महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुंभल गढ़ और बर्बर लुटेरे आक्रांताओं से युद्ध में हमारे देश के योद्धाओं का शौर्य व बलिदान

*महाराणा प्रताप की जन्म स्थली* 

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राजस्थान में *कुम्भल गढ़ का किला* 

38 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा 

है, जिस पर चार घोड़े एक साथ दौड़ 

सकते हैं। जीवन वृत्तांत ….. 

नाम – कुँवर प्रताप जी

(श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)

जन्म – 9 मई, 1540 ई.

जन्म भूमि – कुम्भलगढ़, राजस्थान

पुण्य तिथि – 19 जनवरी, 1597 ई.

पिता – श्री महाराणा उदयसिंह जी

माता – राणी जीवत कँवर जी

राज्य – मेवाड़

शासन काल – 1568–1597ई.

शासन अवधि – 29 वर्ष

वंश – सुर्यवंश

राजवंश – सिसोदिया

राजघराना – राजपूताना

धार्मिक मान्यता – हिंदू धर्म

युद्ध – हल्दीघाटी का युद्ध

राजधानी – उदयपुर

पूर्वाधिकारी – महाराणा उदयसिंह

उत्तराधिकारी – राणा अमर सिंह

 

अन्य जानकारी – 

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महाराणा प्रताप सिंह जी के पास 

एक सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका 

नाम *’चेतक’* था।

राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रताप 

सिंह उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया 

राजवंश के राजा थे।

वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की 

शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि 

राणा प्रताप का जन्म हुआ।

महाराणा का नाम इतिहास में 

वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी 

सम्वत् कैलेण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष 

ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई 

जाती है। महाराणा प्रताप के बारे में कुछ 

रोचक जानकारी:-

1) महाराणा प्रताप एक ही झटके में 

घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।

2) जब अब्राहिम लिंकन भारत दौरे 

पर आ रहा था तब उन्होने अपनी माँ 

से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए 

क्या लेकर आएं। तब माँ का जवाब 

मिला —- 

”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी 

घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना 

जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति 

इतना वफ़ादार था कि उसने आधे 

हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि 

को चुना” लेकिन भाग्य से उनका वो 

दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़ 

प्रेसिडेंट यु एस ए” किताब में आप 

यह बात पढ़ सकते हैं |

3) महाराणा प्रताप के भाले का 

वजन 80 किलोग्राम था और कवच 

का वजन भी 80 किलोग्राम ही था। 

कवच, भाला, ढाल, और हाथ में 

तलवार का वजन मिलाएं तो कुल 

वजन 207 किलो था।

4) आज भी महाराणा प्रताप की 

तलवार, कवच आदि सामान उदयपुर 

राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं। 

5) अकबर ने कहा था कि अगर 

*राणा प्रताप* मेरे सामने झुकते हैं 

तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे 

पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी। 

लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की 

भी आधीनता स्वीकार करने से मना 

कर दिया। 

6) हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ 

से 20000 सैनिक थे और अकबर 

की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में 

सम्मिलित हुए |

7) महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक 

का मंदिर भी बना हुआ है जो आज 

भी *हल्दी घाटी* में सुरक्षित है |

8) महाराणा प्रताप ने जब महलों 

का त्याग किया तब उनके साथ 

लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी 

घर छोड़ा और दिन रात राणा कि 

फौज के लिए तलवारें बनाईं। इसी 

समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश 

और राजस्थान में गाढ़िया लोहार 

कहा जाता है। 

मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को। 

9) हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल 

बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई 

गई। आखिरी बार तलवारों का 

जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में 

मिला था |

10) महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र 

की शिक्षा *श्री जयमल मेड़तिया जी* 

ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों 

को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े 

थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे 

जिनमे 8000 राजपूत और 40000 

मुग़ल थे |

11) महाराणा के देहांत पर अकबर 

भी रो पड़ा था। 

12) मेवाड़ के आदिवासी भील 

समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की 

फौज को अपने तीरों से रौंद डाला था 

वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा 

मानते थे और राणा बिना भेदभाव के 

उन के साथ रहते थे। आज भी मेवाड़ 

के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत है 

तो दूसरी तरफ भील अंकित है। 

13) महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक 

महाराणा को 26 फीट का दरिया 

पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त 

हुआ। उसकी एक टांग टूटने के बाद 

भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो 

घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली 

नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की 

मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है। 

14) राणा का घोड़ा *चेतक* भी 

बहुत ताकतवर था। उसके मुँह के 

आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित 

करने के लिए हाथी की सूंड लगाई 

जाती थी। यह *हेतक और चेतक* 

नाम के दो घोड़े थे। 

15) मरने से पहले महाराणा प्रताप 

ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड 

फिर से जीत लिया था। सोने चांदी 

और महलो को छोड़कर वो 20 

साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे। 

16) महाराणा प्रताप का वजन 

110 किलो और लम्बाई 7’5” थी। 

दो म्यान वाली तलवार और 80 

किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी 

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मित्रो आप सब ने महाराणा प्रताप के 

घोड़े *चेतक* के बारे में तो सुना ही 

होगा, लेकिन उनका एक हाथी भी 

था। उसका नाम था *रामप्रसाद*। 

उसके बारे में आपको कुछ बातें  

बताता हुँ —- 

*रामप्रसाद हाथी* का उल्लेख 

*अल- बदायुनी*, जो मुगलों की ओर 

से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था ने 

अपने एक ग्रन्थ में किया है। वो 

लिखता है कि जब महाराणा प्रताप 

पर अकबर ने चढाई की थी तब 

उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की 

मांग की थी एक तो खुद महाराणा 

और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है — 

वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर 

था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में 

अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को 

मार गिराया था। 

वो आगे लिखता है कि उस हाथी को 

पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों 

का एक चक्रव्यूह बनाया और उन 

पर 14 महावतों को बिठाया तब 

कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।

अब सुनिए एक भारतीय जानवर की 

स्वामी भक्ति ……. 

—- उस हाथी को अकबर के समक्ष

पेश किया गया जहां अकबर ने 

उसका नाम पीर प्रसाद रखा। 

रामप्रसाद हाथी को मुगलों ने गन्ने

और पानी दिया। पर उस स्वामिभक्त 

हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न 

तो दाना खाया और न ही पानी पिया 

और वो शहीद हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि जिसके 

हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका 

पाया उस महाराणा प्रताप को क्या 

झुका पाउँगा।

*ऐसे ऐसे देशभक्त अश्व चेतक* व 

*रामप्रसाद गजराज जैसे तो यहाँ* *जानवर थे*

एक और बात भारत में हजारों किले और महल हैं जो यहाँ के राजा महाराजाओं ने बनवाये हैं लेकिन लुटेरे आतंकी अरबी कबीले मुगलों के अपने यवन देशों में एक भी महल और किले नहीं हैं क्योंकि उन दुर्दांत हिंसक जंगली कबीलों के पास झोपड़ी बनाने का भी सलीका नहीं था न आर्किटेक्चर था तो महल और किले बनाने की बात वे सोच भी नहीं सकते थे। क्योंकि वे लुटेरे आक्रांता कबीले ही थे। हां दुर्दांत आक्रमणकारियों ने भारत में 28000 मंदिरों को लूटा तोड़ा और विद्रुप किए। यही नहीं यवन मुगल आक्रांताओं ने  तक्षशिला विश्वविद्यालय, शारदा विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय (इसकी स्थापना गुप्त वंश के शक्रादित्य उर्फ़ कुमारगुप्त ने की थी) 

तेलाहारा विश्वविद्यालय …

ओदंतपुरी विश्वविद्यालय …

बिक्रमशिला विश्वविद्यालय …

सोमपुरा विश्वविद्यालय …

पुष्पगिरी विश्वविद्यालय …सहित हजारों विश्वविद्यालय और लाखों गुरुकुल भी नष्ट किए अभी कुछ वर्षों पहले बामियान में तोपों से बौद्ध मूर्तियां तोड़ी ताकि इतिहास और संस्कृति मिटायी जा सके। इसलिए जब भी पाठ्यक्रम में मुगलों को महान बताने वाली बामपंथियों की ताजमहल या लाल किले वाली कूट रचित #टूलकिट कहानियां पढ़ो तो महाराणा प्रताप का बलिदान महाराजा रणजीत सिंह और हरिसिंह नलवा का बलिदान गुरू गोविन्द सिंह और तेगबहादुर सिंह जैसे हमारे देश के लाखों योद्धाओं का बलिदान याद रखना। क्यों कि स्थिति आज भी नहीं बदली बल्कि और खतरनाक और जटिल हुई है उदाहरण के लिए 

*3 लाख से अधिक मस्जिदों को कभी सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती!*

*लेकिन राममंदिर और बाकी सभी मंदिरों की सुरक्षा हाइटेक रखनी पड़ती है!*

*आखिर क्यो ? अगर हो कोई जवाब,” तो जरूर देना!😕*

*प्रशासन को पुलिस अर्धसैनिक बल सिर्फ मंदिरों में क्यों तैनात करने पड़ते हैं?*
*यह स्थिति 100 करोड़ हिंदूओं के गाल पर किसी तमाचे से कम नहीं!*

*स्मरण रहे!☝️*
*संसार में इस्लाम फैला है तो क्रू”रता से !*
*ईसाईयत फैली है तो धू”र्तता से !*

*जबकि हिंदुत्व सिकुड़ा है तो अपनी ही मूर्खता से….😕*

*हिंदूओं पर संकट आता है, तो वह बीजेपी और आरएसएस की तरफ देखता है..!!*

*किंतु वोट देते समय वह व्यक्तिगत* *स्वार्थ व जाति को देखता है।*
*कड़वा लगेगा! किंतु सत्य तो यही है।*
🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳

*👉👉विश्वप्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय को जलाने वाले जे हादी …..#बख्तियार खिलजी की मौत कैसे हुई थी ???*

*…..असल में ये कहानी है सन 1206 ईसवी की…!*

*👉1206 ईसवी में कामरूप (असम) में एक जोशीली आवाज गूंजती है..*.

*👉👉”बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर …….#कामरूप (असम) की धरती पर आया है…*

*👉👉अगर तू….. और……. तेरा एक भी सिपाही ब्रह्मपुत्र को पार कर सका तो …….मां चंडी (कामातेश्वरी) की सौगंध मैं जीते-जी अग्नि समाधि ले लूंगा”… राजा पृथु*

 

*👉👉और , उसके बाद 27 मार्च 1206 को असम की धरती पर एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई जो मानव….*

*👉#अस्मिता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है.*

*👉👉एक ऐसी लड़ाई जिसमें किसी फौज़ के फौज़ी लड़ने आए तो 12 हज़ार हों और जिन्दा बचे सिर्फ 100….*

*👉👉जिन लोगों ने #युद्धों के इतिहास को पढ़ा है वे जानते हैं कि जब कोई दो फौज़ लड़ती है तो कोई एक फौज़ या तो बीच में ही हार मान कर भाग जाती है* या समर्पण करती है…

*👉👉लेकिन, इस लड़ाई में 12 हज़ार सैनिक लड़े और बचे सिर्फ 100 वो भी घायल….*

*👉👉ऐसी मिसाल दुनिया भर के इतिहास में संभवतः कोई नहीं….*

*👉……आज भी गुवाहाटी के पास वो #शिलालेख मौजूद है जिस पर इस लड़ाई के बारे में लिखा है.*

*👉👉उस समय मुहम्मद बख्तियार खिलज़ी बिहार और बंगाल के कई राजाओं को जीतते हुए असम की तरफ बढ़ रहा था.*

*👉👉इस दौरान उसने नालंदा 👉#विश्वविद्यालय को जला दिया था और हजारों बौद्ध, जैन और हिन्दू विद्वानों का कत्ल कर दिया था.*

*👉👉नालंदा विवि में विश्व की अनमोल पुस्तकें, पाण्डुलिपियाँ, अभिलेख आदि जलकर खाक हो गये थे.*

*👉👉यह जे हादी खिलज़ी मूलतः अफगानिस्तान का रहने वाला था और मुहम्मद गोरी व कुतुबुद्दीन एबक का रिश्तेदार था.*

बाद के दौर का *👉👉#अलाउद्दीन खिलज़ी भी उसी का रिश्तेदार था.*

*👉👉असल में वो जे हादी खिलज़ी, #नालंदा को खाक में मिलाकर असम के रास्ते तिब्बत जाना चाहता था.*

*👉👉क्योंकि, तिब्बत उस समय… चीन, मंगोलिया, भारत, अरब व सुदूर पूर्व के देशों के बीच ,…..व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था तो खिलज़ी इस पर कब्जा जमाना चाहता था….*

*👉👉लेकिन, उसका रास्ता रोके खड़े थे असम के राजा #पृथु… जिन्हें राजा बरथू भी कहा जाता था…*

*आधुनिक गुवाहाटी के पास दोनों के बीच युद्ध हुआ.*

*👉👉राजा पृथु ने सौगन्ध खाई कि किसी भी सूरत में वो खिलज़ी को ब्रह्मपुत्र नदी पार कर तिब्बत की और नहीं जाने देंगे…*

*👉👉उन्होने व उनके आदिवासी यौद्धाओं नें जहर बुझे तीरों, खुकरी, बरछी और छोटी लेकिन घातक तलवारों से खिलज़ी की सेना को बुरी तरह से काट दिया.*

स्थिति से* *घबड़ाकर…. खिलज़ी अपने कई सैनिकों के साथ जंगल और पहाड़ों का फायदा उठा कर भागने लगा…!*

*👉👉लेकिन, असम वाले तो जन्मजात यौद्धा थे..*

*👉👉और, आज भी दुनिया में उनसे बचकर कोई नहीं भाग सकता….*

*👉👉उन्होने, उन भगोडों #खिलज़ियों को अपने पतले लेकिन जहरीले तीरों से बींध डाला….*

*👉👉अन्त में खिलज़ी महज अपने 100 सैनिकों को बचाकर ज़मीन पर घुटनों के बल बैठकर क्षमा याचना करने लगा….*

*👉👉…राजा पृथु ने तब उसके सैनिकों को अपने पास बंदी बना लिया और …..खिलज़ी को अकेले को जिन्दा छोड़ दिया उसे घोड़े पर लादा और कहा कि*

*👉👉”तू वापस अफगानिस्तान लौट जा…*

*और, रास्ते में जो भी मिले उसे कहना कि तूने नालंदा को जलाया था फ़िर तुझे राजा पृथु मिल गया…बस इतना ही कहना लोगों से….”*

*👉👉खिलज़ी रास्ते भर इतना बेइज्जत हुआ कि जब वो वापस अपने ठिकाने पंहुचा तो उसकी दास्ताँ सुनकर उसके ही भतीजे अली मर्दान ने ही उसका सर काट दिया….*

लेकिन, कितनी दुखद बात है कि इस… *बख्तियार खिलज़ी के नाम पर बिहार में एक कस्बे का नाम बख्तियारपुर है और वहां रेलवे जंक्शन भी है.*

*👉जबकि, हमारे राजा पृथु के नाम के #शिलालेख को भी ढूंढना पड़ता है.*

लेकिन, जब अपने ही देश भारत का नाम भारत करने के लिए कोर्ट में याचिका लगानी पड़े तो समझा जा सकता है कि क्यों ऐसा होता होगा…..