रुखसाना कौसर, जिसने खुंखार आतंकवादियों को भून डाला

 
रुखसाना कौसर !
सौजन्य – केशर सिंह बिष्ट 
रसों प्रधानमन्त्री जी ने कश्मीर पर बात कहते हुए प्रेरणा बतौर चार कश्मीरियों के नाम लिए थे। उनमें से एक नाम है रुखसाना कौसर। राजौरी जिले के कलसी गांव की रुखसाना जब 20 साल की थीं, 27 सितम्बर 2009 की रात उनके चाचा वकालत हुसैन के घर आतंकियों ने हमला कर दिया था। रुखसाना अपने छोटे भाई एजाज के साथ वहीं खाट के नीचे छुपी हुई थीं। आतंकियों ने वकालत हुसैन को मारना शुरू कर दिया यह देखकर रुखसाना बाहर निकली और पास रखी कुल्हाड़ी से एक आतंकी के सिर में भरपूर वार कर दिया और उसकी Ak 47 छीनकर उसे गोली मार दी! उन्होंने दूसरे आतंकी को भी घायल किया और उसकी गन एजाज को थमा दी। ऐसे आक्रामक प्रतिरोध के कारण आतंकियों को भागना पड़ा। बाद में पता चला कि मारा गया आतंकी अबू ओसामा था जो लश्कर ए तोइबा का कमांडर था।
बदले में उनपर आतंकियों ने हमले किये और खतरों के बीच रुखसाना और उसके परिवार को हिम्मत से रहना पड़ा। ऐसे में एंटी टेरेरिस्ट फ्रंट के अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा ने उनकी परवरिश, पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी ली। रुखसाना को राज्य पुलिस ने कांस्टेबल बनाया। उन्हें केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, जयपुर में रानी झांसी बहादुरी पुरस्कार, गुजरात द्वारा सरदार पटेल पुरस्कार, महमहिम राष्ट्रपति द्वारा सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक और गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी 2010 को रुखसाना और उसके भाई ऐज़ाज़ को उनकी बहादुरी के लिए दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।
आज दो बेटियों की मां रुखसाना का मानना है कि हर भारतीय को 6 महीने की सैनिक शिक्षा जरूर देनी चाहिए। आज के हालातों के मद्देनजर उनकी यह बात मुनासिब लगती है। अत्याचार का प्रतिरोध प्राकृतिक भाव है, इस लिहाज से आततायी का दमन करना अनिवार्य है। रुखसाना का जीवन सबके लिए प्रेरक है खासतौर से लड़कियों के लिये। रुखसाना को सलाम !
#साभार !