केदारनाथ के कपाट बंद भगवान शंकर एकांत में, छ माह ओंकारेश्वर मंदिर में रहेगी डोली, यमुनोत्री धाम के भी कपाट बंद, इस वर्ष बने श्रध्दालुओं की संख्या व व्यावसाय के नये मानक

✍️हरीश मैखुरी

आज भगवान केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीत काल के लिए बंद हुए। विछोह के पल भाव विभोर कर गये। सुखी दुखी जखी रोला , त्वे ते नी बिसरौला।

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी बाबा केदारेश्वराय के कपाट विधि- विधान से वेद मंत्रों के द्वारा आज प्रातः 8:30 बजे बन्द कर दिए गए एवं बाबा केदारनाथ की चल- विग्रह डोली अपने शीतकालीन प्रवास गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान हुईबाबा केदार के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट भैया दूज के अवसर पर मंत्रोच्चारण के बीच शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सेना की मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच तीन हज़ार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। 29 अक्तूबर को डोली अपने शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।सुबह चार बजे से ही मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग ने आराध्य का श्रृंगार कर आरती उतारी। इस अवसर पर पर स्वयंभू लिंग को समाधि रूप देकर पुष्प व भस्म से ढका गया। भगवान की भोग मूर्तियों को चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर भक्तों के दर्शनों के लिए कुछ देर मंदिर परिसर में रखा गया।
अन्य धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्रशासन व बीकेटीसी के अधिकारियों की उपस्थिति में मंदिर के कपाट बंद कर चाबी एसडीएम ऊखीमठ को सौंप दी गई।
भैयादूज के पावन पर्व पर गुरुवार को परंपरानुसार भगवान आशुतोष के ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग श्रीकेदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस मौके पर सैकड़ों भक्तों ने बाबा के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा में रिकॉर्ड 15 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं।

(केदारनाथ धाम के गर्भगृह की दीवारों और छत को 3 दिन में 19 कारीगरों द्वारा 550 सोने की परतों से दिया गया भव्य रूप..अध्यक्ष मंदिर समिति ) 

केदारनाथ और यमनोत्री में घोड़ा-खच्चर, हेली और डंडी-कंडी से 211 करोड़ का कारोबार*

*केदारनाथ में घोड़ा-खच्चर से हुआ 101.34 करोड़ का कारोबार*

*यमुनोत्री धाम में घोड़े खच्चरों से हुआ 21 करोड़ का कारोबार*

*यात्राकाल में GMVN की भी ₹50 करोड़ के क़रीब आय का अनुमान*

*प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में चारधाम यात्रा से नए उत्तराखण्ड के नए युग की शुरुआत हो चुकी है- मुख्यमंत्री*

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा अपने आख़िरी पड़ाव पर है। बाबा केदार के कपाट गुरुवार 27 अक्टूबर को विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए, इसके अलावा यमनोत्री के कपाट भी विधिविधान से बंद कर दिए गए। इधर सरकार के प्रयासों से कोरोना काल के बाद चार धाम यात्रा की रौनक़ पुनः पटरी पर लौटती हुई नज़र आई। चारधाम यात्रा ने इस वर्ष तमाम रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में सिर्फ़ घोड़ा खच्चरों, हेली टिकट और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े से लगभग 211 करोड़ के आस- पास कारोबार हुआ है।

*मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन को लेकर ख़ुशी जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के कथनानुसार आने वाला दशक उत्तराखण्ड है उसकी शुरूआत आज से ही हो चुकी है। इस बार की चार धाम यात्रा बहुत उत्साह वर्धक रही है।प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।प्रधानमंत्री जी द्वारा धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों को ख़रीद पर पाँच प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की गई है।आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। मानस खंड कारीडोर के मास्टर प्लान का काम भी शीघ्र प्रारम्भ किया जाएगा।हमारी सरकार का उद्देश्य समस्त पौराणिक मंदिरों को संवारने का है और उसको पर्यटन से जोड़ना है।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों व कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा की। पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आँकड़ा है वहीं श्री केदारनाथ धाम की अकेले बात की जाए तो यहाँ 15 लाख 36 हजार * तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को भी यात्रा साकार करती है। चारधाम यात्रा प्रदेश की आर्थिकी की लाईफ लाईन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित किया है। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप केदारनाथ व बदरीनाथ धाम का पुनर्विकास किया जा रहा है।

*केदारनाथ में हुआ ₹190 करोड़ से अधिक का कारोबार*

इस वर्ष केदारनाथ यात्रा स्थानीय व्यवसाइयों के लिहाज़ से भी काफ़ी बेहतर रही। सिर्फ़ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 190 करोड़ के आस- पास यह कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम इस बार घोड़े खच्चर व्यवसाइयों ने क़रीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया। जिससे सरकार को भी 8 करोड रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ। यात्रा सुगम बनाने को लेकर प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपए की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया। इधर सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ।

*यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का हुआ 21 करोड़ का कारोबार*

इधर यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का लगभग 21 करोड़ का कारोबार इस साल हुआ है। यमनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत हैं , ज़िला पंचायत के अनुसार इस साल यात्रा काल में 21 करोड़ 75 लाख का कारोबार हुआ है। यह आँकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ है।

*GMVN की अनुमानित आय भी ₹50 करोड़ के क़रीब*

इसके अलावा चारधाम यात्रा में यात्रा मार्ग के सभी होटल / होमस्टे, लाज और धर्मशालाएं भी पिछले छः माह तक बुक रही। पिछले सालों तक GMVN जहां आर्थिक नुक़सान झेल रहा था इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय कर चुका है। GMVN के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि यह आँकड़ा 50 करोड़ के क़रीब जाने का अनुमान है। इसके अलावा चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले सालों की औसत आय से तीन गुना अधिक का कारोबार किया है।

*प्रधानमंत्री ने यात्रा खर्चे का 5% स्थानीय उत्पादों पर खर्च करने का आह्वान किया*

प्रधानमंत्री ने बीते 21 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम स्थित माणा गाँव में वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी, आप कल्पना भी नही कर सकते। ऐसे में अब भविष्य को देखते हुए चारधाम यात्रा में स्थानीय उत्पादों को भी बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

*इस दृष्टि से भी विशेष रही यात्रा*

गौरीकुण्ड-केदारनाथ व गोविंदघाट-हेमकुण्ट साहित्य रोपवे परियोजनाओं का भी प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था। इनके बनने से श्रद्धालुओं की घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी होगी।श्री केदारनाथ धाम यात्रा वर्ष 2022

 

•श्री केदारनाथ धाम शीतकाल के लिए कपाट बंद होने के अवसर पर सेना की मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच तीन हज़ार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।

 

• इस यात्रा वर्ष रिकॉर्ड पंद्रह लाख एकसठ हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये।

• प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया।

 

• प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा प्रदेश सरकार के प्रयासों से केदारनाथ यात्रा में रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे।

• कपाट बंद होने के अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार

सहित जिला प्रशासन, पुलिस सेना के अधिकारी उपस्थित रहे।

• श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह सहित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

केदारनाथ धाम: 27 अक्टूबर। आज भैया दूज के पावन अवसर पर बृहस्पतिवार प्रात: 8 बजकर 30 मिनट पर ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। इस अवसर पर तीन हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। 

आज प्रात: तीन बजे केदारनाथ मंदिर खुल गया चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हो गयी। पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्यंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया गया ज्योर्तिलिंग को बाघांबर, भृंगराज फूल,भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों- पत्तों, आदि से ढ़क दिया गया।इसके साथ ही भकुंट भैरव नाथ के आव्हान के साथ ही गर्भगृह तथा मुख्य द्वार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में बंद किया गया। इसके साथ ही पूरब द्वार को भी सीलबंद किया गया।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया। कहा कि इस बार चारधाम यात्रा रिकार्ड पैंतालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नयी केदार पुरी अस्तित्व में आ चुकी है जहां तीर्थयात्रियों को हर संभव सुविधाएं मुहैया हो रही है। गौरीकुंड- केदारनाथ रोप वे के बनने से केदारनाथ यात्रा अधिक सुगम हो जायेगी। 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट तथा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है।तथा केदारनाथ धाम में भी रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे।

 इस अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, पंकज मोदी, मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार,भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, जिला प्रशासन पुलिस के अधिकारी, केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त सचिव/ मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, यात्रा मजिस्ट्रेट गोपाल राम बिनवाल, तहसीलदार दीवान सिंह राणा कार्याधिकारी आरसी तिवारी, धर्माधिकारी औंकार शुक्ला, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, केदारनाथ सभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़, देवडोली यात्रा प्रभारी प्रदीप सेमवाल, देवानंद गैरोला, राजकुमार तिवारी आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर सेना की 11 मराठा लाईट इ़फ्रंट्री रूद्रप्रयाग के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा बाबा केदार की जय उदघोष से केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा। इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि सामूहिक सहयोग समन्वय से यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हुआ है फलस्वरूप 1561882 पंद्रह लाख एकसठ हजार आठ सौ बयासी तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये है।

मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने कहा कि मंदिर समिति यात्रियों को भगवान के सरल- सुगम दर्शन हेतु प्रयासरत रही।

कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान हुई। मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि आज पंचमुखी डोली प्रथम पड़ाल राम पुर पहुंचेगी। कल 28 अक्टूबर शुक्रवार को देवडोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास करेगी तथा 29 अक्टूबर शनिवारको श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।

इसी के साथ इस वर्ष श्री केदारनाथ यात्रा का समापन हो जायेगा तथा पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी। 

19 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।जबकि श्री हेमकुंट साहिब- लक्ष्मण मंदिर के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो गये।

द्वितीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 7 नवंबर तथा द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर को बंद हो जायेंगे।

जय श्री हरि।

गरुड़ जी का घमंड।

मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला।

भगवान श्रीरामचन्द्रजी युद्ध के दौरान जब नागपाश में बँध गये तो नारदजी ‘नारायणनारायण’ करते हुए वैकुण्ठ में गरुड़जी के पास पहुँचे और कहाः “तुम कैसे सेवक हो ? स्वामी तो नागपाश में बँधे हुए हैं और तुम इधर घूम रहे हो ! जाओ, प्रभु की सेवा करो।” जिनके पंखों की आवाज से सामवेद की ऋचाएँ निकलती हैं, ऐसे गरुड़ देवता पंख फड़फड़ाते हुए आये तो कई नाग तो उनकी ऋचाओं के आन्दोलनों से डरकर भाग गये। शेष रहे नागों को गरूड़ जी ने अपनी चोंच से रवाना कर दिया। प्रभु बँधनमुक्त हुए।

प्रभु तो लीला कर रहे थे लेकिन सेवक के भीतर अहंकार घुस गया कि अगर मैं नहीं आता तो श्रीरामजी को नागपाश से कौन छुड़ाता ? अपने इष्ट, अपने उद्धारक के प्रति अहोभाव होता है तो उन्नति होती है लेकिन तर्क-वितर्क से अहोभाव यदि घटता है अथवा दोष-दर्शन होता है तो पतन होता है, फिर चाहे गरुड़जी भी क्यों न हों।

वैकुण्ठाधिपति के नित्य दर्शन करने वाले गरुड़जी भी मोहग्रस्त होकर अशांति का शिकार हुए हैं और अशांति का उपचार किसी वैद्य, हकीम या डॉक्टर के पास नहीं होता। स्वर्ग के राजा इन्द्र भी अशांत होने पर आत्मशांति की तलाश में ब्रह्मवेत्ताओं के चरणों में जाते हैं। गरुड़जी ब्रह्मवेत्ताओं के शिरोमणि भगवान शंकर के चरणों पहुँचे हैं- “प्रभु ! मुझे बड़ी अशांति हो रही है।”

शिवजी पूछते हैं- “अशांति का कारण क्या है ? यह कब से हुई ?”

गरूड़जीः “जबसे राम जी को नागपाश से छुड़ाया तब से। मुझे संदेह हुआ कि ये साक्षात् नारायण कैसे हो सकते हैं ? मैं न आता तो उन्हें कौन छुड़ाता ? “

शिवजीः “तेरी अशांति की दवा मैं नहीं दूँगा। तूने अपने इष्ट के प्रति अपने उद्धारक के प्रति अश्रद्धा की है। आखिर तू पक्षी जो ठहरा ! तू पक्षपात करता है, अपने अहं की तरफ आता है। अरे ! तेरे भीतर जो समतत्त्व काम कर रहा है उस पर तेरी नजर नहीं गई ? तू सोचता है ‘मैंने अपनी चोंचों से काम किया।” अरे…. तेरी चोंच किसकी सत्ता से चलती है पागल ! तुझे पता नहीं ? तेरे पंख किसकी सत्ता से फड़फड़ाते हैं ? उसे तू नहीं जानता ?

रमन्ते योगिनः यस्मिन् सः रामः ।

रोम रोम में रमने वाले जिस चैतन्य आत्मा में योगी लोग रमण करते हैं, वह राम है। . और उनका नागपाश तूने तोड़ा ? राम की सत्ता से तेरे पंख चल रहे हैं और तूने राम की मदद की ?”

कल्याणकारी कहानियां।