आज का पंचाग आपका राशि फल, चरक संहिता : प्रारब्ध यानी कर्मफल के कारण ही भाग्य रोग और भोग भी पूर्व निश्चित होता है

   *༺𝕝𝕝 卐 𝕝𝕝༻​​**श्री हरिहरौ**विजयतेतराम*

*सुप्रभातम**आज का पञ्चाङ्ग*

   *_मंगलवार, १४ मई २०२४_*
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सूर्योदय: 🌄 ०५:३५, सूर्यास्त: 🌅 ०६:५९
चन्द्रोदय: 🌝 १०:४६, चन्द्रास्त: 🌜२४:५६
अयन 🌘 उत्तरायणे (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🎋 ग्रीष्म
शक सम्वत: 👉 १९४६ (क्रोधी)
विक्रम सम्वत: 👉 २०८१ (काल)
मास 👉 वैशाख, पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 सप्तमी (२८:१९से अष्टमी)
नक्षत्र 👉 पुष्य (१३:०५ सेआश्लेशा)
योग 👉 गण्ड (०७:२६ से वृद्धि)
प्रथम करण👉गर(१५:२९ तक
द्वितीय करण 👉 वणिज(२८:१९ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य   🌟 वृष, चंद्र    🌟 कर्क
मंगल 🌟 कुम्भ(उदित,पूर्व,मार्गी)
बुध   🌟 मेष (उदित, पूर्व, वक्री)
गुरु   🌟 वृष(अस्त,पश्चिम, मार्गी)
शुक्र  🌟 मेष(अस्त,पूर्व, मार्गी)
शनि  🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु   🌟 मीन
केतु   🌟 कन्या
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४६ से १२:४१
अमृत काल 👉 ०६:१४ से ०७:५७
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 १३:०५ से २९:२३
रवियोग 👉 ०५:२४ से १३:०५
विजय मुहूर्त 👉 १४:३० से १५:२५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०२ से १९:२२
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:०३ से २०:०५
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५२ से २४:३४
राहुकाल 👉 १५:३८ से १७:२१
राहुवास 👉 पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०८:४९ से १०:३१
दुर्मुहूर्त 👉 ०८:०८ से ०९:०२
होमाहुति 👉 बुध (१३:०५ से शुक्र)
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 पृथ्वी
भद्रावास 👉 मृत्यु (२८:१९ से)
चन्द्रवास 👉 उत्तर
शिववास 👉 भोजन में (२८:१९ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – रोग       २ – उद्वेग
३ – चर        ४ – लाभ
५ – अमृत     ६ – काल
७ – शुभ       ८ – रोग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल      २ – लाभ
३ – उद्वेग      ४ – शुभ
५ – अमृत     ६ – चर
७ – रोग        ८ – काल
नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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गंगा सप्तमी (गंगोत्पत्ति), संक्रान्ति सूर्य वृष में १७:५४ से (पुण्यकाल दिन ११:३० से) आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १३:०५ तक जन्मे शिशुओ का नाम              पुष्य नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (हो, डा) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम  आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (हू, हे, हो) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मेष – २७:५५ से ०५:२९
वृषभ – ०५:२९ से ०७:२४
मिथुन – ०७:२४ से ०९:३९
कर्क – ०९:३९ से १२:००
सिंह – १२:०० से १४:१९
कन्या – १४:१९ से १६:३७
तुला – १६:३७ से १८:५८
वृश्चिक – १८:५८ से २१:१७
धनु – २१:१७ से २३:२१
मकर – २३:२१ से २५:०२+
कुम्भ – २५:०२+ से २६:२८+
मीन – २६:२८+ से २७:५१+
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पञ्चक रहित मुहूर्त
मृत्यु पञ्चक – ०५:२४ से ०५:२९
अग्नि पञ्चक – ०५:२९ से ०७:२४
शुभ मुहूर्त – ०७:२४ से ०९:३९
रज पञ्चक – ०९:३९ से १२:००
शुभ मुहूर्त – १२:०० से १३:०५
चोर पञ्चक – १३:०५ से १४:१९
शुभ मुहूर्त – १४:१९ से १६:३७
रोग पञ्चक – १६:३७ से १८:५८
शुभ मुहूर्त – १८:५८ से २१:१७
मृत्यु पञ्चक – २१:१७ से २३:२१
अग्नि पञ्चक – २३:२१ से २५:०२+
शुभ मुहूर्त – २५:०२+ से २६:२८+
रज पञ्चक – २६:२८+ से २७:५१+
अग्नि पञ्चक – २७:५१+ से २८:१९+
शुभ मुहूर्त – २८:१९+ से २९:२३+
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आप अपने अभिमानी स्वभाव के कारण घर मे बैठे बिठाये झगड़ा मोल लेंगे इसके विपरीत कार्य अथवा सामाजिक क्षेत्र पर ऐश्वर्य वृद्धि होगी। घर से ज्यादा बाहर का वातावरण भायेगा। कार्य व्यवसाय में सोची योजनाए धीमी गति से चलेंगी आज जहां से लाभ की उम्मीद रहेगी वहां की जगह अन्य साधनों से अक्समात होगा। विरोधी आपके खिलाफ षड्यंत्र रचेंगे लेकिन कामयाब नही हो पाएंगे फिर भी मीठा बोलने वालों से सतर्क रहें। अधिकारी वर्ग से नोकझोंक होगी जिससे कागजी कार्य अधूरे रह सकते है। स्वास्थ्य मध्यान बाद नरम रहेगा भागदौड़ के कारण थकान बनेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपका स्वभाव बात-बात पर गरम होगा। किसी से किया वादा पूर्ण ना करने पर अपमानित होना पड़ेगा। जल्दबाजी में कार्य करेंगे त्रुटि होने पर बाद में अफसोस होगा। आज धन संबंधित व्यवहार अधिक आवश्यकता पडने पर ही लिख कर ही करें भूल होने की संभावना हैं। धन लाभ को लेकर मध्यान तक चिंतित रहेंगे मध्यान बाद आवश्यकता अनुसार होने से राहत मिलेगी। घर का वातावरण भी आपके रूखे व्यवहार से अशान्त रहेगा। बड़े-बुजुर्गों की बात ना मानने पर कुछ ना कुछ हानि होगी। आज शांति बनाए रखने के लिये मौन रहना ही बेहतर रहेगा। सर-बदन दर्द रक्त चाप संबंधित परेशानी होगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपके स्वभाव में आलस्य अधिक रहेगा। लापरवाहि में लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते है सतर्क रहें। कार्य व्यवसाय में आज बीते कल की अपेक्षा तेजी रहेगी धन कमाने के मौके मिलते रहेंगे आवश्यकता अनुसार लाभ आसानी से हो जाएगा लेकिन लालच में ज्यादा कमाने की वृत्ति कुछ ना कुछ कमी ही करेगी। संतोषी वृति अपनाकर ही आज प्रत्येक कार्य निर्विघ्न सम्पन्न किया जा सकता है इसका विशेष ध्यान रखें। हर में मांगलिक कार्यक्रम होने से वातावरण शांत रहेगा। विपरीत लिंगीय आकर्षण भी कुछ अधिक रहेगा इसके कारण परिवार में गलतफहमी पनपने से खींच तान हो सकती है। सेहत  बनी रहेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आप अपनी बात मनवाने के लिये सामने वाले पर नाजायज दबाव बनाएंगे जिससे आपसी संबंध खराब होने का भय रहेगा फिर भी देर अबेर अपना काम बना ही लेंगे। नौकरी पेशा जातक अधिकारियों के ऊपर आवश्यकता से अधिक विश्वासः करेंगे जिसका परिणाम आज निराश ही करेगा। व्यवसायी वर्ग धन को लेकर थोड़े चिंतित रहेंगे उधारी के कारण कार्य क्षेत्र पर गरमा गरमी हो सकती है। आध्यात्मिक कार्यो में भी समय निकाल सम्मिलित होंगे लेकिन आज मन अन्यत्र ही भटकेगा। बाहर घूमने की योजना अंत समय मे निरस्त करनी पड़ेगी। सुख सुविधा मिलने पर भी मानसिक रूप से अशान्त रहेंगे।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन भी संघर्ष से भरा रहेगा। दिन के आरंभ में ही कोई दुखद घटना से मन बेचैन रहेगा। दिनचार्य आज अस्त-व्यस्त ही रहेगी। जिस कार्य को करने का मन बनाएंगे उसमे अनिर्णय की स्थिति रहने के कारण विलम्ब होगा हानि के डर से आज कोई जोखिम लेने से बचेंगे केवल यही निर्णय आज सही रहेगा अन्य में कुछ ना कुछ उलझन ही बनेगी। अकस्मात धन क्षय के योग बन रहे है नए कार्यो में धन ना लगाए पहले अधूरे कार्य पूर्ण करें अन्यथा निरस्त किये जा सकते है। पारिवारिक वातावरण में विवेक की कमी रहेगी छोटी-छोटी बात पर आपस में उलझेंगे। शारीरिक दृष्टिकोण से भी आज दिन प्रतिकूल रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आपके लिये आज का दिन आशा से कम लाभदायक लेकिन फिर भी संतोषजनक रहेगा। संतोषी प्रवृति रहने के कारण व्यर्थ की उलझनों से बचे रहेंगे। आज आपको आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा कार्य क्षेत्र अथवा घर मे कोई ना कोई आपके व्यवहार से असंतोष जतायेगा लेकिन आप जानकर भी अनजान बनेंगे। धार्मिक पूजा पाठ में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे परन्तु ध्यान एकाग्र नही रहने के कारण आध्यात्म लाभ नही मिल पायेगा। नौकरी वाले लोग आज कार्य भार कम रहने से शांति अनुभव करेंगे फिर भी अधिकारी वर्ग से आज कम ही बनेगी। बुजुर्गो का आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिलेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भी आपके अनुकूल बना रहेगा लेकिन आज स्वभाव में थोड़ी तल्खी रहने से आपसी व्यवहारिकता में कमी आएगी। लोग आपसे अपेक्षाये लेकर आएंगे परन्तु निराश होना पड़ेगा। दैनिक कार्य के अतिरिक्त कार्य आने से कुछ समय के लिए असहजता बनेगी। व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण सामाजिक कार्यो में बेमन से भाग लेना पड़ेगा फिर भी सम्मान पाने के अधिकारी बनेंगे। काम-धंधे में सुधार आयेगा लेकिन रुके कार्य आज भी पूर्ण होने में संदेह रहेगा। नौकरी पेशाओ एवं महिलाओ का आस-पड़ोसियों से झगड़ा होने की संभावना है। परिवार में किसी से बीमार होने पर चिंता होगी धन खर्च के साथ अतिरिक्त भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। अपनी सेहत का भी ख्याल रखें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आप धार्मिक कार्यो के लिये अपने नियत कार्यक्रम को रद्द करेंगे जिससे बाद में अधिकांश कार्य अस्त-व्यस्त होंगे। धार्मिक भावनाएं आज बलवती रहेंगी लेकिन परोपकार के कार्य स्वार्थ पूर्ति के लिये ही करेंगे। दिन के आरम्भ में स्वास्थ्य संबंधित शिकायत रहेगी मध्यान तक धीरे धीरे सुधार आने लगेगा दवाओं पर खर्च करना पड़ेगा। व्यवसाय में आज आश्वासनों से ही काम चलाना पड़ेगा। नए अनुबंध हाथ लगेंगे लेकिन आज इनपर कार्य आरम्भ नही कर पाएंगे। गृहस्थ में आज शांति स्थापित होगी फिर भी बुजुर्गो को संतुष्ट रखना नामुमकिन होगा। आय की अपेक्षा खर्च अधिक रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी प्रतिकूल रहेगा। शारीरिक रूप से असमर्थ रहने के कारण आवश्यक कार्यो में विलंब होगा स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहेगा। मन मे नकारत्मक भाव आएंगे किसी की हित मे कही बाते भी उल्टी लगेंगी। कार्य व्यवसाय में आज किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी वो भी समय पर नही मिलेगा। धन की आमद अनिश्चित रहेगी खर्च निकालने के लिये भी जोड़-तोड़ करना पड़ेगा। उधार के व्यवहार से बचे अन्यथा बाद में परेशानी होगी। पारिवारिक वातावरण में विरोधाभास लगा रहेगा घर के सदस्य एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करेंगे। घर के बुजुर्ग वर्ग दुखी होंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन विजय दिलाने वाला रहेगा। स्वभाव में थोड़ी तेजी रहने के कारण किसी के मार्गदर्शन को भी अहम से जोड़ेंगे आज आप किसी अन्य के आधीन होकर काम करना पसंद नही करेंगे। मनमौजी व्यवहार अन्य लोगो के लिए परेशानी खड़ी करेगा लेकिन आपके लिये शांति दायक रहेगा। जिस कार्य को करेंगे उसमे ही विलम्ब होगा फिर भी अपनी सूझ बूझ से लाभ बना ही लेंगे। व्यवसायी वर्ग जोखिम वाले कार्य शेयर सट्टे आदि से लाभ कमाएंगे। नौकरी वाले लोग भी कार्य कुशलता के बल पर सम्मान के अधिकारी बनेंगे। परिवार का वातावरण आपसी समझ की कमी के कारण कुछ समय के लिये गरम होगा। पित्त, कफ से परेशानी होगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन भी भाग-दौड़ में बीतेगा। दिन के आरम्भ से ही किसी कार्य को करने के लिए व्यस्त हो जाएंगे। कार्य व्यवसाय में आज अधूरे कार्य पूर्ण करने की जल्दबाजी रहेगी फिर भी समय से पूर्ण नही हो पाएंगे। व्यवसायी वर्ग धन सम्बन्धीत व्यवहार के कारण चिंतित रहेंगे समय पर कार्य पूर्ण ना होने कारण खरी-खोटी सुन्नी पड़ेगी। मध्यान बाद का समय राहत वाला रहेगा। धन संबंधित समस्या किसी की सहायता से सुलझेंगी लेकिज आज आर्थिक कारणों से किसी से पुराना संबंध टूटने की संभावना है। परिवार के बीच आप ज्यादा शांत एवं सुरक्षित अनुभव करेंगे। पेट खराब होने पर अन्य व्याधियां बनेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आप लापरवाहि ज्यादा करेंगे। छोटी-छोटी गलती भी आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है इसका विशेष ध्यान रखना होगा। किसी भी कार्य को दिमाग की जगह दिल से करने के कारण सफलता में संशय रहेगा। धन संबंधित उलझने दिन के आरंभ से ही खड़ी होंगी जो कि संध्या तक यथावत बनी रहेगी संध्या के आस-पास कही से थोड़ा बहुत धन मिलने से दैनिक खर्च निकल जाएंगे। आर्थिक मामलों को लेकर आज ज्यादा तामझाम में ना पढ़ें अन्यथा छोटे लाभ से भी वंचित रहना पडेगा। मित्र रिश्तेदारों के आगे भी धन संबंधित कार्यो को लेकर शर्मिंदा होना पड़ सकता है। उधार किसी से भी ना करे चुकाने में परेशानी आएगी। सेहत में छोटी मोटी व्याधी लगी रहेगी।
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*चरक संहिता प्रथम अध्याय – ०६६:–*

*(परलोकैषणा – सत् और असत् एवं परीक्षा चार प्रकार)*

द्विविधमेव खलु सर्व – सश्वासञ्च तस्य चतुविधा परीक्षा आप्तो- पदेशः प्रत्यक्षमनुमानं युक्तिश्चेति ॥१८॥

*संसार में जो कुछ दिखता है, – वह सब दो (२) प्रकार का है।* 

*(१) एक – सत् और,*

*(२) दूसरा – असत् ।* 

*इस की परीक्षा चार (४) प्रकार से होती है :–* 

*१. आप्तोपदेश, २. प्रत्यक्ष, ३. अनुमान और, ४. युक्ति ।*

रजस्तमोभ्यां निर्मुक्तास्तपो-ज्ञान-बलेन ये । येषां त्रैकालममलं ज्ञानमव्याहतं सदा ॥१९॥ आप्ताः शिष्टा विबुद्धास्ते तेषां वाक्यमसंशयम् । सत्यं वक्ष्यन्ति ते कस्मादसत्यं नीरजस्तमाः ॥२०॥ 

*(१) आप्तास्तावत् :–*

*जो पुरुष तप और ज्ञान के बल से रजोगुण, और तमोगुण से मुक्त हो चुके हैं, – केवल सत्त्व गुण ही जिन में रह गया है।* 

*उनका ज्ञान भूत, भविष्य, और वर्त्तमान – तीनों (३) कालों में विशुद्ध और कभी भी बाधित नहीं होता ।* 

*ऐसे पुरुष ‘आप्त’, ‘शिष्ट’, और ‘विबुद्ध’ होते हैं, – इन के वाक्य विना सन्देह के होते है। ये पुरुष सदा सत्य ही कहेंगे। जो पुरुष रजस् और तमस् से रहित हैं, वे असत्य कैसे बोल सकते हैं ! ॥१९-२०॥*

आत्मेन्द्रिय मनोऽर्थानां संनिकर्षात्प्रवर्तते । व्यक्ता तदात्वे या बुद्धिः प्रत्यक्षं सा निरुच्यते ॥२१॥

*(२) प्रत्यक्ष :–*

*आत्मा, इन्द्रिय, मन, और अर्थ (पदार्थ) – इन चारों का एक साथ संयोग होने से जो ज्ञान उत्पन्न होता है, उस को ‘प्रत्यक्ष’ कहते हैं ॥२१॥*

प्रत्यक्षपूर्व विविधं त्रिकालं चानुमीयते । वह्निर्निगूढो धूमेन मैथुनं गर्मदर्शनात् ॥२२॥ एवं व्यवस्यन्त्यतीतं, बीजात्फलमनागतम् । दृष्ट्वा बीजात्फलं जातमिव सदृशं बुधाः ॥२३॥

*(३) प्राक्कलन या अनुमान :–*

*प्रथम प्रत्यक्ष प्रमाण से देखकर तीन (३) प्रकार से – कार्य-लिंगानुमान, कारण-लिंगानुमान, और कार्य-कारण लिंगानुमान होता है।* 

*भूत, भविष्यत्, और वर्तमान – इन तीनों (३) समय में परोक्ष का अनुमान किया जाता है।* 

*जैसे कि – छिपी अग्नि को धुंआ देखकर जानते हैं, और गर्भ को देखकर मैथुन कर्म का ज्ञान कर लेते है । इसी प्रकार से अतीत काल का ज्ञान अनुमान से कर लेते हैं, और जिस प्रकार बीज को देखकर अनागत फल का अनुमान हो जाता है।* 

*जैसा बीज होता है, वैसा ही फल लगता है । इसी प्रकार भविष्य काल का भी अनुमान से ज्ञान करते हैं ॥२२-२३॥*

जल-कर्षण-पीजर्तु-संयोगात्सस्य-संभवः । युक्तिः षड्धातु-संयागाद् गर्भाणां संभवस्तथा ॥२४॥ मध्य-मन्थन मन्थान-संयोगादग्निसंभवः । युक्तियुक्ता चतुष्पाद संपव्याधि-निवर्हणो ॥२५॥ 

*(४) युक्ति :–*

*पानी, कर्षण (हल चलाया हुआ खेत), बीज, और ऋतु – इन चारों (४) के संयोग से अन्न उत्पन्न होता है* 

*उत्तम क्षेत्र में समय पर उत्तम बीज पानी से सींचकर बोने से – अनाज होता है ।* 

*इसलिये पृथ्वी, अप्, तेज, वायु, और आकाश, एवं चेतना – इन छः (६) के संयोग से गर्भ का होना सम्भव हैं, यह युक्ति है ।* 

*इसी प्रकार ‘मथ्य’ अरणी का अधःकाष्ट (नीचे की लकड़ी), मन्थन (मथने का डण्डा), और (मन्थान) मथनी चलाने वाला कर्त्ता, – इन तीनों (३) के संयोग से अग्नि उत्पन्न होना सम्भव है ।* 

*इसी प्रकार चतुष्पाद (चिकित्सा के चारों (४) अड्ग की) – युक्ति से युक्त सम्पत् रोग को नाश करने वाली है ।* 

*यदि चिकित्सा के चारों (४) अंग ठीक तरह से प्रयुक्त किये जायें, तो रोग मिटना सम्भव है ॥२४-२५॥*

बुद्धिः पश्यति या भावान् बहु-कारण-योगजान् । युक्तिस्त्रिकाला सा ज्ञेया त्रिवर्गः साध्यते यया ॥२६॥ एषा परीक्षा नास्त्यन्या यया सर्वं परीक्ष्यते । परीक्ष्यं सदसचैव तया चास्ति पुनर्भवः ॥२७॥

*जो बुद्धि बहुत प्रकार के कारणों से उत्पन्न पदार्थों को ज्ञान के लिए देखती है – उस बुद्धि को ‘युक्ति’ कहते हैं ।* 

*यह वृद्धि तीनों (३) कालो के विषय को देखती है, इस युक्ति से त्रिवर्ग अर्थात् धर्म, अर्थ और काम तीनों (३) पुरुषार्थ सिद्ध होते हैं ।* 

*यह चार (४) प्रकार की – (आप्तोंपदेश, प्रत्यक्ष, अनुमान और युक्ति) परीक्षा है, इसमें भिन्न और परीक्षा नहीं है ।* 

*इस बार प्रकार की परीक्षा से सब कुछ सत्, असत्, भाव, अभाव – जो कुछ ज्ञेय है, वह सच जाना जाता है।* 

*सत्, असत् की परीक्षा करके ही जाना गया है कि पुनर्जन्म होता है ॥२६-२७॥*

तत्राssप्तागमस्तावद्वेदः, यश्चान्योऽपि कचिद्वेदादविपरीतः परी-क्षकैः प्रणीतः शिष्टानुमतो लोकानुग्रह-प्रवृत्तः शास्त्र-वादः स चाऽऽप्तागमः । आप्तागमादुपलभ्यते-दान-पो-यज्ञ-सत्याहिंसा-ब्रह्मचर्याण्यभ्युदय-नि:-श्रेयस-कराणीति । न चानतिवृत्त सत्त्र-दोषाणामदोपेर पुनर्भवो धर्मद्वारेषु- पदिश्यते । धर्मद्वारावहितंच व्यपगत-भय-राग-द्वेष-लोभ-मोह-मानेर्महा- परैराः कर्मविद्भिरनुपहत-सस्त्र-बुद्धि-प्रचारः पूर्वैः पूर्वतरैर्महषिभिर्दिव्य- चक्षुभिर्होपदिष्टः पुनर्भव इति व्यवस्येदेवम् ॥२८॥

*आप्त पुरुषों का आगम वेद (ऋग्, यजुः, साम, और अथर्व) हैं ।* 

*(?) वेदों के सिवाय और भी कोई अन्य जो कि वेद के अर्थ के अनुकूल, परीक्ष से बनाया हुआ शिष्ट पुरुषों से अनुमत, जनसमाज के कल्याण के लिये (?)प्रकट है।* 

*जो अन्य ज्योतिष, व्याकरण, आयुर्वेद स्मृति आदि हैं, वे भी आप्तागम अर्थात् शब्द प्रमाण हैं।* 

*आप्तागम से भी जाना जाता है, कि ज्ञान, तप (दुन्दु-सहिष्णुता), यज्ञ (अग्निहोत्रादि), सत्य अहिंसा, ब्रह्मचर्य आदि कर्म अभ्युदय (इस लोक में कल्याण), और निःश्रेषण (परलोक में मङ्गल) करने वाले हैं ।* 

*मनोदोष, रजम्, और तमस् जिन के शान्त नहीं हो गये, – उन रजोगुणी या तमगुणी पुरुषों को अपुनर्भव नहीं कहा गया।* 

*अर्थात् रजोगुणी या तमोगुणी पुरुषों का पुनर्जन्म होता है । – ऐसा धर्म शास्त्रों में उपदेश किया गया है* 

*धर्मशास्त्रों में सावधान, राग, मोह, द्वेष, भय, लोभ, मोह, मान से रहित, ब्रह्मचारी, आप्त विद्वान, कर्म योग को जानने वाले, – जिन के मन, बुद्धि एवं प्रचार (व्यवहार) ठीक बने हुए हैं।* 

*ऐसे अति प्राचीन मदर्षियों ने दिव्य चक्षुओं (आँख) से देखकर निश्चयपूर्वक पुनर्जन्म का उपदेश किया है, – इसलिये उनका निश्चय सत्य करके जाने ॥२८॥*

प्रत्यक्षमा चोपलभ्यते-मातापित्रोर्विसहशान्यपत्यानि तुल्यसंभवानां वर्ण-स्वराकृति-सत्त्व-बुद्धि-भाग्यविशेषाः, प्रवरावर-कुल-जन्म, दास्यैश्वर्य, सुखासुखमायुः, आयुषी वैषम्यम् इद्दा कृतस्यावाप्तिः, अशि क्षितानां च रुदित-स्तन-पान-हास-त्रासादीनां च प्रवृत्तिः, लक्षणोलत्तिः, कर्मसामान्ये फलविशेषः, मेधा कचित्कचित्कर्मण्यमेधा, जातिस्मरणम्, इहाऽऽगमनमितश्च्युतानां च भूतानां समदर्शने त्रियाप्रियत्वम् ॥२९॥ 

*प्रत्यक्ष से भी जाना जाता है कि पुनर्जन्म है।* 

*माता-पिता से विभिन्न प्रकृति के पुत्र (रूपवान् माता पिता का काला पुत्र) होते हैं ।* 

*एक (१) ही माता-पिता के दो (२) पुत्रों में सगे भाइयों ने रंग, स्वर, आकृति, चेहरा, मन, ज्ञान, और भाग्य, प्रारब्ध (पूर्व जन्म के कार्य) भिन्न होते हैं।* 

*श्रेष्ठ और नीच कुल में जन्म होते हैं। किसी की दासता और किसी की ऐश्वर्य-सम्पत्ति होती है, कोई सुख पूर्वक जिन्दगी बसर करता है, कोई दुःख से जीवन व्यतीत करता है, आयु की विषमता।* 

*थोड़ा जीना, या अधिक देर जीना, यहां किए कर्म का फल न मिलना, पढ़े सीखे बिना ही रोने, दुग्ध पान (स्तन्य पान), हँसने डरने आदि कार्यों में प्रवृत्ति का होना।* 

*शरीर पर राज्यचिह्न या दारिद्रयसूचक चिह्नों का होना, एक सदूश काम करने पर भी फल में भिन्नता का रहना, कहीं पर बुद्धि का होना और कहीं पर बुद्धि का न होना, जाति।* 

*पूर्व जन्म वृत्तान्त का स्मरण करना, यहां (?) मरने पर फिर यहां आना, एक समान एक दृष्टि से देखने पर प्रिय एवं (?), राग-द्वेष बुद्धि का उत्पन्न होना – ये सब बातें पुनर्जन्म को सिद्ध करती हैं ॥२९॥* 

अत एवानुमीयते-यत्स्वकृतमपरिहार्यमविनाशि पोर्वदेहिक दैवसंज्ञकमानुबन्धिकं कर्म तस्येतत्फलम् इतश्चान्यद्भविष्यतीति । फलाद्बीजमनुमीयते फलं च बीजात् ॥३०॥ 

*उपरोक्त बातों को देखकर ही अनुमान भी किया जाता है कि अपना किया हुआ कर्म नहीं छोड़ा जा सकता, उसका विनाश नहीं हो सकता।* 

*पूर्व जन्म में किया हुआ ‘ भाग्य ‘ नामक आनुबन्धिक अर्थात आत्मा के साथ परलोक में भी निश्चित रूप से बँधा हुआ है ।* 

*उसी का यह फल है जो कि माता-पिता से पुत्र भिन्न प्रकृति के उत्पन्न होते हैं इत्यादि ।* 

*यहां किये कर्म से दूसरा जन्म होगा, बीज से फल का अनुमान होता है, कर्म से पुनर्जन्म का और पुनर्जन्म से कर्म का अनुमान होता है ॥३०॥*जय श्री कृष्णा