किसी भी ऐतिहासिक शहर को ख़तम करना हो तो उसे – अस्थायी या स्थायी – राजधानी बनाना शुरू कर दो !

 
जगम्बा प्रसाद मैठाणी
माना आपने बहुत अच्छा किया देहरादून शहर की सुंदर नहरों को  दफनाकर उनके ऊपर से – सचिवालय  और राजभवन ( पुराना सर्किट हाउस )  जाने के लिए सड़कें बनवा दी ! उन सडकों पर रंगीन  पिलर, बीच में डिवाईडर बना  दिये उन पर अनुपयोगी  लेकिन बिना पानी डाले या बिना ज्यादा मेहनत के उगने वाली झाडिया और घास उगा दी ( हालांकि आप इस पर हर महीनों लाखों के बजट सटोर जाते हो ) , कहीं- कहीं तो MDDA और नगर निगम ने रामबांस भी लगा दिए  बाद में वो काटे दार पेड़ काटे गए क्यूंकि किसी सचिव  के परिजन को चुभ गए थे कनाट प्लेस में ठीक टैगोर विला के पास !
अब आजकल आपने झाड़ियाँ  कटिंग कर दी – माली भाग खड़े हो गए , और कटी झाड़ियों की टहनियां 3 दिनों से वहीँ सड़क के दोनों और सड – गल रही हैं – योजनाकारों  की  सडी- गली लापरवाह सोच के साथ ! ( कृपया देखें ONGC चौक से गढ़ी- सेवन ओक स्कूल तक).
अब इस पर एक्सीडेंट, फिसलने का डर बना हुआ है .ये झाडीयाँ बहकर नालियां और ड्रेनेज  बंद कर रही है ! ये काम क्या फिर से जनता का है – अगर हाँ तो सैकड़ों – सफाई कर्मी, माली, सुपरवाइजर ,इंजिनियर  क्यूँ रखे हैं – ये सफाई की जिम्मेदारी किसकी है ! कुछ  तो शर्म करो – VIP रोड से गुजरने वालों – तुमसे आम आदमी की परेशानी नहीं देखि जाती ( आम आदमी से मतलब जन सामान्य से है – AAP से नहीं ) !