करपात्री जी महाराज : विद्वता के शिखर पर विराजमान ऐसे युगद्रष्टा जिनको ” अभिनव शंकर ” और ” धर्मसम्राट की उपाधि से विभूषित किया गया

स्वामी करपात्रीजी महाराज का परिचय
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विद्वता के शिखर पर विराजमान एक ऐसे युगद्रष्टा जिनको ” अभिनव शंकर ” और ” धर्मसम्राट की उपाधि से विभूषित किया गया । श्री स्वामी करपात्री का सम्पूर्ण जीवन त्याग , तपस्या से परिपूर्ण और सनातन धर्म को सशक्त संगठित कर उसके गौरवपूर्ण स्थान पर शोभायमान करना था । देखते हैं वो क्या गुण विशेष थे श्री स्वामी करपात्री जी महार‍ाज में जिसके कारण उन्हें धर्मसम्राट कहा गया ।

1. ) युगद्रष्टा श्री स्वामी जी को इसिलिये कहा जाता है की श्री स्वामी करपात्री जी महार‍ाज भारत के परतंत्रता के दिनों में सनातन धर्म के विपरित और विरुद्ध चलाये जा रहे कुचक्रों और षडयंत्रों से अच्छी तरह से परिचित थे । परिचित होकर वो बैठे नहीं अपितु समग्र भारत का भ्रमण कर सनातन धर्म के दार्शनिक , बुद्धिजीवियों और संत समाज को श्री स्वामी करपात्री जी महाराज ने अधिवेशनों , धर्मसभाओं , धर्मसेना के माध्यम से एकजुट किया और स्वंतंत्रता संग्राम में भी निर्णायक भूमिका निभाई । ब्रिटिश , मुस्लिम लीग , मिशनरीज़ , दलित विचारक , राजनैतिक दल अपने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये सनातन धर्म की मनमानी व्याख्याऐं और आरोप-प्रत्यारोप के द्वारा सनातन धर्म को हानि और क्षति पहुंचा रहे थे । श्री स्वामी जी ने उस समय मोर्चा संभाला और अपनी विद्वता से सनातन धर्म के विषय में जो भ्रांतियां और भ्रम फैलाये जा रहे थे उनको प्रबल प्रतिउत्तर दिया ।

2 .) श्री स्वामी करपात्री जी महाराज ने अपने ग्रन्थों के माध्यम से कई प्रकार की विचारधाराओं और दर्शन से श्रेष्ठ सनातन धर्म को सिद्ध किया । उदाहरण के लिये ” मार्क्सवाद और रामराज्य ” तथा ” रामायणमीमांसा ” , ” विचारपीयूष” जैसे अनेक ग्रन्थों की संरचना कर श्री स्वामी जी जहां वैदिक वांगमय में अंर्तनिहीत सर्वमंगलमयी विचारधारा और दिग्विजयी दर्शन को विश्वपटल पर रखा ।

3.) धर्मनियंत्रित पक्षपातविहिन शोषनविर्निमुक्त सर्वहितप्रद शासनतंत्र जिसे रामराज्य ही कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी वही श्री स्वामी करपात्री जी महाराज का स्वप्न था । और उसकी प्रतिष्ठा के लिये उन्होंनें स्वतंत्रता संग्राम भी लड़ा और क्षेत्रीय धरातल पर जो सनातन धर्म के विरुद्ध षडयंत्र रचे जा रहे थे उन सबक‍ा भी श्री स्वामी जी ने अपने ग्रंथों , शास्त्रार्थ और अपने अथक परिश्रम से प्रतिउत्तर दिया ।

4.) श्री स्वामी करपात्री जी महाराज जगदगुरु शंकराचार्य भगवान द्वारा स्थापित शांकर परंपरा में दण्डी स्वामी थे और शास्त्रार्थ करने में पूर्ण पारंगत , निपुण , प्रवीण थे । कई बार शास्त्रार्थ में श्री स्वामी जी ने कईयों को परास्त किया । ग्रन्थों पर भाष्य और विषद व्याख्या कर श्री स्वामी करपात्री जी महाराज ने सनातन धर्म के उपासना वांगमय को और अधिक समृद्ध बनाया ।

5. ) दिशाहीन राजनीति का शोधन करने के लिये श्री स्वामी करपात्री जी महाराज ने राजनैतिक दल बनाया था जिसका नाम था ” राम राज्य परिषद ” । जिसने स्वतंत्रता पश्चात चुनावों में सफलता प्राप्त की थी । धर्मवीर सेना का गठन श्री स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा किया गया था ताकी सेवा के प्रकल्प के साथ साथ सनातन धर्म के प्रचार , प्रसार , विस्तार , संरक्षण , संवर्धन के अभियान सदा सतत नित्य निरंतर चलते रहें ।

6.) गौ वध पर रोक लगवाने मे लिये श्री स्वामी करपात्री जी महाराज ने 7-11-1966 में दिल्ली में अखिल भारतीय गौ रक्षा महाभियान समिति द्वारा आयोजित विराट प्रदर्शन का नेतृत्व किया जिसमें दस लाख गौभक्तों सम्मिलित हुऐ थे । उस सभा पर लाठी चार्ज किय‍ा गया था तथा श्री स्वामी जी को जेल में बंद कर दिया गया था ।

7.) विद्वता और पुरुषार्थ के शिखर पर विराजमान श्री स्वामी करपात्री जी महाराज के दिक्षागुरु श्री ज्योर्तिमठ बद्रिकाश्रम के जगदगुरु शंकराचार्य श्री ब्रह्मानंद सरस्वती जी रहे । श्री स्वामी करपात्री जी के द्वारा वर्तमान श्री द्वारका शारदा मठ और ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरुपान्नंद सरस्वती जी को प्रतिष्ठित किया गया । श्री गोवर्धन मठ के वर्तमान श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलान्नंद सरस्वती जी महाराज भी श्री स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य हैं जो की गोवर्धन मठ के शंकरा‍चार्य बने। श्री स्वामी करपात्री जी महाराज चाहते तो स्वयं शंकराचार्य बन सकते थे क्योंकी उनमें वो सभी योग्यताऐं थीं लेकिन करपात्री जी महाराज दण्डी स्वामी ही रहे । ये उनके त्याग क‍ा एक और प्रमाण है ।

वास्तव में श्री स्वामी करपात्री जी महाराज को जिस ” अभिनव शंकर ” और ” धर्मसम्राट ” की उपाधि से विभूषित किया गया वो उनके त्याग , तपस्या , पुरुषार्थ और विद्वतापूर्ण जीवन के लिये सार्थक ही है । श्री स्वामी जी वास्तव में धर्मसम्राट थे , हैं और रहेंगें ।जय श्री राम

✍️हर हर महादेव