ब्रह्म कपाल जहां पिंडदान से होता है पितृ मोक्ष

रिपोर्ट –  हरीश मैखुरी – – दिनांक 20 सितंबर 17 

बद्रीविशाल जी को मोक्ष धाम कहा जाता है इसीलिए बद्रीनाथ में अपने पितरों की मोक्ष के लिए लोग यहां भारी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आकर अपने ज्ञात अज्ञात पितरों का पिंड दान व तर्पण करते हैं। इन दिनों बद्रीनाथ में पिंडदान और तर्पण करने वाले श्रद्धालुओं की खासी भीड़ लगी है, श्राद्ध पक्ष का आज आखरी दिन है। आज के दिन अपने सभी ज्ञात अज्ञात पित्रों को के श्राद्ध और तर्पण का विधान है। बदरीनाथ में भारी संख्या में देश-विदेश श्रद्धालु आकर अपने पितरों का पिंड दान और यज्ञ तर्पण हवन आदि करवा रहे हैं। श्री  एस पी ध्यानी पिंड दान कराने वाले पंडित कहते हैं कि यहां ब्रह्म कपाल में इन दिनों देश विदेश से श्रद्धालु आकर अपने पितरों का पिंड दान और तर्पण करवा रहे हैं क्योंकि यहां एक बार पिंड दान तर्पण आदि के बाद अन्यत्र इस की आवश्यकता नहीं रहती यही सुप्रीम कोर्ट है। बद्रीनाथ के धर्माधिकारी श्री भुवन उनियाल बताते हैं कि देश के चार धाम धर्म अर्थ काम मोक्ष के प्रतीक हैं। बद्रीनाथ को मोक्ष का धाम कहा जाता है, इसीलिए अपने पितरों की मुक्ति और उन्हें मोक्ष प्रदान करने के उद्देश्य से यहां पर पिंड दान का खासा महत्व है। इस धाम में आकर अपने ज्ञात अज्ञात पितरों का पिंड दान तर्पण मार्जन और गंगा में उनकी मूर्ति विसर्जन करने का शास्त्रीय महत्व है, निश्चित रुप से हमारे पूर्वज यही चाहते होंगे कि उनकी पीढ़ी के लोग बद्रीनाथ में उनका अंतिम पिंड दान करें और उन्हें वैकुण्ठ वास का देवत्व मिले।