मंदिर पिकनिक स्पाट नहीं जो कोई भी चला आये, गैर हिन्दू लिए नो इंट्री का बोर्ड लगे : मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

*मद्रास HC का आदेश*

*मंदिर पिकनिक स्पॉट नहीं:*
*गैर-हिन्दुओं के घुसने पर रोक, सरकार से कहा- मंदिर के गेट पर नो इंट्री का बोर्ड लगाओ*

मिलनाडु सरकार को आदेश दिया कि मंदिरों में ऐसे बोर्ड लगाने चाहिए, जिसमें लिखा हो कि गैर हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।

*कोर्ट ने कहा- मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं है कि कोई भी घूमने चला आए और हिंदुओं के अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का मौलिक अधिकार हैं।*

अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में मांसाहारी खाना
हाईकोर्ट ने मंदिरों में गैर-हिंदुओं के घुसने की हालिया घटनाओं का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा- हाल ही में अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में दूसरे धर्म से संबंधित व्यक्तियों के एक समूह ने मंदिर परिसर को पिकनिक स्थल के रूप में माना था और मंदिर परिसर के अंदर मांसाहारी भोजन किया था।

मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में कुरान लेकर पहुंचे लोग
इसी तरह, 11 जनवरी को एक अखबार ने खबर दी थी कि मुस्लिम धर्म से जुड़े कुछ लोग मदुरै के अरुलमिघु मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में गर्भगृह के पास कुरान लेकर चले गए थे और वहां नमाज पढ़ने का प्रयास कर रहे थे।

जस्टिस श्रीमथी बोली- मंदिरों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य
जस्टिस श्रीमथी ने कहा, ये घटनाएं पूरी तरह से संविधान के तहत हिंदुओं को दिए गए मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप हैं। हिंदुओं को भी अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने और अपने धर्म का प्रचार करने का मौलिक अधिकार है।

इसलिए, हिंदुओं के रीति-रिवाजों, प्रथाओं के अनुसार उनके मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना और किसी भी तरह की अनैतिक घटनाओं से मंदिरों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है।

हाई कोर्ट की मदुरै बेंच की जस्टिस एस श्रीमथी ने डी सेंथिलकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। सेंथिलकुमार पलानी हिल टेंपल डिवोटीज ऑर्गनाइजेशन के संयोजक हैं।

सरकार को निर्देश दिया- मंदिर गेट पर डिस्प्ले बोर्ड लगाएं
याचिकाकर्ता सेंथिलकुमार की मांग थी कि, अरुलमिगु पलानी धनदायुथापानी स्वामी मंदिर और अन्य मंदिरों में सिर्फ हिंदुओं को जाने की अनुमति दी जाए। वह यह भी चाहते थे कि सभी इंट्री गेट पर इस संबंध में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं।

*याचिका को स्वीकार करते हुए, अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे मंदिरों के इंट्री गेट, ध्वजस्तंभ के पास और मंदिर के प्रमुख स्थानों पर ‘गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है’ वाले बोर्ड लगाएं।*

कोर्ट ने कहा- मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं
कोर्ट ने कहा- सरकार मंदिरों में उन गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उससे वचन लेना होगा कि उसे मंदिर के देवता में विश्वास है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा।

*कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी कि, मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट या पर्यटक स्थल नहीं है। भले ही वह ऐतिहासिक हो। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि मंदिर संविधान के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत नहीं आते। इसलिए किसी मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकने को गलत नहीं कहा जा सकता।*

मद्रास हाई कोर्ट ने मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक स्थानों और विभागों को सभी मंदिरों में बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है. इसमें कहा गया कि गैर-हिंदुओं को ‘कोडिमारम’ (ध्वज स्तंभ) क्षेत्र से आगे जाने की अनुमति नहीं है. साथ ही हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के न्यायाधीश एस. श्रीमथी ने कहा कि मंदिर कोई पिकनिक या पर्यटन स्थल नहीं है. इसलिए गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर ध्वज स्तंभ के आगे जाने की अनुमति नहीं है.

𝐁𝐈𝐆 𝐁𝐑𝐄𝐀𝐊𝐈𝐍𝐆 

जिसका केस स्वंय विष्णु- शंकर लड़ रहे हो

भला उन्हें कौन हरा सकता है !!

ज्ञानवापी परिसर में मिला पूजा का अधिकार।

प्रशासन को 7 दिन में व्यवस्था का आदेश।ज्ञानवापी मंदिर में व्यास जी गर्भगृह खुलवाने पर मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने ना करते हुए कहा, पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट जाएं।

यह संकेत है, वर्षों से किए स्टेट कैप्चर पर इतरा रहे “दबाव समूहों” को अब भारतीय संविधान से चलना ही होगा। नहीं तो, सीधे सड़क की जंग में उतरें।

वाराणसी कोर्ट ने योगी सरकार को ७ दिन का समय दिया, ताकि व्यास गर्भगृह में पूजा आरंभ हो। पर योगी जी ने ७ घण्टे में कार्य निष्पादित करवा दिया। 

सरकार को त्वरित गति देने के लिए योगी जी बधाई के पात्र हैं। फैसले वर्षों टेबल पर पड़े रहने का वक्त गया। 

देरी ही अन्याय है।

काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की तरफ से नियमित पूजा अर्चना की जायेगी

!! महादेव हम आयेंगे, बेलपत्र चढ़ाएँगे !!😍