हरीश मैखुरी
वो दौर गुजर गया जब दोनों किडनी फेल, हार्ट के चारों वाल्व ब्लाॅक, चैथे स्टेज के कैंसर, अल्जाइमर व ब्रेन टयूमर, एडस और क्रोनिक अर्थराईटिस विद डिफाॅरमिटी का स्वास्थ्य राज्य प्रमाण पत्र प्राप्ति के बल पर शिक्षक मोटी रकम लेते हुए सुविधाजनक जगहों पर अपना स्थानान्तरण करवा लेते थे। लेकिन सवाल यही उठता था कि इतनी गंभीर बिमारियों में जिनमें कोई व्यक्ति हिलने-डुलने लायक तक नहीं रहता वह आठ घंटे विद्यालयों में पढ़ा कैसे सकता और डाॅक्टर उसे फिटनेस प्रमाण पत्र कैसे दे देते? पर लगता है कि शिक्षा विभाग और सरकार इस मुद्दे पर जाग गई है, अब गंभीर बिमारी के आधार पर शिक्षक तबादले के बजाए अनिवार्य रुप से घर भेजे जाएंगे।
शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे ने गुरुवार को हुई गढ़वाल और कुमांऊ मण्डलों की अलग-अलग बैठकों के आधार पर स्पष्ट निर्णय लिया है। अब गंभीर रुप से शारीरिक और मानसिक बिमार शिक्षकों तथा लंबे समय से बिमारी के आधार पर गैरहाजिर शिक्षकों और हाजिरी के बावजूद काम न करने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। इस आशय की नियमावली बनाने का निर्देश जारी कर दिया गया है। यही नहीं जो शिक्षक बिमारी के आधार पर स्थानान्तरण या चुनाव ड्यूटी से छुट्टी की मांग करेगा उसके स्वास्थ्य प्रमाण पत्रों की भी गहनता से जांच की जाएगी।
शिक्षा मंत्री अरंिवंद पाण्डे ने कहा कि उनका जोर शिक्षा विभाग की गुणवत्ता सुधार पर है, और इसके लिए शिक्षकों व कर्मचारियों का स्वस्थ होना जरुरी है। यही नहीं जिन शिक्षकों ने इतनी गंभीर बिमारियों में फिटनेस प्रमाण पत्र लेकर अपनी ड्यूटी सिर्फ कागजों में दिखाई है उन पर वसूली भी की जा सकती है।