उत्तराखंड में पहली बार दून विश्वविद्यालय में विज्ञान के शोधार्थियों के लिए आयोजित हुआ सात दिवसीय सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम

उत्तराखंड में पहली बार दून विश्वविद्यालय में विज्ञान के शोधार्थियों के लिए आयोजित हुआ सात दिवसीय सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम।

डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (भारत सरकार) द्वारा प्रायोजित एक कार्यशाला “स्तुति” (STUTI) का आयोजन दून विश्वविद्यालय में किया जा रहा है जिसमें उत्तराखंड और भारत के विभिन्न हिस्सों से विज्ञान विषय के शोधार्थी प्रतिभाग कर रहे हैं. भारत सरकार के अंतर्गत डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए धन उपलब्ध कराया है।

इस सत्र के मुख्य अतिथि के तौर पर प्रो. दुर्गेश पंत (माननीय महानिदेशक, उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) ने प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम में माननीय कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, मुख्य सलाहकार प्रो. कुसुम अरुणाचलम, समन्वयक डॉ. नरेंद्र रावल, डॉ. विजय श्रीधर, डॉ. विपिन के. सैनी, डॉ. चारु द्विवेदी, डॉ. हिमानी शर्मा और डॉ. प्रीति मिश्रा ने भी भाग लिया.

दून विश्वविद्यालय देहरादून में इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाला उत्तराखंड राज्य का पहला विश्वविद्यालय है। STUTI का अर्थ है “वैज्ञानिक और तकनीकी अवसंरचना का उपयोग करते हुए सहक्रियात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम”। ध्यान देने योग्य है कि पहली बार, इस कार्यक्रम को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) द्वारा वर्ष 2021 में शुरू किया गया है। दिसंबर 2021 में वर्कशॉप के आयोजन के लिए प्रस्तावों को आमंत्रित किया गया था, और इस योजना (एसटीयूटीआई) के तहत परियोजना प्रबंधन इकाइयों (पीएमयू) की पहचान की गई थी।

इस कार्यक्रम के मुख्य कोऑर्डिनेटर डॉ अरुण कुमार ने बताया कि भारत सरकार का उद्देश्य पूरे देश में विज्ञान और तकनीकी अवसंरचना तक सभी की खुली पहुंच के माध्यम से मानव संसाधन और उसकी क्षमता का निर्माण करना है। डीएसटी के पास विभिन्न उपकरणों और विश्लेषणात्मक तकनीकों के बारे में जागरूकता, उपयोग और अनुप्रयोग पर अल्पकालिक पाठ्यक्रम/कार्यशालाओं का आयोजन करके इस उद्देश्य को प्राप्त करने की योजना है। शीर्ष निकाय के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने हमारे देश में लगभग 13 परियोजना प्रबंधन इकाइयों (पीएमयू) की स्थापना की है। परियोजना प्रबंधन इकाई एक हब के रूप में कार्य करती है और सहज और कुशल तरीके से प्रशिक्षण के समन्वय और प्रशिक्षण के लिए संस्थान/ उपकरण को लक्षित करती है। परियोजना प्रबंधन इकाई के पास देश के विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान में सक्रिय रूप से शामिल वैज्ञानिकों/प्रोफेसरों/पीएचडी स्कॉलर/पीडीएफ शोधार्थीयों को लक्षित करते है ताकि डीएसटी समर्थित अनुसंधान एवं विकास उपकरण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजिन किया जा सके.

दून यूनिवर्सिटी डीएसटी द्वारा प्रायोजित अपने स्वयं के उपकरणों पर प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है। दून विश्वविद्यालय मेजबान प्रशिक्षण संस्थान के तौर पर कार्यक्रम का उद्देश्य, सामग्री, मॉड्यूल, सत्र योजना, कार्यप्रणाली/शिक्षाशास्त्र तैयार कर रहा है।

दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने संदेश में कहा कि यह कार्यक्रम उन उद्देश्यों को प्राप्त करेगा जिनकी पहचान भारत सरकार ने की है। इस तरह के आयोजन से इसमें प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों के साथ साथ हमारे उत्तराखंड राज्य के विद्यार्थी और शोधार्थी अत्यधिक लाभान्वित होंगे। इस कार्यक्रम के आगामी सत्रों में प्रो. पी. बलराम (एक बहुत प्रसिद्ध शिक्षाविद, पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित और भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के पूर्व निदेशक) 31 अक्टूबर 2022 को हमारे विश्वविद्यालय का दौरा करेंगे। वह 1 नवंबर 2022 को बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक विषयों पर STUTI के प्रतिभागियों और हमारे विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करेंगे। मुझे यह भी उम्मीद है कि यह कार्यक्रम हमारे विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों को विज्ञान की संभावनाओं को उत्त्पन्न करने का अवसर प्रदान करेगा। अगले 07 दिनों के दौरान प्रतिभागियों को संबोधित करने वाले विभिन्न विशेषज्ञों के साथ बैठक सभी प्रतिभागियों और छात्रों के लिए प्रेरक होगी।

दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एमएस मंदरवाल ने बताया की परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) का एक अन्य उद्देश्य लघु प्रशिक्षण और लोकप्रिय विज्ञान कार्यक्रमों के माध्यम से स्कूली छात्रों (विज्ञान स्ट्रीम) के लिए अनुसंधान एवं विकास उपकरण/सुविधा पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना भी है।

इस कार्यक्रम के मध्य दून विश्वविद्यालय से डॉ राजेश भट्ट, प्रो हर्ष पति डोभाल, डॉ प्रीति मिश्रा, डॉ चारू द्विवेदी, डॉ हिमानी, नरेंद्र लाल आदि उपस्थित थे. डॉ अविनाश जो परियोजना प्रबंधन इकाई (एमिटी विश्वविद्यालय में डीएसटी द्वारा स्थापित) के प्रतिनिधि हैं, उन्होंने भी दून विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।