मैन मेड आपदा है त्यौहार के नाम पर ढोंगियों द्वारा ऐसी दुर्दांत पशु हत्या

किसी मुस्सल इमान वाले व्यक्ति की कुर्बानी जैसे दुर्दांत हिंसक कृत्य के विरूद्ध जागरूकता पोस्ट नहीं दिख रही, न पशु हत्या के इस काल दिवस पर सैक्युलर ज्ञान आ रहा। न जन्तु कल्याण बोर्ड सक्रिय न पुलिस प्रशासन की चुस्ती। न नालियों में रक्तरंजन पर पर्यावरणवेत्ता चिंतित। न मानवता के पहरूवे उद्वेलित। न नारियों की ममता जाग रही न दया धर्म की मूल भावना प्रस्फुटित हो रही। न आमीर खान सत्यमेवजयते में इस पशु हत्या जैसे जघन्य आपराधिक कृत्य को उजागर कर पाये। बामपंथियों और एनडीटीवी जैसों से तो उम्मीद ही क्या करें। न अब कोई गांधी और मेनका पशुओं का हितैषी बन कर आगे आ रहे। “पेटा” नाम की संस्था पशु हत्या के वििरोध में जागरूकता करती है परन्तु मजहब के नाम पर ढोंगियों द्वारा की जाने वाली पशु हत्या के मामले में बोलने से पेटा भी परहेज करती है। लेकिन इस काल दिवस, आसुरी वृति और मांसभक्षियों की वजह से दुनियां के बहुत से देश पशु विहीन हो चुके हैं, विशेष रूप से खाड़ी देशों में गोवंश तो दिखता भी नहीं है। भारत में भी तेजी से गो वंश सहित अन्य पशु समाप्त हो रहेे हैं। यह चिंता और चिंतन का विषय होना चाहिए। कुुर्बानी, बलि या सैक्रीफाईस के नाम पर ढोंगियों द्वारा की जाने वाली पशु हत्या एक तरह से मैन मेड आपदा है जिससे मनुुष्य का अमानुषिक चेहरा दिखता है। साथ ही दुनियां की पशु एवं जैव विविधता भी तेजी से समाप्त हो रही है। man Made Disaster is the name of the festival, such malicious animal killing by hypocrites- हरीश मैखुरी?✅
https://www.facebook.com/642143413/posts/10156288683528414/