यूं किसान को अपनी हवश का शिकार बनाया शहरवासियों ने

हरीश मैखुरी

किसान महान है। अन्नदाता है। वह जन्मजात अनुशासित और उसकी अपनी आत्मनिर्भरता भी है। वह अपनी मेहनत के आधा दाम पाकर भी शहर वालों का पेट भरता है। लेकिन शहर वालों ने उन्हें हमेशा ठगा है, इस बार लाल गैंग ने महाराष्ट्र के किसानों को 160 किलोमीटर खामखां दौड़ा दिया। वह थक गया, उसके पैरों में छाले पड़ गये। वह बीमार हो गया। उसका काम सफर कर गया उसकी गाय भूखी मर गयी, उसका एक दिन भी काम छूटता है तो उसे भूखा रहना पड़ता है। किसान को लाल गैंग बनाने की लालसा ने एक हफ्ते में ही किसान की कमर तोड़ दी। जिन्होंने करीब चालीस हजार किसानों की पगड़ी उतरवा कर 1 रूपये की लाल टोपी पहनाई उन्होंने शायद कभी एक किसान को कभी एक जोड़ी जूता दिया हो, ये अनर्थ है। राहत की बात ये है कि फंणवीस सरकार ने बिना किसान का वक्त जाया किए उनकी मांग मान ली। वर्ना उन्हें शहर के विपरीत माहौल में धक्के खाने पड़ते। लेकिन ये नौबत ही क्यों आये कि जब किसान लाल हरी गैंग का हिस्सा बने तभी उसकी सुनी जाय। किसान को बिना समय गंवाये मैसूस करो सरकार वर्ना 70 साल से वह गरीबी हटने का इंतजार ही कर रहा है। जबकि शहर वाले उन्हें अपनी हवश का शिकार बना रहे हैं।