जोशीमठ भू धंसाव प्रभावितों के रहने-खाने एवं ठंड से बचाव हेतु हीटर, ब्लोअर, हॉट वाटर बॉटल और स्वास्थ्य व्यवस्था आदि व्यवस्थाओं की मुख्यमंत्री धामी स्वयं कर रहे मोनेटरिंग

 *जोशीमठ प्रभावितों के लिए राज्य सरकार कर रही है हर संभव व्यवस्थाएं, सीएम धामी स्वयं कर रहे मोनेटरिंग *

*प्रभावितों के रहने-खाने एवं ठंड से बचाव हेतु पर्याप्त संख्या में की गई हीटर, ब्लोअर, हॉट वाटर बॉटल आदि की व्यवस्था*

*नियमत रूप से की जा रही स्वास्थ्य जांच*

जोशीमठ आपदा प्रभावित इस समय राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार प्रभावितों के रहने-खाने से लेकर शीत से बचाने हेतु पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। जहां आपदा प्रभावित परिवारों के सदस्यों के रहने की व्यवस्था होटलों के अलावा राहत शिविरों में की गई है तो ठंड से बचाने के लिए हीटर, ब्लोअर आदि के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।

     मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश हैं कि आपदा प्रभावितों को किसी भी तरह की समस्या न होने पाए। जानकारी के अनुसार 120 परिवारों को हीटर और ब्लोअर उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा जो लोग होटल में ठहरे हैं उनके लिए होटल के हीटर-ब्लोअर उपलब्ध हैं। 1082 ली दूध, 105 लोगों को इलेक्ट्रिक केतल, 110 लोगों को थर्मल वियर, 175 लोगों को हॉट वॉटर बोतल, 592 लोगों को टोपी, 280 लोगों को मोजे, 213 लोगों को शॉल आदि जरूरत का सामान वितरित किया गया है। इसी तरह अब तक 842 लोगों को खाद्यान्न किट, 693 को कंबल, 121 लोगों को डेली यूज़ किट, 48 लोगों को जूते भी दिए गए हैं। आमजन की नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच भी की जा रही है। अब तक कुल 826 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई है। इसके साथ ही स्थानीय निवासियों के मवेशियों का भी पूरा ख्याल राज्य सरकार की ओर से रखा जा रहा है। 72 पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण एवं 100 चारा बैग भी वितरित किये गये हैं।

     जोशीमठ में आपदा प्रभावित 275 परिवारों के 925 सदस्यों को सुरक्षा के दृष्टिगत राहत शिविरों में रुकवाया गया है। राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, चिकित्सा इत्यादि मूलभूत सुविधाएं प्रभावितों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रभावित परिवारों को उनकी सुविधा एवं स्वेच्छा के अनुसार सुरक्षित गेस्ट हाउस, होटल, स्कूल एवं धर्मशाला में ठहराया गया है।

  

      नगर पालिका जोशीमठ में 16 परिवार के 63 सदस्यों को रुकवाया गया है। गुरुद्वारा जोशीमठ में 7 परिवारों के 28 सदस्य रह रहे है। इसी तरह, प्राथमिक विद्यालय जोशीमठ में 4 परिवारों 11 सदस्य, जोशीमठ सिंचाई विभाग कॉलोनी में 1 परिवार के 4 सदस्य, टूरिस्ट हॉस्टल औली रोड में दो परिवारों के 8 सदस्यों, राजीव गांधी अभि.वि.जोशीमठ में 1 परिवार के 6 सदस्य, प्रा.वि.सिंगधार में 3 परिवारों के 18 सदस्य, होटल शैलजा में 3 परिवारों के 11 सदस्य, होटल श्रीमान पैलैस में 7 परिवारों के 16 सदस्य, विवेक लाज में 2 परिवारों के 10 सदस्य, होटल सैफायर में 9 परिवारों के 46 सदस्य, होटल द्रोणागिरी में 10 परिवारों के 34 सदस्य, काली कमली धर्मशाला में 5 परिवारों के 23 सदस्य, मिलन केन्द्र सिंगधार में 1 परिवार के 4 सदस्य, होटल तथास्तु में 3 परिवारों के 13 सदस्य, होटल उदय पैलेस में 12 परिवारों के 45 सदस्य, होटल हिमशिखर मे 6 परिवारों के 21 सदस्यों को ठहराया गया है। 

     जबकि होटल ईश्वरी नारायण में 20 परिवारों के 63 सदस्य, शिवालिक कैम्पिंग एंड कार्टज में 7 परिवारों के 22 सदस्य, औली इको नेचर रिजॉर्ट में 5 परिवारों के 22 सदस्य, होटल पथिक में 5 परिवारों के 8 सदस्य, भारत गेस्ट हाउस में 4 परिवारों के 20 सदस्य, संस्कृति महाविद्यालय में 26 परिवारों के 79 सदस्य, होटल आली डी में 1 परिवार के 5 सदस्य, अलकनंदा सदन जोशीमठ में 3 परिवारों के 10 सदस्य, गुंजन गेस्ट हाउस में 3 परिवारों के 11 सदस्य, बलराम गेस्ट हाउस में 11 परिवारों के 48 सदस्य, न्यू सिद्धार्थ होटल में 10 परिवारों के 20 सदस्य, जय मां सरस्वती में 6 परिवारों के 10 सदस्य, हिमालय होटल में 1 परिवार के 3 सदस्य, होटल साईधाम में 5 परिवारों के 12 सदस्य, होटल माणिक पैलेस में 9 परिवारों के 29 सदस्य, होटल ब्रहमकमल में 3 परिवारों के 11 सदस्य, होटल महिम रेजीडेंसी में 4 परिवारों के 16 सदस्य, चरक गेस्ट हाउस में 2 परिवारों के 6 सदस्यों को ठहराया गया है।

 

     होटल शिवा पैलेस में 2 परिवारों के 11 सदस्य, होटल शिवलोक में 1 परिवारों के 3 सदस्य, होटल त्रिशूल में 5 परिवारों के 27 सदस्य, अनमोल होम स्टे में 4 परिवारों के 18 सदस्य, एनके होमस्टे में 3 परिवारों के 12 सदस्य, मंदिर समिति गेस्ट हाउस में 1 परिवार का 1 सदस्य, होटल धनेश में 10 परिवारों के 45, होटल दीपिका में 1 परिवार के 4 सदस्य सदस्यों को ठहराया गया है। इसके अतिरिक्त 31 परिवारों के 48 सदस्य अपने रिश्तेदारों/किराये पर रह रहे हैं।

मैं जोशीमठ हूं…. 

मुझे आप गेटवे ऑफ हिमालय भी कह सकते हैं, मैं देवभूमि के खूबसूरत पहाड़ी भूगोल का एक हिस्सा मात्र नहीं हूं। धर्म और अध्यात्म की गंगा विश्व भर में प्रवाहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही मैंने एक पूरी सभ्यता को फलते फूलते देखा है। कत्यूरी राजाओं की राजधानी होने का गौरव मुझे है तो आदि गुरु शंकराचार्य ने कठोर तप और ज्योतिर्मठ की स्थापना के लिए मुझे ही चुना। ज्योतिर्मठ होने के कारण ही कालांतर में मेरा नाम जोशीमठ पड़ा मैं संस्कृति और अध्यात्म का संवाहक होने के साथ ही देश का सीमा प्रहरी भी तो हूं। 2500 से लेकर 3050 मीटर की ऊंचाई में फैली मेरी भुजाओं से नंदा देवी, कामेट, दूनागिरी जैसी हिमालय पर्वत चोटियों का नयनाभिराम दृश्य देखते ही बनता है। देश के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम का शीतकालीन गद्दी स्थल होने का गौरव मुझे मिला है तो भविष्य बद्री का द्वार भी हूं, विश्व प्रसिद्ध क्रीड़ा केंद्र औली का प्रमुख पडाव भी मैं हूं। नैसर्गिक सुंदरता से परिपूर्ण होने के चलते इसका आकर्षण कम नहीं है, लेकिन प्रकृति की मार से मैं कराह रहा हूं, दरक रहा हूं लेकिन मेरी पीड़ा हरने की जरूरत किसी ने नहीं समझी। ऐसा नहीं कि इसके संकेत ना दिए हो, 1970 के दशक से लगातार खतरों को लेकर सचेत कर रहा हूं। लेकिन पीड़ा इस बात की है कि मेरे जख्मों की तरफ आंखें फेर ली गई, अब पानी सिर से ऊपर बहने लगा है और मेरे अस्तित्व के लिए ही संकट खड़ा हो गया है। 

बीती ताहि बिसार दे अब आगे की सुध लें इस सिद्धांत पर चलते हुए अब मुझे बचाने की जिम्मेदारी आपके कंधों पर है।