कहां वो गांव का अल्हड़ बचपन, कहां ये शहर की उम्र पचपन ?

  *कुछ यूँही जो यादों में है* हम देहाती बच्चे थे ।प्राथमिक स्कूल की शुरुवात घर से ही तख्ती (पाटी) लेकर स्कूल जाना स्लेट को

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