जिसकी हर एक क्लिक में पूरा उत्तराखण्ड बसता है

 

 

हरीश मैखुरी

मैं कार से देहरादून आ रहा था,  विख्यात फोटो जर्नलिस्ट कमल जोशी घोलतीर के निकट अपने कैमरे के साथ दिखे , मैने अपनी पत्नी कुसुम को बताया ये कमल जोशी हैं, और आदतन पूछा इधर कैसे कमल भाई ? कहने लगा बस तुमसे मिलने। कमल भाई एक फोटो हो जाय। तो बोला देहरादून जाने वालों के साथ नहीं, हम तो हिमालय में रहने वालों की  शाॅट लेते हैं, वैसे हरीश भाई तू मेरी तस्वीरों पर कमेंट बहुत अच्छे करता है। चल यार कुमांयू की तरफ कुछ दिनों के लिए, कहां देहरादून में धुआं खायेगा । तुम लोग जाते क्यों हो यार वहां, धूल घुंआं धक्का और धोखा खाने?। मैने पूछा कुमांयू में क्या है? अरे घर में रोटी बनाने वाला नहीं है न कोई हाहाहाहा… । तब क्या पता था कि ये कमल से आखरी मुलाकात होगी ।

समूचे हिमालय के दर्द को अपने कैमरे में समेटने वाले जां बाज। काश भागमभाग में समय रहते तेरी हंसी के पीछे का दर्द समझ आ जाता, शायद यूं न जाता। तेरा जाना दिल के अरमानों का मिट जाना।… कमल जोशी फेसबुक का अलग ही फेस था। उसके एक एक फोटो अपने आप में पूरे पहाड़ हैं। उसकी एक एक क्लिक में जादू है, परन्तु पहाड़, नैनीताल समाचार, उत्तरा आदि में जो उसके फोटो छपे हैं, वे उतराखण्ड की अनमोल धरोहर हैं। सरकार उनके फोटो संकलित करे और मीडिया इंस्टीट्यूट उन्हें पढायें। स्तब्ध और निशब्द कर देने वाली कमल की मौत के पीछे की सच्चाई भी बाहर आनी चाहिए। कमल को श्रद्धांजलि देने का सवाल ही नहीं, वो हमेशा दिलों में जिंदा रहेगा।