ़िया ने जब जाना ! कि उसकी चने की पोटली चोर उठा ले गए हैं तो उसने श्राप दे दिया- ” मुझ दीनहीन असहाय के चने जो भी खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा ” ।
उधर प्रात:काल आश्रम में झाडू लगाते समय गुरुमाता को वही चने की पोटली मिली। गुरु माता ने पोटली खोल के देखी तो उसमे चने थे। उसी समय सुदामा जी और श्री कृष्ण जंगल से लकडी लाने जा रहे थे।
गुरुमाता ने वह चने की पोटली सुदामा को देते हुए कहा बेटा ! जब भूख लगे तो दोनो यह चने खा लेना ।
सुदामा जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। उन्होंने ज्यों ही चने की पोटली हाथ मे ली, सारा रहस्य जान गए।
सुदामा ने सोचा- गुरुमाता ने कहा है यह चने दोनो लोग बराबर बाँट के खाना, लेकिन ये चने अगर मैने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो मेरे प्रभु के साथ साथ तीनो लोक दरिद्र हो जाएंगे। नही-नही मै ऐसा नही होने दूँगा। मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा। मै ये चने स्वयं खा लूँगा लेकिन कृष्ण को नही खाने दूँगा और सुदामा ने कृष्ण से छुपाकर सारे चने खुद खा लिए। अभिशापित चने खाकर सुदामा ने स्वयं दरिद्रता ओढ़ ली लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को बचा लिया।
अद्वितीय त्याग का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले सुदामा, चोरी-छुपे चने खाने का अपयश भी झेलें तो यह बहुत अन्याय है पर आज मन की इस गहन शंका का निवारण हो गया ।

🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*

*जो प्राप्त है-वो पर्याप्त है!!*
🙏🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏